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Vampire System 2

Karan_Singh_3885
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Synopsis

Chapter 1 - Rahasyamayi Kitab

नीचे देख साडू जमीन पर बैठे कुत्ते पर

मच्छर जाना स्कूल के गलियारे में एक लड़का

सार्थक का मजाक उड़ते हुए चिल्लाता हुआ

आता है और वो जोर-जोर से हंसने लगता है

सार्थक इस बेहूदे मजाक को अनसुना कर इस

गलियारे से आगे बढ़ाने लगता है अब तो यह

रोज की बात हो गई है हर रोज किसी ना किसी

बात पर सार्थक का मजाक बंता ए रहा है

सार्थक को आज भी इंसानों से उतना ही फर्क

पड़ता है जितना उसे पहले दिन पढ़ना था

इसीलिए वह अपने आप पर काबू रखना की बहुतकोशिश करता है पर रख नहीं पता है एकाएक सार्थक के कम रुकते हैं वह अपने हाथ को उठाकर चेहरे के पास लता है चेहरे पर लटकती हुए गोल चश्मा को अपनी नाक के उभर पर टिकता है उसे चश्मा को देखकर साफ पता चल रहा था की उन्हें अब बदलने की जरूर है ऐसा रहा था जैसे उसे चश्मा ने अपनी जिंदगी के सारे पड़ाव देख लिए हो कहानी पर टेप चिपका हुआ था तो कहानी पर हाथ से उसकी डंडियों को सीधा करने की की गई कोशिश दिखाई दे रही थीसार्थक के चेहरे पर वो चश्मा टेडा मेड ही

सही पर किसी तरह से बस टीका हुआ था

सार्थक अपने अंदाज में चश्मा को सीधा करते

हुए उसे लड़के की तरफ धीरे से मुद्दा है

और कहता है तो जमीन पर मत बैठा कर और अपने

हाथों से कुत्ते के मुंह की आकृति बनाकर

उसे लड़के को जवाब देता है यह सुनते ही वो

लड़का आज बाबला हो जाता है और गुस्से में

दांत भगता हुआ सार्थक की तरफ दौड़ने लगता

है तुम घटिया लोगों को हर

ना पड़ता है की तुम्हारी क्या है तुम इसदुनिया में रहने के लायक नहीं हो वो लड़का

अपने दोनों हाथों की हथेलियां को आपस में जोडा है और उसमें से एक हरे रंग की गोल आकर की एक गेंद जैसी रोशनी उत्पन्न होती है वो लड़का जैसे ही सार्थक के थोड़ा करीब जाता है वो अपने हाथों को गोल घूमर अपनी हथेलियां सार्थक की और घुमा देता है जिससे एक हरे रंग की तेज गति वाली किरण निकलते है सार्थक के पास कोई दूसरा रास्ता नहीं होता है वो समझ जाता है की अब वो बैक नहीं सकता तो वो उसे हमले के लिए खुद को तैयारकरता है वो अपनी मुट्ठी बांधकर पाओ जमीन में गड़ा कर खड़ा हो जाता है जैसे ही वो हरे रंग की किरण सार्थक से टकराती है वो हवा में उड़ता हुआ दूर पीछे वाली दीवार से

टकरा जाता है

हो रहा है यहां छात्रों की भीड़ में से कोई पूछता है यह लोग स्कूल के आखिरी दिन भी लड़ाई झगड़ा कर रहे हैं इतनी शोरगुल के चलते ही देखते वहां उत्सुक छात्रों की भीड़ इकट्ठा होने ग जाति है तभी उसे भीड़

में से एक लड़की निकालकर आई है और उसेटूटी हुई दीवार की तरफ दौड़कर जाति है ये

देखने के लिए की कोई घायल तो नहीं हुआ

जैसे ही धूल का गब्बर सकता है

आहिस्ता आहिस्ता सार्थक के कल घुंघराले

बाल दिखाई देने लगता हैं और धुएं के साफ

होते ही उसे लड़की को पता चला है की यह

हादसा किसके साथ हुआ है वो सार्थक की शक्ल

देखकर एक कम पीछे हो जाति है और वहां से

बिना कुछ कहे ही निकाल जाति है जैसे की

उसने कुछ देखा ही ना हो सार्थक की नजरे

उसे लड़की पर ठहर जाति हैं जब वो लड़कीअपने दोस्तों के पास जाति है तो वह सब उसे

पर हंसने लगता हैं

क्या तुम सच में साडो की मदद करने गई थी

[हंसी]

