सु कियानक्सुन मायूस थी। वो अब यह जान गयी थी कि यूनिवर्सिटी के निर्देशक का कार्यालय इतनी सुनसान जगह पर क्यों है। और यही नहीं यूनिवर्सिटी ने यह कानून बनाया था कि बिना पहले से सुचना दिए किसी भी छात्र को निर्देशक के कार्यालय के करीब जाने की अनुमति नहीं थी।
''यह पता चला है कि उन सभी व्यवस्थाओं को इसलिए किया गया था ताकि वह इन नीच, विकृत कामों को आसानी से कर सके। इससे पहले कि कोई अचानक कार्यालय का दरवाजा खोलता , भगवान ही जानता था है कि उसने मुझसे पहले कितनी महिला छात्रों का अपमान किया होगा।
यूनिवर्सिटी का निर्देशक चौंक गया और घूम कर घबराते हुए बिना अनुमति लिए अंदर आने वाले को देखा। सु कियानक्सुन ने भी मुड़ के देखा। जब उसने देखा कि प्रवेश करने वाला व्यक्ति उसका कॉलेज अध्यापक , प्रोफेसर याओ था , तो उसने जल्दी से मदद के लिए भीख मांगी ," प्रोफेसर याओ , मेरी मदद करो !"
" निर्देशक गाओ , तुम क्या कर रहे हो ? मैने तुमको पहले कितनी बार पश्चाताप के मौके दिए थे , लेकिन तुम गलती दोहराते रहते हो ! इस बार ऐसा कुछ नहीं होगा ! मिस सु तुम डरो नहीं, में तुम्हें बचा लूंगा !" प्रोफेसर याओ ने कहा। उसने फिर अपना फ़ोन निकाला और पुलिस को कॉल करने वाला था।
बेशक निर्देशक गाओ प्रोफेसर याओ को पुलिस को खबर नहीं करने देगा। एक खुनी जैसी झलक थी उसकी आँखों में। ' इनको मेरे इस राज़ के बारे कब से से पता है और यहां तक कि इन्होने मुझे कई बार धमकाया भी है। आज में अपने अच्छे के लिए इस ज़िद्दी आदमी से हमेशा के लिए छुटकारा पा सकता हूँ !'
सु कियानक्सुन को महसूस हुआ कि कुछ गड़बड़ है। अपने बारे में और ज़्यादा चिंता ना करते हुए वो तुरंत चिल्लाई ," जल्दी, प्रोफेसर याओ , यहाँ से निकलो !अब यहाँ से चले जाओ! "
प्रोफेसर याओ को कभी भी इस बात का ज्ञात नहीं हुआ था कि निर्देशक गाओ इतना बुरा होगा। सु कियानक्सुन को सांत्वना देते हुए प्रोफेसर ने अपने फ़ोन की स्क्रीन पर झुक कर देखा अपनी कमजोर नज़रो के कारण। " मिस सु , डरो मत। मैं अभी पुलिस को बुला रहा हूँ। मेरे यहाँ होते हुए वह तुम्हे परेशान करने की हिम्मत नहीं करेगा..... उघ.... "
सु कियानक्सुन ने बेबस हो कर देखा जब निर्देशक गाओ ने प्रोफेसर याओ को काँच की ट्रॉफ़ी से मारा। प्रोफेसर ज़मीन पर बेहोश हो कर गिर पड़ा।
सु कियानक्सुन के हाथ उसके पीछे कर के बंधे हुए थे। उसने मौके के फ़ायदा उठाकर जल्दी से अपना फोन उठाया। उसने युही कोई भी नंबर को मिला दिया।
सु कियानक्सुन ने देखा जब निर्देशक गाओ ने फिर से ट्रॉफ़ी को उठा कर प्रोफेसर याओ के सर पर मारा , जो पहले से ही ज़मीन पर बेहोश पड़े थे. सु कियानक्सुन चिल्लाई ," नहीं नहीं ! निर्देशक गाओ , उनको मरना बंद करो !"
सु कियानक्सुन ने संघर्ष कर के अपने हाथो के आस पास बंधी रस्सी को खोलने की कोशिश की। लेकिन उसके लिए रस्सी को खोला नामुमकिन था। वो केवल बेबस वहाँ पर निर्देशक गाओ को प्रोफेसर याओ पर वार करते हुए देख सकती थी। प्रोफेसर का सर से खून बिना रुके बहते जा रहा था और उसके सफ़ेद बाल लाल रंग के हो गए थे।
सु कियानक्सुन अपना सर लगातर हिलाते रही। वह फूट फूट कर रोने लगी, और जोर से चिल्लाई , " तुम्हे ऐसा क्यों किया ? तुमने प्रोफेसर याओ को मार दिया !"
निर्देशक अचानक से उठा और भयंकर सी मुस्कराहट दी। " नहीं, यह तुम हो जिसने प्रोफेसर याओ को मारा है !"
कियानक्सुन की आँखे आश्चर्य से बढ़ी हो गई। " यह तुम क्या कह रहे हो ?"
" तुम हो वही जिसने प्रोफेसर याओ की हत्या की है , मिस सु , लेकिन मैं तुमको ऐसा करने से रोक नहीं सका !" निर्देशक गाओ सु कियानक्सुन के करीब गया। उसने उसके हाथो को लेकर खून से भरी ट्रॉफ़ी से बांध दिया।
" मेरे खिलाफ लड़ने के लिए तुम बहुत कमजोर और भोली हो....."
इस बूढ़े प्रोफेसर याओ को पता चल गया था कि मैं इतने समय से महिला छात्राओं को अपने साथ सोने के लिए मजबूर करता था। उसने मुझे कितनी बार बेनकाब करने की धमकी भी दी थी। अब,आखिर कर मुझे इससे छुटकारा मिल ही गया और बलि का बकरा घटना स्थल पर ही मौजूद है !'
" कियानक्सुन !" जब मु बाई ने जल्दी से निर्देशक के कार्यालय में पहुंचकर देखा कि कमरे में क्या चल रहा है, उसने फुर्ती से निर्देशक को धक्का दे कर दूर किया।
मु बाई ने परेशान हो कर सु कियानक्सुन को देखा ,जिसका चेहरा चोट और लाल तब्बो से भरा था ," क्या तुम ठीक हो ? उसने पूछा।
" प्रोफेसर याओ को बचाओ। जल्दी उसको बचाओ। उसको निर्देशक ने बहुत मारा है !" सु कियानक्सुन ने मु बाई को उत्तेजित हो कर आगे को धक्का दिया।
मु बाई का दिल पसीज गया जब उसने उस युवा महिला को देखा जो चोट और घावों से भरी हुई थी। उसने निर्देशक को बहुत ही गुस्से से देखा और आगे बढ़ कर पहले प्रोफ़ेसर याओ को देखा।
उसने प्रोफेसर को देखते हुए अपने भौहो को ऊपर कर लिया। प्रोफेसर मर चुका था।