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The Limitless God "HINDI"

🇮🇳HarshVerma
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Synopsis
"देव" सभी ((भगवान-स्तर) में सबसे शक्तिशाली ((मानव भगवान) है, जिसे ((असीमित भगवान/ LIMITLESS GOD)) के रूप में भी जाना जाता है। एक दिन उसे "एमिली" नाम की एक "लड़की" की मदद करने का एक "नया मिशन" मिलता है, जो ((किआना अकादमी)) की छात्रा है, जो अपने "राष्ट्र" में "सबसे अमीर" और "शानदार" ((अकादमी)) में से एक है, ((किआना अकादमी)) कि छात्रा हैं, और वहा केवल "अमीर लोगों" के "बच्चे" ही "पढ़ते" हैं। और ((किआना अकादमी)) का "पर्यावरण" बहुत ही अच्छा है। "एमिली" एक बहुत ही "दयालु" और "साफ" दिल की लड़की है, लेकिन इस "नए मिशन" में कुछ समय बाद ही, "देव" अपने नए दोस्तों और अन्य "सहपाठियों" की समस्याओं को जानता है, और फिर उन सभी की "मदद" करने की कोशिश करता है। लेकिन "कहानी" में एक "मोड़" है। "राक्षसों" ने भी उस ((दुनिया)) की ((ईश्वर-सुरक्षा)) को तोड़ दिया है, और अब "राक्षस" उस "दुनिया" पर "आक्रमण" करके उस "दुनिया" को अपने "कब्जे" करने के लेकिन "योजना" बना रहे हैं। और अब अपनी "शक्तियों" का पूरा "इस्तेमाल" किए बिना "देव" कैसे "राक्षसों" से "लड़ेगा" और अपने "दोस्तों" की मदद करेगा, क्योंकि इस "दुनिया" की "प्राकृतिक शक्ति" बहुत "कमज़ोर" है, और यह भी "संभावना" है कि पूरी "शक्तियों" का इस्तेमाल करने से यह "दुनिया" की "प्राकृतिक शक्ति" "नष्ट" हो जाएगी, और अगर "प्राकृतिक शक्ति" "नष्ट" हो गई तो, पूरे "ब्रह्मांड" में "विनाश" शुरू हो जाएगा। और फिर कैसे हमारी कहानी का नायक "देव" अपनी "शक्तियों" की पूरी "क्षमता" का इस्तेमाल किये बिना, "देव" कैसे एक ही समय में "राक्षसों" और अपने "नए दोस्तों" की "समस्याओं" को हल करेगा। और, आइए देखते हैं कि कैसे ((असीमित भगवान "देव")) अपने "नए मिशन", "ईश्वर-स्तर" और अपने "सामान्य जीवन" को एक ही समय में कैसे "संभालता" हैं। लेकिन यह मत भूलिएगा कि "देव" की "शक्तियों" की कोई "सीमा" नहीं है और उनकी अपनी "चेतना" भी है। तो आइए "कहानी" में देखें कि समय-समय पर चीजें कैसे "बदलती" हैं।

Table of contents

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Chapter 1 - नया मिशन 1

यह एक गर्मी दिन है, और चारों तरफ गर्म हवाएं चल रही हैं, और इन सबके बीच में हमें "एमिली" नाम की एक लड़की दिखाई देती है। और वह बहुत "अच्छी" और "साफ" दिल की लड़की है, वह अपनी दोनों आँखे बंद करके "नमस्ते स्थिति" में खड़ी है और उसने बहुत प्यारी सी "गुलाबी ड्रेस" भी पहनी हुई है। वह एक "मंदिर" में "खड़ी" है और "भगवान" से प्रार्थना कर रही है

"भगवान जी" कृपया मेरी मदद करें।

और, उसके बाद हम "भगवान जी" को देखते हैं जो की "स्वर्ग" में बैठे हैं, वह चारों तरफ से "स्वर्गीय बादलों" से "घिरा" हुआ हैं, और उन्होंने "एमिली" की प्रार्थना सुनी, और "राक्षसों" ने भी उस "ब्रह्मांड" की "ईश्वर-सुरक्षा" को भी तोड़ दिया है, और अब "राक्षस" उस "ब्रह्मांड" पर "विजय" की योजना बना रहे थे, और यह सब देखने के बाद "भगवान जी" ने "एमिली" की मदद करने और उस "ब्रह्मांड" को "राक्षसों" के हमले से बचाने के लिए अपने "सबसे शक्तिशाली मानव भगवान" "देव भगवान" को उस "ब्रह्मांड" में "भेजने" का फैसला किया।

और फिर हम अपनी इस "कहानी" के "मुख्य पात्र" "देव" को देखते हैं, जो एक "सड़क" पर चल रहा है, अपने दोनों कानों में "ईयरफ़ोन" लगाए हुए हैं और "गाने" सुनते हुए अपने "अपार्टमेंट" में जा रहा है। और फिर अचानक "देव" की "शक्तियाँ" "टेलीपैथी" के माध्यम से "देव" से बात करती हैं।

