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Chapter 2 - प्यार की एक कहानी ऐसी भी: भाग 2

देव की बातें सुन कर सभी को बड़ा शॉक लगता है।देव की मम्मी वहीं सोफे पर बैठ जाती है। और देव लगातार रोए जा रहा था।किसी के कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें क्या ना करें। राज देव को ले कर उसके रूम में चला जाता है। और उसे सुला देता है। वो वहीं पर उसके साथ बैठ जाता है।

यहां नीचे साक्षी सावित्री जी के पास

साक्षी(पैरों में गिर कर): मां मेरी कोई गलती नहीं है,वो बस

सावित्री जी(उसके आंसु पोछते हुए): बेटा अब गलती किसी की भी हो बस संभालो खुद को भी और देव को भी, कहीं ऐसा ना हो कि 2 जिंदगी बर्बाद हो जाए, हमें नहीं पता क्या हुआ क्या है और क्या होने वाला है, हमने आपको जब रतन आया था तभी अपना बहू मान लिया था, बस एक बात समझ नहीं आ रही की रतन ने ये कदम क्यों उठाया

साक्षी फिर सभी को सारी कहानी बता देती है और सब से देव को अभी कुछ भी बताने को मना करती है कि सही वक़्त आने पर वो खुद सबको सब सच्चाई बता देगी। सभी उसकी बातों में हां में हां मिलाते है।

सावित्री जी: साक्षी हमें जो बीत चुका है उस से कोई लेना देना नहीं है, अगर बचा सकते हो तो बचा लो अपनी शादी को, हमें देव का हर डिसीजन मंजूर होगा

राज भी तब तक नीचे आ चुका होता है, जो आंटी की बात से अग्री करता है और बाकी सब भी। साक्षी थोड़ी देर वहीं मां की गोद में सिर रख कर लेट जाती है। थोड़ी देर बाद मां उसे उसके रूम में जाने को बोलती है

साक्षी रूम में जाती है जहां देव सो रहा था, और नींद में कुछ बडबडा रहा था।

तेरी वजह से मेरा ये हाल हुआ है, अब तू देख तेरे साथ मैं क्या करता हूं, तू भी पूरी ज़िन्दगी याद रखेगी। ये सब सुन कर साक्षी की आंखों में आंसू आ जाते है पर वो फिर खुद से ही कहती है कि उसे किसी भी हाल में देव के दिल में जगह बनानी होगी, उसका विश्वास और प्यार जीतना होगा, मां और पापा का विश्वास वो नहीं तोड़ सकती, उसे ये करना ही होगा। यहीं सब सोचते हुए वो वहीं सोफे पर सो जाती हैं।

अगली सुबह देव जल्दी ही उठता है और साक्षी को सोफे पर सोया देख कर गुस्से से आग बबूला हो जाता है और वहां से बाहर आ जाता है।

देव: मां ये मेरे कमरे में क्या कर रही है

मां: बेटे वो तेरी पत्नी है उसको उसका अधिकार मिलना ही चाहिए, देख जो हो चुका उसे बदला नहीं जा सकता पर एक बार कोशिश कर के देख क्या पता सब सही हो जाए

इतने में ही देव के पापा,

देव आज तक तूने अपनी मनमानी की है हमने कभी नहीं रोका, पर बेटा देख ये अच्छी लड़की है, मैं मानता हूं कि तेरे लिए ये सब एक्सेप्ट करना मुश्किल है पर एक बार कोशिश कर के तो देख क्या पता सब सही हो जाए।

देव: इस दो टके की लड़की ने आप लोगों पर 1 दिन में ही अपना जादू चला दिया( और जोर जोर से हंसने लगता है)

किशोर जी(देव को एक चांटा मारते हुए): तेरी जो भी प्रॉब्लम हो उसे सॉल्व कर पर किसी लड़की के बारे में गलत सुनना या करना कभी बर्दाश्त नहीं होगा इस घर में ये याद रख

