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Chapter 251 - मैं एक गर्भ निरोधक गोली लेना चाहती हूँ

टैंग मोर ने धीरे-धीरे अपनी आँखें खोलीं वह शक्तिहीन और ताकत की कमी महसूस कर रही थी। हालांकि लव पी ज़हर के हमले से उसके पूरे शरीर में दर्द हो रहा था। उसके पूरे शरीर में ऐसा लग रहा था कि उसे रौंद दिया गया था और चारों ओर से तबाह कर दिया गया था। वह स्पष्ट रूप से अपनी कलाई में दर्द को महसूस कर सकती थी और गू के लापरवाह हमले से होने वाले दर्द को पूरे शरीर में महसूस कर सकती थी।

कोई नम तौलिया के साथ उसके निचले भाग को आराम से पोंछ रहा था। जब उसने नीचे देखा तो उसने देखा कि गू मोहन नीचे की ओर अपने हाथों में तौलिया पकड़े हुए झुका हुआ था और उसे धीरे से पोंछ रहा था।

उसका ऊपरी धड़ नग्न था और कालीन पर महंगी सोने की बेल्ट फेंकी गई थी। चूँकि उसे झुकना पड़ा रहा था इसलिए उसके बालों की लट ने उसकी संकीर्ण आँखों को ढँका हुआ था और वे उसकी गढ़ी हुई कमर और मर्दाना शरीर को देख सकती थी। हालांकि वह फीकी पीली रोशनी के नीचे खड़ा था इसलिए जो कुछ भी उसने किया था उसके बावजूद उसमें एक अजीब सा आकर्षण था। वह अपने गद्दार मन को शाप देने के लिए बहुत थक गई थी।

"दर्द ... दर्द ..."

उसके मुँह से जो निकल रहा था वह बस एक असहाय कराह थी।

गू मोहन ने उसके बगल में मौजूद बेसिन में तौलिया को फेंक दिया और जल्दी से उसकी ओर दौड़ा अपनी खुरदुरी हथेलियों से उसके छोटे चेहरे को पकड़ते हुए उसने हौसले से पूछा, "कहाँ दर्द हो रहा है अच्छा से व्यवहार करो और मुझे सच बताओ।"

कहाँ पर दर्द हो रहा है?

हर जगह दर्द हो रहा था।

वहाँ उसके शरीर का कोई हिस्सा नहीं था जो दर्द ना हो रहा हो।

दर्द इतना तेज़ था कि उसकी आँखें लाल हो गईं थी और उसने फिर से चुपचाप रोते हुए अपने छोटे से चेहरे को तकिए में दबा लिया।

ऐसा क्यों था कि वह अपने पूरे जीवन में पिछले दो दिनों में सबसे अधिक रोयी थी?

गू मोहन ने अपनी लंबी जीभ फैलाकर अपने सूखे होंठों को चाटते हुए अपनी पहले से भारी आवाज़ में बोला जो रात के अंधेरे के ऐसे क्षणों में मोहक और आकर्षक दोनों लग रही थी। 

"अच्छे से व्यवहार करो, अब और मत रोओ। मैंने तुम्हें साफ कर दिया है। मैं तुम्हारी कलाई पर टाँके लगाने के लिए डॉक्टर बुला लूंगा ताकि तुम्हारे हाथ पर कोई निशान न बने और हाँ मैं ..."

गू मोहन ने हल्के से उसकी आँखों को चूमते हुए कहा "मुझे माफ कर दो मोर। मैंने अभी-अभी अपने आप पर नियंत्रण खो दिया था तुम्हें वहाँ नीचे भी घाव हुआ है और तुमको वहाँ भी कुछ टांके लगाने की आवश्यकता होगी।"

