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Chapter 8 - अभिक को पड़ी डाँट &little girl

कहानी अब तक-

वहीं अभिक के जाने के बाद ऋत्विक ने अपना फोन निकाला और उसमें किसी की फोटो देखने लगा। फोटो देखते हुए ऋत्विक के फेस पर एक devil smile थी। 

" तुमने गलत किया baby. उस दिन तुम्हे वो सब नहीं करना चाहिए था। अब इसकी कीमत तो तुम्हे चुकानी ही पड़ेगी " बोल ऋत्विक उस फोटो को गौर से देखने लगा। 

तभी अभिक उपर से change कर के आया और ऋत्विक को देखते हुए- 

" चले bro. " 

ये सुन ऋत्विक उठा और दोनों भाई बाहर निकल car में बैठ सिंघानिया mansion की तरफ निकल गए। 

हाँ ऋत्विक और अभिक दोनों भाई थे। 

अब आगे-

करीब एक घंटे बाद car आकर सिंघानिया mansion के बाहर आकर रुकी। Car से दोनों भाई बाहर निकले और attitude के साथ सिंघानिया mansion के अंदर जाने लगे। 

सिंघानिया mansion देखने में किसी महल से कम नहीं था। यहाँ का interior, design सबकुछ काफी modern और luxurious था और होता भी क्यों नही आखिर सिंघानिया family पूरे मुंबई की सबसे rich और powerful family थी। 

ऋत्विक और अभिक अंदर आये तो सामने dinning table पर servants dinner arrange कर रहे थे और उनके पास ही एक औरत खड़ी जिनका नाम अंकिता था,servants को कुछ समझा रही थी। 

तभी अभिक वहाँ आया और पीछे से " Mom " कहते हुए उन्हे hug कर लिया। अंकिता जी ने जैसे ही देखा की अभिक पीछे है तो वो पीछे पलटी और अभिक के कान पकड़ मरोडते हुए- 

" इतना बड़ा हो गया है अब तु की तुझसे मिलने के लिए भी हमें wait करना पड़ेगा। Hmm. " 

"आह mom. मैं busy था बस इसलिए ही नहीं आ पाया। " अभिक न अपना कान छूडाने की कोशिश करते हुए कहा तो अंकिता जी बोली- 

" मतलब अब तु इतना busy हो गया हुए की तुझे हमारी याद भी नहीं आती। " बोलते हुए अंकिता जी emotional हो गयी। 

ऐसा नहीं है mom. मैंने आपको बहुत miss किया बस कुछ काम था जो करना बहुत जरूरी था बस इसलिए मैं नही आ पाया। Am sorry. " बोलते हुए अभिक वापस अपनी मोम को गले लगाने लगा तभी पीछे से एक भारी आवाज़ आयी। 

कहानी अब तक-

मतलब अब तु इतना busy हो गया हुए की तुझे हमारी याद भी नहीं आती। " बोलते हुए अंकिता जी emotional हो गयी। 

ऐसा नहीं है mom. मैंने आपको बहुत miss किया बस कुछ काम था जो करना बहुत जरूरी था बस इसलिए मैं नही आ पाया। Am sorry. " बोलते हुए अभिक वापस अपनी मोम को गले लगाने लगा तभी पीछे से एक भारी आवाज़ आयी। 

अब आगे-

"कोई जरूरत नहीं है अंकिता तुम्हे अपने इस साहेबजादे की बातों में आने की। " क्योंकि इसे अपने घर ,apni माँ से भी जरूरी अपना काम लगता है। " किसी की कोई फिक्र नहीं है इस लड़के को " जैसे ही ये भारी आवाज़ पूरे हॉल में गूंजी तो अभिक ने अपनी आँखे बंद कर ली। वहीं ऋत्विक के फेस पर एक smile आ गयी। वो अपना सिर हिलाते हुए मन ही मन- " 

