पृथ्वी से बहुत दूर,
क्रॉडियम - पृथ्वी से अलग एक खूबसूरत दुनिया , जहां के लोगों के पास शक्तियों का खजाना था, यहां पर सबसे शक्तिशाली इंसान ही अपने नियम को बनाता था और सभी पर राज करता था, कमजोरो को उसके नियमों का पालन करना पड़ता था |
क्रोडियम के सबसे जाने माने साम्राज्य में से एक था रोमन साम्राज्य' और रोमन साम्राज्य का एक बड़ा शहर था 'स्वर्ण नगरी'
रोमन साम्राज्य में सबसे शक्तिशाली लोग स्वर्ण नगरी में रहते हैं, यहां पर कई ताकतवर दल हैं जो रोमन साम्राज्य को पुरी तरह से मिटा सकते हैं
स्वर्ण नगरी के दक्षिणी पश्चिमी महल में,
एक कमरे से एक औरत के चिल्लाने व करहाने की आवाज आ रही थीं, कमरे से बाहर एक आदमी टेंशन बरी नजरों से इधर-उधर टहल रहा था, कभी उसकी नज़र कमरे की तरफ होती लेकिन कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर वह फिर से टहलने लगता। तभी उसके पास एक 25 उम्र का लड़का आया ओर बोला ,"भैया आप परेशान मत होइए, जल्द ही आप टेंशन से मुक्त होने वाले है जब भाभी आपको नन्हा मुन्हा क्यूट सा बच्चा आपको देगी, आप तो ये सोचिए आप उसका नाम क्या रखने वाले है। "
तभी एक बुजुर्ग आगे आता है और कहता है, "दिग्विजय तुम्हारा भाई ठीक कहा रहा है, भई आज हमारे उतरादिकारी का जन्म होने वाला है खुशी बनाओ। "
दिग्विजय बुजुर्ग की तरफ देखते हुए कहता है "आप ठीक कह रहे हों लेकिन पता नहीं मेरे मन में अजीब सा अहसास हों रहा है। मुझे लगता है कोई अनहोनी होनी वाली है। "
"नहीं दिग्विजय तुम ज्यादा सोच रहे हो ऐसा कुछ नहीं होने वाला बुजुर्ग कहता है। "
"हा भैया आप पापा बनने वाले हैं ओर मैं चाचा, खुशियां बनाईए। "
तभी कमरे से रोने की आवाज आती हैं। सभी की नजरे कमरे की तरफ हों जाती है। वहा से एक बुजुर्ग महिला बाहर आती है ओर अपनी बूढ़ी आवाज़ में कहती है "मुबारक हों लीडर आपको बेटा। हुआ है। "
यह सुनते हि दिग्विजय के चेहरे से टेंशन दूर होकर, मुस्कान आ जाती है ,वह जल्दी से कमरे के अंदर जाता है, ओर बेड पर लेटी अपनी पत्नी की तरफ देखता है, ओर फ़िर अपनी पत्नी के पास लेते बच्चे की तरफ़ जानें लगता हैं। वह अपने बच्चे की तरफ़ जाता है तभी आसमान में काले बादल छा जाते है। और बहुत जोरों से बिजलियां कड़कड़आने लगती है, ऐसा लग रहा था की एक हि पल में पूरी दुनिया नष्ट हो जाएगी, जैसे ही दिग्विजय उस बच्चे को छुने ही होता है वह बच्चा हवा में अपने आप उड़ने लगता है, ओर उसके शरीर से बहुत खतरनाक शक्तियां निकल कर बिंब में तब्दील होकर आसमान में जानें लगती है, दिग्विजय यह देखकर चौंक जाता है,लेकिन तभी आसमान से एक बहुत तेज़ आवाज़ निकलनी शुरू हो जाती है, उसे देखकर सभी का मूंह बंद का बंद रह जाता है, सभी लोग एक साथ कहते है आकाशवाणी होने वाली है।
स्वर्ण नगरी में जितने भी ताकतवर दल थे सभी ऐसे आकाशवाणी होते देख महलों से बाहर आ जाते है, सभी आपस में बात करने लगते है क्या होने वाला है आकाशवाणी में, सभी के चेहरों पर परेशानी दिखने लगती है, लेकिन जब उनको दक्षिणी पश्चिमी महल से रोशनी निकलती दिखती है सब समझ जाते है ये सब सिंघानिया दल की वजह से हों रहा है।
तभी एक बहुत तेज़ आवाज़ पूरे आसमान में फेल जाती है " यह दुनिया का रक्षक है, यह शक्तिपुंज बनेगा। जब सभी के कानों में शक्तिपुंज शब्द पड़ता है सभी की आंखों में हैरानी और डर दिखने लगता है, क्योंकि शक्तिपुंज ऐसा रैंक है जो करोड़ों लोगों में से सिर्फ़ 1 को मिलता है। यह सुनकर दिग्विजय के आंखो में उत्साह ओर खुशी दिखने लगती है लेकिन तभी उसके चेहरे पर परेशानी के भाव आ जाते हैं।
यह देखकर वही लड़का कहता हैं "भैया ये तो खुशी की बात है हमारा उतराधिकारी शक्तिपुंज बनाने उसमे परेशान होने वाली कोन सी बात है। "
यह सुनकर दिग्विजय कहता है "देखो गिरिश खुशी की बात तो है लेकिन..."
