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साया-ए-इश्क अँधेरो में छुपा एक राज़

Kaif_8559
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Synopsis
यह कहानी एक ऐसे शख्स की है, जो अपने गहरे जख्म और अकेलेपन के साए में जी रहा है। पांच साल पहले हुए एक हादसे ने उसकी जिंदगी को बर्बाद कर दिया। वह अब अपनी पहचान छुपाकर एक साधारण जिंदगी जी रहा है, लेकिन उसका अतीत उसे कभी नहीं छोड़ता। उसके इर्द-गिर्द के लोग उसकी खामोशी और दर्द को समझ नहीं पाते। वह हवाओं से बातें करता है, अन्ना नाम की एक लड़की की यादों में डूबा रहता है, और एक ऊंची इमारत को देखता है, जो उसके अतीत का गवाह है। लेकिन जब उसका सामना अपने पुराने दोस्तों और दुश्मनों से होता है, तो उसके अतीत के गहरे राज धीरे-धीरे उजागर होने लगते हैं। क्या हुआ था पांच साल पहले? अन्ना कौन है? और क्या वह अपने अतीत के साए से निकल पाएगा? "साया-ए-इश्क़ " एक रहस्यमयी और भावनात्मक सफर है, जो दर्द, पछतावे और उम्मीदों की कहानी कहती है।
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Chapter 1 - Chapter:1साया-ए-इश्क अँधेरो में छुपा एक राज़

Episode:1 अँधेरे में खोयी हकीकत

क़िस्सा एक पुरसुकून मगर गमगीन रात से शुरू होता है।

आसमान सियाह बादलों से ढका हुआ है। हल्की-हल्की बारिश की बूंदें फिज़ा में नर्मी घोल रही हैं। रात का वक़्त, जिसमें पूरे शहर की रौशनी ऐसे झिलमिला रही है जैसे कोई नूर की नदी बह रही हो। हवा में अजीब सी सर्दी है, जो दिलों में एक नामालूम सा ख़ौफ़ पैदा करती है।

एक लड़का, एक ऊँची इमारत की छत के किनारे खड़ा है। उसकी आँखे थकी हुई और उदास हैं। सिगरेट का धुआँ उसकी उँगलियों से फिसलकर हवा में बिखर रहा है। लेकिन उसके चेहरे पर कोई हरकत नहीं, जैसे उसने हर जज़्बा कहीं खो दिया हो।

उसकी आँखों में एक ही वाक़िया बार-बार घूम रहा है। उसकी ज़िंदगी में क्या कुछ नहीं गुज़रा? और फिर, सबकुछ बिखर गया। अब वो बस खड़ा है, इस कगार पर, जहाँ से ज़िंदगी का एक और लम्हा या तो नफ़रत में डूबा होगा, या आज़ादी में।

[मंज़र बदलता है]

वो सामने देखता है। बारिश की बूंदें उसके बालों और कपड़ों को भिगो रही हैं। तभी उसकी नजर पड़ती है।

सामने एक लड़की खड़ी है।

लड़की नहीं, शायद कोई फ़रिश्ता।

उसकी सफ़ेद पोशाक बारिश में भीगकर भी चमक रही है। उसके लंबे बाल हवा के साथ झूम रहे हैं, जैसे चाँदी की लहरें आसमान से उतरी हों। उसकी आँखें... जैसे किसी ने रात की स्याही और सितारों की चमक को मिला दिया हो। और होंठ? वो गुलाब की पंखुड़ियों जैसे, लेकिन मुस्कान में कुछ ऐसा था जो दिल की गहराई तक चुभता है।

लड़का सिगरेट का एक आख़िरी कश लेता है।

लड़का (धीरे से, जैसे खुद से बात कर रहा हो):

"तुम फिर आ गई? हर बार की तरह... तुम सिर्फ मेरे ज़हन की उपज हो। कोई हक़ीक़त नहीं।"

लड़की उसके करीब आती है। उसकी हरकतें ऐसी हैं जैसे फिज़ा खुद उसे राह दे रही हो। वो अपने दोनों हाथ फैलाती है। उसकी आवाज़ बारिश की बूंदों से भी ज़्यादा नरम और दिलकश है।

लड़की (मुस्कुराकर, लेकिन आँखों में दर्द):

"अब और तकलीफ़ मत सहो। अब इन ग़मों से आज़ादी का वक़्त आ गया है। आओ... मेरे पास। चलो, इस ज़ालिम दुनिया से दूर किसी ऐसी जगह जहाँ सिर्फ सुकून हो।"

