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Cruel For Her

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Synopsis
यह कहानी अध्याय सूर्यवंशी और निर्भय वशिष्ठ की। जो दोनों ही जानी दुश्मन थे। अध्याय सूर्यवंशी जो 3 सालों से एक लड़की के प्यार में पागल था। लेकिन एक वादे के चलते उसे अचानक की इंडिया छोड़कर जाना पड़ा! लेकिन फाइनली वह 3 सालों के बाद आज इंडिया लौट रहा था अपने प्यार से शादी करने के लिए लेकिन जब वह अपने प्यार यानी की इनाया शर्मा से मिलने के लिए उसके घर गया ,तो उड़ गए उसके होश। क्योंकि वहां उसका प्यार इनाया किसी और से शादी कर रही थी और वह शख्स कोई और नहीं उसी का जानी दुश्मन निर्भय वशिष्ठ था। निर्भय को इनाया से शादी करते देख उसे बहुत तेज गुस्सा आया। उसने गुस्से में निर्भय से बदला लेने के लिए उसकी बहन का हाथ पकड़ा और जबरदस्ती घसीटते हुए ले गया उसे मंडप में और कर ली सभी के सामने उससे जबरदस्ती शादी। बांध लिया उस मासूम सी 18 साल की लड़की को उसके ही भाई से बदला लेने के लिए अपने साथ। इनाया ने क्यों की निर्भय से शादी जब करती थी वह अध्याय से प्यार? क्या सिर्फ बदला लेने के लिए अध्याय कर देगा मिष्टी की जिंदगी बर्बाद? क्या बचा पाएगा अध्याय से निर्भय अपनी बहन को? जानने के लिए पढ़िए "Cruel For Her"
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Chapter 1 - forced marriage

मुंबई..

वशिष्ठ मेंशन…

ये एक पोर्स एरिया में बना काफी खूबसूरत मेंशन था। आज ये मेंशन बेहद खूबसूरत तरीके से डेकोरेट किया गया था, मेंशन में की गई डेकोरेशन से ही पता चल रहा था आज यहां किसी की शादी है। मेंशन के गार्डन में बच्चे खेल कूद कर रहे थे, बड़े बातों में लगे हुए थे, काफी लोग जल्दी-जल्दी घर का काम कर रहे थे। 

इधर मेंशन के अंदर एक लड़की अपने रूम में थी। उस लड़की को मेकअप आर्टिस्ट मेकअप कर रही थी, ये लड़की इनाया शर्मा थी और आज इसी की शादी हो रही थी। लेकिन इनाया के चेहरे पर शादी का कोई नूर नहीं था, कोई खुशी नहीं थी। अगर कुछ था तो वो थी एक बेचैनी, आंखें नम थी उसकी। 

तभी जो मेकअप आर्टिस्ट उसे रेडी कर रही थी वो बोली "मैम Please आप रोइए मत, I Know की ये मूमेंट हर एक लड़की के लिए इमोशनल होता है लेकिन इससे आपका मेकअप खराब हो जाएगा। मेकअप वाटरप्रूफ है लेकिन तब भी आप खुश रहने की कोशिश कीजिए क्योंकि ये मूमेंट दोबारा वापस नहीं आएगा।"

उस मेकअप आर्टिस्ट की बात सुनकर इनाया अपने मन में बोली "तुम क्या जानो मैं किस लिए रो रही हूं।"

तभी कमरे के अंदर एक औरत आई। और उसने मेकअप आर्टिस्ट से बोला "और कितना टाइम लगेगा इसे रेडी करने में? दूल्हा मंडप में इंतजार कर रहा है।"

ये सुनकर मेकअप आर्टिस्ट बोली "बस मैम कुछ टाइम और , फिर ये रेडी हो जाएंगी।"

ये सुनकर वो औरत तिरछा मुस्कुराई। तभी इनाया ने शीशे से उसकी तरफ देखा और बोली "बुआ ऐसा मत कीजिए, मैं निर्भय से शादी नहीं कर सकती। मैं अपने अध्याय से प्यार करती हूं और वो जरूर आएगा। आप कुछ वक्त रुक तो।"