देव की आंखें गुस्से से और लाल हो जाती है

देव: पापा आज तक आपने हम पर हाथ नहीं उठाया पर सिर्फ उस लड़की की वजह से

किशोर जी: क्योंकि आज तक तूने अपनी मनमानी की है किसी लड़की के बारे में कभी गलत नहीं बोला है देव। पर आज जो तूने बोला है आज के बाद मत बोलना वरना मुझ से बुरा कोई नहीं होगा

देव वहां से गुस्से में चला जाता है और फिर से बार में बैठ कर पूरे दिन पीता रहता है। शाम के वक़्त जब वो बाहर निकल रहा होता है तो राज दिखता है उसे

राज: भाई क्या हो गया है तुझे इतनी क्यों पी ली फिर से

देव: बस मेरे भाई मन कर गया पीने का और एक सिगरेट जला लेता है

राज उसे साइड में बीठाता है और समझाते हुए

राज: देख देव जो हो गया उसे भूलने की कोशिश कर और आगे बढ़, क्या पता ये लड़की अच्छी हो

देव: वाह मेरे दोस्त मुझे तो लगा था उस ने सिर्फ मेरे घरवालों पर जादू चलाया है पर नहीं मैं गलत था

राज: देख तू गलत समझ रहा है

देव उसे धक्का देते हुए वहां से निकल जाता है।

घर पहुंच कर वो डोरबेल बजाता है और साक्षी आ कर गेट खोलती है। देव बिना उसकी तरफ देखे अपने कमरे में चला जाता है। साक्षी भी उसके पीछे जाती है, देव अपने रूम में पहुंच कर शराब की बॉटल निकाल कर उसे गले से उतारने लगता है जिसे देख कर साक्षी परेशान हो जाती है और वो झटके में बॉटल उससे छीन कर फेंक देती है।

देव, उसके गाल पर एक चांटा लगा देता है।

साक्षी: आप हाथ उठा लीजिए पर ऐसे खुद को और अपने घरवालों को तकलीफ मत दीजिए

देव: मुझ से दूर रह तू, जितना दूर रहेगी उतना फायदे में रहेगी

साक्षी: ठीक है पर आप ऐसे शराब तो मत पीजिए

देव: तू है कौन, कोई रिश्ता नहीं है तेरा मेरा, मैं जो भी करूं मेरी मर्जी, अपने काम से मतलब रख

साक्षी की आंखों में आंसू आ जाते है और वो वहीं कमरे में पड़े कांच के टुकड़े उठाने लगती है। जिसमें से एक टुकड़ा उसके हाथ में चुभ जाता है और उसमें से खून बहने लगता है। देव देख कर भी अनदेखा कर देता है और बेड पर सो जाता है। साक्षी कैसे भी वहां से कांच समेट कर फर्स्ट ऐड़ बॉक्स ले कर हाथ साफ करती है और पट्टी करती है।

अगली सुबह

सुमित्रा जी: बेटा ये हाथ में क्या हुआ

साक्षी: कुछ नहीं मां वो बस कांच चुभ गया

सुमित्रा जी: बेटा खयाल रखना अपना

साक्षी: जी मां

और वो किचन में ब्रेकफास्ट बनाने चली जाती है।

वहीं देव उठ कर फ्रेश होता है और तैयार हो कर ऑफिस के लिए निकल जाता है। नीचे आने पर सभी उस नाश्ते के लिए कहते है पर वो अनसुना कर के ऑफिस निकल जाता है।

इसी तरह 3 महीने बीत जाते है, साक्षी को सभी घर में अपना लेते है पर देव का नफरत उसके लिए कम होने का नाम ही नहीं लेता। जो देव हमेशा हंसता मुस्कुराता रहता अब ख़ामोश रहने लगा था। बस अपने ऑफिस जाता वहां देर रात तक रुकता और देर रात वापिस आता। साक्षी भी अपनी तरफ से हर कोशिश करती की कैसे भी देव का दिल जीता जाए पर उसके दिल में तो गुस्से और नफरत का सैलाब भरा हुआ था। देव जितना मर्जी लेट आए पर गेट हमेशा साक्षी ही खोलती और खाने के लिए पूछती पर देव बिना कोई जवाब दिए सोने चला जाता। फिर साक्षी भी बिना खाए ही सोफे पर लेट जाती। रोज रात उसकी आंखों में आंसू होते पर वो किसी से कुछ नहीं कहती। उसके घरवालों ने कई बार उससे बात करने की कोशिश की पर उसने कभी भी उनसे बात नहीं की।