लड़का उसकी तरफ देखता है। उसकी आँखों से आँसू बहने लगते हैं। लेकिन वो आँसू बेबस हैं, जो बरसों से दिल में दफ्न दर्द को बहा नहीं पाए।

लड़का (आँखें झुका कर):

"काश... ये सब सच होता। काश, तुम वाक़ई होती। काश... वो दिन कभी आया ही न होता।"

लड़की की मुस्कान गहरी हो जाती है, और वो अपने हाथों से उसे बुलाती है। लड़के का हाथ सिगरेट से फिसलता है। वो गहरी सांस लेता है।

लड़का (खुद से):

"अब और बर्दाश्त नहीं होता। शायद... अब यही आख़िरी रास्ता है।"

वो एक क़दम आगे बढ़ता है। बारिश तेज़ हो जाती है। उसके चेहरे पर पानी और आँसुओं की धारें मिल जाती हैं।

और फिर... वो कूद जाता है।

[अंतिम मंज़र]

जैसे ही वो गिरता है, चारों तरफ तारीकी छा जाती है। बारिश की तेज़ आवाज़ हर तरफ गूँजती है। शहर अब भी उतना ही चमकदार है, जैसे कुछ हुआ ही नहीं।

[तजज़िया]

यह एपिसोड पाठकों के दिलों में कई सवाल छोड़ जाता है:

यह लड़का कौन था?

उसके साथ ऐसा क्या हुआ जिसने उसे इस हद तक तोड़ दिया?

वो लड़की कौन थी? क्या वो हक़ीक़त में थी या सिर्फ उसका वहम?

आखिर उसने छलांग क्यों लगाई?

इस कहानी का ये पहला एपिसोड दर्द, रहस्य और गहराई से भरपूर है। अगले एपिसोड्स में यह राज़ धीरे-धीरे खुलेंगे और पाठक इस सफ़र में और गहराई तक उतरेंगे।

Episode 1 ख़त्म

कहानी जारी रहेगी।

Episode:2 तन्हाइयों का आइना

मंज़र: तन्हा कमरा

रात का सन्नाटा हर तरफ फैला हुआ है। एक लड़का अपने छोटे से कमरे में, बिस्तर पर बैठा हुआ है। कमरे की हालत बेहद खराब है-फर्श पर बिखरी चीज़ें, धूल से भरी दीवारें, और एक कोने में खाली बोतलों का ढेर। कमरे की खामोशी में सिर्फ एक आवाज़ गूंज रही है-सिगरेट के जलने और उसके धुएं की।

लड़का सिगरेट का लंबा कश लेता है, और अपने पास रखी एक पुरानी डायरी को उठाता है। उस डायरी के पन्नों को पलटते हुए उसकी उंगलियां कांप रही हैं, जैसे हर पन्ना उसकी जिंदगी के एक दर्दनाक हिस्से को ज़िंदा कर रहा हो।

जैसे ही वो कुछ पन्ने पढ़ता है, उसकी आंखों से आंसुओं का सैलाब बहने लगता है। उसके चेहरे पर गम और उदासी साफ झलक रही है। वो गहरे दर्द में डूबा हुआ है, लेकिन उसका रोना खामोश है-एक ऐसी खामोशी, जो चीखों से भी ज्यादा असरदार है।

धुएं के पर्दे में उसकी जिंदगी की तन्हाई और गहरी हो जाती है। तभी, उसके सामने एक लड़की आकर खड़ी होती है-खूबसूरती की मिसाल।

लड़की:

"मैक्स..."

लड़का, जो अब तक अपने आंसुओं में डूबा था, अचानक से अपने सिर को उठाता है। उसकी नज़र उस लड़की पर पड़ती है। उसके लंबे, रेशमी बाल चांदी की तरह चमक रहे हैं। उसकी बड़ी-बड़ी काली आंखें जैसे उसकी रूह तक पहुंच रही हैं। उसके होंठ गुलाब की पंखुड़ियों की तरह नर्म और खूबसूरत हैं।

लड़का उस लड़की को पहचानता है।

लड़का (धीरे से):

"अन्ना..."

