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Chapter 14 - फैसला..!!!

अब तक आपने पढ़ा ,

अथर्व कंफ्यूजन से," किनके पास....?

मायना उसे कुछ कहता है जिसे सुन कर सब हैरान हो जाते है

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मयान एक दम कठोर भाव से ," मुझे कल रात्रि गुरु देव से मिलने के लिए कल्के टापू निकलना पड़ेगा "

उसकी बात सुन सब हैरान हो जाते है ,वही अथर्व झल्ला कर ," पर भाई अगर तू यह से चला जायेगा तब हम क्या करेंगे ...! तू जानता है ना की वो अबीर आनंद सिर के रूप में बैठ कर वहा कॉलेज में हम पर तांडव मचा रहा है ,हम क्या करेंगे उसका ...?"

उसकी बात सुन मयान उसे समझाते हुए ," देखो अथर्व ! में तुम्हारी बाते समझ रहा हु..! पर तुम ही सोचो कल उस अधीर ने ना जाने कौन सी शक्ति की मणि मुझ पर मारी थी जिससे में इतना घायल हो गया ,तो जरा सोचो अगर सच में उसके पास ऐसी कोई शक्ति है ...! तो वो कहा से ला रहा है हमे ये जानना होगा ,और दूसरा की आर्तिका...,"

उसके ये कहने पर भूमि आगे आ कर ,अपने बोहे चढ़ा कर ,"आर्तिका...भाई आर्तिका क्या...? देखिए भाई आर्तिका एक बहुत प्यारी लड़की है ऊपर से मासूम भी...! वो वैसे तो अपने लिए लड़ाई कर लेती है पर तब भी उसका दिल बहुत मासूम है जो आसानी से किसी की बात भी अपने दिल से लगा लेती है .., कही आपको उस पर ..."

भूमि आगे कुछ कहती की मयान उसकी बात समझ कर ,अपना सर ना में हिलाते हुए ," नही ...मुझे उस पर शक नही है ,और तुम्हे ये सोचना भी नही है ,में प्यार करता हु आर्तिका से ,उसके लिए तो में खुदा से भी लड़ने को तैयार हो सकता हु (उसकी बात पर जहा भूमि ,जैन ,और अथर्व मुस्करा उठे ,तो वही सारिका को बुरा लग रहा था ,पर वो कुछ कहती नही ,वही मयान तो अपनी आर्तिका का जिक्र करते हुए मुस्करा रहा था ,पर फिर खुदको शांत कर के )पर उसका मुझ से इस तरह जुड़ना कुछ तो बात होगी ना ..में कभी नही चाहूंगा की उसे मेरे कारण कोई तकलीफ हो"

उसकी बात सुन सब समझ रहे थे ,जैन भी समझ रहा था की वो क्या कहा रहा था ,आखिर वो भी किसी से प्यार करता था वही अथर्व भी ,वो सपने में भी कभी उसके कारण भूमि को कोई तकलीफ में देख सकता था ।

इसलिए सब सहमत होते ,वही मयान सबको देख ," अब तुम सब थोड़ी देर सो जाओ ,क्युकी कुछ देर में सुबह हो जायेगी और हमे कॉलेज में जाना ,इसलिए अब तुम जाओ"

उसकी बात सुन सब अपना सर हामी में हिला कर चले जाते है ,वही सारिका भी उठ कर जाने लगती है ,की मयान उसको आवाज देता है ," सारिका ! मैंने सबको कहा है तुम्हे नही...! तुम यह आओ मुझे तुमसे कुछ बात करनी है "

उसकी बात सुन सारिका उसके सामने आ कर खड़ी हो जाती है ,वही मयान उसको देख कर कठोर स्वर में," तुमने ये सब क्यू किया...! आखिर तुम्हे इंसानों को मार कर क्या मिला...! देख लिया आज अधीर के हाथो मारे जाने से बार बार बची! तुम जानती हो ना वो किस तरह का शख्स है "

उसकी बात सुन सारिका रो पड़ती है ,और वो रोते हुए ," सॉरी 😐! मयान ,तुम सच कह रहे हो ,कुछ नही मिला ,जैसा पिता जी कहते थे की स्वार्थ और लालच सिर्फ खतरे में डालता था ,और आज वही हुआ ,माफ कर दो ,तुम्हे प्यार करने...."