अगले दिन रविवार था और आज कई दिनों बाद देव घर पर ही रुकता है। करीब तीन महीने बाद वो घर पर रुकता है अपनी फैमिली के साथ। सुबह सब के साथ वो ब्रेकफास्ट करता है और काफी वक्त बाद सब से हंस कर बातें करता है।

ब्रेकफास्ट कर के वो अपने कमरे में चला जाता है और लैपटॉप निकाल कर काम करने लगता है। इसी बीच रिया देव के पास आती है

रिया: क्या बात है देवर जी आज तो काम से छुट्टी ले लो

देव: भाभी छुट्टी पर ही हूं, बस थोड़ा सा काम निपटाना है

रिया: देव एक बात कहें आपसे

देव: कहिए भाभी

रिया: देव साक्षी को माफ कर दो ना, उसकी क्या गलती है इन सब में

देव( बिना कोई जवाब दिए) अपने काम में लगा रहता है

रिया: पता है देव, ना तो आप रात को वापिस आ कर खाते है और फिर साक्षी भी नहीं खाती, उस लड़की के दिल में सबके लिए बहुत प्यार है देव, आप एक बार अपनाने की कोशिश तो कीजिए

देव: भाभी कोई खाए या ना खाए , मरे या जिए हमें फर्क नहीं पड़ता और अब हम इस बारे में बात नहीं करना चाहते

रिया: पर देव कब तक यूं खुद को तकलीफ देते रहेंगे, एक बार बात तो कर के देखिए क्या पता सब ठीक हो जाए

देव: भाभी सब ठीक तो है ही ना, सब खुश है इस से ज्यादा क्या चाहिए

रिया: देव आपने खुद को इतना पत्थर दिल बना लिया है कि आपको कुछ दिख ही नहीं रहा, इस घर में खुशी आप से होती है और आप जब तकलीफ में है तो कोई भी खुश नहीं है,बस खुश होने का दिखावा कर रहे है

देव: भाभी सब की अपनी ज़िन्दगी है सब उसे अपने तरीके से जी रहे है, हम कौन होते है किसी की जिंदगी में दखल देने वाले

रिया: देव कहीं ऐसा ना हो कि आप गुस्से में सब बर्बाद कर दो, अभी भी वक्त है देव सब ठीक कर लो वरना बाद में पछताने के अलावा कुछ नहीं बचेगा

देव: भाभी हमें कुछ ठीक नहीं करना और ना ही हमें परवाह है और किस की परवाह करें

रिया: जैसी आपकी मर्जी देव

और उठ कर वहां से चली जाती है।

वाकई सच ही तो था ये पीछले 3 महीने से देव इस घर में हो कर भी इस घर में नहीं था। ना किसी से बात करता ना हंसता और ना ही किसी पर गुस्सा करता। सुबह उठ कर ब्रेकफास्ट टेबल से फ्रूट उठाता और ऑफिस निकल जाता। वापिस देर से आकर सो जाता। सब बदल चुका था, पर देव तो जैसे इन सब बातों से अनजान खुद को काम में झोंक चुका था। उसपर भाभी की बातों का भी कोई फर्क नहीं दिखा और वो अपने काम में ही लगा रहा।

दोपहर के वक्त सभी साथ में लंच करने बैठे थे,

देव खाने की तरफ देख कर, मां क्या बात है आपने आज सब हमारी पसंद का बनाया है।

मां: पर देव आज खाना साक्षी ने बनाया है

देव चुप हो जाता है इतने में ही उसका फोन बजता है और वो सब से कह कर की इंपॉर्टेंट कॉल है वो बाद में खा लेगा, वहां से उठ कर चला जाता है।