यही वही लड़की है, जो हमेशा उसके ख्यालों में आती है। उसकी मौजूदगी एक साए की तरह मैक्स की जिंदगी में है, लेकिन उसकी हकीकत हमेशा एक सवाल बनी रहती है।

मैक्स अपने कांपते हुए हाथ को आगे बढ़ाता है, उसे छूने की कोशिश करता है।

लेकिन जैसे ही वो उसे छूने की कोशिश करता है, उसका हाथ अन्ना के आर-पार निकल जाता है। अन्ना का वजूद जैसे एक परछाई की तरह है, पारदर्शी और अधूरी।

मैक्स (तोड़ कर):

"क्यों, अन्ना? क्यों मैं तुम्हें कभी छू नहीं पाता? आखिर क्यों?"

अन्ना मुस्कुराती है, लेकिन उसकी मुस्कान में एक अजीब सा सुकून और दर्द छिपा हुआ है। वो अपने हाथ मैक्स के गालों पर रखती है।

लेकिन मैक्स को कुछ महसूस नहीं होता। अन्ना के हाथ उसके चेहरे के करीब होते हैं, लेकिन वो किसी हवा की तरह शून्य हैं।

अन्ना (नर्मी से):

"मैं जानती हूं, मैक्स। तुम मुझे अपनी बाहों में लेना चाहते हो, अपना बनाना चाहते हो। लेकिन ये मुमकिन नहीं है। फिर भी, तुम निराश मत हो। मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं। जब तक सब ठीक नहीं हो जाता, मैं तुम्हारे पास ही रहूंगी।"

मैक्स के आंसू फिर से बहने लगते हैं। वो बिस्तर पर गिर जाता है और अपने दिल का सारा दर्द अपने आंसुओं में बहा देता है।

अन्ना, उसके पास बैठी हुई, अपने नर्म हाथों से उसके सर को सहलाने लगती है।

अन्ना (दिलासा देते हुए):

"सब ठीक हो जाएगा, मैक्स। बस, थोड़ा और सब्र करो।"

धीरे-धीरे मैक्स की सिसकियां कम होती हैं, और उसकी आंखें बंद होने लगती हैं। वो गहरी नींद में चला जाता है।

अन्ना वहीं बैठी रहती है, एक साए की तरह, उसके दर्द का साथी बनकर।

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Analysis:

यह एपिसोड, "तन्हाईयों का आईना," मैक्स के गहरे दर्द और अन्ना की रहस्यमयी मौजूदगी को बखूबी बयान करता है। यह दर्शाता है कि मैक्स के दिल में छुपा हुआ दर्द कितना गहरा है और अन्ना का वजूद उसकी जिंदगी में एक अनसुलझी पहेली है।

Episode:2 End

Episode:3 बीते लम्हों का साया

मंज़र: बाज़ार की हलचल

दिन का उजाला चारों तरफ फैला हुआ है। एक भीड़भाड़ वाले बाज़ार में रौनक और हलचल छाई हुई है। दुकानों पर ग्राहकों की गहमा-गहमी, खरीदारों का शोर, और ठेले वालों की सदा इस बाजार की सरगर्मी को बयान कर रही हैं। हर तरफ ज़िंदगी अपने रफ़्तार में चल रही है।

इसी भीड़ में एक जोड़ा नजर आता है। लड़की के चेहरे पर मुस्कान है, उसकी आंखों में चमक। आज उसका यौमे-पैदाइश (जन्मदिन) है, और वह इस दिन का पूरा लुत्फ उठाना चाहती है।

जीन (मुस्कुराते हुए):

"केविन, आज मेरा यौमे-पैदाइश है। मुझे और खरीदारी करनी है। देखो न, यह पोशाक कितनी प्यारी लग रही है!"

केविन (थोड़ा चिढ़ते हुए):

"जीन, बस करो। और कितनी खरीदारी करोगी? इतनी तो कर ही चुकी हो।"

जीन उसकी बात को नजरअंदाज़ करते हुए एक और दुकान की तरफ बढ़ जाती है। पर तभी, उसकी नजर अचानक एक आदमी पर पड़ती है। वह आदमी सिगरेट के खोखे के पास खड़ा है। उसके चेहरे पर गहरी थकावट और अंदोह (उदासी) है, जो उसकी ज़िंदगी के संघर्षों को बयान कर रही है।

जीन उसे ध्यान से देखती है और अचानक रुक जाती है।

जीन (अपने आप से):

"यह आदमी... मुझे कहीं देखा हुआ लगता है। लेकिन कहां?"

