तूने बहुत मायूस किया
ग़म के सिवा क्या और दिया
उम्मीद थी कुछ खुशीयाँ आये
परन्तु तुमने ये क्या किया
आस लगाकर बैठे थे तुमपर
तूने बहुत मायूस किया
ग़म के सिवा क्या और दिया
चारों तरफ़ अंधेरा ही नज़र आये
उजाले की कोई पता तक नहीं
दर्द में डूबा है दिल मेरा
तूने बहुत मायूस किया
ग़म के सिवा क्या और दिया
---Raj