रिया: आप लोग खाना खाईए हम देव को खाना रूम में ही दे कर आते हैं।

रिया खाना ले कर देव के पास जाती है तो देव खाना साइड में रखने को बोल देता है। रिया खाना वहीं रख कर चली जाती है। कुछ देर बाद साक्षी आती है और खाना देख कर

साक्षी: आप यूं खाने पर गुस्सा क्यों निकाल रहे है

देव अनसुना कर देता है।

साक्षी: हम कुछ कह रहे है आपसे, आपको प्रॉबलम मुझ से है पर खाना तो खा लीजिए

गौरव: दिमाग है या नहीं, एक बार में बात समझ नहीं आती क्या, कह दिया है मैंने ना मुझ से दूर रहो और मैं क्या करता हूं क्या नहीं उस में दखलंदाज़ी करने की जरूरत नहीं है क्या इतनी सी बात समझ में नहीं आती तुम्हारे

साक्षी: वो वो...

देव बडबडाते हुए वहां से निकल जाता है और बाहर चला जाता है।

कुछ देर में वो राज से मिलता है।

राज: देव हालत देखी है तूने अपनी

गौरव: हां क्या दिक्कत है

राज: देव दिक्कत नहीं है भाई बस देख आयने में खुद को, यूं दाढ़ी बढ़ा रखी है, बाल, चेहरे से रौनक गायब है, देख प्रॉबलम है उसे फेस कर यूं दूर भागने से क्या होगा

देव: अबे कुछ और नहीं है क्या बोलने को, जिसे देखो प्रवचन देने लगता है

राज: अब तेरी हरकतें ही ऐसी है तो क्या किया जाए, समझाना तो पड़ेगा ना

देव: भाई देख मैं जैसा हूं वैसा ठीक हूं, तो मुझे प्रवचन ना दे

राज: वो दिख रहा है कितना ठीक है

देव: भाई अगर तूने प्रवचन देना है तो मैं निकलता हूं

फिर राज उसे वहीं रोक लेता है। दोनों बैठ कर शराब पीते है। कुछ देर बाद राज के पास फोन आता है और उसे वहां से निकलना पड़ता है।देव अकेले वहां बैठ कर देर रात तक शराब पीता रहता है। कई बार उसका फोन भी बजता है पर वो ध्यान नहीं देता। आखिरकार जब बार बंद होने का वक्त आता है तो वो उठ कर वहां से घर की तरफ जाता है।

साक्षी दरवाजे पर ही उसका इंतजार कर रही थी।

साक्षी: खाना लगाऊं

देव बिना जवाब दिए वहां से जाने लगता है तो साक्षी उसके आगे आकर रास्ता रोक कर खड़ी हो जाती है

देव: साइड हटो

साक्षी: आपने खुद को समझ क्या रखा है, मेरी वजह से खुद को तो तकलीफ मत दीजिए

देव बिना कुछ सुने वहां से अपने रूम की तरफ चला जाता है। साक्षी भी उसके पीछे जाती है। रूम में पहुंच कर वो देव के सामने खड़ी हो जाती है।

देव: सामने से हटो

साक्षी: पहले मेरे सवालों का जवाब दीजिए

देव, उसे गुस्से में घूरता है

साक्षी: देव हो गई गलती हमारे परिवार से भी और हम से भी, पर आप बताइए क्या करूं मैं की आप खुद को और अपने परिवार को तकलीफ ना दे

देव कुछ नहीं बोलता

साक्षी: मुझे आज मेरे सवालों का जवाब चाहिए, बोलिए क्या करूं मैं, मैं आपकी पत्नी हूं देव

देव: तो ऐसे बोल ना कि तुझे जिस्म की भूख मिटानी है( अपनी टीशर्ट उतरते हुए) लो मिटा लो भूख