वह कुछ पलों तक सोच में डूबी रहती है। अचानक उसे याद आता है।

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फ्लैशबैक: तीन साल पहले, केविन का कमरा

जीन और केविन का रिश्ता नया था। एक दिन, जीन पहली बार केविन के कमरे में आई थी। कमरे की दीवार पर टंगी एक तस्वीर ने उसका ध्यान खींचा। तस्वीर में केविन के साथ एक और लड़का था।

जीन (तस्वीर की तरफ इशारा करते हुए):

"केविन, यह तस्वीर में तुम्हारे साथ कौन है?"

केविन (हल्की मुस्कान के साथ):

"यह मैक्स है। मेरा सबसे अच्छा दोस्त। बचपन से लेकर स्कूल तक, हम हमेशा साथ रहे हैं। वह मेरे लिए भाई जैसा है।"

जीन (मुस्कुराते हुए):

"तुम्हारी बातें सुनकर लगता है कि वह तुम्हारे लिए बहुत खास है। तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया?"

केविन (थोड़ी उदासी के साथ):

"क्योंकि अब सब कुछ बदल चुका है। वह अब वैसा नहीं रहा।"

जीन (हैरानी से):

"ऐसा क्यों? क्या हुआ था?"

केविन (गहरी सांस लेते हुए):

"यह बहुत लंबी दास्तान है। और इसे बयान करना मेरे लिए आसान नहीं है।"

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फ्लैशबैक खत्म होता है।

जीन को वह तस्वीर और बातचीत याद आ जाती है। वह तुरंत केविन की तरफ पलटती है और उसका शर्ट पकड़ती है।

जीन (उत्सुकता से):

"केविन! यह वही है, है ना? यह मैक्स है। तुमने मुझे उसके बारे में बताया था।"

केविन, जो अब तक सामान्य था, अचानक गंभीर हो जाता है। उसकी आंखें मैक्स की तरफ टिक जाती हैं। उसके चेहरे पर गहरी उदासी और माजी (अतीत) की यादें साफ झलकती हैं।

केविन (धीरे से):

"हां, यह मैक्स है। लेकिन अब वह पहले जैसा नहीं रहा।"

जीन के चेहरे पर परेशानी और बेचैनी साफ झलकती है।

जीन:

"हमें उसके पास जाना चाहिए। शायद उसे हमारी मदद की जरूरत हो।"

केविन (दर्द भरी आवाज़ में):

"नहीं, जीन। हम उसके पास नहीं जा सकते। कुछ ऐसी वजहें हैं, जिनकी वजह से मैं उससे नहीं मिल सकता। वह अब वह मैक्स नहीं है जो पहले हुआ करता था।"

जीन इस जवाब से संतुष्ट नहीं होती।

जीन (गुस्से में):

"यह कैसी वजहें हैं? आखिर उसके साथ हुआ क्या था?"

केविन, जो अब तक चुप था, अचानक अपने ख्यालों में खो जाता है।

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फ्लैशबैक: पांच साल पहले, हादसे के बाद की रात

हादसे के कुछ दिन बाद, केविन अपने पिता के पास बैठा था। कमरे में अजीब सा सन्नाटा था।

केविन के पिता (गंभीर लहजे में):

"केविन, अब तुम्हें मैक्स से हमेशा के लिए दूर रहना होगा। अगर तुम अपनी और अपनी खानदान की भलाई चाहते हो, तो उससे कभी नहीं मिलना।"

केविन (हैरानी से):

"यह आप क्या कह रहे हैं? मैक्स मेरा सबसे अच्छा दोस्त है। मैं उसे ऐसे कैसे छोड़ सकता हूं?"

केविन के पिता (थोड़े गुस्से में):

"तुम नहीं समझ रहे हो। जो कुछ हुआ है, उसके बाद चीजें कभी पहले जैसी नहीं हो सकतीं। उससे जुड़े रहना तुम्हारे लिए और भी खतरनाक हो सकता है।"

केविन (गुस्से में):

"आप मुझे यह सब क्यों कह रहे हैं? उसके पिता आपके सबसे अच्छे दोस्त थे। आप उन्हें कैसे भूल सकते हैं?"

