रक्त में भीगी हुई, रिया धीरे-धीरे घिसटते हुए आमिर की ओर बढ़ी। उसका हाथ उसकी ओर बढ़ा और उसकी आवाज़ धीमी फुसफुसाहट में बदल गई। "मुझे बचाओ, आमिर..."
आमिर के चारों ओर तबाही का माहौल था। हर दिशा में विनाश फैला हुआ था। उसकी माँ, रजस्वी, जो उसके पिता की मृत्यु के बाद उसका एकमात्र सहारा थीं, उन्हें भी राक्षस उठा ले गए थे। चारों ओर खून फैला हुआ था और शव बिखरे हुए थे। राक्षसों के बीच, आमिर को एक काली आकृति की झलक मिली, तभी ज़मीन कांपने लगी और उसके नीचे दरारें पड़ने लगीं। ऐसा लग रहा था मानो पूरी दुनिया तबाही के कगार पर है।
आमिर अचानक एक चीख के साथ जाग गया। उसकी सांस तेज़ चल रही थी, दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था। उसका पूरा शरीर पसीने में भीगा हुआ था, और वह डरावने सपने की सजीव छवि से अब भी कांप रहा था। उसने चारों ओर देखा, तो अपनी माँ रजस्वी को अपने पास बैठा पाया। उनका चेहरा चिंता से भरा हुआ था। उन्होंने उसे अपने पास खींच लिया और कसकर गले लगा लिया। "सब ठीक है, मेरे बेटे। मैं यहीं हूँ। सब सुरक्षित हैं।"
धीरे-धीरे आमिर की घबराहट कम हुई। उसकी दृष्टि साफ हुई, और उसने महसूस किया कि वह एक छोटे से कमरे में है, जहाँ उसकी माँ उसके पास बैठी है। कमरे में औषधीय जड़ी-बूटियों की सुखद खुशबू फैली हुई थी। पास में ही रिया बैठी थी, जो बहुत कमजोर लग रही थी। उसका सामान्य रूप से ऊर्जा से भरा हुआ व्यक्तित्व थका हुआ और मुरझाया हुआ प्रतीत हो रहा था। आमिर ने भ्रमित होकर पूछा, "हम कहाँ हैं? और... राक्षसों का क्या हुआ?"
रिया ने धीरे से उत्तर दिया, "तुम पाँच दिनों से बेहोश थे, आमिर। राक्षसों को समय रहते खदेड़ दिया गया, और हमारी मदद के लिए लोग पहुँच गए।"
इससे पहले कि आमिर उसकी बात को पूरी तरह समझ पाता, दरवाजा धीरे से खुला और नविन अंदर आए। उन्होंने रजस्वी की ओर देखकर मुस्कुराते हुए कहा, "तुम्हारा बेटा बहुत बहादुर है, रजस्वी। और यह लड़की भी—इसने तो बेहोशी में भी आमिर की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी। इन दोनों में असाधारण योद्धा बनने की पूरी क्षमता है। इसी वजह से मैं इन्हें राजधानी ले जाना चाहता हूँ और नालंदा विश्वविद्यालय में दाखिला दिलवाना चाहता हूँ।"
आमिर ने सोचते हुए नविन से कहा, "चाचा नविन, आपको मेरी माँ से पूछना चाहिए... लेकिन क्या आपको नहीं लगता कि रिया के पिता से भी अनुमति लेनी चाहिए?"
आमिर के इन शब्दों पर रिया की आँखों में आँसू आ गए। उसने आमिर की ओर देखा और अचानक उसकी रुलाई फूट पड़ी। उसका नाजुक संतुलन टूट गया, और वह अब अपने अंदर छुपा हुआ दुःख रोक नहीं पाई। रजस्वी ने उसे कसकर गले लगाया। "रो मत, बेटी। मैं हमेशा तुम्हारा ख्याल रखूंगी।"
तभी नविन ने खबर दी कि रिया के पिता उस हमले में मारे गए। उसकी माँ तो वर्षों पहले ही, उसके जन्म के तुरंत बाद, गुजर गई थीं। उसके पिता, जो योद्धा नहीं थे, ने उसे प्यार से पाला और उसके जादुई गुणों को प्रोत्साहित किया।
आमिर ने सहानुभूति से भरे स्वर में कहा, "मुझे माफ करना, रिया।"
रिया ने आँसुओं के बीच एक बहादुर मुस्कान दी। "ठीक है, आमिर। मुझे तुम्हारा साथ है... और आंटी रजस्वी का। मैं अकेली नहीं हूँ।"
नविन ने फिर रजस्वी से कहा, "रजस्वी, क्यों न तुम भी राजधानी चलो? बच्चों के साथ वहीं रहो।"
उन्होंने स्थिर स्वर में सिर हिलाया। "नहीं, नविन। मुझे यहाँ रहना है। लेकिन मैं अक्सर मिलने आऊंगी।"
तब नविन ने एक उपचारक से बात की, जिसने पुष्टि की, "उनकी चोटें अधिकांशतः ठीक हो चुकी हैं, लेकिन पूरी तरह से स्वस्थ होने में लगभग दस दिन लगेंगे।"
नविन ने सिर हिलाया। "ठीक है, तो दस दिन बाद हम राजधानी के लिए निकलेंगे।" आमिर और रिया ने चुपचाप सिर हिलाकर सहमति जताई। उनके चेहरों पर उत्साह और दृढ़ता झलक रही थी।
जैसे ही नविन बाहर निकले, रजस्वी ने उन्हें प्रोत्साहित किया। "अब तुम दोनों आराम करो।" वह कमरे से बाहर चली गईं, और रिया आमिर के पास आ गई। उसकी आवाज धीमी थी।
"आमिर, तुम्हें याद है, जब मुझे चोट लगी थी, उसके बाद क्या हुआ था?"