अब तो ये गया। आज तो dad इसकी मोम से अच्छे से class लगवाने के mood में है। और कर बेटा dad का call इग्नोर। " वहीं अभिक और अंकिता जी ने पीछे पलट कर देखा तो उनसे कुछ दूरी पर करीब सूट पैंट पहने हुए अभिक के dad खड़े हुए थे जिनका नाम था- "मनीष सिंघानिया "। और उनके चेहरे पर अभिक को लेकर एक गुस्सा दिख रहा था। 

मनीष जी आगे आये और अंकिता जी को देखते हुए बोले- " पूछो अंकिता जरा अपने बेटे से की पिछले एक हफ्ते से आखिर ऐसा क्या कर रहा था ये की मेरे एक call और msg का जवाब देना भी इस लड़के ने जरूरी नहीं समझा।... फिर अभिक को घूरकर देखते हुए- 

" ऐसा कहाँ busy थे तुम, क्या कर रहे थे की तुम्हे घर आने तक की फुर्सत नहीं है। " 

मनीष जी की बात सुन अभिक इरीटेट हो गया। वो चिढ़ते हुए बोला- " अब आ तो गया ना मैं dad " और आप शायद भूल रहे है की इतना बड़ा empire संभालता हूँ मैं तो कई काम होते है मुझे। इसलिए अब आप बेवजह मोम को मेरे खिलाफ भड़काना बंद कीजिये। " बोल अभिक अपनी मोम के गले लग गया। 

अभिक की बात सुन मनीष जी गुस्से से बोले- " देख रही हो अपने इस सुपुत्र को अंकिता कैसे जवाब दे रहा है ये। ... और तुम ये अपनी माँ को अपनी चिकनी चुपड़ी बातों से बहलाना बंद करो। . .. और रही बात काम और empire संभालने की तो तुम अकेले पुरा empire नहीं संभालते हो, और भी लोग है यहाँ जो सबकुछ संभालते है।.... ऋत्विक भी तुम्हारे साथ बराबर सिंघानिया empire संभालता है लेकिन वो तो कभी कुछ ऐसा नहीं करता । 

और अगर तुम्हे काम था भी तो तुम मेरे call का atleast जवाब तो दे सकते थे, बता सकते थे की तुम अपने विला में ही रुकोगे, घर नहीं आओगे। कम से कम हम परेशान तो नही होते। " मनीष जी ने गुस्से से कहा तो अभिक ने उन्हे पहले तो अजीब expression के साथ देखा और फिर बोला- 

" तो आपको किसने कहा था dad मेरे लिए परेशान होने के लिए।मनीष जी ने उसे घूर कर देखा तभी अंकिता जी ने उसे खुद से अलग कर उसके गाल पर हाथ रखते हुए बोली- " माना की बेटा तुम अब बड़े हो चुके हो लेकिन हम माँ बाप है बेटा तुम्हारे। हमें याद आती है तुम्हारी और फिक्र भी होती है। " लेकिन तुम हो की तुम्हे अपने काम के आगे कुछ दिखाई ही नहीं देता। ऐसा भी क्या काम की तुम अपने घर, परिवार को ही भूल जाओ। क्या तुम्हे हमारी याद नहीं आती। बोलते हुए अंकिता जी का गला रूंध गया था। 

वहीं ऋत्विक जो वहीं खड़ा ये सब देख रहा था वो मन ही मन- " ये सब लोग भी ना। बेवजह इसके लिए परेशान हो रहे है। अब मोम को कौन बताये की इनके बेटे के लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है बल्कि इनका बेटा तो दूसरों को परेशानी देने के लिए बना है। " 

