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Chapter 72 - सभी का थोड़ा फायदा उठाया

विकट देव ने तुरन्त जवाब दिया: "हम्म, थोड़ा"

धत्त!!

उसने सही में स्वीकार किया। नीलधारा अब पूरी तरह से संशय में था। मैं कैसे जवाब दूं? मुझे लगातार इसकी बुराई करनी चाहिए या इससे लगेगा, मैं आदमी नहीं हूँ; मुझे सिर्फ इसे जाने देना चाहिए पर इस हार जाने के भाव को जाने देना कठिन था। नीलधारा को एक तरह का भाव महसूस हुआ, मानो वो तुरन्त मर जाने वाला हो।

किस्मत से, वो लोग सन्देश के जरिये बात कर रहे थे। उसके पास अपने दिमाग के खालीपन को दिखाने का एक तरीका था। नीलधारा ने तुरन्त ही परेशान और पसीने से भरे चेहरे भेजे। 

"अगली बार और मेहनत करना" ये क्सिउ ने जवाब दिया।

नीलधारा को खून की उल्टी होने लगी। इस आदमी ने इस मुद्दे को दिल से नहीं लिया। पर उसने जो कहा वो सच था। जंगली सरगना को लूटना बिल्कुल मधु मक्खी के छत्ते में हाथ डालने जैसा था। अगर तुमसे चुराया गया था और मानने से मना कर रहा तो वापस चुरा लो। दूसरों की गलती निकालना अनाड़ियों का काम था।

एक पल रुको। वो खूनी बन्दूकबाज चुराने के कारण गुस्सा नहीं था। वो इसलिए गुस्सा था क्योंकि उसे इज्जत नहीं दी गयी थी। दिक्कत ये थी कि खुद उसने विकट देव को आमंत्रित किया था, पर उसके बदले विकट देव ने ही खूनी बन्दूकबाज को मार गिराया। उसे खुद कुछ नहीं मिला। संघ के चैनल में हर किसी की बाते देखकर, यही मुख्य मुद्दा था सबका विकट देव से नाराज होने का। उदाहरण के लिए अगर औषधि उद्यान या भयावह महत्वाकांक्षा ने इसे मारा होता तो यूँ तो वो दुखी होते पर ठगा महसूस न करते।

शायद जिस कारण वो ठगा महसूस कर रहे थे वो इसलिए क्योंकि विकट देव दोनों संघों से अलग था। अगर दोनों संघो ने चुराया होता तो नीलधारा अपनी भावनाओं को सम्भाल लेता और बाद में बदला ले लेता। पर वो विकट देव का क्या करेगा? नीलधारा के रोएं खड़े थे। जैसा कि निकला, यही कारण था कि वो ठगा सा था।

"तुमने ये अवस्था कैसे जानी, गोलू नाविक?" नीलधारा ने विकट देव को फिर सन्देश नहीं भेजा और गोलू नाविक को सन्देश भेजा।

"ऐसा लगता है कि अब विकट देव को फिर से लेना सम्भव नहीं होगा" गोलू नाविक ने कहा।

"ओह?"

"इस खूनी बन्दूकबाज घटना के बाद मुझे लगता है कि मैं उसकी हालत देख सकता हूँ" गोलू नाविक ने कहा|

"तुम्हारा कहने का मतलब क्या है?"

"तीनों महान संघ यहाँ थे और सब उसे लेना चाहते थे। पर वो किसी की मदद नहीं करने वाला था। उसने अजनबी खिलाड़ियों का समूह बनाया, जो तीनों महान संघ से नहीं थे और बड़े आराम से उसने खूनी बन्दूकबाज को मार दिया" गोलू नाविक ने कहा।

"तो तुम कहना चाहते हो कि वो इतना बड़ा हो गया है कि उसे किसी संघ से जुड़ने की जरूरत नहीं है" नीलधारा ने कहा।

"मुझे लगता है कि इस बात को ढंग से कहने का एक तरीका ये भी है कि: संघ को उसकी जरूरत है उसे संघ की नही" गोलू नाविक ने कहा।

नीलधारा शून्य में घूर रहा था।

"सही कहे तो, वो सभी संघों के साथ जुड़कर खेलना चाहता है" गोलू नाविक ने कहा।

"उसकी कुशलता के अनुसार तो..."