साक्षी( एक चांटा उसके गाल पर मारते हुए): समझ क्या रखा है खुद को, कुछ भी बोलोगे, बहुत हो गया गौरव

देव, गुस्से में अपना हाथ पास पड़ी शीशे पर दे मारता है जिस से वो चकनाचूर हो जाता है और शीशे के कुछ टुकड़े उसके हाथ में घुस जाते है। साक्षी ये देख कर परेशान हो जाती है और डॉक्टर को फोन करती है, वहीं वीर पास पड़ी शराब की बोतल गले से उतारने लगता है और अंत में बेहोश हो कर वहीं बेड पर गिर पड़ता है। साक्षी उसके हाथ पर कपड़ा लपेट देती है और तभी डॉक्टर आ कर उसके हाथ से कांच के कुछ टुकड़े निकाल कर पट्टी कर देते है।

साक्षी वहीं देव के पास बैठ कर, क्यों कर रहे हो देव ऐसा, क्यों खुद को इतनी तकलीफ दे रहे हो, खुद को भी परेशान कर रहे हो और बाकी घरवालों को भी परेशान कर रहे हो। वहीं बैठ कर वो उसके सिर पर हाथ फेरने लगती है

देव, नींद में ही, दूर रहो मुझ से, मुझसे दूर रहो, नफरत है मुझे

साक्षी: जितनी नफरत करनी है मुझ से कर लो पर यूं खुद को तकलीफ मत दो देव

यही सब सोचते सोचते जाने कब उसे नींद आ जाती है और वो वहीं पर सो जाती है।

सुबह के वक्त

जब देव की आंखें खुलती है तो साक्षी को अपने बगल में देख हैरान हो जाता है पर वो उठ कर फ्रेश होने चला जाता है। साक्षी भी उठ कर बाहर किचन कि तरफ चली जाती है।

देव बाहर आकर

देव: मां वो ब्लू शर्ट कहां है मेरी

तो मां साक्षी से बोलती है कि जाओ बेटा देखो उसे क्या चाहिए।साक्षी कमरे में आ कर उसे ब्लू शर्ट निकाल कर देती है जिसे देव गुस्से में आग लगा देता है

देव: मेरा सामान छूने की जरूरत नहीं है

साक्षी, उसे दूसरा शर्ट निकाल कर देती है: पतिदेव इतना गुस्सा ठीक नहीं है ये पहन लीजिए और इसे आग मत लगाइएगा

देव: शर्ट झटके में हाथ से छीनते हुए, तुम्हारे समझ में नहीं आती बात क्या

साक्षी: पतिदेव आप इतने गुस्से में क्यों रहते हो हमेशा, इतना गुस्सा सेहत के लिए अच्छा नहीं होता है, थोड़ा मुस्कुराइए

देव बिना कुछ बोले तैयार हो कर बाहर आता है, उसी बीच

साक्षी: पतिदेव नाश्ता कर लीजिए, ऐसे भूखे पेट कब तक रहेंगे

देव बिना कुछ बोले वहां से जाने लगता है, पर साक्षी सामने आ कर, नाश्ता कर लीजिए

फिर देव के पापा भी कहते है उससे नाश्ता करने को पर देव कहता है कि उसे देर हो रही है