उसकी बात बीच में कटते हुए मयान बोला ," नही सारिका ! तुम मुझ से प्यार नहीं बल्कि मुझे पाना चाहती थी ,तुम्हे पता है प्यार क्या होता है..? प्यार वो होता जब हम किसी के लिया रोते है ,हस्ते है ,उसका दर्द हमे मार देता है ,वही उसकी मुस्कान हमे दुनिया की अजीज थोफे में होती है ...! वही हम उसके लिए कुछ भी कर गुजरने की क्षमता रखते है और उसके लिए मर मिटने के लिए तैयार रहते है ,जैसे में मेरी आर्तिका से करता हु , प्यार में कोई नही देखता कौन इंसान है ,कौन भगवान ..! तुम्हे पता है इस इंसानी दुनिया में जब में घूमने आए था तब मैं वृंदावन गया था जहा मैंने मीरा बाई के बारे सुना था ,उनकी कहानी सुनी तब पता चला की उन्होंने तो अपने वर के रूप में यह के ईश्वर श्री कृष्ण को ही अपना बना लिया था और अंत दिवस में उनके अंदर समा गई थी ,प्यार ये होता है सारिका"

उसकी इस बात पर सारिका अपनी भीगी नजरो से उसे देख कर ," तो तुम बताओ मुझे प्यार कब होगा..? तुम्हारा कहा कभी गलत नही हुआ ना तो यह इंसानी दुनिया में ना तो वह कल्के पर"

उसकी बात पर मयान मुस्करा कर ," तुम्हे भी इश्क होगा ,और वो बहुत जल्द तुम से मिलेगा ,तुम्हे अभी मेरी बात नही समझ आ रही होगी पर तब आयेगी जब वो तुम्हे समझायगा और बाकी में तो हु तुम्हारे दोस्त के रूप में "

उसकी बात सुन सारिका के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और वो उसे गले लगा कर ," शुक्रिया मयान ,तुम्हे पता है पहले मुझे तुम्हारी बाते समझ नही आती थी पर अब आ रही है ,में बस हमारे इष्ट देव से यही प्रार्थना करूंगी की तुम्हारी आर्तिका हमेशा तुम्हारे साथ रहे "

उसकी बात सुन मयान के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है ,फिर वो वहा से चली जाती है ,वही मयान वहा से उठा कर लांगड़ते हुए अपने ध्यान कक्ष में चला जाता है ।

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वही कल्के टापू पर ,

महारानी अवनी काफी बेचैन थी ,वही महाराज माहिर उन्हे शांत करवाते हुए ," महारानी शांत! सब ठीक है हमारा पुत्र कुशल है "

उनकी बात सुन महारानी अवनी सर ना में हिलाते हुए ," नही महाराज ! कुछ हुआ है कुछ अशुभ ,बस आप एक बार हमारी बात हमरे पुत्र से करा दे"

उनकी बात पर महाराज मिहिर कुछ कहते ,की अचानक से वहा एक ऊर्जा एकत्र होती है ,ये देख महराज मिहिर और महारानी अवनी सतर्क हो जाते है ,वो कुछ करते की उस उर्जा से मयान का चित्र सामने आने लगता है

ये देख महारानी अवनी नम सी आवाज में ममता से ," पुत्र ये आप है ना.."

उनकी बात पर मयान मुस्करा कर ," हा मां! ये हम ही है.."

उसकी बात महारानी अवनी प्यार से ," बेटा आप है कैसे..? ठीक है...? और आपने कुछ खाया की नही...? सब कुशल है की नही..."

उनकी बात पर मयान हस कर ," अरे मेरी भोली मां! हम ठीक है ,वो हमें आपसे कुछ बात करनी थी इसलिए आपसे बात करने के लिए ध्यान मुद्रा ली है "

उन दोनो को ऐसे एक दूसरे से बात करता देख और खुदको नजरंदाज करता देख महराज मिहिर बच्चो जैसा मुंह बना कर ," वहा भाई वह !मतलब माता और पुत्र को सिर्फ आपस में बात करनी है यह पिता की कोई आवश्यकता ही नही है "

उनकी बात पर दोनो मां बेटे पहले एक दुसरे को देखते है फिर महाराज को देखते है ,उसके बाद जोर जोर से हसने लगते है

ये देख उनका मुंह और बन जाता है ,वही बाद में महारानी अवनी खुदको शांत कर के ," अच्छा अच्छा बहुत हुआ..! अब आप भी आकार अपने पुत्र से बात कर लीजिए (फिर मयान को देख कर ) और बेटा आपको हमसे क्या बात करनी है "

उनकी बात पर महाराज मिहिर हस्ते हुए ," कैसे हो पुत्र ..? और सब कुशल मंगल है ना.."