"उसकी कुशलता को देखे, तो जिस तरह वो खेल रहा है, उसकी भूख बड़ी है, उसकी जरूरते बहुत ज्यादा है" गोलू नाविक ने कहा।

"पेशेवर खिलाड़ी? क्या वो इसी पर निर्भर रहेगा, पैसे कमाने के लिए?" नीलधारा ने कहा। 

"ये हो सकता है" गोलू नाविक ने कहा।

"पर अगर वो ऐसे ही चलता रहा तो एक समय ऐसा आएगा, जब वो अपनी अधिकतम सीमा छू चुका होगा। पहले शिकार, नए कीर्तिमान, इन सब की कुछ सीमा होगी। अगर कोई उसे नहीं बुलायेगा तब वो क्या करेगा?" नीलधारा ने कहा।

"ये एक नया सर्वर है…" गोलू नाविक ने कहा।

नीलधारा के पसीने छूट गए। वो इसके बारे में भूल गया था।

"इस बारे में कहा जाए तो, अगर हम पिछले सर्वर को देखे तो मैंने इस तरह के आदमी के बारे में सुना भी नहीं था" नीलधारा ने कहा।

"अगर उसकी तरह का कोई होता तो, मुझे डर है वो जरूर देख लिया गया होता" गोलू नाविक ने कहा

"तो फिर इस आदमी की कहानी क्या है?" गोलू नाविक ने अपने दिमाग पर जोर दिया। 

"मुझे नहीं पता। हम नहीं जानते कि उसकी ताकत कितनी ज्यादा है। हमे उसके कारण नहीं पता। अब तक उसने अपना वर्ग भी नहीं बदला है फिर भी..." गोलू नाविक ने कहा।

"तो हमे उसके लिए किस तरह का रवैया अपनाना चाहिए?" नीलधारा ने कहा।

"सम्पर्क में बने रहो और उस पर नजर बनाए रखो" गोलू नाविक ने कहा।

"क्या हमें उसे फिर से शामिल करना चाहिए? हमने अब तक सिर्फ अंदाजा लगाया है, है न?" नीलधारा ने कहा। 

"ठीक है" गोलू नाविक राजी हो गया और आगे बोला, "अगर हम उसे दल में शामिल नहीं कर पाते है तो भी, अगर हम उससे अच्छे सम्बन्ध बना लेते है, तो भी हम उसके ध्यान में रहेंगे"

"ऐसा लगता है कि सब चीज पलट गई है और हम लोगों को एहसान चाहिए" नीलधारा ने राहत की सांस ली।

गोलू नाविक खामोश रहा। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि जानकार कितना कुशल था, संघ उनको सिर्फ अपने फायदे के लिए ही लेते थे। पर विकट देव का क्या? ऐसा क्यों लग रहा था कि हर चीज उसके इर्द-गिर्द ही घूम रही थी? वो हमेशा ऐसे भाव क्यो दिखाता था मानो वो हमारा ही इंतजार कर रहा हो कि हम उसके लिए मिठाई लिए जाएंगे? इस सोच में कुछ तो दिक्कत थी।

नीलधारा के विचार साफ हो गए थे। दो बार गहरी सांस लेने के बस उसने विकट देव से सम्पर्क किया। 

"भाई, क्या तुम 12 बजे कोठरी में जा रहे हो?" नीलधारा ने पूछा। 12 बजे, सभी की कोठरी में प्रवेश की सीमा फिर से शुरू हो जाती थी और वो फिर से घुसना शुरू कर सकते थे।

"शायद बाद में" ये क्सिउ ने कहा।

"साथ मे" नीलधारा ने आमंत्रण दिया।

"कोई जरूरत नहीं" ये क्सिउ को पसीना आ रहा था। ये आदमी बहुत जिद्दी था। वो अभी भी उसे लेना चाहता था, बावजूद इसके कि उसने उससे शिकार चुराया था? वास्तव में ये क्सिउ ने सरगना को अपना उनके प्रति रवैया दिखाने के लिए ही शिकार चुराया था। वो संघो के बीच मे उछलता नहीं रहना चाहता था। इस तरह से कोई उससे अच्छाई की उम्मीद न करता। अगर वो करते तो भले ही वो मना करता, कुछ समय बाद, उसे लगता कि उनके उस पर कुछ एहसान तो थे।