इधर अंकिता जी कि बात सुन अभी अभिक कुछ कहता की तभी उसके पीठ पर एक छड़ी की लगी। 

" आह " किसने मारा मुझे। किसकी इतनी हिम्मत हो गयी जो अभिक को .... कहते हुए जैसे ही वो पीछे मुडा तो एक बूढ़ी औरत जो बहुत ज्यादा बुढी भी नहीं थी, cream color की silk की साड़ी पहने, बालों का जुड़ा बनाये, हाथों में सोने के कंगन और चेहरे पर एक तेज लिए अभिक को घूर रही थी। इसी औरत के हाथ में छड़ी थी और ये सिंघानिया family मे सबसे बड़ी और अभिक की दादी थी। जिनका नाम गायत्री देवी था। अभिक ने जैसे ही पीछे पलट कर देखा की उसके सामने खड़ी उसकी दादी उसे घूर रही है तो उसके बाकी के शब्द उसके मुह में ही रह गए। 

अभिक अपनी दादी को घूरते देख मन ही मन- " लगता है दादी आज तो पूरी गायत्री देवी ही बनी हुई है। और ये ऋत्विक भी पहले नहीं बता सकता था ये सब कुछ। पर लगता है ये तो यहाँ मेरी band बजवाने के लिए ही लेकर आया है। . . . बेटा अभिक इससे पहले की दादी अपने असली अवतार में आ जाए सोच कुछ।" मन ही मन सोचता हुआ अभिक कुछ बोलने को हुआ की दादी उसे छड़ी की मारते हुए बोली -

" नालायक रुक तू । तुझे तो मैं बताती हूं । बड़ा काम वाला हो गया है। " ...तेरी हिम्मत कैसे हो मेरी बहू को रुलाने की।

मेरी बहू को रुलाएगा तू। शैतान ! बोलते हुए दादी अभिक को मारने लगी । वही अभिक अपनी दादी से बचने की कोशिश कर रहा था। वह इधर-उधर भागते हुए बोला - "

आह दादी बस भी करो यार। क्यों मार रहे हो। अब तो आ गया ना। अभिक की बात सुन दादी उसे और भी जोर से मारते हुए बोली- "

" तो कौन सा तूने एहसान कर दिया यहां आकर । नालायक तुझे इनविटेशन देना पड़ेगा । अक्ल नहीं है तुझमे कि तेरी मां और दादी तुझे याद करती होंगे उनसे जाकर मिल लो। आकर सबके साथ डिनर करो। लेकिन नहीं तुझे तो पता नहीं क्या स्वाद आता है अपने उसे बेजान विला में अकेले रहकर।

तेरी मां के आंसू नहीं दिखते तुझे ,इस बुढ़िया की याद नहीं आती तुझे। तुझे तो मैं छोडूंगी नहीं । खबरदार तुमसे जो अब से तूने msg और call का जवाब नहीं दिया तो । आइंदा तेरी वजह से अगर मेरी बहू की आंखों में आंसू आये ना तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा । " .. बोलते हुए दादी उसे मार रही थी।

वही अभीक अपनी दादी की मार से बचने के लिए इधर-उधर भाग रहा था । दादी अब तक भागते थक चुकी थी इसलिए वह और छड़ी को फेंकते हुए अभिक से मुंह फेर कर खड़ी हो गई तभी अभिक दादी के पास आया और उनके गाल खींचते हुए बोला- 

"O मेरी क्यूट दादी यू आर सो क्यूट । आपको बुढ़िया किसने कहा।आप तो सबसे जवान हो।...और गुस्से में तो आप और भी प्यारी लगती हो।

" तेरी चिकनी चुपड़ी बातों में मैं नहीं आने वाली" दादी ने मुंह फेरते हुए ही कहा। 

 तो अभिक के फेस पर smile आ गयी। उसने अपनी मोम और दादी को hug कर लिया । 

"दादी आ गया हूं ना मैं इसलिए गुस्सा थूक दो अब" ये सुन अब दादी और अंकिता जी के चेहरे पर smile आ गयी।और वो भी अभिक के गले लग गयी। फिर अंकिता जी बोली- 

"चलो आ जाओ और डिनर कर लो"। 

अंकिता जी की बात सुन अभिक ने हाँ में सिर हिलाया। वो वहाँ से जाने लगा तभी उसकी नजर ऋत्विक पर पड़ी। अभिक उसे देख तीर्छा मुश्कुराते हुए- 

