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तुम मिले तो।

Prashant_Thakur_9891
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Chapter 1 - पहली मुलाक़ात

उस दिन मैं जब क्लास में घुसा तो देखा कि कोई भी वहां नहीं है ।सब इधर उधर घूम रहे थे। मैने अपना बैग रखा और अकेला ही बेंच पर बैठ गया और दरवाजे कि तरफ देखने लगा और दोस्तो का इंतजार करने लगा। सब बच्चे मेरे सामने से गुजर रहे थे और मै बाहर की तरफ देख रहा था । मन में आया कि मैं भी बाहर जाऊ, फिर ना जाने क्यूं रूक गया । शायद क़िस्मत भी यही चाहती थी कि तुम सबसे पहले मुझसे मिलो। मैं अब भी वही बेंच पर अकेला बैठा सबका इतंजार कर रहा था । तभी मैने अचानक सीढ़ियों से किसी को आते देखा। सोचा ये कोन है लगा होगा कोई। ज़्यादा ध्यान भी नहीं दिया लेकिन फिर जैसे ही तुम करीब आए एक नजर तुम्हारे चेहरे पर पड़ी तो ऐसा लगा जैसे खिलखिलाती धूप में भी आसमान में चांद खिला हो । वो तितली की तरह पंख जैसे फेलाए होटों को प्यारी सी मुस्कान। आसमान में जिस तरह तारे नज़र आते है वैसे तुम्हारे गालो पर वो तिल के निशान। उस वक़्त तुम उस नीली ड्रेस ऐसे लग रहीं थी जैसे रात में चांद की चादनी में कोई मोती उछाल रहा हो है । तुम्हे चलते देखा जैसे कोई ठंडी हवा का झोंका आ रहा हो । जैसे आसमान से कोई परी मेरे सामने आगई हो। तुम्हारी खूबसूरती जैसे सुबह का उगता सूरज जो सबको एक प्यारी सी राहत की सांस देता है। और आंखो को देखा तो ऐसा लगा जैसे कोई टिमटिमाता तारा हो । सच में कितनी खूबसूरत लग रहीं थीं तुम। वो तुम्हारी तस्वीर जैसे दिल में उतर सी गई । मुझे एक पल के लिए लगा कि जैसे में कोई बहुत सुंदर सपना देख रहा हूं और मै उस सपने से कभी बाहर नहीं आना चाहता। फिर अचानक मुझे लगा कि आप कहा जाओगे। और तुम सीधे मेरी तरफ ही आने लगी । तुमने क्लास मै पड़ी तीनों सीट देखी जो बेगों से भरी हुई थी । बस मेरी ही सीट पर मैं अकेला बैठा था और उसके बाद.....

जो तुमने मुझसे पूछा "may I sit here?"

हाए वो आवाज़ अभी तक मुझे ऐसे ही याद है कितनी प्यारी आवाज़ थी वो जैसे मुझे किसी जादू कर दिया हो ।

लेकिन उसके बाद मुझे डर लगा कि अब मैं क्या बोलू , में बोलना चहा रहा था लेकिन कोई शब्द मेरे मुंह से बाहर नहीं आ रहा था शायद ये सब इसलिए क्युकी आज तक तुम्हारे जैसा कोई खूबसूरत देखा नहीं ।

और उसके बाद मैंने हां में अपना सिर हिला दिया। और तुमने अपना बैग रखा । मेरा डर ना जाने क्यों और बढ़ने लगा। तब तक वहां कई सारी जूनियर लड़कियां आगयी जो तुम्हे पहले से जानती थीं तुम उनसे बात करने लगी लेकिन मै अब भी तुमसे अपनी नज़रे बचा बचा कर तुम्हारे चेहरे की तरफ देख रहा था । तुम्हरे वो बात करते वक़्त होठो का हिलना मुझे और पागल कर रहा था। फिर शायद तुमने मुझे देखा या नहीं मुझे नहीं पता । और तुम उनसे बात करते करते क्लास से बाहर चली गई।