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Chapter 4 - स्वार्थि मां & स्मृति जी की मौत

Hello friends, how are you all? I hope you are well, so let's move on to our story without any delay. 

अब तक आपने पढ़ा होगा

वही वो बेबी गर्ल भी एक टक अपनी नेवी ब्लू कलर आंखों से उन दोनों भाईयों को देख रही थी 

 प्रियांश our princess 

वहीं क्रियांश एक टक बेबी गर्ल को देखते हुए बेबी गर्ल क्या तुम हम पर अपनी नीली नीली आंखो से हिप्नोटाइज कर रही हो ।

वहीं क्रियांश बस वॉक सुनकर वह बेबी गर्ल खिल खिलाकर हंस पड़ी वहीं उसकी हंसी काफी प्यारी थी और उस पर चार चांद तो उसके गालों पर पड़ने वाले डिंपल थे ।

 प्रियांश हमम इसका नाम क्या रखा जाए 

 क्रियाश इससे हमें सुकून मिल रहा है ये हमारी सुकून है तो इसका नाम सुकून होगा ।

 क्रियाश के इतना कहते ही दोनों भाई एक-साथ हमारी सुकून हमारी प्रिंसेस ।

वहीं वहा कोई और भी थे जो उन्हें हैरानी भरी नजरों से देखें जा रहे थें ।

अब आगे 👉 👉 👉

वही दरवाजे के पास खड़े संध्या जी सूर्या जी शिवांश जी शिव्या जी धनुष की धनुषी जी शॉक्ड खड़े थे ‌ उन्हें अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि प्रियांश क्रियांश जिन्हें कोई अपना भी गलती से छू ले तो उनके पूरी बॉडी मे रैशेज पड़ जाते है वो आज एक अनजान लड़की को इस तरह अपने गले से लगा कर बैठे हुए हैं ।

वहीं प्रियांश क्रियांश अपनी एंजेल में खोए हुए ही थे कि उनके कानों में संध्या जी की हैरानी भरी आवाज पड़ी " प्रियांश क्रियांश क्या आप दोनों का डिजीज ठीक हो गया है "

 संध्या जी का सवाल सुन कर भी प्रियांश क्रियांश उन्हें इग्नोर कर वापस अपनी एंजल के साथ लग गए ।

वही प्रियांश क्रियांश का कोई जवाब न मिलने की वजह से इस बार सूर्या जी गुस्से में कड़क आवाज में " प्रियांश क्रियांश आप दोनों यहां कैसे और यहां क्या करने आए हैं "

उनकी बात सुनकर प्रियांश इस बार सख्ती से गुस्से में" जो हमारी है हम उसे लेने आए हैं "

 सूर्य जी उसकी बात सुनकर सख्ती से " आपको पता भी है कि आप दोनों कौन है आपकी हैसियत क्या है आप दोनों ‌ प्रियांश क्रियांश शेखावत है शेखावत फैमिली के प्रिंस आपको ऐसे लोगों के साथ रहना शोभा नहीं देता "

‌वही प्रियांश क्रियांश के लिए उनकी सारी बातें यूजलेस थी इसलिए उन दोनों ने उन्हें पूरी तरह से इग्नोर कर दिया जिसे देख सूर्य जी पूरी तरह गुस्से में तमतमा गए और गुस्से और नफ़रत भरी नजरों से सुकून को देखने लगें जो पूरी तरह प्रियांश के ओवर कोट में छूपी हुई थी और सिर्फ और सिर्फ उसका हाथ और पैर नजर आ रहे थे ।

 प्रियांश सुकून को पालने में लेटा कर उसके ऊपर हल्के से कम्बल डाल कर अपनी नन्ही प्रिसेस को देखते हुए " तुम थोडी देर रेस्ट करो माय प्रिंसेस मैं तुम्हारे लिए कुछ खाने को लाता हूं तुम्हें भूख लगीं होगी न "

 प्रियांश ने अभी इतना कहां ही था कि पीछे से एक नर्स उसकी बात सुनकर बोल पड़ी " इन्हें अभी फीद करवाना होगा "

वहीं नन्ही सुकून प्रियांश के दूर जाते ही जोर जोर से रोने लगी ।

 जिसे देख कर नर्स आप लोग बाहर जाइए इन्हें भूख लगी है इतना कहकर वो जैसे ही सुकून को उठाने लगी सुकून अपने नन्हे नन्हे हाथ पैर से उसके चेहरे पर मारने लगी जिसे देख कर क्रियाश आगे आकर सुकून को अपनी गोद में उठा लेता है जिससे सुकून तुरत ही चूप हो गई ।