"लेकिन क्या भैया। "
"लेकिन ये ख़बर हमारे दुश्मनों को भी लग गई होगी वह हमारे बेटे को मारने की कोशिश जरूर करेंगे.."
यह सुनकर गिरीश के चेहरे पर परेशानी दिखने लगती है "अब हम क्या करे भैया"
वहीं दूसरी ओर,
एक बहुत बड़े महल में एक काले कपडे पहना एक आदमी अपने सामने बैठे आदमी से कहता है "देखो दिग्विजय का बेटा शक्तिपुंज बनेगा। तो हमारे लिए यह गंभीर मामला है, क्योंकी आकाशवाणी कभी गलत नहीं होती, ऐसे में हम क्या कर। "
सिंघासन पर बैठा आदमी कहता है "गंभीर बात तो है हमे उस बच्चे को मारना पड़ेगा, तभी हम इस मुसीबत से बच सकते है वैसे भी दिग्विजय भी बहुत ताकतवर है और अब उसका बेटा भी शक्तिपुंज बनेगा। ऐसा हम नहीं होने दे सकते।लेकिन हम क्या करे हमला भी हम नहीं कर सकते क्योंकि दिग्विजय बहुत ताकतवर है हम उसे रोक सकते है हरा नहीं सकते।"
इनकी ये सब बातें चल ही रही होती है तभी एक हंसने की आवाज आती हैं "तुम दिग्विजय को मुझ पर छोड़ दो, तुम उस बच्चे को मारने के बारे में सोचों...जब उन दोनों आदमियों की नज़र आवाज़ की तरफ़ जाती है तो वह चौक जाते है, तुम..."
"हां मै "
लेकिन तुम दिग्विजय के दोस्त हों तो उसे क्यों मारना चाहते हों...
"हां मै दिग्विजय का दोस्त हु लेकिन ताकत के आगे सब ने सिर झुकना पड़ता है.. इसी वजह मैं यहां आया हूं क्योंकी मैं नहीं चाहता की आगे जाकर मुझे सिंघानिया दल के आगे सिर झुकना पड़े इसलिए मैं दिग्विजय के बेटे को मारना चाहता हु.. क्या तुम मेरा साथ दोगे.."
सिंघासन पर बैठा आदमी कहता है "हां जरूर क्योंकी अगर दिग्विजय का बेटा शक्तिपुंज बन गया तो उसे कोई भीं नहीं मार पाएगा।"
वही दूसरी तरफ़,
सिंघानिया दल में दिग्विजय अपने बेटे के पास जाता है ओर उसकी शक्तियों को महसूस कर कहता है "ये शक्तियां तो बहुत खतरनाक हैं। अपने बेटे की तरफ नज़र करके कहता है "मुझे माफ़ कर देना बेटा मैं तुम्हारी शक्तियों को निष्क्रिय कर रहा हूं जिससे किसी को बता ना लगे की तुम हो कौन."