साक्षी: अपना ही ऑफिस है 5 मिनट देर से पहुंच जाएंगे तो कोई आफत नहीं आ जाएगी

पापा: हां देव बेटे सही कह रही है बहू बैठ कर नाश्ता कर लो

देव को ना चाहते हुए भी बैठना पड़ता है, साक्षी और रिया मन ही मन मुस्कुरा देते है।

देव, तुझे तो मैं बताता हूं

पापा: बेटा हाथ में क्या हुआ,इतनी चोट कैसे लगी

देव: वो कुछ नहीं पापा शाम को जरा सी चोट लग गई

पापा: बेटा ध्यान रखा करो अपना

देव: जी पापा, और नाश्ता करने लगता है।

देव, मन में, आज इसे क्या हो गया है, आज से पहले तो एक बार बोलने पर कुछ नहीं बोलती थी पर आज तो जुबान कैंची के जैसे चल रही है।पर मैं क्यों सोच रहा हूं इसके बारे में कुछ भी करें मुझे क्या। वो अपना नाश्ता ख़तम करता है और ऑफिस निकल जाता है। आज शाम को उसकी तबीयत कुछ ठीक नहीं थी तो वो जल्दी घर आ जाता है और अपने कमरे में जा कर लेट जाता है। रात को वो खाना खाने से मना कर देता है ये कह कर की उसका मन नहीं है और सो जाता है। साक्षी जब कमरे में आती है तो देव को बेचैनी से करवट बदलते देखती हैं। वो तुरंत उसका माथा छू कर देखती है जो कि काफी गरम था। पानी और एक कपड़ा ला कर उसके माथे पर पट्टी करने लगती है। तुरंत ही देव की आंखें खुल जाती है

देव: मैंने कहा था ना कि मेरे पास मत आना

साक्षी(आंखों में आंसू ले कर): जितनी लड़ाई करनी हो कर लेना पर अभी आप लेट जाओ, आपको बहुत तेज बुखार है

देव: अरे बुखार ही तो है कौन सा मर जाऊंगा और उठ कर शराब की बॉटल उठाने जाता है पर बीच में ही लड़खड़ा कर गिरने लगता है। पर साक्षी उसे बीच में ही पकड़ लेती है।

साक्षी: प्लीज देव, मत करो ज़िद मान जाओ

जाने क्यों अभी उसे गुस्सा नहीं आ रहा था और बुखार भी काफी ज्यादा था जिसकी वजह से वो लेट जाता है। और साक्षी वहीं पास में बैठ कर उसके सिर पर पट्टी करने लगती है। कुछ ही देर में उसका बुखार कम हो जाता है और वो सो जाता है।जब साक्षी वहां से जाने को होती है तो नींद में ही वो उसके गोद में सिर रख देता है। जिस वजह से साक्षी वहां से उठ नहीं पाती और पूरी रात वैसे ही बैठे रहती है।आंखों से नींद तो जैसे गायब हो गई हो, बार बार देव का माथा छू कर देखती की कहीं बुखार तो नहीं है। इसी तरह पूरी रात बीत गई।

अगली सुबह जब देव की नींद खुली तो खुद को साक्षी की गोद में देख हैरान हुआ और अलग होते हुए

देव: वो सॉरी एंड थैंक्यू

साक्षी: कोई बात नहीं, अब आप कैसे हो

देव कुछ बोले बिना वहां से उठ कर नहाने चला जाता है। तब तक साक्षी भी नीचे जा कर उसके लिए चाय ले कर आती है।

देव के बाहर आने पर

साक्षी: चाय पी लीजिए वरना ठंडी हो जाएगी

देव: नहीं पीनी है

साक्षी: पतिदेव ऐसे गुस्सा नहीं करते खाने पीने पर पी लीजिए

देव: रख दो वहीं

साक्षी, चाय रखते हुए, आज ऑफिस मत जाइए, तबीयत खराब है

देव: देखो प्लीज मुझ से दूर रहो

साक्षी: क्यों डर लगता है कि प्यार ना हो जाए मुझसे

देव: खयाल अच्छा है पर सपनों की दुनिया से बाहर आ जाओ

साक्षी: रहने दीजिए वहीं हमें कम से कम वहां तो आप साथ होते है।

देव बिना कुछ बोले ऑफिस निकल जाता है।

रास्ते में, इसकी बातों से आज गुस्सा क्यों नहीं आया, क्या हो गया है ये मुझे, और मैं इसके बारे में क्यों सोच रहा हूं। यहीं सोचते हुए वो ऑफिस पहुंचता है पर उसका काम में मन नहीं लग रहा था ऊपर से उसे बुखार भी था। तो लंच में ही वो ऑफिस से निकल जाता है। घर आ कर अपने रूम में लेट जाता है।