उनकी बात पर मयान खुदको शांत कर के ," जी पिता जी ..! और हमे आप से कुछ बात करनी है "

उसके ऐसे कहने पर महराज मिहिर बोले ," हा पुत्र बोलो..!"

उनके ऐसे कहने पर मयान ने आज जो भी कुछ हुआ सब बता दिया ,जिसे सुन कर महराज मिहिर और महारानी अवनी दोनो ही सन हो गए ,एक तरफ जहां महाराज मिहिर के चेहरे का भाव कठोर था तो वही महारानी अवनी की आंखे ममत्व के भाव से छलक उठा

मयान की सारी बात बाते सुन कर महराज मिहिर कठोर भाव से ," तो बेटा अब आप क्या चाहते है ..?"

उनकी बात पर मयान शांत स्वर में ," पिता जी अभी में कल रात को वहा आने के लिए निकलूंगा "

उसकी बात पर महाराज मिहिर अपनी आंखे उछका का कर ," पर बेटा आप तो आज भी आ सकते है ना ,तो कल क्यू..??

उनकी बात पर वो सकपका जाता है ,पर खुदको संभाल कर," वो..वो...वो पिता जी मुझे यह कुछ काम है..?"

उसकी बात सुन कर महराज मिहिर कुछ कहते की महारानी अवनी उनके कंधे पर मरते हुए नाराजगी से भरे स्वर में," आप ये कैसी बात कर रहे है महाराज ! यह हमारा पुत्र को इतनी चोट आई है और आप ये कैसी बात कर रही है "

महारानी अवनी के टोकने पद मयान खुदको शांत कर के अपने मन में खुश होते हुए ," वहा मां वहा ! आपके होते हुए पिता जी की चालक नजरो से में हमेश सुरक्षित हु"

वही महराज मिहिर उनको देख प्यार से ," अरे महारानी ! हमे पता है की हमारे पुत्र को चोट आई है ,पर तब भी हम दोनो जानते है की वो अपने ध्यान साधना से खुदको एक पल में ही ठीक कर लेगा पर ये बात आपको शकी सी नही लगी की मयान तो किसी भी पल यह आ सकता है पर तब भी वो कल रात में क्यू आ रहा है "

उनकी बात सुन महारानी अवनी को भी शंका होने लगती है ,वो दोनो कुछ पूछते की मयान सकपका पर ," मां पिता जी हम आपसे बाद में बात करते है ,अलविदा ! हम कल आपसे मिलते है " इतना कह कर वो झट से वायु में विलीन हो गया ।

वही उसके ऐसे हरकत पर दोनो एक दूसरे को देखने लगे , कुछ सोच कर महारानी अवनी के मन में एक ख्याल आया वो महराज मिहिर को देख चहकते हुए ," महराज क्या आप भी वही सोच रहे है जो में सोच रही हु"

उनकी बात पर महराज मिहिर उनको देख ," महारानी आप क्या सोच रही है ,ये हम।कैसे जाने ..?"

उनकी बात पर महारानी अवनी मुंह बना कर ," महराज मिहिर ! आप सच में अब बूढ़े हो गए है बूढ़े ! "

उनकी इस बात पर महराज मिहिर भी तेश में आ जाते है और महारानी अवनी को कमर से पकड़ कर ," क्या कहा आपने रानी जी ! जरा फिर से बोलिए ! हम आपको अपनी शक्ति दिखा देते है आई विश्राम स्थल पर"

उनकी बात पर महारानी अवनी झेप जाती है और उनके चेहरे पर लाली छाने लगती है ,पर खुदको सम्हाल कर और जबरदस्ती मुस्कराते हुए ," अरे मेरे भोले स्वामी! आप समझते नही (उनके ऐसे कहने पर महराज मिहिर उनको आई ब्रो उच्चका कर देखते है ,मानो बोल रहे है ," तो आप समझाइए" उनकी बात समझ कर महारानी अवनी प्यार से ) अरे आप ही सोचिए हमारा पुत्र किसकी प्रतीक्षा कर रहा है ,उसका बस चले तो वो सीधा यह आ सकता है ,पर अगर वो वहा रुका है तो इसका मतलब साफ है की हमारे पुत्र ने हमारी पुत्रवधु ढूंढ ली है और ऊपर से गुरुदेव की बात के मुताबिक हमरा बेटा हमरी बहुरानी से उसके पचविसीवे साल पर मिलेगा तो हो सकता है ,अब वो उससे मिल लिया है"

