अर्जुन की जिंदगी अब पूरी तरह से बदल चुकी थी। किताब से मिली शक्तियों का प्रभाव उसकी जिंदगी पर साफ तौर पर दिखाई दे रहा था। उसने अपने बिजनेस को बढ़ाया था, लोग उसे असरदार मानते थे, और वह अब हर दिन नई ऊँचाइयों को छू रहा था। लेकिन इस सफलता के साथ-साथ, उसके अंदर कुछ अजीब सा महसूस होने लगा था। जैसे कुछ ग़लत होने वाला हो, जैसे वह किसी अज्ञात खतरे के करीब आ रहा हो।
एक रात, जब अर्जुन अपने घर पर अकेला था, अचानक एक पार्सल उसके दरवाजे पर आकर गिरा। पैकेट पर किसी भी प्रकार का नाम या पता नहीं था। अर्जुन ने इसे उत्सुकता से खोला। अंदर सिर्फ एक कागज़ था, जिस पर बड़े अजीब से शब्द लिखे थे:
"तुमने जो किताब पढ़ी है, वह तुम्हारी नहीं है। इसे वापस कर दो, वरना तुम्हारी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी।"
अर्जुन ने पहले तो इसे एक मजाक समझा। वह जानता था कि उसे अब इतनी शक्ति मिल चुकी थी कि उसे किसी भी प्रकार के डर से डरने की जरूरत नहीं थी। उसने कागज को पढ़कर फेंक दिया और अपने काम में व्यस्त हो गया। लेकिन कुछ घंटों बाद ही उसे महसूस होने लगा कि कुछ अजीब हो रहा है।
सभी चीजें पहले जैसी नहीं थीं। अगले कुछ दिनों में अर्जुन के आसपास अजीब घटनाएँ होने लगीं। उसके बिजनेस पार्टनर, जो पहले उसकी सफलता के लिए उसे सराहते थे, अब अचानक उसकी योजनाओं का विरोध करने लगे थे। वह आश्चर्यचकित था, क्योंकि उसने कभी नहीं सोचा था कि उसके दोस्त और सहयोगी उसे इस तरह से धोखा देंगे। एक दिन, अर्जुन ने अपना बैंक अकाउंट चेक किया, और वह हैरान रह गया – उसका अकाउंट हैक हो चुका था। सारा पैसा गायब था। उसका गुस्सा बढ़ गया, लेकिन वह इसे सिर्फ एक दुर्घटना मानकर नजरअंदाज करने की कोशिश करने लगा।
फिर, अर्जुन को अपने दोस्तों के बारे में अजीब और डरावनी खबरें मिलनी लगीं। एक के बाद एक, उसके करीबी दोस्त रहस्यमय परिस्थितियों में मारे गए थे। उनके मौतों के मामले थे, जो किसी भी तरह से सामान्य नहीं लग रहे थे। अर्जुन को महसूस होने लगा कि यह सब कुछ आपस में जुड़ा हुआ है, और यह कोई साधारण घटना नहीं थी। वह जानता था कि कोई छिपा हुआ खतरा उसे घेरे हुए था।
एक रात, अर्जुन ने सोचा कि उसे "The Mind Trap" किताब के पन्नों को फिर से पलटना चाहिए, शायद वहां कुछ ऐसा हो जो उसे जवाब दे सके। वह किताब को लेकर बैठा और उसके पिछले पन्ने पलटे। जैसे ही उसने आखिरी पन्ने को पढ़ा, उसके हाथों में कंपकंपी सी दौड़ गई।
किताब में लिखा था:
"अगर इस किताब का गलत इस्तेमाल हुआ, तो यह खुद ही तुम्हें खत्म कर देगी।"
यह पढ़ते ही अर्जुन के शरीर में एक अजीब सी सिहरन दौड़ गई। वह समझ गया कि यह केवल एक किताब नहीं थी, बल्कि एक खतरनाक चीज़ थी, जो अब उसके जीवन को पूरी तरह से उलटने के कगार पर थी। अर्जुन ने सोचा, "क्या यह सब इस किताब के कारण हो रहा है?" उसका मन बहुत उलझन में था।
अब उसके पास दो ही रास्ते थे – या तो वह इस किताब को नष्ट कर दे और अपनी पुरानी जिंदगी में वापस चला जाए, या फिर वह इस शक्ति का पूरी तरह से इस्तेमाल करे और इस गुप्त संगठन को मात दे, जो उसकी जिंदगी को बर्बाद करने पर तुला था। अर्जुन की आँखों के सामने दोनों विकल्प थे, लेकिन उसका दिल किसी एक को चुनने के लिए तैयार नहीं था।
वह सोचने लगा, "अगर मैं किताब को नष्ट कर दूँ, तो क्या मेरी शक्ति खत्म हो जाएगी? क्या मैं फिर से उसी असफल अर्जुन में बदल जाऊँगा, जो पहले था?" दूसरी ओर, अगर वह किताब की शक्ति का गलत इस्तेमाल करता, तो क्या वह पूरी तरह से उस गुप्त संगठन को हराने में सक्षम होगा, या फिर उसका जीवन और भी बदतर हो जाएगा?
अर्जुन के दिमाग में सवालों की झड़ी लग गई थी। वह जानता था कि अब वह उस मोड़ पर खड़ा था जहाँ उसे एक बड़ा निर्णय लेना था। यह फैसला उसकी जिंदगी की दिशा तय करेगा, और शायद इसके बाद कुछ भी वैसा नहीं रहेगा जैसा पहले था।
क्या अर्जुन अपने भीतर के भय और खतरे का सामना कर पाएगा? क्या वह इस शक्ति का इस्तेमाल करके खुद को बचा पाएगा, या फिर वह अपने किए हुए गलत फैसलों के कारण सब कुछ खो देगा?
यह सवाल अब उसकी जिंदगी के सबसे बड़े खतरे का रूप ले चुका था। अर्जुन के लिए यह समय था कि वह अपनी अगली चाल तय करे, क्योंकि इस किताब के साथ अब हर कदम एक खतरनाक यात्रा की ओर बढ़ रहा था।