केविन के पिता (थोड़ी नरमी से):

"यह मेरी और मैक्स के पिता की बात नहीं है। यह तुम्हारी और तुम्हारे मुस्तकबिल की बात है। कुछ बातें ऐसी होती हैं, जिन्हें वक्त के साथ ही समझा जा सकता है।"

उस दिन केविन और उसके पिता के बीच लंबी बहस हुई। लेकिन आखिरकार, केविन को अपने पिता की बात माननी पड़ी।

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फ्लैशबैक खत्म होता है।

वर्तमान में, केविन की आंखों में आंसू झलकते हैं।

केविन (अपने आप से):

"काश, उस दिन मैंने उन्हें रोक लिया होता। शायद यह हादसा नहीं होता। लेकिन अब, मैं उसका सामना करने की हिम्मत नहीं रखता।"

जीन उसकी खामोशी से और अधिक परेशान हो जाती है।

जीन (गुस्से में):

"केविन, आज मेरा यौमे-पैदाइश है। लेकिन तुमने इसे बर्बाद कर दिया। मुझे सिर्फ यह जानना है कि आखिर मैक्स के साथ क्या हुआ था।"

केविन गहरी सांस लेता है और शांत लहजे में जवाब देता है।

केविन (धीरे से):

"ठीक है, जीन। अगर तुम सच में जानना चाहती हो, तो मैं तुम्हें सब कुछ बताऊंगा। लेकिन यह दास्तान आसान नहीं है।"

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Analysis:

यह हिस्सा जीन, केविन, और मैक्स के रिश्तों और मैक्स के रहस्यमयी अतीत को एक नया आयाम देता है।

जीन का मैक्स को पहचानना: पुरानी तस्वीर और फ्लैशबैक के जरिए कहानी में suspense को गहराई मिलती है।

केविन का दर्द: फ्लैशबैक में पता चलता है कि पांच साल पहले हुए एक हादसे ने मैक्स की जिंदगी बर्बाद कर दी और केविन को उससे दूर कर दिया।

सवाल और जवाब का टकराव: जीन के सवालों और केविन की चुप्पी ने मैक्स के अतीत को लेकर जिज्ञासा को और बढ़ा दिया है।

पाठकों के मन में सवाल:

पांच साल पहले क्या हुआ था?

केविन के पिता ने मैक्स से दूर रहने को क्यों कहा?

क्या केविन जीन को सब कुछ बताएगा?

Suspense:

कहानी का यह भाग भावनात्मक और रहस्यमय है, जो पाठकों को आगे की दास्तान जानने के लिए मजबूर करता है।

कहानी आगे जारी रहेगी...

Episode:3 End

Episode:4 राज़ का साया

मंज़र: मैक्स का कमरा

सुबह का वक्त है। कमरे की खिड़की से हल्की धूप अंदर दाखिल हो रही है। कमरे में एक अजीब खामोशी पसरी हुई है। हर चीज़ बिखरी हुई, अधजली सिगरेटें और कोने में रखी एक पुरानी डायरी। ऐसा लगता है कि ये कमरा अपने मालिक की तन्हाई और उसकी बिखरी हुई ज़िंदगी की कहानी बयां कर रहा है।

मैक्स अपने बिस्तर पर गहरी नींद में है। धूप की नर्म किरणें उसके चेहरे पर पड़ती हैं, और वह धीरे-धीरे जागता है।

मैक्स उठकर कमरे में इधर-उधर नज़र दौड़ाता है और महसूस करता है कि वह कमरे में अकेला है।

मैक्स (धीमे लहजे में, खुद से):

"अन्ना फिर चली गई। जैसे हर बार जाती है।"

उसकी आवाज़ में न कोई हैरत है और न ही कोई उम्मीद। वह बाथरूम की तरफ बढ़ता है।

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मंज़र: बाथरूम

मैक्स नहाने के लिए पानी चालू करता है। ठंडा पानी उसकी त्वचा पर गिरता है। वह अपने ख्यालों में गुम हो जाता है।

मैक्स (मन ही मन):

"फिर वही दिन। वही सुबह। सब कुछ वैसा ही। हर दिन एक जैसा महसूस होता है।"

उसकी आंखों में गहरे दर्द और पछतावे की परछाईं साफ झलक रही है।

मैक्स (दर्द भरे ख्यालों में):

"आप लोग मुझे क्यों छोड़कर चले गए? मैं यहां बिल्कुल अकेला रह गया हूं। मेरा इस दुनिया में कोई नहीं है। शायद यह मेरी ही खता थी। काश, मैंने उस दिन आपको जाने से रोका होता। शायद सब कुछ अलग होता। शायद आप सब अभी भी मेरे साथ होते।"

पानी के साथ-साथ उसके आंसू भी बहते हैं। हर बूंद में उसकी तन्हाई और पछतावा घुल रहा होता है।

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मंज़र: सड़क पर

मैक्स नहाने के बाद कपड़े बदलकर अपने कमरे से बाहर निकलता है। वह सड़क पर अकेला चल रहा है। चारों तरफ लोगों की भीड़ है, हर तरफ हलचल है।