" इस ऋत्विक को सब कुछ ज्यादा ही शरीफ समझते है।पर इन्हे क्या पता की इनके दोनों बेटे devil है। " बोल वो उपर चला गया। 

अभिक अपने room में आया और सोफे पर पसरकर बैठ गया। अभिक का रूम काफी luxurious था। सोफे पर बैठ उसने अपना सिर सोफे पर टीका लिया और आँखे बंद कर ली। आँखे बंद करते ही उसके दिमाग में आज इरा के साथ बिताए हुए पल घूमने लगे। और वो याद कर उसके होठों पर devil smile आ गयी। 

वो अपने होठों पर उंगली फेरते हुए- " तुम्हारे इन होठों में कुछ तो जादू है इरा जो मुझे तुम्हारे इन होठों को छूने की तलब हमारी पहली मुलाकात से ही होती है।.. 

जब से मैने तुम्हे पहली बार देखा है तभी से तुम्हारा मुझ पर न जाने क्या नशा हो गया है की मैं चाहकर भी तुम्हारे होठों का taste नहीं भूल पा रहा हूँ। " 

कहते हुए अभिक उस पल को याद करने लगा जब वो पहली बार club मे इरा से मिला था। और तभी से वो उसकी नजरों में बस चुकी थी। 

" Flashback

इरा के वहाँ से जाने के बाद अभिक ने अपने हाथ पर देखा जहाँ bite mark बना हुआ था। ये देख अभिक तीर्छा मुश्कुराय और वहाँ से निकल गया। 

उसकी car सीधे आकर उसके private विला के सामने रुकी। तभी driver बोला- 

" Sir हम आपके विला पहुँच चुके है। " वहीं अभिक जो की back seat पर अपना सिर टिका आँखे बंद कर के बैठा हुआ था, और उसके दिमाग में इस वक़्त केवल इरा चल रही थी। Driver की बात सुन वो अपने सेंस में आया और car से बाहर निकल mansion के अंदर आ गया। 

अभिक सीधा अपने रूम में आया और वॉशरूम में चला गया। थोड़ी देर बाद वो फ्रेश होकर आया और बेड पर लेट उसने आँखे बंद कर ली। तभी उसकी आँखों के सामने इरा के वो juicy lips और उसका वो प्यारा सा चेहरा घूम गया। 

अभिक अपने silky बालों में हाथ फेरता हुआ बोला- 

" O little girl. बंद करो मुझ पर कब्जा करना। तुम्हारे ये juicy lips ना चाहते हुए भी मुझे attract कर रहे है। मैं नहीं चाहता तुम्हारे बारे में सोचना लेकिन तुम फिर भी मेरे ख्यालों में आ रही हो। और इसकी तुम्हे बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। 

कहीं तुम मेरा नशा ना बन जाओ little girl वरना तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा। " बोल अभिक ने अपनी आँखे बंद कर ली और सोने की कोशिश करने लगा। लेकिन काफी कोशिश करने के बाद भी उसे नींद नहीं आयी। 

लगभग आधी रात तक वो करवट बदलता रहा क्योंकि आँख बंद करते ही उसे इरा दिखाई दे रही थी। Finally वो आधी रात को उठा और इरीटेट होते हुए बोला- 

" मैने मना किया था ना little girl की मेरे ख्यालों में मत आना। लेकिन तुम नहीं मानी। अब देखो तुम्हारी वजह से मैं सो नहीं पा रहा हूँ। 

मुझे तलब हो रही है तुम्हे छूने की, तुम्हारे होठों को अपने होठों से जोड़ने की। 

अब गलती की है तो सज़ा तो भुगतनी पड़ेगी। अब नशा तुम बनी हो तो तलब मिताओगी भी तुम ही। " बोल अभिक ने अपना फोन उठाया और अपने assistant को call मिला दिया। 

Done...

क्या करेगा अभिक अब?

कौन है ये little girl?

जानने के लिए पढ़िये-" सनक: मोहब्बत या जुनून "

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