"देव भगवान" "भगवान जी" आपसे कुछ बात करना चाहते है।

और यह सुनने के बाद, हम "देव" के चेहरे पर एक मुस्कान देखते हैं, और फिर "देव" ने अपनी "शक्तियों" से कहता हैं।

शुक्रिया, "शक्तियों," मुझे इस बारे में बताने के लिए। मैं "भगवान जी" से बात करलूंगा।

और फिर "देव" अपने दोनों कानों से "ईयरफ़ोन" निकालकर अपनी "पैंट" की जेब में डालता है, और अपने "अपार्टमेंट" की तरफ़ दौड़ने लगता है। और दौड़ते हुए "देव" अपने पड़ोस के "बड़े-बुजुर्गों" को "नमस्ते" भी करता जाता है। और फिर "देव" अपने "अपार्टमेंट" का "दरवाज़ा" खोलकर खोलकर सीधा अपने "कमरे" में जाता है और अपने "बेड" पर लौट जाता है।

**जब भी "देव" अपने किसी "मिशन" पर जाता है, तो वह अपने "सामान्य जीवन" में अपने "बेड" पे लौट जाता है, और अपनी "20% चेतना" को इसी रूप में बनाए रखता है और फिर "देव भगवान" अपनी "80% चेतना" में अपने "दुसरे शरीर" के साथ "मिशन" को "पूरा" करता है। "देव" इस शरीर को सभी "देव-स्तरों" पर "सामान्य" दिखने के लिए बनाया है। बिना उस "शरीर" के "देव" अपनी "शुद्ध आत्मा ऊर्जा" से बना है, जो केवल "हल्के नीले बिंदु" की तरह दिखाई देता हैं। इस शरीर में, "देव" केवल "काले कपड़े" ही पहनता है क्योंकि "देव" को अपने ये "काले कपड़े" पसंद हैं।**

और फिर "देव" लौट के "भागने" की थकान से शांत हो जाता है, और फिर "देव" अपनी दोनों आँखें बंद कर लेता है। और फिर "टेलीपैथी" की "शक्ति" से "भगवान जी" से बोलता है।

नमस्ते, "भगवान जी" क्या आप मुझसे कुछ बात करना चाहते हैं?

और फिर हम प्रत्यक्ष रूप से "भगवान जी" को "स्वर्ग" में बैठा देखते हैं, और फिर हम देखते हैं कि "देव" अपने "देव भगवान" के रूप में "स्वर्ग" में "भगवान जी" के सामने खड़ा है। और फिर "देव" की बात सुनने के बाद, "भगवान जी" एक "शांत" आवाज़ में बोलता है।

"देव," मेरे बच्चे ,तुम कैसे हो?

और यह सुनने के बाद, "देव" "भगवान जी" से बोलता हैं।

मैं ठीक हूँ "भगवान जी" क्या आपके पास मेरे लिए कोई नया "मिशन" है?

और यह सुनने के बाद, "भगवान जी" मुस्कुराते हुए "देव" से बोलते है।

"देव" मेरे बच्चे, तुम्हें एक "दयालु" और "साफ" हृदय वाली एक लड़की "एमिली" की दूसरी दुनिया में मदद करनी है। तुम उस दुनिया में जाओ जहाँ वह रहती है; तुम्हें उसके देश की सबसे ((अमीर अकादमियों)) में से एक में प्रवेश लेना होगा। और वहाँ केवल ((अमीरों)) के बच्चे ही आते हैं, और तुम्हें अपने रूप को ((मध्यम)) बनाए रखना होगा; तुम्हें न तो बहुत ((सुंदर)) ज़्यादा बना है और न ही बहुत ज्यादा "बेकार" रूप का, और तुम्हें "अमीर" बनने की भी कोई ज़रूरत नहीं है। मेरे बच्चे।

और यह सब सुनने के बाद, "देव" थोड़ी सी "उलझन" में "फस" जाता है, और "भगवान जी" से बोलता है।

"भगवान" वैसे, हमें ये सब करने की क्या ज़रूरत है? मैं सीधे जाकर "एमिली" से उसकी "समस्याएँ" पूछूँगा और फिर उनका समाधान कर दूंगा, और अगर मैं "अमीर" नहीं बना, तो मैं उस "अकादमी" में "दाखिला" कैसे लूँगा?

