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Chapter 22 - टूटा हुआ अण्डा

कोई शक नहीं था कि यह विशाल सांप एक पवित्र खून का प्राणी था। पानी के जानवरों को ही मारना मुश्किल था, और पवित्र खून का प्राणी की तो बात ही निराली थी।

अपनी रोज़ की गैंग के साथ, स्वर्गीय पुत्र ने उसका शिकार करने की हिम्मत भी नहीं की, पर वह सिर्फ़ गैंग को भरने की कोशिश कर रहा था, ताकि वे लोग महफूज दूसरे छोर पर पहुंच सकें।

हान सेन ने रोइंग करते हुए दूसरे छोर पर देखा। नदी के बीच के हिस्से के आगे पहुंचने के बाद मशाल की रौशनी दूसरे छोर पर भी जा रही थी।

हान सेन जब से जेडस्किन का अभ्यास कर रहा था, उसका शरीर पहले से बेहतर काम कर रहा था, नज़र भी पहले से तेज़ हो गई थी और उसे रात में भी थोड़ा दिखता था। अब वह एक क्लिफ़ पर छह से नौ फीट चौड़ी एक गुफा देख सकता था। कोई रास्ता नहीं था, पर ये गुफा ही उस गैंग का निशाना लग रही थी।

हान सेन गुफा की ओर देख ही रहा था कि उसने एक तेज़ पानी छपकने की आवाज़ सुनी। उसने उस विशाल सांप को नाव से छह फीट दूर पानी से बाहर आते देखा, और उसकी आह निकल गई। उसका मुंह नाव की ओर था और दांत भी नजर आ रहे थे।

बिना सोचे, हान सेन पानी में कूद गया। उसने अपने कवच को पानी के तले ही याद किया और एक मछली की तरह दूसरे छोर की ओर तैरने लगा।

नदी पार करने की पूरी मोहीम खतरनाक थी और कुछ भी हो सकता था। काला सांप को मांस का लालच था या उसे सिर्फ़ इन्सानों को मारने का शौंक था, यह कहा नहीं जा सकता था। सिर्फ़ दो नावें दूसरे छोर पहुंचीं, जिनपर कुल मिलाकर सात लोग थे। बाकी सभी पानी में थे और उम्मीद यही थी कि मर गए हों।

सांप वापस नहीं दिखा।

"स्वर्गीय पुत्र, सांप पवित्र खून का प्राणी था, पर होशियार नहीं। अब उसका पेट भर गया है और हमें नदी पार करने में मुश्किल नहीं होगी," लुओ शिनयांग मुस्कुराते हुए बोला।

"चलो।" स्वर्गीय पुत्र ने हुक्म दिया, और गैंग तीन नावों में चली। उम्मीद के मुताबिक सांप वापस नहीं आया और सब आसानी से पार पहुंच गए।

"चलते रहो।" लुओ शिनयांग ने उन बचे हुए सात रंगरूटों पर कोड़े बरसाए, जो कांपते हुए मजबूरी में गुफा के अंदर घुस रहे थे। ईनाम के लालच का अब उन्हें अफ़सोस था। पैसे किस काम का होगा, अगर वे यहां मर जाएं।

रास्ते में उन्हें कोई और प्राणी नहीं दिखा। आधे घण्टे में, वे गुफा के आखिरी छोर तक पहुंच गए।

गुफा के आखिर में एक तालाब था, और उसके सहारे ही एक 30 फ़ीट चौड़ा घोंसला था। घोंसले के बीच में काली धारियोंवाले दो अण्डे थे, जिनका आकार शुतुरमुर्ग के अण्डों जितना था।

स्वर्गीय पुत्र की खुशी का ठिकाना नहीं रहा, "वाह, जबरदस्त! पवित्र खून के प्राणियों के दो-दो अण्डे। अब मेरे पवित्र जीनो पॉइंट 80 हो जाएंगे।" 

अभी भी वो सावधान था। उसने लुओ शिनयांग को आंख मारकर इशारा किया,जो खुद भी जोश से भर गया था। लुओ फ़ौरन समझ गया और उसने रंगरूटों को अण्डे लाने का हुक्म दिया।

वे कांपते हुए अण्डे ले आए।

उनके घोंसले से बाहर निकलने से पहले ही, तालाब में पानी के बुलबुले उठने लगे और पानी छपकने की एक और आवाज़ के साथ सांप का सर बाहर दिखा। गहरे लाल रंग की सांप की आखें उन रंगरूटों को ताक रही थीं।