लेकिन उस भीड़ में भी वह खुद को बिल्कुल तन्हा महसूस करता है।

मैक्स (अपने आप से):

"इतने सारे लोग... फिर भी, मैं इस दुनिया में बिल्कुल अकेला हूं।"

वह चलते-चलते अचानक रुकता है। उसकी नजर एक ऊंची इमारत पर टिक जाती है। इमारत के सबसे ऊपरी हिस्से पर "विलियम्स कॉर्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड" लिखा हुआ है।

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मंज़र: इमारत से मैक्स का रिश्ता

मैक्स उस इमारत को गहरी निगाहों से देखता है। उसकी आंखों में एक अजीब सी बेचैनी और गम झलकता है।

मैक्स (धीमे लहजे में, खुद से):

"यह इमारत... इसे भूलना क्यों इतना मुश्किल है?"

वह कुछ देर तक इमारत को देखता रहता है। उसकी आंखों में पुरानी यादें तैरने लगती हैं।

मैक्स (धीमे स्वर में):

"हर बार जब इसे देखता हूं, तो ऐसा लगता है कि यह मुझसे कुछ कहना चाहती है।"

वह गहरी सांस लेता है और फिर अपने रास्ते पर आगे बढ़ जाता है।

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मंज़र: गोडाउन

मैक्स एक छोटे गोडाउन में पहुंचता है, जहां वह हर रोज़ की तरह काम करता है। वह अंदर आते ही अपने काम के कपड़े बदलता है और गले में अपना आईडी कार्ड टांगता है।

आईडी कार्ड पर लिखा नाम:

"मैक्स विलियम्स"

आईडी कार्ड से यह भी पता चलता है कि मैक्स की उम्र 25 साल है। काम शुरू करने से पहले वह कुछ पल के लिए शांत खड़ा रहता है, फिर अपने काम में लग जाता है।

गोडाउन में एक नया कर्मचारी, जो हाल ही में काम पर आया है, कई दिनों से मैक्स को गौर से देख रहा है।

नया कर्मचारी (अपने सीनियर से):

"यह आदमी मुझे बहुत अजीब लगता है। यह हमेशा चुप रहता है। कभी किसी से बात नहीं करता।"

सीनियर कर्मचारी हल्की मुस्कान के साथ उसकी बात सुनता है।

सीनियर कर्मचारी:

"मैक्स यहां करीब 4-5 साल से काम कर रहा है। लेकिन उसने कभी किसी से ज्यादा बात नहीं की। वह हमेशा अपने ख्यालों में खोया रहता है।"

नया कर्मचारी और भी सवाल करता है।

नया कर्मचारी:

"कभी-कभी मैंने देखा है, वह हवा में किसी से बातें करता है। ऐसा क्यों करता है?"

सीनियर कर्मचारी कुछ पलों के लिए सोच में डूब जाता है और फिर गंभीर लहजे में बोलता है।

सीनियर कर्मचारी:

"एक बार मैंने भी उससे पूछा था। उसने कहा था कि वह एक लड़की से बात करता है, जो सिर्फ उसे ही दिखाई देती है।"

नए कर्मचारी के चेहरे पर हैरानी और जिज्ञासा के भाव साफ झलकते हैं।

नया कर्मचारी:

"यह तो बहुत अजीब बात है। क्या आपने कभी उससे पूछा कि उसके साथ ऐसा क्यों है?"

सीनियर कर्मचारी (गहरी सांस लेते हुए):

"हमने उससे कई बार पूछने की कोशिश की, लेकिन उसने कभी अपनी ज़िंदगी के बारे में ज्यादा कुछ नहीं बताया। बस इतना कहा कि जो कुछ भी हुआ, वह उसकी जिंदगी जीने की वजह बन गया है।"

नया कर्मचारी सिर हिलाते हुए थोड़ा असमंजस में दिखता है।

नया कर्मचारी:

"वह यहां काम करता है, लेकिन उसकी आंखों में हमेशा एक अजीब सा गम नजर आता है। क्या आप जानते हैं कि उसके साथ ऐसा क्या हुआ होगा?"