एक सहेली हंसते हुए मजाक में पूछती है

पता नहीं कौन था मैंने तो ठीक से देखा भी

नहीं वो लड़की किड कर जवाब देती है तभी वहां सार्थक अपने चश्मा को उठाने के लिए खड़ा होता है तो देखा है की चश्मा की एक

दांडी निकालकर अलग हो गई है उसे ठीक करने

की बजे वो उन्हें अपने हाथ में ही पकड़ कररखना है उसके चेहरे पर परेशानी साफ दिखाई

देती है वो चढ़कर खुद से कहता है फिर से

नहीं यार

आज सार्थक का स्कूल में आखरी दिन था वह यह

उम्मीद कर रहा था की कम से कम आज के दिन

तो उसके साथ कुछ बड़ा नहीं होगा पर वो लोगों के इस रवैया से परेशान हो चुका था वह उन लोगों में से भी नहीं था जो बड़ा

व्यवहार चुपचाप सहन कर ले उसे जवाब देना

आता था

सार्थक बाकी छात्रों की तरह स्कूल मेंनहीं रुकना चाहता था उसने अपना टूटा हुआ

चश्मा उठाया और बिना किसी की परवाह करें

स्कूल से बाहर जान लगा बाहर निकलते वक्त

उसे बहुत से लोग दिखे जो ग्रुप बना कर

स्कूल में बीते अपने सारे पाल याद कर रहे

थे किसी का चेहरा हंसी से खेल उठा था तो

किसी की आंखें नाम थी कोई ताली मार मार कर

हंस रहा था तो कोई अपने दोस्त से गले ग कर

रो रहा था जैसे की आज के बाद पता नहीं कब

मिलेंगे सार्थक इनमें से किसी ग्रुप का

हिस्सा नहीं था उसका यहां कोई दोस्त नहींथा सार्थक घर पहुंचकर अपने कम में ग जाता

है वो एक बहुत छोटे एक कमरे के घर में

राहत है जहां इतनी ही जगह थी की एक गद्दा

और एक टेबल रख सके उसने एक टीवी भी दीवार

पर लगा रखा था पर वो उसे देखा नहीं था

सिर्फ अपना अकेलापन दूर करने के लिए उसे

शोर की तरह इस्तेमाल करता था

उसे यह घर सरकार के द्वारा दिया गया

रिश्तेदार और उसकी उम्र भी सिर्फ 16 साल

की थी उसके बिस्तर के सिरहाने एक पेटी भी

राखी हुई थी जिसमें उसका कुछ समाज रखा हुआथा सार्थक कोनी में राखी पुरानी सी अलमारी

की तरफ जाता है और उसकी दराज खोलकर उसमें राखी एक किताब निकलता है वो एक मोती कम से कम आधा किलो की कड़क जिला दिवाली बड़ी सी किताब थी उसके कर का रंग कुछ कुछ हल्के सुख हुए खून के जैसा दिखे रहा था और बीच में

भूरे रंग का जबड़े का कंकाल बना हुआ था ऊपरी झगड़ा में फाइल हुए कर तीखे और नुकीले दांत थे और वही निकले जबड़े के कोनी में दोनों के लिए दांत जिनके बीच मेंपांच दांतों की एक सीधी श्रृंखला बनी हुई

थी चलो एक बार और कोशिश करके देखा हूं

सार्थक उम्मीद भरे लहजे में कहते हुए उसे किताब को उठाकर टेबल पर रख देता है फिर वो तुरंत अपने बैग की तरफ मुदिता है उसमें से एक टेस्ट ट्यूब निकलता है जो एक सफेद रंग के तरल पदार्थ से आदि भारी होती है प्रयोग