टैंग मोर ने उसकी बातों को अनसुना करते हुए रोना जारी रखा।

गू मोहन ने बेसिन से तौलिया उठाया और इसे सूखाने के लिए निचोड़ा। एक धनी परिवार में पैदा होने के कारण उसने पहले कभी ऐसा नहीं किया था और वह दूसरों की सेवा करने का तरीका नहीं जानता था। छोटी पानी की बूंदें हर जगह फैली हुई थी और कुछ उसकी पूरी तरह से धूप में पके हुए रंग की त्वचा पर उतरी हुई थी जो उसकी चुंबकीय अपील को बढ़ा रही थी।

वह उसके शांत करने के लिए फिर से पोंछने लगा।

इस बार उसने कंडोम नहीं पहना था।

यह उसकी माहवारी की महत्वपूर्ण अवधि थी अगर उसने कोई सुरक्षा इस्तेमाल नहीं की तो वह आसानी से गर्भवती हो सकती थी।

जब से वह उसकी महिला साथी बनी थी तब से वह सब कुछ अच्छी तरह से संभाल लेता था और उसे गर्भवती होने के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं होती थी। हालाँकि उसने आज अजीब तरह से व्यवहार किया और इतनी महत्वपूर्ण अवधि के दौरान कंडोम नहीं पहना।

शारीरिक और मानसिक रूप से उसे जो पीड़ा झेलनी पड़ी उसने उसे और अधिक रूला दिया। आंसुओं से भरी आँखो के साथ उसे दयनीय रूप से देखते हुए उसने अप्रसन्नता से पूछा, "गू मोहन मैं एक गर्भ निरोधक गोली लेना चाहती हूँ!"

गू मोहन अपने हाथ में तौलिया को पकड़ कर सीधा खड़ा हो गया । वह उसे उग्र रूप से घूर रहा था ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वह उसके साथ फिर से सेक्स करना चाहता था।

टैंग मोर ने नीचे देखा और उसके नज़र उसकी पतलून पर पड़ी।

क्या?!

उसने थरथराते हुए एक तकिया पकड़ा और उसे उसके खूबसूरत चेहरे पर मार दिया। उसके चेहरे पर गुस्सा साफ झलक रहा था "घटिया इंसान!"

गू मोहन ने उसके हमले से खुद को बचाने की कोशिश नहीं की। तकिया उसके सुंदर चेहरे पर पड़ा और कालीन पर गिर गया। उसने अपनी भारी आवाज़ में उसे मनाने की कोशिश की "यदि तुमने गर्भ निरोधक गोली लेने के बारे में नखरे दिखाना बंद नहीं किया तो मैं तुम पर हाथ नहीं रखूंगा।"

टैंग मोर की नज़र उसके सीने पर फिर से पड़ी उसके दिल के ठीक ऊपर उसकी बाईं छाती पर एक खूनी घाव था।

उसने अपने घाव को मरहम पट्टी करने की जहमत नहीं उठाई थी।

टैंग मोर ने उसका घाव को नज़रअंदाज़ करते हुए अपना चेहरा घुमा लिया। उसने उसे तब भी प्रताड़ित किया जबकि वह खुद जख्मी था। वह आसानी से नहीं मरेगा।

वह अभी भी स्पष्ट रूप से बहुत हल्के अंदाज़ से चीज़ो को सम्भाल रही थी यही कारण था जिसने उसे इस तरह तंग करने का मौका दिया था।

गू मोहन ने कंबल को ऊपर खींच लिया और गुप्त अंगो को ढँक दिया। जब उसने देखा कि वह उसके घाव के बारे में चिंतित नहीं थी तो वह निराश महसूस करने से खुद को रोक नहीं पाया।

जब उसे मोर के शरीर पर निशान छोड़ने के बारे में याद आया तो उसके शरीर में आने वाले कल के अनुमान को लेकर उससे पहले मिली संतुष्टि के बारे में एक टीस उठी। यह केवल वही थी जो उसे सबसे बड़ी खुशी दे सकती थी। यहाँ तक ​​कि उसके बारे में सोचना भर से उसके रोंगटे खड़े हो गए थे। इस बिंदु पर उसने सब कुछ त्यागने का फैसला किया था। वह इतना सोच समझकर और इस तरह की सोच रखने वाला क्यों था?

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