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तमन्ना ए बेचैन दिल

Prem Narayan
Mere Alfaz
मैं न रह सकूंगा साथ तेरे उम्र भर तक और न देख सकूंगा मैं मिटा के अरमां सारे महरूमियत में बेचैन जीने तक
दरवाजा मेरा खुला देख के घबरा गए हो तूने देखा नहीं हमें कभी होकर बर्बाद आह लब पे लाकर बेचैन जीने तक
मेरा दर्द तुम क्या जानो मुलाकात होगा सुना दूंगा दास्तां भी पुराने तू भी न हुआ मेरा कभी मर मर के भी जीने तक
हम चुप रहें या आह भरे उलझन तुम सुलझा दो घुट घुट के जीने में रखा क्या मिटा के ही अरमां सारे दर्द सीने तक
तुम्हें क्या बताऊं कोई रात ऐसी नहीं चैन से गुजारी हो मैं भी इक जख्म चाहता हूं मिटा कर हसरतें चैन से जीने तक.....
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राह-ए-हयात की दुश्वारियों की खबर रखता हूँ।
इसीलिए मुख्तसर असबाब-ए-सफर रखता हूँ।।
दौर-ए-गर्दिश, मेरी खुद्दारियों पर भारी ना पड़े।
ख्वाहिशों पर इख्तियार भी बाअसर रखता हूँ।।
-यूनुस खान
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साथ में तुम हो तभी ये सुहानी रात है
हो करीब तो लग रहा कि रूहानी रात है
हाथ में तुम्हारा हाथ है कांप रही देह है
बिना हवा के लग रहा कोई तूफानी रात है
आज अधरों पर तेरे अधर हो गए
हाथ उड़ने लगे मानो पर हो गए
तुमने हौले से मेरे बदन को छुआ
ठंड में भी पसीने से तर हो गए
ख्वाब के कोरे पन्ने कुतर आया है
चांद छुप के जमी पर उतर आया है
आज होठों से मुस्कान जाती नहीं
उसके होठों को वो छू कर आया है
प्रीत की बारिश प्रिय मुझको तो सावन लगे,
कोमल अधर का पान कितना मनभावन लगे,
नैन की मदहोशियों में होश प्लावित हो गए,
तीक्ष्ण वक्षों की चुभन भी अति सुहावन लगे
मैं इश्क का इजहार इस कदर कर दूं ,
तेरे दिल में जीवन गुजर बसर कर दूँ,
आ तेरे माथे को चूम कर मैं आज,
हमेशा के लिए प्रीत को अमर कर दूँ
दो दिलों का इश्क परवान चढ़ता है,
दो जिस्मों के अंदर भी तूफान चढ़ता है ,
अंधेरे की खूबसूरती यही तो दिखती है ,
जलवा तुम्हारा जब आसमान चढ़ता है
चंचल चितवन से कर्म न बिगड़ जाए,
खूबसूरत यौवन से शर्म न बिगड़ जाए,
अदाओं पर ज़रा काबू रखिये हुजूर,
कहीं गलती से मेरा धर्म न बिगड़ जाए