सीनियर कर्मचारी (उदासी भरे स्वर में):

"हम सिर्फ अंदाजा लगा सकते हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि उसने अपनी ज़िंदगी में कुछ बहुत बड़ा खो दिया है। यही वजह है कि वह किसी से ज्यादा बात नहीं करता।"

सीनियर कर्मचारी कुछ पल के लिए खामोश हो जाता है।

सीनियर कर्मचारी:

"हम सब उसके लिए दुआ करते हैं। काश, वह जो कुछ भी झेल रहा है, उससे बाहर आ सके।"

नया कर्मचारी भी धीरे से सिर हिलाता है।

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मंज़र: गोडाउन से निकलने के बाद

काम खत्म होने के बाद, मैक्स गोडाउन से बाहर निकलता है। वह सड़क पर अकेला चल रहा है। उसकी चाल धीमी और आंखें थकी हुई हैं।

वह चलते हुए एक बार फिर उसी ऊंची इमारत को देखता है। उसकी नजर फिर से उस इमारत के सबसे ऊपरी हिस्से पर टिक जाती है।

मैक्स (धीरे-से, खुद से):

"यह इमारत मेरा अतीत है। लेकिन इसे हर बार देखना एक सजा जैसा लगता है।"

उसकी आंखों में गहरी उदासी और सवाल झलकते हैं। लेकिन वह चुपचाप अपने रास्ते पर चलता रहता है।

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Description

मैक्स की जिंदगी तन्हाई और पछतावे से घिरी हुई है। हर सुबह उसकी वही खालीपन से भरी शुरुआत होती है। गोडाउन में काम करते हुए वह अपनी असलियत और अपने गहरे दर्द को सबसे छुपा लेता है। लेकिन "विलियम्स कॉर्पोरेशन" की ऊंची इमारत उसके अतीत की एक छाया की तरह उसकी जिंदगी का पीछा करती है।

नए और पुराने कर्मचारी उसके अजीब रवैये से हैरान हैं, लेकिन मैक्स के दर्द और उसकी जिंदगी में छिपे राज उनके लिए एक पहेली बने हुए हैं।

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Analysis

यह एपिसोड मैक्स के अकेलेपन, गहरे जख्म और उसके अतीत के रहस्यों की एक झलक देता है। हर बार "विलियम्स कॉर्पोरेशन" की इमारत उसे उसकी भूली हुई जिंदगी की याद दिलाती है। लेकिन कहानी का असली सच अभी भी परदे में है।

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कहानी आगे जारी रहेगी...

Episode:4 End

Episode:5 राज़ का पर्दा

मंज़र: गोडाउन

शाम का वक्त है। गोडाउन में माहौल बेहद खामोश है। सभी मुलाज़िम अपनी तनख्वाह लेने के लिए मैनेजर के दफ्तर के बाहर अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे हैं। माहौल में एक हल्की थकावट और तनख्वाह मिलने की उम्मीद झलक रही है।

मैक्स, हमेशा की तरह, अपने काम में लगा हुआ है। वह सबसे अलग-थलग नजर आ रहा है। उसकी आंखों में वही खला और चेहरे पर वही खामोशी है। धीरे-धीरे सभी मुलाज़िम एक-एक करके मैनेजर के दफ्तर में जा रहे हैं।

मैनेजर (दरवाजे से):

"मैक्स, अंदर आओ।"

मैक्स बिना किसी जज़्बात के, नर्म कदमों से दफ्तर के अंदर दाखिल होता है।

मैनेजर (गंभीर लहजे में):

"मैक्स, तुम बहुत मेहनती हो। तुम अपना काम हमेशा दुरुस्त और वक्त पर करते हो। इसी वजह से मैंने तुम्हारी तनख्वाह बढ़ाने का फैसला किया है।"

मैक्स, जो आमतौर पर हर खबर पर चुप रहता है, इस बात पर भी कोई तासीर जाहिर नहीं करता।

मैक्स (धीमे स्वर में):

"जैसा आपको मुनासिब लगे।"

मैनेजर, जो पिछले चार साल से मैक्स को देख रहा है, उसकी हालत देखकर परेशान होता है।

मैनेजर (सहानुभूति भरे लहजे में):

"मैक्स, तुम मेरे बेटे की उम्र के हो। मैं तुम्हें चार साल से देख रहा हूं। लेकिन मैंने कभी तुम्हें मुस्कुराते नहीं देखा। आखिर ऐसा क्या हुआ है, जिसकी वजह से तुम इतने परेशां रहते हो? तुम हवा से बातें करते हो, और जब मैंने पूछा कि तुम किससे बात करते हो, तो तुमने कहा 'अन्ना'। लेकिन हमने उसे कभी नहीं देखा। आखिर यह अन्ना कौन है? और तुम इस तरह क्यों जी रहे हो?"