"हत तरे की, फेंक दो अंडो।" स्वर्गीय पुत्र चिल्लाया, पर वे सांप को देखकर अपनी जगह से चिपक गए थे और उन्होंने उसे कोई जवाब नहीं दिया।

"निकम्मे %%***^^" स्वर्गीय पुत्र ने गाली देते हुए अपनी लाल तलवार को याद किया।

पूरी गैंग ने अपने-अपने हथियार निकाले और उसके पीछे चल पड़े।रंगरूटों के सामने से दौड़ते हुए, स्वर्गीय पुत्र ने लपककर अण्डे उठा लिए और गुफा की ओर दौड़ा। सांप को अपने अण्डों की फ़िक्र थी और वह अपनी जगह से हिला नहीं। स्वर्गीय पुत्र को अण्डों के साथ भागता हुआ देखकर, वह गुस्से से तालाब से बाहर निकलकर गैंग के पीछे दौड़ने लगा।

"रोको उसे," स्वर्गीय पुत्र चिल्लाया, पर बिना रुके दौड़ता रहा। लुओ शिनयांग और बड़ा दरिंदा था। उसने दो रंगरूटों को पकड़कर सांप के मुंह में झोंक दिया। एक को मुंह में लपककर, सांप ने बिना चबाए निगल लिया।

बाकी गैंग ने भी ऐसा ही किया, और बिचारे रंगरूटों को ढाल बनाकर थोड़ी देर के लिए सांप के हमले को रोका। सभी रंगरूटों को सांप के हवाले करके वे सभी भागने लगे।

स्वर्गीय पुत्र दोनों अण्डों को उठाकर तेज़ी से दौड़ रहा था। थोड़े ही समय में वह गुफा के मुहाने पर आ गया। अब वह खुश था, पर अचानक उसके चेहरे पर सुनहरी मुठ्ठी का वार हुआ।

उसे गुफा के मुहाने पर किसी के छुपे होने की उम्मीद नहीं थी, न वो हमले के लिए तैयार था। उसकी नाक टूट गई थी और खून रिस रहा था; अपने हाथ से चेहरा ढंकते हुए वो जमीन पर जा गिरा।

सांप के दोनों अण्डे उसके हाथ से निकल गए। एक सुनहरी परछांई दोनों अंडे एक-एक हाथ में लेकर नदी की ओर दौड़ी।

"डॉलर!" स्वर्गीय पुत्र जमीन पर गिरा था, पर वह फौरन उठकर ऊपर चढ़ने लगा; उसने सुनहरा कवच देखकर पहचान लिया कि वह कौन था।

पानी में कूदने के बाद, हान सेन तेज़ी से नदी के किनारे तैरकर पहुंच गया था, और गुफा में जाने की बजाए वह पहाड़ के एक चट्टान के पीछे छुप गया था। वह गैंग के पीछे था।जब उसने स्वर्गीय पुत्र को अण्डों के साथ भागते देखा, तो उसे एक मुक्के से गिराकर वह, अण्डे छीनकर भाग गया।

हान सेन को अफसोस हुआ कि उसका पीतल के छर्रे का भाला शू लोंगयान ने बर्बाद कर दिया था, नहीं तो इस सीक्रेट हमले से वह स्वर्गीय पुत्र को मार सकता था।

हान सेन नदी किनारे पहुंचा और उसने लहरों का अचानक शोर सुना।एक और काली धारी का सांप पानी से बाहर निकला।

"हट एक और सांप?" हान सेन पीछे मुड़ा और उसने दूसरे सांप को उस गैंग का पीछा करते देखा।

"डॉलर, तू गया!" स्वर्गीय पुत्र को डॉलर की हिम्मत से नफरत थी और सांप के उसके रास्ते में आते देखकर उसे खुशी हुई।

हान सेन को अचानक कुछ सूझा। उसने अपने दांये हाथ से चुपके से धक्का दिया और अण्डा स्वर्गीय पुत्र की ओर फेंका, " पकड़ो, एक अण्डा रख लो। पहले मिलकर सांप का मुकाबला करते हैं। "

"किसे मंजूर है? मैं दोनो अण्डे लूंगा और तुझे मार डालूंगा!" यह सोचकर कि हान सेन डर गया है, स्वर्गीय पुत्र ने अण्डा लपका,पर उसके हाथ अण्डा फूटकर ही आया। 

स्वर्गीय पुत्र को कुछ सूझ नहीं रहा था।

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