हर बात कह पाना मुश्किल होता है
दर्द बयां कर पाना आसा नहीं ,,
अक्सर कुछ दास्ता अधुरी होती हैं
अनकही यही दास्ता कितनो कि मजबूरी होती हैं राज गहरे है कितने समझना मुमकिन नहीं
हर लफ्ज़ सच्चा हो ज़रूरी नहीं
अक्सर अपने ही कारण होते हैं
अनकही कहानी के खलनायक होते हैं
कुछ बाते मन में दबी रह जाती हैं
जो दिल के दर्द में तब्दील हो जाती हैं
बदलते वक्त के साथ नासूर बन जाती हैं
अक्सर मुसकुराते हुए दर्द छुपा लेते है
हम अपनो के , अपना ही गला घोंट देते है
अनकही एक दास्ता हैं जो अब सुनानी है
अनकहे उस दर्द को लफ्जों में बयां करना है
अनकही दास्ता जो अक्सर लोगो के मन में दबा इक दर्द होता है एक हादसा जिसे वो किसी से नहीं कह पाता पर क्यों?
क्यों हजारों कि भिड़ में भी खुद को हम अकेला पाते हैं क्यों रिश्ते सिर्फ नाम के होते हैं?
क्योंकि ये सच नहीं तो अनकही दास्ता होती ही नहीं ,, ऐसे किस्से जो हमारी जिन्दगी में आम होते हैं पर फिर भी उसे किसी के साथ शेयर नही कर पाते अक्सर मुस्कुराकर दर्द छुपा लेते हैं
हमारे आपके बीच होने वाले कुछ छोटे बड़े हादसे जिसे हम चुपचाप सहते हैं ,, कभी परिवार कि खुशी के लिए , कभी समाज कि घटिया सोच कि वजह से ,, तो कभी अनजाने में
हमारी चुप्पी को ही तो सब हमारी कमजोरी समझते हैं दर्द को छुपा लेने कि ये अदा किसी दिन हमारी ही जान न ले ले
अकसर मन की बात मन में रहती है एक दर्द जो जिंदगी भर साथ रहता है कितनी अजीब बात है न कुछ बाते मन के एक कोने में पड़ी रहती है
अनकही दास्ता है ये जो किसी से कह न पाए ये वहीं कहानी है
कुछ बाते मन में दबी रह जाती हैं जो दिल के दर्द में तब्दील हो जाती हैं और बदलते वक्त के साथ नासूर बन जाती हैं ,, इसिलिए ज़रूरी है इन अनकही दास्ता को सबके साथ शेयर करना हो सकता है जो गलती आपसे हुई वो करने से कोई और बच जाए
हादसे, किस्से हमारे जीवन में अक्सर होते रहते है कुछ भुला दिए जाते है तो कुछ छुपा लिए जाते है हम सभी के जीवन में एक न एक बार ऐसा जरूर होता है कि कोई बात कोई हादसा हम सबसे छुपा जाते है दर्द कि इसी दास्ता को हम कहते है अनकही दास्ता ,अब कुछ लोग पूछेंगे दर्द ही क्यों ?
क्युकी खुशियों को तो हम बाटते फिरते है एक दर्द ही तो है जिसे गले से लगा सीने में छुपा लेते है ,कभी अपनों के लिए तो कभी अपनों कि खुशी के लिए हम हर गम भुला मुस्कुराते है ,,पर गम चीज ऐसी है जो भुलाए नहीं भूलता फिर भी कोशिश जारी रखते है
अनकहे कुछ किस्सों का सार जो हमारे जीवन के यथार्थ से जुड़ा है वो कुछ घटनाये जिन पर किसी का धयान नहीं जाता पर जिनका असर किसी के जीवन को तबाह करने के लिए काफ़ी है मन में दबे राज अक्सर हमारी ही जान के दुश्मन बन जाते है जरूरत है इन्हे बाहर निकालने कि समझने और समझाने कि ,,क्यों गलत न होने पर भी चुप्पी जरुरी है ? ये सवाल खुद से पूछने कि
ख़ामोशी घातक होती है ,ये अक्सर शोर को भी मात दे देती है ,किसी कि ख़ामोशी जवाब ,तो किसी कि सवाल बन जाती है ये अक्सर हमारी रूह को झकझोर जाती है वक्त आ गया है तोड़ इस ख़ामोशी के बंधन को आजाद होना है अब वक्त है जीवन के यथार्थ से सामना करने का गलत को गलत कह मुह तोड़ जवाब देने का अनकही दास्ता ,,सबको सुनाने का
हमारे आपके जीवन में होने वाली वे घटनाए जिन पर हम ध्यान नही देते
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏क्रमश