मैक्स खामोश रहता है। उसकी आंखें झुकी रहती हैं, और वह चुपचाप खड़ा रहता है।

मैनेजर (धीरे से):

"अगर तुम्हें किसी मदद की जरूरत है, तो मुझसे कहने में झिझक मत करो। मैं तुम्हारी मदद करने की हर मुमकिन कोशिश करूंगा।"

मैक्स बिना कोई जवाब दिए, अपनी तनख्वाह लेता है और खामोशी से दफ्तर से बाहर निकल जाता है।

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मंज़र: सड़क पर

मैक्स तनख्वाह लेकर घर लौट रहा है। सड़क पर अंधेरा और सन्नाटा छाया हुआ है। उसकी चाल धीमी और आंखों में थकावट झलक रही है।

चलते-चलते उसकी नजर फिर उसी ऊंची इमारत पर पड़ती है, जिसके सबसे ऊपर बड़े अक्षरों में लिखा है:

"विलियम्स कॉर्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड"

वह कुछ पल रुककर इमारत को देखता है। उसकी आंखों में गहरी उदासी और माजी की परछाई झलकती है।

मैक्स (धीमे से, खुद से):

"काश, मैं इसे देखना बंद कर पाता। लेकिन हर बार यह मुझे सब कुछ याद दिला देती है।"

वह गहरी सांस लेकर आगे बढ़ने लगता है।

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मंज़र: सुनसान गली

मैक्स एक सुनसान गली में चलता है। चारों तरफ सन्नाटा है। लेकिन कुछ दूरी पर एक झुंड नजर आता है। चार आदमी गली के कोने में छिपे हुए हैं।

पहला आदमी:

"बहुत दिन हो गए किसी को शिकार बनाए। आज तो कुछ करना पड़ेगा।"

दूसरा आदमी:

"मुझे अपना कर्ज चुकाना है।"

तीसरा आदमी:

"मुझे तो बस शराब के लिए पैसे चाहिए।"

उनका लीडर, जो सबसे चालाक और तेज नजर आता है, उन्हें चुप कराता है।

लीडर:

"चुप रहो। देखो, वहां एक आदमी अकेला आ रहा है।"

मैक्स अपने ख्यालों में गुम होकर धीरे-धीरे चल रहा है। उसे महसूस होता है कि कोई उसका पीछा कर रहा है। वह अचानक रुकता है और पीछे मुड़कर देखता है, लेकिन वहां कोई नहीं होता।

जैसे ही वह वापस मुड़ता है, एक जोरदार घूंसा उसके चेहरे पर पड़ता है। वह जमीन पर गिरकर बेहोश हो जाता है।

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मंज़र: अंधेरी गली में हमला

गुंडे मैक्स को उठाकर एक और सुनसान गली में ले जाते हैं। वह अभी भी बेहोश है।

उनमें से एक आदमी मैक्स की जेब से उसका बटुआ निकालता है और उसमें रखे पैसे और आईडी कार्ड को बाहर निकालता है।

आदमी (पैसे गिनते हुए):

"बॉस, आज का काम तो पूरा हो गया। अब मैं अपना कर्ज चुका सकता हूं।"

वह पैसे अपने साथियों में बांटता है। सभी खुश नजर आते हैं।

उनका लीडर, जो अब तक चुप था, सिर्फ मैक्स को घूर रहा है।

लीडर (आंखें सिकोड़कर):

"यह चेहरा... यह चेहरा कहीं देखा हुआ लगता है।"

वह जमीन पर पड़े मैक्स का आईडी कार्ड उठाता है और उस पर लिखे नाम को पढ़ता है:

"मैक्स विलियम्स"

लीडर के चेहरे पर हैरानी के भाव साफ नजर आते हैं।

लीडर (हैरान होते हुए):

"यह कैसे हो सकता है? मुझे लगा था, उस हादसे में कोई नहीं बचा। लेकिन मैं गलत था। यह लड़का तो..."

उसके साथी, जो पैसे गिनने में लगे थे, उसकी तरफ देखते हैं।

पहला साथी (उलझन में):

"बॉस, यह लड़का कौन है? आप इसे इतनी हैरानी से क्यों देख रहे हैं?"

लीडर गहरी सांस लेता है और धीमी आवाज में कहता है:

लीडर (गंभीर स्वर में):

"यह लड़का कोई मामूली शख्स नहीं है। यह विलियम्स कॉर्पोरेशन के मालिक जॉन विलियम्स