ये सुनकर केतिकी गुस्से में बोली "मुझे फर्क नहीं पड़ता तुम किससे प्यार करती हो किससे नहीं। मैंने तुम्हें इसलिए नहीं पाला की तुम मेरे सर पर बोझ बन जाओ, कम से कम तुम्हें पाला है उसका वसूल तो लूं। निर्भय मुझे पैसे दे रहा है तो कम से कम कुछ तो फायदा होगा तुम्हे इतना बड़ा करने का।"

कहकर वो औरत वहां से चली गई। उसकी बात सुनकर इनाया ने उम्मीद भरी आंखों से उसकी तरफ देखा। दरअसल इनाया की शादी जबरदस्ती निर्भय से हो रही थी, निर्भय उसकी बुआ को पैसे देकर जबरदस्ती उससे शादी कर रहा था, जबकि इनाया अध्याय से प्यार करती थी। वो 3 सालों से अध्याय से प्यार करती थी और अध्याय इस वक्त यहां नहीं था। 

तभी इनाया रोते हुए खुद से बोली "कहां हो अध्याय? आज तुम्हारी इनाया से कोई जबरदस्ती शादी कर रहा है, तुमसे वादा किया था कि तुम वापस लौट कर आओगे, लेकिन तुम अभी तक नहीं आए।"

वो अभी कह ही रही थी कि तभी कमरे में दोबारा केतकी आई उसके साथ इस बार कई लड़कियां भी थी। केतकी ने आकर उसका हाथ पकड़ा और उसे एकदम से खड़ा कर दिया। इनाया ने नम आंखों से उसकी आंखों में देखा, लेकिन केतकी को कोई फर्क नहीं पड़ा। तभी उन लड़कियों ने उसका लहंगा पकड़ा और उसे धीमे-धीमे बाहर की तरफ ले गई। 

इधर दूसरी तरफ गार्डन में एक मंडप लगा हुआ था और इस मंडप में निर्भय बैठा हुआ था। उसने गोल्डन कलर की शेरवानी पहनी हुई थी, जिन पर डायमंड के स्टोन का वर्क था, पैरों में सिल्वर कलर की जूतियां थी। जिससे वो इस दूल्हे के लिबास में भी बहुत हैंडसम लग रहा था। 

तभी उसकी नजर सामने से आती हुई इनाया पर गई। जिसने गोल्डन कलर का हेवी ब्राइडल लहंगा पहना हुआ था। उस लहंगे पर बारीकी से काम किया गया था और लहंगे के साइड पर डायमंड स्टोन की कढ़ाई की गई थी। बालों का एक जूड़ा बना हुआ था, माथे के बीचो-बीच मांग टीका था, गले में काफी हैवी ज्वेलरी थी, हाथों में गोल्डन कलर का हैवी चूड़ा सेट था, पैरों में भारी पायल। इसमें क्या कमाल लग रही थी इनाया।

लेकिन इनाया को एक नजर देखते ही निर्भय ने उससे अपनी नजरे फेर ली, जैसे उसे इनाया को देखने में कोई इंटरेस्ट ही ना हो, उसे इस तरह अपने से नज़रे फेरते देख इनाया की आंखें एक बार फिर नम हो गई, उसने खुद से कहा "जिससे मोहब्बत की, जिस पर कुर्बान होने की कसमें खाई उसकी हो ना सकी और जिसकी होना नहीं चाहती उसकी हो रही हूं, और उसे भी मेरी कदर नहीं।"

कहकर उसने अपने आंसू पोंछे।

 तभी मंडप में लाकर उसे निर्भय की साइड बिठा दिया गया। 

निर्भय की पूरी फैमिली वहां मौजूद थी। निर्भय के दादा जी अभिमान वशिष्ठ सामने चेयर पर बैठे हुए थे, और उन्हीं के साइड में निर्भय के पिता विराज वशिष्ठ और उन्हीं के साइड में उनकी बीवी दामिनी वशिष्ठ बैठे हुए थे। और निर्भय के पीछे ही उसकी लाडली बहन मिस्टी खड़ी हुई थी। वो स्पेशली निर्भय से कहकर खड़ी थी कि उसे पूरी शादी निर्भय के आगे पीछे ही रहना है, और अपनी बहन की इस प्यारी सी ख्वाहिश पर निर्भर ने कुछ नहीं कहा। मिस्टी उसकी लाडली थी। 