आमिर ने अपने माथे पर शिकन डालते हुए याद करने की कोशिश की। "नहीं... जब मैंने तुम्हें घायल देखा, तो मुझे इतना गुस्सा आया कि मैं सोच भी नहीं सका। उसके बाद सब धुंधला है।"
रिया की आवाज़ फुसफुसाहट में बदल गई। "तुमने उस राक्षस को हराया, आमिर—एक ही वार में। जिन्होंने देखा, वे डर गए और तुम्हें रोकने की कोशिश करने लगे। लेकिन चाचा नविन समय पर आ गए और हमें बचा लिया।"
तभी उपचारक अंदर आया। "बस, अब और बात नहीं। तुम दोनों को आराम करने की जरूरत है।"
दो दिन बाद, आमिर सुबह जल्दी उठा। हल्की सी रोशनी खिड़की से छनकर कमरे में आ रही थी। वह फर्श पर पालथी मारकर बैठ गया और ध्यान करने लगा। उसने अपने मन को केंद्रित किया और अपने शरीर में बहने वाली एड्रेनालिन ऊर्जा को महसूस किया। वह उसकी नसों में नई तीव्रता के साथ प्रवाहित हो रही थी। पहले, वह इसे केवल पैंतालीस मिनट तक ही नियंत्रित कर सकता था। लेकिन अब, यह ऊर्जा अधिक सहजता से बह रही थी, और उसका नियंत्रण पहले से बेहतर हो गया था।
हर दिन वह अभ्यास करता, अपनी सीमा को और आगे बढ़ाता। कुछ ही दिनों में, वह इसे डेढ़ घंटे तक बनाए रखने में सक्षम हो गया।
दरवाजे पर खड़े नविन अक्सर उसे देख रहे होते। उनके चेहरे पर हल्की मुस्कान होती। *यह लड़का मेरी उम्मीद से भी तेज़ी से प्रगति कर रहा है। अब इसके भीतर एक नई आग है—एक जुनून, जो पहले नहीं था।*
आखिरकार वह दिन आ गया जब राजधानी के लिए प्रस्थान का समय आ गया। नविन कमरे में आए, और उन्होंने आमिर और रिया को देखा। दोनों पूरी तरह तैयार और उत्साहित थे।
"चलें?" उन्होंने पूछा।
"हाँ!" दोनों ने एक साथ जवाब दिया, उनकी आवाज़ों में उत्साह छलक रहा था।
नविन ने हंसते हुए कहा, "ओह, मैं तो भूल ही गया। हम राजधानी पोर्टल के ज़रिए जा रहे हैं। इसलिए हमें पहले हंटर गिल्ड जाना होगा।"
गिल्ड की ओर जाते समय, नविन ने बच्चों की ओर देखा और मुस्कुराते हुए कहा, "गिल्ड के गेट तक दौड़ लगाते हैं, क्या कहते हो?"
आमिर और रिया खिलखिलाकर हंसे और सहमति में सिर हिलाया। आमिर ने ध्यान केंद्रित किया और अपने शरीर में एड्रेनालिन ऊर्जा प्रवाहित की। उसके चारों ओर हल्की चमक उठी।
नविन ने उसे देखते हुए मन ही मन सोचा, *इसकी गति तो अब सी-रैंक हंटर के बराबर हो गई है।*
रिया ने भी अपनी शक्ति का इस्तेमाल किया। उसने हवा के जादू से खुद को हल्का कर लिया, मानो वह हवा पर तैर रही हो।
नविन ने गिनती शुरू की। "एक... दो... तीन!" और वे दौड़ पड़े।
शुरुआत में, नविन आमिर की गति के साथ बना रहा। लेकिन फिर, अचानक उसने अपनी गति बढ़ाई और पलक झपकते ही गायब हो गया। "गिल्ड के गेट पर मिलते हैं!" उसने आवाज़ लगाई।
"धोखेबाज़!" दोनों ने हंसते हुए चिल्लाया और अपनी पूरी ताकत से दौड़ने लगे।
गिल्ड के गेट पर पहुंचकर, नविन ने हंसते हुए उनकी शिकायतें सुनीं। "लेकिन तुम दोनों ने भी तो पूरी कोशिश की थी, है ना? तो मैंने भी वही किया।"
गिल्ड के अंदर पोर्टल रूम में, आमिर की नजरें चारों ओर चमचमाते जादुई गेटवे पर पड़ीं। वह यह देखकर मंत्रमुग्ध हो गया।
तभी रिया ने उत्साह से कहा, "आमिर, आज तुम्हारा जन्मदिन है, है ना? तुम आज सोलह साल के हो गए!"
नविन की आँखों में चमक आई। "जन्मदिन है? तो क्यों न तुम्हें आधिकारिक हंटर के रूप में रजिस्टर किया जाए? क्या कहते हो?"
आमिर ने सिर हिलाते हुए गंभीर स्वर में कहा, "नहीं, चाचा नविन। अभी समय नहीं आया है।"
नविन ने हंसते हुए उसके सिर पर हाथ फेरा। "कौन जाने, तुम्हारे दिमाग में क्या चल रहा है। ठीक है, चलो, राजधानी चलते हैं!"
नविन के साथ, आमिर और रिया ने पोर्टल में कदम रखा। दोनों ने एक-दूसरे का हाथ थाम लिया, उनके दिल नई उम्मीदों और रोमांच से भरे हुए थे। राजधानी के लिए उनका नया अध्याय बस शुरू ही होने वाला था।