"भाई, इतने शरीफ न बनो" नीलधारा ने कहा। 

"मैंने पहले ही और लोगों से पूछ लिया था..." नीलधारा को देखते हुए, जो अभी भी यादों में था, ये क्सिउ के पास बहाना बनाने के अलावा और कोई चारा नहीं था।

"कौन?" नीलधारा ने तुरन्त बचावी रवैया अपनाया। क्या किसी और संघ ने उसे हरा दिया है?

"दोस्त.." ये क्सिउ ने कहा।

नीलधारा पूछना चाहता था, "कौन दोस्त?" पर फिर उसे लगा कि ये ज्यादा हो जाएगा, तो वो लाचारी में इतना ही कह पाया, "अगली बार जब भी मौका हो तब!"

"अगली बार, अगली बार जरूर" ये क्सिउ ने आधे मन से कहा है।

नीलधारा ने गुस्से से सन्देश देखा। जैसे ही उसने ये सन्देश पढा, उसने वैसे ही सोचा, "भाई, पहले गोबलिन व्यापारी को मारने में हमारी मदद करो"

गोबलिन व्यापारी जमे हुए जंगल का जंगली सरगना था, पर वो अभी तक दिखा नहीं था।

"इस बार, मैंने सही में पहले ही सौदा कर लिया है" ये क्सिउ ने कहा।

जैसा कि पता चला, उसने जो कुछ भी पहले कहा था वो झूठ था। इस आदमी ने बोलते वक़्त कुछ भी नहीं छिपाया। नीलधारा ने खून की उल्टी करते हुए पूछा, "कौन?"

"भयावह महत्वाकांक्षा"

"धत्त" नीलधारा ने अपना कीबोर्ड पटक दिया। शक, शक भाड़ में गया शक! अब किसी ने उसे इसमे हरा दिया था। नीलधारा को अपनी ही झिझक पर दुख हुआ। संदेशों को देखकर उसे समझ नहीं आया कि कैसे जवाब देना है। जरूर ही, विकट देव वैसा ही था जैसा गोलू नाविक और नीलधारा ने अंदाजा लगाया था। वो सभी संघो को खा जाना चाहता था। पर भयावह महत्वाकांक्षा के खिलाड़ी बहुत बड़े थे। जब तक वो शंका में था, उन्होंने बात भुलाकर विकट देव से सौदा भी कर लिया।

सांस लेते हुए! नीलधारा ने सांस ली। अंत मे, उसने अपनी इज्जत बनाये रखते हुए, जवाब दिया, "तो जब समय आएगा, तो हम दुश्मन होंगे"

"हम्म, तुम्हे दया दिखाने की कोई जरूरत नहीं होगी" ये क्सिउ ने कहा।

"भाई, भविष्य में जंगली सरगनाओं के लिए और बाकी कोठरियों के कीर्तिमान के लिए, क्या मैं अभी से तुम्हारे साथ कि उम्मीद कर सकता हूँ" नीलधारा ने कहा।

"उसके बारे में जब समय आएगा तब बात करेंगे… मेरे दर्जे पर, मैं तुम्हारी बराबरी नहीं कर सकता" ये क्सिउ ने कहा।

"भाई, जल्दी करो और दर्जे बढ़ाओ" नीलधारा ने देखा कि ये सही में बड़ी दिक्कत थी। वो अभी 24 वे दर्जे पर था। आज की रात वो कुछ कोठरी दौड़ने के बाद 25 वे दर्जे पर पहुँच जाएगा। पर ये विकट देव अभी भी 21 वे दर्जे पर था। जितना दर्जों में अंतर होगा, उतना ही कठिन उसे भरना होगा। जब वो 30 वे दर्जे की कोठरियां पार कर रहे होंगे तब वो 20 वे दर्जो की कोठरियों में धूल उड़ा रहा होगा। इस समय, अगर उसके कीर्तिमान टूट जाये, तो अगर नीलधारा पलटना चाहे भी तो नहीं पलट सकता। उसका दर्जा बहुत ऊपर था….

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