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Chapter 290 - उसके दिल का सबसे नाज़ुक हिस्सा

"मैं उनसे भीख मांगना चाहती थी कि वो युवा मास्टर को पहले घर ले जाने दें क्योकि मुझे चिंता है कि जख्म से उसकी हालत और बुरी हो सकती है और मैने तुम्हे फ़ोन करने के बारे में सोच ही था। लेकिन मैंने उम्मीद नहीं की थी कि यह लोग इस तरह व्यव्यहार करेंगे। उन्होंने मुझे युवा मास्टर को घर ले जाने से रोका था और मुझे अपमानित करते रहे ." आंटी झांग के बोलते हुए उसके गालो से आँसू नीचे गिरने लगे। 

"हीही । यह औरत तुम्हारी युवा मिस्ट्रेस है और यह बच्चा तुम्हारा युवा मास्टर। क्या तुम अमीर लोग इस भद्दी जगह पर यह देखने आये हो कि गरीब लोग कैसे रहते है ? बकवास बंद करो। उसने मेरी कार को तोड़ा है। गए तो , तो मुझे मेरे पैसे किस से मिलेंगे? उसने मेरी चीज़ो को नष्ट किया है , इसलिए उसने इसका भुगतान करना होगा। इसी तरह सारी दुनिया चलती है !" यह जानते हुए कि कानून उसकी तरफ था , चाहे कुछ भी हो जाये , यह आदमी उसको जाने नहीं देगा। 

मैं मरम्मत का भुगतान करूंगी।मैं उसकी बड़ी बहन हूँ। लेकिन तुम्हे पहले मेरे छोटे भाईको घर जाने देना होगा !" सु कियानक्सुन ने सु जिए को उसके पैरो पर खड़े होने में मदद की और ठंडी और शांत नज़रो से उस आदमी को देखा। 

"बकवास बंद करो। अगर मुझे अभी पैसे नहीं मिले तो , तुम में से कोई भी यहाँ से नहीं जायेगा। उसने मेरी कार की हेडलाइट को तोड़ा है। उसके आस पास का पंग भी ख़राब हो गया है और मुझे शीट मेटल को भी बदलना पड़ेगा। मुझे अपनी कार ठीक करने के लिए कम से कम तीन सौ हज़ार आर एम् बी की आवश्यकता होगी! मैं तुम लोगों को लूट नहीं रहा हूँ। ध्यान से देखो इधर। यह कोई आम कार नहीं है !"यह आदमी वाहन पर चढ़ गया और उस पर जोरदार दस्तक दी।

" क्या ? तीन सौ हज़ार आर एम् बी कार को ठीक कराने के लिए ? तुम जा कर कोई बैंक को लूट लेते ? आंटी झांग व्याकुल हुई. 

" तुम कार के बारे में क्या जानती हो ,बूढ़ी डायन ? मुझे भुगतान नहीं दिया , तो मैं पुलिस में शिकायत करूंगा और इस पागल को जेल भेज दूंगा " उस आदमी ने सु जिए की ओर इशारा किया। 

सु कियानक्सुन झट से अपने छोटे भाई और उस आदमी के बीच में खड़ी हो गई। 

उसने कहा ," ठीक है , मैं तुम्हे पैसे दूंगी। तीन सौ हज़ार आर एम् बी है न। मुझे एक रात का समय दो। मैं तुम्हे कल सुबह तक पैसे देती हूँ। "

आंटी झांग कियानक्सुन वादे से हक्की बक्की रह गई। उन्होंने चिंतित होकर आवाज़ लगाई "युवा मिस्ट्रेस !" 

"नहीं , तुम्हे अभी पैसे देने होंगे !"