उनकी बात अब जा कर समझ आती है ,वो गुरुदेव की बात याद कर के मुस्करा उठते ,और वो भी हस्ते हुए ,"मतलब हमरा शेर बड़ा हो गया है "

उनकी बात पर महारानी अवनी भी हस देती है और जैसे दूर होने लगती है तो महराज मिहिर उनको गोद में उठा लेते है

ये देख महारानी अवनी मुंह बना कर ," ये क्या कर रहे है महाराज ! हमे जाने दीजिए ,अब हमारी बहु आने वाली है और उनके लिए हमे तैयारी भी करनी है "

उनकी बात पर महराज मिहिर उनको देख अपने कर्कश से स्वर में ," महारानी ! आपकी बहू अभी आने में समय लेंगी क्युकी अभी पहले उन्हे मयान की असलियत जननी होगी तब जा कर आगे का काम होगा पर उससे पहले आपने हमे क्या कहा था.."

उनकी बात सुन महारानी अवनी को एहसास होता है उन्होंने महराज मिहिर को क्या कहा था ,और ये याद आते ही वो अपने जीभ दांतों तले दबा लेती है ,वो कुछ कहती की ,महाराज मिहिर ने ताव से कहा ,"आपने क्या कहा था हम बूढ़े है ना,तो चलिए आपको अब हमारी ताकत दिखाते है "

उनकी बात सुन महारानी अवनी का सूरत रोनी वाली हो जाती है ,वो कहती है ," ये तो अन्य है .. हम नही मानते ..आपकी बात .."

पर उनके कहने का महराज मिहिर पर कोई असर नहीं होता और वो उनको बेड पर लेटा कर खुद ऊपर आ जाते है और यह शुरू हो जाता है इन दोनो का लवी लवी... 🙈"

(मतलब भाई लोगो! अगर हमारे हीरो को मम्मी पापा ऐसे है ,तो हमारा हीरो कैसे होगा 🙈😆🙈😆)

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पृथ्वी ,

वही अगली सुबह ,

आर्तिका का घर ,,

आर्तिका आज सुबह सुबह जल्दी उठ जाती है ,आज उसने नीली आसमानी रंग का सूट ,उसके निचे सलवार और ऊपर दुप्पटा पहना था ,आंखो में काजल , होठ पर बाम,वो बहुत प्यारी लग रही थी ,उंगली में अंघुती (जो उसे मयान ने पहनाया था ) ,वो कुल मिला कर किसी परी सी लग रही थी

वो झट से तैयार हो कर अपना बैग लेकर नीचे आती है ।

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जब आर्तिका नीचे आती है ,तो देखती है की उसकी मां नीलिमा ,उसके पिता महेश और ईशान कुछ बात कर रहे थे ,

पर उसके आते ही शांत हो गए ,

ऐसे देख उसे अजीब लगता है और वो उनसे सवाल करते हुए ," क्या हुआ मम्मी पापा ..! आप कुछ बात कर रहे थे तो रुक क्यों गए..?"

उसके ये पूछने पर नीलिमा जी महेश जी और ईशान को देखती है ,तो वो दोनो मुस्करा देते है ,तो वो भी मुस्करा कर ," हम ये बाते कर रहे थे ,की हमारी गुड़िया को कोई पसंद आ गया है ,ईशान ने बताया और वो काफी अच्छा है".