तभी पंडित जी बोले "जजमान कन्या के साथ फेरे लीजिए।"

ये सुनकर इनाया के दिल की धड़कन बढ़ गई। किसी और के होने के नाम से ही वो कांप उठी, उसने नम आंखों से मेंशन की एंट्रेंस पर देखा। लेकिन वहां कोई नहीं था, ये देख उसे अपनी किस्मत पर रोना आया। तभी उसकी नजर सामने गई जहां केतकी उसे गुस्से में घूर रही थी। 

निर्भय उठ खड़ा हुआ लेकिन इनाया नहीं खड़ी हुई। ये देख निर्भय ने गुस्से में उसका हाथ तेजी से पकड़ा और उसे एकदम से खड़ा कर दिया, अचानक खड़ा करने से उसके कदम लड़खड़ा गए, लेकिन वक्त रहते ही उसे संभाल लिया, निर्भय ने उसका हाथ पकड़ा और उसके साथ जबरदस्ती फेरे लेने लगा। वो फेरे ले रहा था लेकिन इनाया की नजरें सामने गेट पर टिकी थीं शायद इंतजार था उसे किसी का। 

धीमे-धीमे करते सारे फेरे हो गए। जैसे जैसे रस्मे हो रही थी वैसे-वैसे इनाया के अंदर की हिम्मत टूट रही थी और अब उसे अपनी जिंदगी बर्बाद होते हुए देख रही थी। तभी वो दोनों नीचे बैठ गये और पंडित जी बोले "कन्या को मंगलसूत्र पहनाइए।"

ये सुनकर निर्भय ने तिरछी मुस्कान के साथ इनाया की तरफ देखा। उसकी नजरों को देख इनाया को खुद पर और रोना आया। तभी निर्भय ने थाली में से मंगलसूत्र उठाया और इनाया के गले में बांध दिया। मंगलसूत्र का एहसास अपने गले में होते ही इनाया ने अपनी आंखें बंद कर ली और आंसू का एक कतरा उसकी आंखों से बह गया। 

दूसरे ही पल उसे अपनी मांग से मांग टीका हटने का एहसास हुआ और तभी उसे पता चल गया कि निर्भय ने उसकी मांग भर दी है और अब वो हमेशा हमेशा के लिए निर्भय की हो चुकी है। 

सिंदूर को अपनी मांग में महसूस करते ही इनाया ने रोते हुए अपने मन में कहा "भले ये शादी जबरदस्ती हुई हो लेकिन आज से मैं किसी और की हो गई, माफ करना अध्याय.. तुम्हारी इनाया तुम्हारी नहीं रह गई है, कोशिश करूंगी तुम्हें जल्दी भूल जाऊं और तुम भी कोशिश करना कि कभी अब मेरी आंखों के सामने ना आओ, क्योंकि अब मैं निर्भय के साथ एक नई जिंदगी की शुरुआत करूंगी। रिश्ता चाहे जैसे भी जुड़ा हो लेकिन इस रिश्ते को निभाने की जिम्मेदारी मेरी होगी।"

वो अभी ये कह ही रही थी कि तभी वहां किसी की गुस्से से भरी आवाज गूंजी "ये क्या हो रहा है?"