"हमारे पास अभी पैसे नहीं है। तुम जानते हो कि हम कहा रहते है इसलिए ऐसा तो हो नहीं सकता कि हम भाग जायेगे। मुझे केवल एक रात का समय दो और मैं तुम्हे पूरा पैसा दे दूंगी !" सु कियानक्सुन की आँखों में एक दृढ नज़रे झलक रही थी। 

उस आदमी के पास अचनाक से कुछ नहीं बचा था कहने को। 

आस पास के लोगों ने भी सु कियानक्सुन के लिए कहना शरू कर दिया कि वे समझौते का गवाह बन सकते है ताकि सु कियानक्सुन अपना वादा न तोड़ सके। 

वो आदमी केवल इस बात से सहमति दिखा सकता था। उसे यह भी अहसास हो गया था कि उसे आज पैसे नहीं मिलेंगे। साथ ही ,उसे केवल एक पंद्रह हजार चाहिए थे अपनी कार की मरम्मत और हेडलाइट को ठीक कराने के लिए। अगर उसे तीन हज़ार आर एम् बी कल मिलते है तो उसको कोई नुकसान नहीं होने वाला था। 

"मैं कल सुबह पैसा लेने के लिए आता हूं। अगर मुझे पूरी रकम नहीं मिली, तो मैं इस पागल के लिए पुलिस को बुलाऊंगा।"

वो आदमी वहाँ से चला गया. सारी भीड़ भी तीतर बितर हो गई। सु कियानक्सुन का शरीर तनावपूर्ण और सख्त था। वो पलटी और उसने अपने हाथ को अपने छोटे भाई के चारो ओर रखा। आँसू उसके गालों से नीचे गिरने लगे जब उसने कहा ," जीए पागल नहीं है। जीए बिल्कुल भी पागल नहीं है। हमारा जीए एक अच्छा लड़का है, सबसे अच्छा व्यवहार करने वाला बच्चा है। ... डरो मत. मैं तुम्हे घर ले कर जा रही हूँ। " 

सु कियानक्सुन के दिल में बेहद दर्द हो रहा था। उसका छोटे भाई ने उसके दिल में अब बहुत नाजूक और बेबस जगह बना ली थी। केवल थोड़े से सरकने से ही उसको दर्द होता था और उसको अत्यंत तनावग्रस्त स्थिति में ले जाता था। 

जब वो दोनों घर पहुंचे ,सु कियानक्सुन ने अपने भाई के लिए कुछ पकौड़े बनाये। सु जीए ने खाने से मना कर दिया , तो कियानक्सुन ने उसे अपने हाथो से खिलाया। 

आंटी झांग वास्तव में चिंतित थी। तीन हज़ार आर एम् बी उनके लिए अनोखी धनराशि थी। ' इस दुनिया में इस समय पर हमे इतने पैसे कहा मिलने वाले थे ?'

जब भी आंटी झांग इस बारे में बात करना चाहती , सु कियानक्सुन उन्हें थोड़ी देर के लिए चुप रहने का संकेत देती। 

जब सु कियानक्सुन ने सु जीए को रात का खाना खिला दिया , उसने जीए को हाथ मुँह धोने में मदद की और उसे सोते समय कहानी पढ़ कर सुनाई और फिर लिविंग रूम में चली गई। 

जब आंटी झांग ने कियानक्सुन को कमरे से बाहर आते देखा , वो तुरंत घबरा कर खड़ी हुई। " युवा मिस्ट्रेस ,हम क्या करे ? हमे इतना सारा पैसा कैसे मिलेगा ?" 

मैं इस मामले को संभाल लूंगी। तुम जीए का अच्छे से ख्याल रखो। मैं कल सुबह तक वापिस आ जाउंगी। " 

सु कियानक्सुन ने मुड़ कर अपने छोटे भाई के कमरे के दरवाजे की ओर देखा और तुरंत वहाँ से चली गई। 

भले ही उसका छोटा भाई दुखी था और वो वहाँ से जाना नहीं चाहती थी , सच्चाई और जीवन बेहद कठोर थे। वो खुद को केवल दरवाज़े से बाहर जाने के लिए मजबूर कर सकती थी। वो एक और झलक अपने भाई की नहीं देख सकती थी। 

सु कियानक्सुन बड़ी देर तक हिचकिचाती रही , लेकिन अंत में उसने लॉन्ग सिजु को फ़ोन मिलाया। हालांकि लॉन्ग सिजु ने फ़ोन नहीं उठाया। 

उसने जिन गार्डन में फ़ोन लगाया। नौकर ने कहा कि उसे भी नहीं पता है कि लॉन्ग सिजु कहा है। सु कियानक्सुन को किसी कारण थोड़ी चिंता का अहसास हुआ। 

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