नीलिमा जी की बात सुन आर्तिका घबरा जाती है ,वो सोचने लगती है कही नीलिमा जी और महेश जी उसको डाटेंगे

वही अपनी लाडो को खुदसे इस तरह घबराता देख महेश जी प्यार से उसके सर पर हाथ फेर कर ," लाडो! आप घबरा क्यू रही हो ..? ये तो अच्छी बात है ना बेटा ! (फिर वो नकली गुस्सा दिख कर )वैसे उन जनाब का नाम क्या है ,जिन्होंने हमसे हमारी बेटी लेनी की हिम्मत की है "

महेश जी की बात सुन आर्तिका ,नीलिमा जी और ईशान हस पड़ते है ,वही आर्तिका शर्मा कर ," जी पापा उसका नाम मयान क्रिस्टोफर "

उसकी बात सुन नीलिमा जी प्यार से ," अच्छा तो जनाब क्रिश्चियन है (आर्तिका उनकी बात पर अपने पलके झपका देती है तो नीलिमा जी प्यार से ) तो हमसे कब मिला रही हो..? पता है ईशान से सुना था काफी पजेसिव है तुम्हारे लिए ,तुम्हरे लिए वो तुम्हारे भाई से भी लड़ गया "

उनकी बात सुन आर्तिका मुस्करा कर ," बस आज लास्ट प्रोम नाइट है ,तब पूछ कर आपको बता दूंगी "

उसकी बात सुन सबने ठीक है कहा और नाश्ता करने कहा ,तो आर्तिका झट से ," नही...नही मम्मी में वहा खा लूंगी ,(फिर वो ईशान को देख कर ) और भाई प्लीज चलो ना जल्दी ..! मुझे कॉलेज छोड़ दो "

उसकी बात पर ईशान खीजते हुए ," ओए मोटी खाने देना ,तू कैब लेले "

तो आर्तिका प्यारा सा मुंह बना कर ," प्लीज 🥺 भाई ! " उसके प्यारे चेहरे को देख ईशान से राह नही जाता है और वो हाथ उठा कर ," मां में चलता हु ,इसे छोड़ कर आता हु ,तब ब्रेकफास्ट कर लूंगा "

उसकी बात सुन नीलिमा जी प्यार ," हा जा ,नही तो ये ऐसे ही तुझे परेशान करेगी"

उनकी बात सुन ईशान प्यार से आर्तिका का सर सहला कर ," मां इसके लिए तो में ताउम्र परेशान होने को तैयार हु"

इतना कह कर वो चला गाय ,वही आर्तिका भी मुस्करा कर बाहर चली गाई ,वही नीलिमा जी और महेश जी मुस्करा देता है ,और सोचते है ," की उन्होंने अपने बच्चो को सही संस्कार दिया है" फिर नाश्ता करने लगते है

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वही कार में ,

ईशान कार चला रहा था ,वही आर्तिका बेचैन थी ,ये देख ईशान प्यार से ," क्या हुआ बच्चा! आप परेशान क्यू हो..?"

उसकी बात सुन आर्तिका नम आंखों से ," भाई मुझे बहुत बेचैनी हो रही है ,क्युकी कल के सपना में अभी तक नही भूलों हु,बस एक बार मयान को देख लूं तो शांत हो जाओ "

उसकी बात सुन ईशान प्यार से ," बच्चे ! कुछ नही हुआ है मयान चल देख लेना "

उसकी बात पर आर्तिका बस हल्का मुस्करा देती है ।

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माउंट कॉलेज ,

मयान , व्योम माही ,भूमि अथर्व ,जैन और सारिका को यह पहुंचे बहुत देर हो गई थी ,वही मयान तो बेसब्री से अपनी आर्तिका का इंतजार कर रहा था ,और बाकी टोली उसका मजाक उड़ा रही थी

तभी उनके सामने एक गाड़ी आ कर रुकती है ,उसमे से आर्तिका उतरती है ,पर जैसे ही उसकी नजर मयान पर जाती है वो झट से भाग कर उसके पास आती है और उसके गले लग जाति है

वही ये सब देख मयान के साथ उसके खड़े बाकी सब हैरान हो जाते है ,वही कार से ईशान निकल कर बाहर आता है ,उसको देख सब थोड़ा अचंभे में आ जाते है

वही ईशान हस्ते हुए उनके पास आ कर ," अच्छा हुआ मयान जो तुम यही इसे मिल गए ,वरना ये रो रो मेरे कान फाड़ देती "

उसकी बात पर सब एक साथ, " क्या आर्तिका रो रही थी पर क्यू..?"