इस आवाज को सुनते ही इनाया ने झटके से अपनी आंखें खोली और सामने देखा तो वहां अध्याय गुस्से से खड़ा कांप रहा था, उसकी आंखें लाल थीं जैसे कि उनमें खून उतर आया हो। वहीं निर्भय के चेहरे पर तिरछी मुस्कुराहट थी, वो आराम से बैठा हुआ अध्याय को देख रहा था। 

तभी वो उठा और उसने इनायत की कमर में हाथ डालकर उसे झटके से खड़ा करके खुद से सटा दिया, और चलकर अध्याय के पास जाने लगा। वहीं इनाया को समझ ही नहीं आ रहा था कि उसके साथ हो क्या रहा है, वो बस निर्भय के साथ चले जा रही थी जैसे कि अब उसमें जान बची ही ना हो। 

तभी निर्भय अध्याय के सामने जाकर बोला "Wow कितने अच्छे वक्त पर एंट्री ली है तुमने। तुम शायद यहां अपनी मासूका से 3 सालों के बाद मिलने के लिए आए होगे, Sorry Sorry.. वो तुम्हारी मासूका थी /, लेकिन अब से वो इनाया निर्भय वशिष्ठ है।"

लेकिन उसकी बात तो जैसे अध्याय सुन ही नहीं रहा था, उसकी नज़रें इनाया की मांग में भरे सिंदूर और उसके गले में लटक रहे निर्भय के नाम के मंगलसूत्र पर टिकी थी। 

लेकिन अभी तक एक बार भी इनायत ने नजर उठाकर अध्याय की तरफ नहीं देखा था, उसमें हिम्मत ही नहीं थी कि वो उसे देख सके। 

तभी अध्याय ने एकदम से निर्भय को इनाया से दूर धक्का दिया और उसने इनाया के हाथों को पकड़ते हुए बोला "इनाया ये झूट है ना? ये प्रैंक है ना? तुम ऐसा नहीं कर सकती ना, बोल दो कि ऐसा नहीं हुआ है।"

उसके ये कहने पर भी इनाया ने कुछ नहीं कहा, लेकिन तभी अध्याय पागलों की तरह उसके कंधों को पकड़ कर उससे बोला "Please यार बोल दो , मेरे साथ मजाक मत करो। ये मजाक बहुत भारी पड़ेगा मुझ पर। Please Please.. मान जाओ।"

उसके बार-बार हिलाने से इनाया की आंखों में आंसू आ गए। तभी उसने एकदम से उसे खुद से दूर धक्का दिया और चिल्लाते हुए बोली "ये कोई प्रैंक नहीं है अध्याय, ये सच्चाई है.. अब मैं तुम्हारी नहीं रही.. अब मैं निर्भय की हो चुकी हूं और ये सब तुम्हारी ही गलती है। तुमसे मैंने कितनी बार कहा मुझसे शादी कर लो, मुझे अपने साथ ले चलो, लेकिन कुछ नहीं हुआ। और अब मैं कहीं की नहीं रही।" 

तभी उसने अपनी मांग पर हाथ रखते हुए कहा "देख रहे हो.. मेरी मांग में निर्भय के नाम का सिंदूर, गले में निर्भय के नाम का मंगलसूत्र.. ये इस वक्त इस चीज की गवाही दे रहा है कि अब मैं तुम्हारी नहीं रही।" 

उसकी बात सुनते ही अध्याय को एक धक्का सा लगा। कुछ पल बस खामोशी से खड़ा उसे देखता रहा लेकिन तभी वो एकदम से उसके पास आया और उसने पीछे से उसके बालों को पकड़ा और गुस्से में बोला "ओ समझ गया.. तुमने ये सब मुझसे बदला लेने के लिए किया है ना? जब तुमने मुझसे ये कहा था कि मैं तुमसे शादी करूं तो मैंने तुमसे शादी नहीं की, तो तुमने मेरे दुश्मन से हाथ मिला लिया, तुम्हें पैसा चाहिए था.. शुरू से ही तुम इससे मिली हुई थी इसलिए तुमने मुझ से शादी नहीं की न?"