वहीं साक्षी रिया के साथ मार्केट गई थी

साक्षी: भाभी ये शर्ट कैसी लगेगी

रिया: अच्छी है, क्या बात है

साक्षी: अरे भाभी पूछिए मत और उस सुबह जब वीर ने शर्ट जला दी थी, वाली सारी बात बता देती है

रिया: ये देव भी ना

साक्षी: गुस्सा तो जैसे नाक पर ही होता है

रिया: पर दिल का बहुत साफ है और तुम चिंता मत करो बहुत जल्दी ही दोनों साथ होगे

साक्षी: पता नहीं भाभी क्या होगा

रिया: बस उम्मीद मत छोड़ो

साक्षी और रिया फिर शॉपिंग ख़तम कर के घर आ जाते है।

साक्षी जब अपने कमरे में जाती है तो वहां देव को देख कर चौंक जाती है और अगले ही पल उसका माथा छूकर, सुबह ही मना किया था मत जाओ ऑफिस पर सुननी तो है नहीं इनको किसी की। इसी बीच सिर पर साक्षी की छुअन पाकर देव उठ कर बैठ जाता है।

साक्षी: सुबह मना कर रही थी तब माने नहीं ना अब चलो डॉक्टर के पास

देव: ओ हेल्लो, प्रॉब्लम क्या है तुम्हारी, क्यों पीछे पड़ी हो, तबियत मेरी खराब है तो मै खुद का खयाल रख सकता हूं तुम अपने काम से मतलब रखो ठीक है

साक्षी: देखो बहस मत करो चुपचाप चल लो वरना

देव(हंसते हुए): वरना क्या जैसे तुम्हारे भाई ने शादी करवाई थी वैसे उठवा लोगी

साक्षी को इस बात की उम्मीद नहीं थी और वो रोते हुए वहां से चली जाती है। देव भी उठ कर शराब की बॉटल निकालता है और पीना शुरू कर देता है। वहीं साक्षी नीचे जा कर भाभी को बताती है और वो डॉक्टर को फोन कर के घर आने को कहते है।फिर दोनों देव के कमरे में जाते है जहां उसे शराब पिता देख

रिया: ये क्या तरीका है देव, आप ऐसे तो नहीं थे

देव: छोड़िए भाभी जाने भी दीजिए उन बातों को

रिया: देव साक्षी ने बताया आपकी तबीयत खराब है, फिर भी आप

देव: हां जा रहा हूं डॉक्टर के पास

रिया उसके पास आकर माथा छूते हुए, देव अपनी हालत देखिए, खुद की नहीं सोच सकते तो एक बार परिवार के बारे में सोच कर देखिए। पर देव को तो जैसे इन सब बातों कोई असर ही ना हो। वो वहां से बाहर निकलता है और गाड़ी की चाभी उठा कर बाहर जाने ही वाला होता है कि साक्षी उससे चाभी ले लेती है।

देव: गाड़ी की चाभी दीजिए

साक्षी: आप ड्राइव नहीं कर पाएंगे, वेट कर लीजिए डॉक्टर आते ही होंगे या फिर हम या भाभी आपके साथ चले जाएंगे

देव: हमें आपकी हमदर्दी नहीं चाहिए

रिया: बस बहुत हो गया देव अब अगर आप नहीं माने तो हम फोन कर रहे है

देव: कर दीजिए जिसे भी करना है आपको फोन

रिया: ठीक है हम फिर दिव्या को फोन कर रहे है

देव के बढ़ते कदम रुक जाते है।

देव: भाभी मान रहे है ना आपकी बात इसके लिए उसे क्या परेशान करना

रिया: अब आप एक बार में मानते भी तो नहीं, तो ये तरीका ही अपनाना पड़ता है।

देव: हम बैठ गए ना भाभी, अब बस ना

रिया : ठीक है

देव वहीं बाहर सोफे पर बैठ जाता है और सिर पीछे की तरफ टिका कर आंखें बंद कर लेता है।

कुछ देर में डॉक्टर भी आ जाते हैं। वहां देव को कुछ दवाइयां दे कर रेस्ट करने को बोलते है और शाम में ब्लड रिपोर्ट देने को कहते है।