उनके ऐसा पूछने पर ईशान बस हल्की मुस्कान के साथ ," अरे यार तुम लोग मुझे ऐसे हार्ट अटैक मत दो , (उसकी बात पर सब झेप जाते है ,वही ईशान प्यार से ) वो बच्ची को कल बुरा सपना आया था की मयान को कुछ हो गया है ,इसके कारण आज ये मुझे अपना ड्राइवर बना कर ले आई ,ताकि ये अपने मयान को देख सके "

उसकी बात सुन जहा मयान , व्योम माही ,भूमि अथर्व ,जैन और सारिका चुप रहते है ,तो वही व्योम माही और ईशान हसने लगाते है , व्योम हस्ते हुए ," अरे यार आर्तिका! क्या तुम भी..! देखो मयान तो हमरे सामने मस्त दुरुस्त खड़ा है और तू सपने में क्या क्या देखती है "

उसकी बात पर आर्तिका गुस्से होते हुए ," चुप करो! कोई मजाक है क्या ..? मुझे बुरा सपना आया था ,बस इसलिए में परेशान थी"

उसके ऐसे कहने पर व्योम उदास हो कर ," अरे यार ! गुस्सा मत हो ,में तो मजाक कर रहा था"

उसकी बात सुन आर्तिका कुछ बोलती की ,मयान उसका सर सहलाते हुए बोला ," शांत आर्तिका ! में ठीक हु"

उसकी बात सुन आर्तिका उसे ऊपर से नीचे तक देखती है ,और जब वो उसे सही सलामत लगता है तो गहरी सांस लेती है ,

वही ईशान प्यार से ," बच्चे ! व्योम ने बस ऐसे ही बोला था ,आपको ऐसे नही बोलना चाहिए था"

उसकी बात सुन आर्तिका उदास सा चेहरा बना कर ," सॉरी व्योम!"

उसकी बात सुन व्योम पहले नकली गुस्सा कर ," हट तू! में बात नही करूंगा तूने मुझे हर्ट किया है"

उसकी बात सुन आर्तिका रोने लगती है ,क्युकी उसे जितना मयान और उसके परिवार प्यार था ,उतने ही उसके दोस्त ,वही उसके रोने की आवाज सुन व्योम उसे गले लग कर ,,"अरे यार शांत हो जा ,में तो मजाक कर रहा था"

उसकी बात सुन आर्तिका एक दम बच्चो की तरह ," सच्ची ! "

तो व्योम और माही साथ ," हा मेरी जान! "

उनकी बात पर दोनो हस पड़ते है । वही बाकी सब भी हस पड़ते है ,वही ईशान हस्ते हुए ," अच्छा ! अब में चलता हु ,क्युकी मुझे तुम्हारा ये लॉबी डॉवी मोमेंट नही देखना "

उसकी बात सुन आर्तिका मयान के गले लगे हुई ," भाई ! ऐसी मोमेंट के लिए आपको पहले एक लड़की ढूढने पड़ेगी ,तो भाई आप बताइए आप मेरी भाभी कब ढूंढ रहे हो"

उसकी बात सुन ईशान झेप जाता है ,वही बाकी सब हसने लगते है ,वही अथर्व हस्ते हुए ," वेल जोक्स अपार्ट,अब हमे अंदर चलाना चाहिए नही तो सिर टीचर्स गुस्सा करेंगे "

उसकी बात पर ईशान भी हामी मिलते हुए ," हा अब तुम सबको जाना चाहिए (फिर वो आर्तिका की चोटी खीच कर ) और मोटी! तू ना अब अपने इस सैया के साथ ही आय कर ,मेरे पास इतना टाइम नही रहता "

उसकी बात सुन आर्तिका को शर्म आ जाति है ,वही मयान के कान भी गरम हो जाते है और बाकी सब उनका चेहरा देख हसने लगते है और सब अंदर चले जाते है ।

सिर्फ सारिका को छोड़, वो वही खड़ी रहती है ,और कुछ सोचते हुए कॉलेज से बाहर जा रही थी ,की उसका पैर वहा के पत्थर से लग जाता है और वो उसपर फिसल कर गिरने वाली होती है ,जिससे वो डर के मारे आंखे मूंद लेती है , की कोई आ कर उसको संभाल लेता है।

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🌟 तो मयान को आखिर गुरुदेव से क्या बात करनी है ..?

🌟 आखिर अब मयान क्या करेगा ..?

🌟 और सारिका को किसने बचाया है..?

🌟 और आपको क्या लगता है की सारिका वाकई सुधरी है या ये उसका नाटक है ..?

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जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी कहानी सूफियाना इश्क (वैंपायर लव)

और प्लीज कमेंट ,रेटिंग और समीक्षा दीजिए ।

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क्रमश..............।