उसकी बात सुनते ही इनाया अपनी हैरानी भरी आंखों से उसकी तरफ देखा, उसे भरोसा नहीं हुआ ये उसका ही अध्याय है जो उसे ये कह रहा है, लेकिन वो कुछ कह पाती कि तभी एकदम से निर्भय ने उसके कंधे पर हाथ रखा और खुद की तरफ खींच लिया।

तभी निर्भय एकदम से उसके कान के पास आते हुए बोला "अगर कुछ कहा ना तो जान से जाओगी। लेकिन सिर्फ तुम नहीं तुम्हारा ये So Called आशिक भी। तुम भी जानती हो ये मेरा कितना बड़ा दुश्मन है, इसे मारने में मैं बिल्कुल नहीं सोचूंगा ।"

उसकी धमकी सुनकर इनाया कांप गई। वो चाह कर भी अध्याय से कुछ नहीं कह पाई। वहीं उन दोनों को इतने करीब देख अध्याय का खून जलने लगा।

तभी अध्याय ने आगे बढ़कर निर्भय का कॉलर पकड़ लिया और गुस्से मे बोला "तूने ये जानबूझ कर किया ना? तुझे पता था मैं इससे प्यार करता हूं, इसलिए तूने इससे शादी की न?"

इस पर निर्भय ने उसे खुद से दूर धकेल दिया और अपने कुर्ते की कॉलर को सही करते हुए बोला "पहली बात तो मुझसे दूर रह कर बात कर तू। दूसरी बात मैं इतना भी गिरा हुआ नहीं की तेरी So Called पसंद से शादी करूंगा, मैं और इनाया शुरू से ही एक दूसरे से प्यार करते हैं और इनाया ने तेरे साथ प्यार करने का नाटक किया था। जो कि मैंने उससे कराया था, मुझे पता था कि तू किसी से प्यार करेगा नहीं इसलिए मैंने तुझे उसके प्यार में पागल कराया और आज फाइनली मुझे पता था की तू इंडिया आ रहा है तो मैंने उससे शादी कर ली। अब तू तड़प और मैं और मेरी इनाया साथ रहेंगे। मैं सही कह रहा हूं न इनाया?" कह कर उसने इनाया के कंधे पर प्रेस किया और उसे घूरा। ये सुनकर इनाया ने डरते हुए अपना सर हां में हिला दिया ।

वहीं ये देखकर अध्याय ने अपना आपा खो दिया, वो इस वक्त खुद को अंदर तक टूटा हुआ महसूस कर रहा था, लेकिन आज तक उसने टूट कर भी हारना सीखा नहीं था। 

अध्याय ने उसकी तरफ देखा और बोला "तुमने मेरे साथ गेम खेला, वो भी अपनी इस So Called गर्लफ्रेंड का सहारा लेकर मेरे पीठ पीछे, लेकिन मैं पीठ पीछे नहीं खेलता तेरी ही नजरों के सामने आज मैं तेरे साथ गेम खेलूंगा। तूने मुझे दर्द देना चाहा अब मैं तुझे दर्द दूंगा। तू इस दुनिया में सबसे ज्यादा प्यार अपनी उस लाडली बहन से करता है ना, सोच तब क्या होगा जब मैं उसी से जबरदस्ती शादी कर लूं?"

ये सुनते ही निर्भय गुस्से में बोला "बंद कर अपनी बकवास। मैं ऐसा कभी नहीं होने दूंगा, तुझे लगता है मेरे जीते जी तू मिष्टी से शादी कर पाएगा?"

निर्भय को इतने गुस्से में देख अध्याय तिरछा मुस्कुराया और उसकी नज़रें निर्भय के पीछे खड़ी उसकी बहन मिष्टी पर गई। मिष्टी जो 18 साल की एक खूबसूरत सी लड़की थी। और निर्भय की लाडली थी, निर्भय अगर इस दुनिया में किसी को चाहता था सबसे ज्यादा तो वो मिष्टी थी। 

वहीं मासूम सी मिष्टी सब बातों से अंजान चुपचाप सब कुछ देख रही थी। कुछ-कुछ उसे समझ आ रहा था कुछ कुछ नहीं आ रहा था। दरअसल निर्भय ने उसे हमेशा एक गुड़िया की तरह पाला था, कभी एक दुख का एहसास उसे नहीं होने दिया, तो उसे नहीं पता था कि बाहर की दुनिया कैसी थी। 

तभी एकदम से वहां कई सारे गार्ड्स आ गए, वो पूरा गार्डन ही गार्ड से भर गया। तभी उन्होंने वहां मौजूद सभी लोगों पर बंदूके तान दी। निर्भय पर चार गार्ड्स बंदूके ताने खड़े थे और अध्याय सामने खड़ा उसे तिरछा मुस्कुराते हुए देख रहा था।

ये सब देख निर्भय गुस्से में चिल्लाया "मेरे गार्ड्स कहां है?"