नंबर 112

हाइड्रोक्लोरिक एसिड हां अब देखते हैं

इससे क्या होगा इतना कहते हुए वो किताब के

ऊपर धीरे-धीरे करके एसिड की बंदे गिरनेलगता है अभी तक तो कुछ नहीं हुआ है ये ऐसे

कम तो कर रहा है ना ऐसा कहते हुए सार्थक

एक अखबार के ऊपर एसिड की बंदे गिरकर देखा

है बंदे अखबार पर गिरते ही एक धुआं उठाता

है और अखबार में बूंद के आकर का छेद हो

जाता है ऐसे तो कम कर रहा है और फिर वह

पुरी टेस्ट ट्यूब किताब पर खाली कर देता

है पर उसे किताब पर कोई आच नहीं आई

सार्थक बड़े ध्यान से उसे किताब को उठाकर

हर तरफ से उसे अच्छे से देखा है पर

आश्चर्य की बात यह की उसे किताब में कहानीकोई बदलाव नहीं दिखता फिर वो अपने इस

प्रयोग के परिणाम को बड़ी बारीकी से एक

अलग किताब में लिखना जाता है

निरसा होकर सार्थक कहता है

फिर से नाकाम यह किताब खोल क्यों नहीं है

आखिर मां और पापा ने इस किताब को क्यों

संभल कर रखा हुआ था

112 बार जी हां इतनी बार सार्थक इस किताब

को खोलना की नाकाम कोशिशें कर चुका था

किताब खुला तो दूर इसे कुछ नुकसान भी नहीं

होता सार्थक ने इसे जलन काटने पिघलतेहारने हर तरह से खोलना की कोशिश कर ली पर

उसे किताब के आगे कुछ ना टिक पाया उसे एक

खरोच तक नहीं आए इस बात से हताश वह अपने बिस्तर पर लेट जाता है और अपने अकेलेपन को दूर करने लिए टीवी चालू करता है टीवी चालू 5 साल हो गए हैं पर हमारे सूत्रों का कहना है की हालात फिर से बिगड़ सकते हैं शांति भांग होने के असर दिखाई दे रहे हैं सरकारी

होता है जिसमें खबर आई है

और इंसानों के बीच शांति समझौता कायम हुए

अफसर के अनुसार हम इंसानों को फिर एकजुटहोना होगा और आने वाले युद्ध के लिए तैयार

रहना होगा

आज से 30 साल पहले की बात है जब एक दिन

अचानक धरती पर बाहरी दुनिया से कुछ मेहमान

आए और इंसानों का सामना हुआ पहले बार एक एलियन प्रजाति से जिनका नाम था डैमेज उसे प्रजाति के लोगों का कद काठी हाव-भाव चंडी के उनका पूरा शरीर मछली की खाल के जैसा दिखता था और साथ ही उनकी एक पूछ भी थी जो किसी ड्रैगन की तरह दिखती थी इस दिन