 क्रियाश मुस्कुराते हुए प्यार से उसे नन्ही शहजादी को देखते हुए " तुम कुछ देर रुको प्रिंसेस हह उसके बाद हम तुम्हें अपने साथ रखेंगे पर अभी यहीं रहो "

 इतना कहकर क्रियाश नन्ही सुकून को वापस पालने में लेटा दिया जिससे नन्ही सुकून एक बार फिर से दहाड़े मार कर रोने लगी 

 प्रियांश सुकून को अपनी गोद में उठा कर प्यार से सुकून की माथे को चूम कर " प्रिंसेस बस कुछ समय उसके बाद हम वापस आ रहे हैं न" इतना कहकर वो सुकून को पालने में लेटा कर उठाना उससे पहले ही सुकून अपनी नन्हे नन्हे मुट्ठियों में प्रियांश के ओवर कोट को भर कर पकड़ लेती है 

 वहीं नर्स " सर "

एक बार फिर से नर्स की आवाज सुनकर क्रियांश सख्ती से " व्हाट "

नर्स सर झुका कर आदर से " सर पेशेंट की आखिरी सांस चल रही है और वो आखिरी बार अपने बच्चे को देखना चाहती है ।"

 नर्स की बात सुन प्रियांश सुकून को अपनी गोद में उठा कर स्मृति जी ‌के पास लेकर आता है जो इस वक्त बेड पर अपनी आखिरी सांसें ले रही थी हालांकि एब्नार्मल डिलेवरी कि वजह से सुकून भी काफी कमजोर जन्म हुई थी ।

 प्रियांश धीरे से सुकून को स्मृति जी के बगल में लेटा देता है 

वहीं। स्मृति जी रोते हुए सुकून का चेहरा अपने हाथों में भर कर उसके पूरे चेहरे को चूमने लगी आखिर में 

स्मृति जी सुकून को अपने हाथों में पकड़ प्रियांश के हाथों में देते हुए लाचार आवाज में भरी आंखों से सुकून को प्रियांशु को देते हुए " मुझे नहीं पता मैं जो कर रही हो वह सही है या नहीं पर हो सके तो इस स्वार्थी मां कि आखिरी इच्छा समझ कर मेरी बेटी को हमेशा अपने पास रखना और उसे इतना प्यार देना कि उसे कभी मेरी याद "

इतना कहते ही स्मृति जी का हाथ लूढक गया और इसी के साथ स्मृति जी ने हमेशा हमेशा के लिए सुकून को दोनों डेविल्स भाईयों के हवाले कर इस दुनिया से विदा ले ली ।

 वहीं नन्ही सुकून भी अपनी नीली नीली आंखों से अपनी मां को देखते हुए रोने लगी जैसे उसे पता चल गया हो कि उसकी मां उसे हमेशा हमेशा के लिए छोड़ कर चली गई । 

वहीं सुकून को रोते हुए देख कर प्रियांश क्रियांश उसे चूप कराने लगे ।

 और स्मृति जी की लाश को श्मशान घाट भेजवा दिया जहां प्रियांश ने स्मृति जी को अग्नि दी और उन से रिलेटेड सारी विधियां पूरी तरह करी ।

 

 दो दिन बाद 

 शेखावत मेंशन 

 धनुषी जी सोफे पर बैठी हुई किसी का इंतजार कर रही थी कि धन्य क्रियांशी उनके पास आकर मासूमियत से " मॉम बड़ी मॉम भईया कब आएंगे हमें उनसे मिलना है ।"

 वहीं उन दोनों की बात सुनकर धनुषी जी प्यार से उनके बालों में हाथ फेरते हुए " बच्चों भईया जल्दी आ रहे हैं "

 धन्य उन्हें देखते हुए " मॉम इस बार भैया आए तो हमें बता देना वरना हम उनके रूम में जाकर उनसे मिलेंगे ।"

 " ठीक हैं अगर मैं ना बताऊं तो तुम दोनों अपने भैया से उनके रूम में जाकर मिल लेना खुश " धनुषी जी प्यार से उसकी बात सुनकर जवाब देती है जिसे सुनकर

धन्य क्रियांशी खुशी से उछलते हुए " येएएए हम भैया से मिलेंगे " इतना कहकर वो दोनों उछलते कूदते अपने रुम में चले गए ।

 आज का हमारा और आपका सफर यहीं तक मिलते हैं नेक्स्ट चैप्टर में धन्यवाद चैप्टर अच्छा लगा हो तों लाइक कमेंट " रिव्यू " जरूर दें और साथ ही साथ " शेयर " जरूर करें जिससे हमारे नोवेल में और भी रीडर्स जुड़ सके और हमारे नोवल इसी तरह आगे एंडिंग तक चलती रहे धन्यवाद