ये सुनकर अध्याय तिरछा मुस्कुराते हुए बोला "तेरे सारे आदमी मर चुके हैं और जिन्हें मैंने ही मरवाया है तो अब यहां तेरा एक भी आदमी नहीं बचा। अब तू कुछ नहीं कर सकता, तूने मुझसे बदला लेने के लिए इतना बड़ा ड्रामा किया वो भी किसी औरत का सहारा लेकर पीठ पीछे? लेकिन मैं तेरी नजरों के सामने ही तेरी ही बहन से शादी करूंगा, और तेरी बहन की जिंदगी बर्बाद होने का जिम्मेदार भी तू ही होगा।" 

"तू ऐसा कुछ नहीं करेगा।" निर्भय गुस्से में चिल्लाया। उसे चारों तरफ से गार्ड्स ने उसे पकड़ रखा था। 

उसे ऐसे तड़पते देख अध्याय के चेहरे पर शैतानी मुस्कुराहट आ गई। तभी अध्याय चलते हुए मिष्टी के पास आया और उसने जबरदस्ती मिष्टी का हाथ पकड़ लिया। उसे जबरदस्ती अपना हाथ पकड़ते देख मिष्टी चिल्लाते हुए बोली "छोड़ो मेरा हाथ, मैं भैया से कहूंगी।" कह कर उसने निर्भय से कहा "भैया ये मेरे साथ जबरदस्ती कर रहे हैं Please मेरा हाथ छुड़ा लो।"

" मिष्टी बच्चा तुझे परेशान होने की जरूरत नहीं है, ये तेरा कुछ भी नहीं कर पाएगा, मैं हूं ना।" निर्भय ने उसे समझाते हुए कहा।

मिष्टी सच में बहुत मासूम थी और उसकी मासूम होने की वजह था निर्भय।

इधर निर्भय कह ही रहा था कि तभी अध्याय ने मिष्टी का हाथ पकड़ कर उसे जबर्दस्ती अपने साथ मंडप में बिठाया और पंडित से बोला "चल मंत्र पढ़।"

ये सुनकर पंडित ने डरते हुए अपने पीछे देखा जहां गार्ड ने उसके सर पर बंदूक तान रखी थी। डरते हुए पंडित ने अपना सर हां में हिलाया और वो मंत्र पढ़ने लगा। इधर मिष्टी लगातार रोते हुए उससे अपने हाथ छुड़ा रही थी और ये सब देखकर निर्भय का खून खौल रहा था। मिष्टी उसकी जान थी और आज उसके साथ ऐसा होते देख उसे खुद के दिल में दर्द होता हुआ महसूस हो रहा था। 

"देख अध्याय तेरी लड़ाई मुझसे है, मेरी बहन को छोड़ दे। वो सच में बहुत मासूम है।" निर्भय ने गुस्से से चिल्लाते हुए कहा। 

उसके चीखने से भी अध्याय को कोई फर्क नहीं पड़ा, वो बस मिष्टी के साथ फेरे लिए जा रहा था, लेकिन तभी मिष्टी ने उसके हाथ में गुस्से में काट लिया जिससे अध्याय की पकड़ उस पर ढ़ीली हो गई। और वह उससे दूर भगाने लगी। ये देखकर अध्याय ने गुस्से में घूरते हुए एकदम से उसकी कमर में हाथ डाला और उसे अपनी गोद में उठा लिया। 

अध्याय को अपने साथ जबरदस्ती करता देख मिष्टी रोते हुए चिल्लाई "Please मुझे छोड़ दीजिए, मुझे आपसे शादी नहीं करनी।"