बिल्कुल इंसानों के जैसा ही था शिवाय उनकीसे लगातार हर रोज न्यूज़ चैनल पर खबरे में

युद्ध और उससे जुड़ी खबरें चलती रहती है

आज तक किसी को नहीं पता की ये एलियंस धरती

पर क्यों आए आते ही उन्होंने इंसानों के सारे संसाधनों पर कब्जा करना शुरू कर दिया

और साथ ही इंसानों को गुलामी करने पर

मजबूर करने लगे फिर इंसानों ने फैसला लिया

की वो इन एलियन से मुकाबला करेंगे

उन्होंने भरपूर कोशिश कारी लेकिन जल्द ही

समझ गए की हमारे हथियार और तकनीक इस लड़ाई

के लिए काफी नहीं है गोलियां भी उनकी चंडीको भेद नहीं शक्ति थी कल मिलकर इंसान यह

युद्ध हर रहे थे धरती के हर शख्स को

हिदायत दी गई थी की उन्हें अपने ग्रह के

लिए जी जान लगाकर लड़ना है सारे इंसान इस

युद्ध का हिस्सा बने पर मजबूर थे यहां तक

की सार्थक के मां और पापा भी इस लड़ाई का

हिस्सा थे यह युद्ध सालों तक चला रहा और

इसी वजह से सार्थक अपने माता-पिता को

देखें बिना ही अनाथ की तरह बड़ा हुआ वो ये

तक नहीं जानता था की उसके माता पिता दिखते

कैसे हैं जब इंसानों को लगे लगा की वो येयुद्ध और अपना ग्रह पुरी तरह से हर जाएंगे

तब उनमें से कुछ विशेष क्षमता वाले लोगों

का एक समूह दुनिया के सामने आया इन सब में

कुछ खास शक्तियां थी इन शक्तियों का ज्ञान

और इन्हें प्राप्त करने का रहस्य इन खास

लोगों ने बाकी साधारण लोगों के साथ बांटना

शुरू किया इस उम्मीद में की शायद इन

शक्तियों की मदद से युद्ध को जीता जा सके

और उम्मीद के अनुसार ये उपाय कम कर गया

डांस प्रजाति के लोग बहुत ताकतवर थे पर

उन्हें खास क्षमता वाले इंसानों ने कड़ीटक्कर दी लंबी चली इस लड़ाई ने दोनों तरफ

के लोगों का सब कुछ छन लिया कोई हाल ना

देखते हुए इसी के चलते आज से 5 साल पहले

दोनों गुटों के बीच एक शांति समझौता पारित

किया गया शांति समझौते के बाद कुछ पाल सब

सही चला लेकिन फिर इंसानी लालच ही

इंसानियत पर हेवी होने लगा जहां उन खास

लोगों को अपनी शक्तियां सबके साथ बंटी थी

वही वो लोग उन शक्तियों को अब अपने तक ही

सीमित रखना लगे सरकार के ऊंचे तबले के

अवसरों ने यह निर्णय लिया की ये साड़ीशक्तियां अब आम इंसानों के बीच नहीं बंटी

जाएगी सिर्फ अमीर लोग जो इसकी भारी कीमत

चुका सकते हैं वही लोग इन खास और ज्यादा

ताकतवर शक्तियों को हासिल कर पाएंगे बाकी

इंसानों के लिए मामूली और कम ताकतवर

शक्तियां ही मौजूद रहेगी

ऐसा करना बहुत जरूरी हो गया

बहुत बढ़ाने लगी थी और लोग अब अपनी

शक्तियों का बिना सोच समझे अपने फायदे के

लिए गलत इस्तेमाल करने लगे थे

सार्थक ने अपने मां पापा को इसी युद्ध मेंखोया था उनके गुजरते के बाद सरकार ने वादा किया की वो सार्थक की परवरिश का खर्चा उठाएंगे और सरकार ने अपना वादा निभाया भी जब सार्थक के मां पापा का निधन हुआ तब उसकी उम्र 10 साल की थी तब सरकार की तरफ से एक एजेंट आया और उसने सार्थक को एक किताब दी यह इकलौती चीज थी जो सार्थक के मां पापा उसके लिए छोड़कर गए थे ये दुनिया इतनी मतलबी क्यों है

सार्थक अपनी हालात पर अफसोस करते हुए कहता है अपने बिस्तर से उठकर वह तेज चहलकर्मीकरता हुआ टेबल की तरफ जाता है अपना टूटा

हुआ चश्मा देखा है उसे ठीक करने के लिए

उठाता है वह देखा है की उसे चश्मा का एक

कांच अपनी फ्रेम से बाहर निकाल गया है तो

वो उसे अपने अंगूठे से दबाकर ठीक करने की

कोशिश करता है चल यार बेड भी जा

उसके चेहरे पर गुस्सा साफ दिखाई दे रहा है

सार्थक इस चिड़चिड़ेपन में चिल्लाते हुए

उसे लेंस को ठीक करने की कोशिश करता है

दुर्भाग्य से इतने जोर के दबाव में वो

लेंस टूट कर चकना दूर हो जाता है और उसकाएक नुकीला टुकड़ा सार्थक के अंगूठे में घुस जाता है और खून बहाने लगता है इससे उसका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच जाता है वो जोर से गुस्से में चिल्लाते हुए उसे टेबल को लात मारता है

साड़ी दुनिया मुझे इतनी नफरत क्यों करती है थोड़ी डर के बाद सार्थक का गुस्सा शांत हो जाता है और वह सारे टुकड़े समेटने लगता है तभी उसकी नजर किताब पर पड़ती है उसके ऊपर भी एक कांच का टुकड़ा जाकर गिरा था जैसे ही सार्थक उसे टुकड़े को उठाने लगताउसके अंगूठे में से खून की एक बूंद किताब पर बने जबड़े पर गिर जाति है किताब के बीचो-बीच जो जबड़े के कंकाल की आकृति थी वो खून के मिलने से चमकते लगती है और अचानक ही वो किताब हवा में उड़ के सार्थक की नजरों के ठीक सामने ए जाति है ये देख सार्थक घबरा जाता है और अपने कम पीछे की और लेने लगता है उसे किताब की चमक से पूरा कैमरा उज्जवल होता है उसे चमक के सामने वो सिकुड़ासा कैमरा खाली खाली सा दिखने लगता हैसार्थक के होश उड़ जाते हैं उसके मुंह से

आश्चर्य में निकलता है

या फिर हो क्या रहा है किताब उड़ने कैसे

लगी जो किताब इतने सालों से बैंड पड़ी थी

वो आज जग कैसे गई आखिर उसे किताब में ऐसा

क्या था

Director by Karan Singh