दिग्विजय अपने शरीर से शक्तियां निकाल कर उस छोटे बच्चे के शरीर में डालने लगता है और उस बच्चे की सारी शक्तियां को निष्क्रिय कर बच्चे की नाभि के पास सिल से बंद कर देता है।
"बेटा। ये शक्तियां तुम्हारी जब खुलेगी जद तुम इस दुनिया के खतरों का सामना कर एक महान योद्धा बन जाओगे.. कोई भी तुम को हरा नहीं सकेगा।"
यह कहकर दिग्विजय अपने गले से लॉकेट निकाल उस छोटे बच्चे को पहना देता है साथ ही साथ कहता है," मेरा बेटा देव सिंघानिया।"
"भैया ये आपने क्या किया? आपने इस छोटे से बच्चे की शक्तियों को निष्क्रिय क्यों किया।इससे क्या फ़ायदा? यह सुनकर दिग्विजय कहता है।
"देखो अब यह यहां पर सलामत नहीं है इस पर रोज नए खतरे मंडलआएंगे । जिससे क्या पता मैं भी इसको न बचा सकू। इसलिए इसकी शक्तियां इसकी ताकत भी है ओर कमज़ोरी भी, अभी यह अपनी रक्षा करने योग्य नहीं है इसलिए मैने इसकी शक्तियां निष्क्रिय कर दी ताकि कोई इस तक न पहुंच पाए।"
दिग्विजय के दिमाग़ में एक आइडिया आता है ओर वह अपनी आत्मा का एक अंश लॉकेट में भेज देता है। वह अपने भाई गिरिश से कहता है " तुम इसको लेकर जल्दी यहां से निकलो क्योंकि मुझे महसूस हो रहा है कई ताकतवर शक्तियां हमारी तरफ बढ़ रही है..."
यह सुनकर गिरिश कुछ कहने को होता ही हैं लेकिन दिग्विजय बीच में टोकते हुए कहता है ,"जल्दी जाओ।"
वह ऐसा कहा रहा ही होता है तभी वहा पर एक आवाज़ सुनाई पड़ती है," दिग्विजय बाहर निकलो। आज हम हमारी दुश्मनी सदा सदा के लिए खत्म करने वाले हैं.. निकलो बिल से। "
यह सुनकर दिग्विजय महल से निकलते हुए आसमान में उड़ने लगता है ओर अपने सामने खड़े 2 आदमियों को देखता है "आज मुझे मारने आए हो या मेरे बेटे को। "
सामने खड़ा आदमी कहता है "तुम्हारे पूरे दल को "
दिग्विजय हसते हुए कहता है "मानना पड़ेगा आज तक तो तुम ऐसे अचानक नहीं आए, आकाशवाणी सुनकर मेरी बेटे से डर लगने लग गया क्या?"
सामने खड़ा आदमी नासमझी में कहता है ," कौन सी आकाशवाणी हमने तो किसी आकाशवाणी नहीं सुनी"
दिग्विजय भी समझ रहा था ये इसके बेटे को मारने आए हैं दिग्विजय कहता है"बाते कम करते है, " चलो मुक़ाबला करते है"
तभी वहा पर एक आवाज़ सुनाई देती है "दिग्विजय अपने दोस्त को भूल गए क्या हम दोनों इनका मुक़ाबला करेंगे।"
ये आवाज़ सुनकर दिग्विजय आवाज़ की तरफ देखता है उसे वहा पर अपना दोस्त नज़र आता है "तुम आ गए दोस्त चलो इनको सबक सिखाते है"
हां दोस्त चलो "दिग्विजय का दोस्त कहता है "
तभी सामने खड़े दोनों आदमी दिग्विजय ओर दिग्विजय के दोस्त पर हमला कर देते है। दिग्विजय उस हमले से आसानी से बच जाता है। लगभग आधा घंटा यूंही लड़ाई होती रहती है। तभी दिग्विजय का दोस्त दिग्विजय पर चाकू में शक्तियां भर कर दिग्विजय पर हमला कर देता है।
अब क्या होने वाला है इस लड़ाई में? आखिर क्यों? दिग्विजय के दोस्त ने किया दिग्विजय पर हमला। जानने के लिए पढ़ते रहिए शक्तिपुंज सिर्फ़ Pocket Novel पर_जय गोयल के साथ