"मुझे भी तुमसे शादी करना का कोई शौक नहीं है, लेकिन ये सजा है तुम्हारे भाई की, जो कि अब तुम्हें मिलेगी और तुम्हारा कसूर है कि तुम उस निर्भय वशिष्ठ की बहन हो।"

अध्याय ने उसे घूरते हुए कहा और उसे अपनी गोद में उठा जबरदस्ती फेरे लेने लगा। मंडप का सीन बेहद रोमांटिक था, लेकिन इसे रोमांटिक नहीं कह सकते थे क्योंकि मिष्टी बार-बार अध्याय के सीने पर मारते हुए चिल्ला रही थी, लेकिन अध्याय को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। कुछ देर मे फेरे हो गये और अध्याय ने वहां रखा सिंदूर उठाकर मिस्टी की मांग में भर दिया। मंगलसूत्र था नहीं, ये देख अध्याय ने पंडित को घूरा तो पंडित ने अपने पास से एक धागा निकाल कर उसे दिया और बोले "ये धागा भी मंगलसूत्र के समान है, आप कन्या को पहना दीजिए।"

ये सुनकर अध्याय ने उनसे धागा ले लिया और सीधा मिष्टी के गले में बांध दिया। ये होते ही मिष्टी जो अभी तक चीख-चीख कर रो रही थी वो एकदम से शांत हो गई। 

वहीं निर्भय अपनी आंखों के सामने अपनी बहन की जिंदगी अपनी गलती की वजह से बर्बाद होते देख खुद को टूटा हुआ महसूस कर रहा था। उसे इस वक्त अध्याय की जान लेने का मन कर रहा था। तभी अध्याय मंडप से उठा लेकिन मिष्टी अभी भी बेजान सी बैठी थी। ये देखकर अध्याय एक बार झुका और उसने जबर्दस्ती मिष्टी को अपनी गोद में उठा लिया।

वह चलकर निर्भय के सामने आया और तिरछी मुस्कान के साथ बोला "मिस्टर निर्भय वशिष्ठ मेरे साथ गेम खेलने चले थे, यानी की अध्याय सूर्यवंशी के साथ, लेकिन भूल गए थे इस खेल में मैं तुम्हारा बाप हूं, तुमने मेरे साथ खेल खेला और उस खेल की सजा मैंने तुम्हारी बहन को दी, तुम्हें लगता है मैंने इससे प्यार करने के लिए शादी की है? तो तुम गलत हो.. तुम्हारी गलती की सजा अब तुम्हारी ये मासूम सी बहन भुगतेगी।"

ये कहकर अध्याय मिष्टी को अपनी गोद में लेकर वहां से जाने लगा। ये देखकर निर्भय छटपटाते हुए खुद को छुड़ाने की कोशिश करने लगा। 

तभी अध्याय एकदम से रुका और बिना पीछे पलटे बोला "अब मैं तो जा ही रहा हूं लेकिन मेरे साले साहब को छोड़ देना, बेचारे कुछ ज्यादा ही तड़प रहे हैं, और सुहागरात तो उनकी भी है आज, तो उन्हें भी मनानी है और मुझे भी तो मनानी है अपनी इस छोटी सी बीवी के साथ में।"

कहकर अध्याय वहां से निकल गया। उसकी बात सुनकर निर्भय का खून खौल गया, वो गुस्से में चिल्लाया "अध्याय सूर्यवंशी तुझे तो मैं जिंदा नहीं छोडूंगा।"

लेकिन अब तक अध्याय वहां से जा चुका था, उसके जाते ही उसके गार्ड ने निर्भय को छोड़ दिया, और वहां से चले गए। उनके छोड़ते ही निर्भय जमीन पर गिर गया। इस वक्त उसे खुद पर बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था क्योंकि मिस्टी के साथ जो कुछ भी हुआ उसका जिम्मेदार वो था।

क्या अध्याय सच में लेगा मासूम सी मिष्टी से बदला?

कहानी कैसी लगी बताना कमेंट में।