और फिर यह सुनने के बाद, "भगवान जी" एक छोटी सी "मुस्कुराहट" के साथ "देव" को बोलते है।

"देव" मेरे बच्चे, तुम चिंता मत लो; मैं तुम्हें अभी सब कुछ बता दूँगा। सबसे पहले तुम्हें उस "दुनिया" में जाकर अपने लिए एक "घर" को किराए पर लेना होगा। और फिर उसके बाद मेरे "बच्चे", जिस "अकादमी" में तुम्हें "प्रवेश" लेना है, उसके पास ही मेरे "बच्चे", वहाँ एक नया "लक्जरी मॉल" खुला है, और उस "मॉल" का "मालिक" अपने "मॉल" के "प्रचार" के लिए उस "अकादमी" के "प्रवेश अनुबंध" का "लकी ड्रा" करवा रहा है, जिसे जीतकर कोई भी "छात्र" अपने "देश" की सबसे "अमीर अकादमियों" में से एक "कियाना अकादमी" में "प्रवेश" पा सकता है, जिसे जीतकर तुम उस "अकादमी" में "प्रवेश" पा सकते हो, मेरे बच्चे।

और जब तुम उस "लकी ड्रा" को जीतकर उस दुनिया के अपने "घर" जा रहे होंगे। तो तुम पहली बार ((एमिली)) को देखेंगे, मेरे बच्चेl जिसे कुछ ((बुरे लोग)) परेशान कर रहे होंगे, और फिर तुम्हें "एमिली" को बचाना होगा। और फिर "एमिली" तुम्हारा नाम पूछेगी तोह, फिर तुम्हें "एमिली" को अपना ((नाम)) बता के, तुम्हें अपने उस "दुनिया" के "घर" के लिए निकल जाना है, मेरे बच्चे। और तुम्हें "एमिली" से ज्यादा बातें नहीं करनी है, और तुम्हारे "अमीर" न दिखने की वजह से, "एमिली" तुम्हें कोई "बेकार अमीर लड़का" नहीं समझेगी, और तुम्हारे "अच्छे व्यवहार" की वजह से, जब तुम "एमिली" के अच्छे दोस्त "बन" जाओगे, तो "एमिली" तुमको अपना अच्छा "दोस्त" समझ के अपनी कई "समस्याएँ" खुद ही तुम्हें बता देगी, मेरे बच्चे।

और फिर तुम्हें, मेरे बच्चे "देव", "एमिली" की सारी ((समस्याएं)) सुलझानी होंगी, क्योंकि ((एमिली)) बहुत दयालु और एक अच्छी ((लड़की)) है, उसे भी इस ((अकादमी)) में ((सरकार)) द्वारा ((प्रवेश)) मिला है, पिछली "अकादमी" में अपने ((अच्छे स्कोर्स)) की वजह से, और तुम्हारी "मौजूदगी" में "एमिली" को कोई भी परेशान भी नहीं कर पाएंगे, ((एमिली)) का ((परिवार)) बहुत ((अमीर)) तो नहीं है, मेरे बच्चे, लेकिन ((एमिली)) की ((पारिवारिक स्थिति)) काफी अच्छी है, मेरी ((बच्चे देव))। ((एमिली)) हमेशा सबकी मदद करती है और कभी भी ((भगवान)) से किसी बात की ((शिकायत)) नहीं करती, इसलिए तुम्हें जाकर ((एमिली)) की हर एक ((समस्या)) सुलझानी होगी, मेरे बच्चेl

और ये सब सुनते हुए "देव भगवान" का "बेड" पर लेटा "सामान्य शरीर" "सो" जाता है। और "देव भगवान" की ((80% चेतना)) भी अपने "सामान्य शरीर" में वापस चली जाती है और "देव" ((मिशन)) का ((विवरण)) सुनते-सुनते "सो" जाता है। और ये सब देखने के बाद "भगवान जी" "हंसते" हुए बोलते हैं

"देव" मेरे बच्चे, तुम सचमुच "महान" हो जो अपने "नए मिशन" का "विवरण" सुनते-सुनते बीच में ही "सो" गए, लेकिन "मैं" जानता हूँ मेरे बच्चे, तुम अपने इस "मिशन" को भी बड़े उत्साह से पूरा करोगे।

और फिर कुछ "1 घंटे" की नींद के बाद, "देव" जागता है, और जैसे ही "देव" जागता है और उसे याद आता है कि वह सोने से पहले क्या कर रहा था। तो फिर से तभी "देव" अपने "देव भगवान" रूप में "भगवान जी" के सामने जाता है, और ये देखकर, "भगवान जी" "मुस्कुराते" हुए बोलते हैं।

"देव" तो तुम नींद से जाग गए, मेरे बच्चे। मैं तुम्हें तुम्हारे "नए मिशन" के बारे में "विस्तार" से बता रहा था। मैं तुम्हें कोई स्कूल में नहीं पढ़ा रहा था, मेरे बच्चे, कि तुम ऊब गए और "सो" गए, "देव"। 😇😁

और फिर ये "सुनने" के बाद "देव", "भगवान जी" से थोड़ी "तेजी" से बोलता है।

"भगवान जी" कृपया आप मुझे मिशन का विवरण सुनते समय बिच में सोने के लिए क्षमा करें, लेकिन "भगवान जी", अगर मैं उस मिशन में अपनी "शक्तियों" से अमीर नहीं बनूंगा, तो मैं उस "लक्जरी मॉल" में कैसे जाऊंगा और बिना "पैसे" के कुछ कैसे खरीदूंगा?

और फिर "देव" से यह "सवाल" सुनने के बाद, "भगवान जी" "देव" से बोलते है।