रिया: आपने कुछ खाया भी नहीं होगा तो खा लो और दवाई खा लेना फिर

देव: ठीक है भाभी

साक्षी उसके लिए खाना ले कर आती है और फिर देव खाना ख़त्म कर के दवाई खा कर सोने चला जाता है।

साक्षी: भाभी दिव्या कौन है

रिया: हमारी ननद, देव और अमित की छोटी बहन जो अभी हॉस्टल में है और नेक्स्ट वीक मम्मी पापा के एनिवर्सरी पर आएगी

साक्षी: कब है एनिवर्सरी

रिया: अगले सन्डे को

साक्षी: भाभी एक बात और, ये दिव्या का नाम सुनते ही देव मान कैसे गए

रिया: जब मिलोगी तो खुद जान जाओगी

साक्षी: अब तो मिलना ही पड़ेगा

साक्षी फिर देव के कमरे में जाती है और वहीं देव के पास बैठ जाती है।कुछ देर बाद उसे भी नींद आ जाती है और वहीं सो जाती है।देव जब उठता है तो साक्षी को उसके पास ही पाता है।देव पहली बार उसके फेस की तरफ देखता है, जिसके मासूमियत को देख कर वो खुद से कहता है, कोई नहीं जानता इसका असली चेहरा, इसके मासूमियत के पीछे छिपे घिनौने करतूत को कोई नहीं जानता। तुम सोच भी नहीं सकती कितनी नफरत करता हूं तुम से, तुम्हे तब तक साथ रखूंगा जब तक तुम खुद परेशान हो कर ना चली जाओ और ये भी याद रखना कि जब तक साथ होगी तरस जाओगी प्यार को, जितना तुम्हारी वजह से तकलीफ सही है सब हिसाब चुकाना पड़ेगा तुम्हे साक्षी, सब कुछ, अब बारी आयी है मेरी, इतना जलील करूंगा तुम्हे की तुम्हारा रूह तक कांप उठेगा, याद रखना इस बात को।

फिर देव वहां से उठ कर बाहर चला जाता है और मम्मी पापा के पास बैठ जाता है। थोड़ी देर में देव के पास डॉक्टर का फोन आता है और कहते है कि सब कुछ नॉर्मल है बस थोड़ा आराम कर लीजिए और दवा वक़्त पर लेटे रहे। रात को खाने के बाद देव अपने कमरे में जाता है और लैपटॉप खोल कर काम करने लग जाता है।

कुछ देर बाद साक्षी आती है और देव उसके पास जाता है, उसका हाथ पकड़ लेता है और उसकी आंखों में देख कर

देव: चलो साक्षी आज तुम्हारी ख्वाहिश भी पूरी कर देता हूं, आखिर कल से तुम भी तो पास आने की कोशिश कर रही हो ना, आखिर तुम्हे इससे ज्यादा चाहिए भी क्या

और जाकर बेड पर बैठ जाता है, साक्षी वहीं सिर झुका कर आंखों में आंसू लिए खड़ी रहती है

देव: आओ साक्षी, आओ ना, तुम्हारी मुराद भी पूरी कर देता हूं, आखिर तुम जैसी लड़की को इससे ज्यादा चाहिए भी क्या आ जाओ, तुम्हारी भूख मिटा देता हूं

साक्षी: बस देव बस

देव: अरे क्या हुआ तुम तो शर्मा रही हो, इसलिए तो तुम्हारे भाई ने शादी करवाई है ना रुको मैं ही आता हूं तुम्हारा पास

और उठ कर साक्षी के पास जाने लगता है पर वो उसे धक्का दे कर उससे अलग हो जाती है।देव वहां से उठ कर छत पर चला जाता है। और वहीं झूले पर सो जाता है। यहां साक्षी पूरी रात रोते हुए बिता देती है।

देव: अब आएगा मजा ना, अब तो बस देखती जाओ

और सो जाता है।

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