( अबतक : सूजन की मां आतंकियों की बीच हुई मुठभेड़ मैं मारी जाती है । जिस वजह से सुरंग फौज को कुछ भी नहीं बताता , मनोज को बुलाकर उसे पत्ता दिखाता हैं। मनोज ने ऐसी चीज पहले कभी नहीं देखी न कभी सुनी हुई होती है इसलिए मनोज सूजन के साथ रहस्य का पता करने पुराने किले मैं जाने का फैसला करते है । )
अब आगे .....
"सूजन ने केमिस्ट्री सब्जेक्ट मैं phd की हुई होती हैं जिस वजह से सूजन को बम बनाना काफी अच्छी तरीके से आता है। किसलिए सूजन अपने कुछ समांन के साथ मनोज के साथ कुएं की तरफ निकल पड़ते है। "
" कुछ ही देर मैं दोनों किले के अंदर जा पहुंचते है जहां सूजन मनोज को उन लाशों और सांप के बारे मैं बताता है । मनोज एक archeologist होने की वजह से मनोज खुद अंदर जाने का फैसला करता है । और सूजन को बाहर इंतज़ार करने को कहता है ।ताकि अगर बाहर कोई गड़बड़ हो तो सूजन संभाल सके और मनोज को बता सके ।
" सूजन कुएं मैं रस्सी के सहारे नीचे उतर कर सुरंग मैं चला जाता है। मनोज एक हाथ मैं टॉर्च और दूसरे हाय मैं सूजन की दी हुई बंदूक को लेके सावधानी से अंदर जाने लगता है । जहां कुछ देर चलने के बाद मनोज को सूजन की बताई हुई जगह लाशे और कंकाल दिखाई पड़ते है। साथ ही मैं कुछ ही दूरी पे मनोज को उजाला दिखाई देता है । इसी वजह से मनोज उजाले की तरफ अपने पैर बढ़ाने लगता है तभी पीछे से जोर से धमाके की आवाज़ आती है ।
"मनोज इससे समझ जाता है कि सूजन के साथ कुछ गड़बड़ हुई है । तभी मनोज को सामने वाली रोशनी हिलती हुई दिखाई पड़ती हैं । मनोज इससे काफी डर जाता है । रोशनी धीरे धीरे मनोज की और आने लगती है । मनोज ये देखकर रोशनी की तरफ डरकर अपनी बंदूक तान देता है ।
मनोज : कौन है ।. ... कौन है वहां ?
( सामने से डरते हुए आवाज आती है )
" गोली मत चलाना मैं हु बिजली ।
" मनोज को सामने लड़का दिखाई देता है जो कि अपने आप को Archeologist ( पुरातत्विक ) बताता है । जो कि मनोज की तरह ही सुरंग मैं आया था । मनोज बिजली नाम सुनते ही मनोज की हंसी छूट जाती है ।
( मनोज हंसते हुए कहता है तू सचमुच लड़का हो ना ? )
बिजली : मेरे नाम का मज़ाक मत उड़ाओ । ये मेरे बाप की आखिरी निशानी है ।
मनोज : क्या ? ये नाम निशानी है ।
बिजली : हा।अब चुप हो जाओ और वो धमाका तुमने किया था ।
"मनोज न कहते हुए कहता है शायद मेरे दोस्त ने किसी कारण से किया होगा ।
"जब मनोज ने बिजली को आगे के रस्ते के बारे मैं पूछा तो बिजली ने बताया कि आगे रास्ता बंद है ।
"शायद किसीने जान बुझ कर बंद किया है।
"हमें खुदाई करके आगे जाना पड़ेगा ।(बिजली की बाते सुनकर मनोज ने हैरानी के साथ पूछा )
"खुदाई ... क्यों ?
( " बिजली ने मनोज के सवाल का जवाब देते हुए अपने बैग से एक नक्शा निकाला जो कि काफी पुराना लग रहा था और मनोज को दिया )
बिजली : ये इस जगह का नक्शा है । ये सुरंग कई साल पुरानी है। देखो तुम भी पुरातत्ववेत्ते हो ये नक्शा देखो और क्या मैं सही कह रहा हु या नहीं ये बताओ ?
मनोज : तुम भी तो हो ?
बिजली : बिल्कुल , इसीलिए तो दिखा रहा हु ।
(मनोज नक्शा देखकर बिजली को बोलता है। )
मनोज :"नक्शे में तो सामने रास्ता दिखा रहा है।
बिजली : हा । लेकिन नक्शे के बनाने के बाद इसे शायद बंद कर दिया है ।
" ये सुरंग कई सालों पहले यहां पे राज करने वाले राजा सुब्रह्म ने बनवाई थी और साथ ही मैं इसके ऊपर ये गांव भी बसाया था ।
"मनोज और बिजली फिर से घर लौटकर खुदाई का जरूरी सामान लाने का फैसला करते है । "
"मनोज और बिजली अब कुएं की तरफ बढ़ने लग जाते है । "
(इसी बीच रास्ते मैं मनोज बिजली से सुरंग और उसके बारे मैं जानकारी पूछने लग जाता है।)
बिजली : (मनोज की तरफ देखकर ) ठीक है । कहकर मनोज को बताने लगता है।
"मेरे पिता का नाम सोमेश्वर था वो उनके वक्त के काफी जाने माने इतिहासकार थे साथ ही मैं उन्हें भू विज्ञान और पुरातन चीजों की भी काफी जानकारी थी । इसलिए उन्होंने किले से और पुराने ग्रंथों से कई जानकारियां इकट्ठी की थी । और ये नक्शा भी उन्होंने ही खोजा था । हालांकि वो सुरंग खोज पाते उसके पहले ही उनके साथ अनहोनी हो गई । उस वक्त जम्मू मैं काफी ज्यादा अशांति थी । जम्मू को भारत का हिस्सा बनाने का कार्य शुरू था । आतंकी खुले आम पाकिस्तान से जम्मू मैं आके आतंक मचाते थे । खुले आम लोगों को मरते थे । औरतों की इज्जत लुटते थे और मारकर या जिंदा जलाके फेंक देते थे ।
"एक दिन मैं तब काफी छोटा था । मैं अपने दोस्त के घर खेलने गया था । जब लौटा तो घर खून से साना हुआ था पिताजी खून से लतपथ होके मरे पड़े थे ।
और उनका सर आतंकी अपने साथ ले गए थे । कुछ ही दूर मां और मेरी बड़ी बहन की लाश भी पड़ी जो काफी बुरे और निर्वस्त्र हालात मैं थे काफी अजीब स्थिति मैं थी । अपने लोगों को इस हालात मैं देखने की वजह से मैं सदमे मैं चला गया था । जिसका मेरे ऊपर काफी भरी परिणाम हुआ । "बाद में मुझे मेरे मामा ने पाला ।
(मनोज बिजली की बाते सुनकर काफी ज्यादा भावुक हो गया )
"मुझमें अपने पिता जैसे ही गुण है और मैं उनके काम से काफी वाकिफ था । और जाते जाते वो मेरे लिए एक नक्शा भी छोड़ के चले गए । इसीलिए मैं अपने पिता का अधूरा काम पूरा करने आया हु । "
(क्रमशः).....