Chereads / Ek Ishq Aisa Bhi / Chapter 2 - ch 1

Chapter 2 - ch 1

बनारस , अस्सी घाट ,

एक कार बनारस की सड़कों पर तेजी से जा रही थी। उस कार के पीछे बहुत सारी कारें चल रही थी। सायद यह कार को बहुत जल्द उसकी मंजिल पर पहोंचना था । कार अस्सी घाट की तरफ जा रही।

मंदिर से किसी मधुर गाने की आवाज सुनाई दे रही थी। उसी समय पर वोह कार वही मंदिर के पास आकर रुकती है। उस कार में से तीन लोग बाहर निकलते है। दो लोग उम्र दराज लग रहे थे और एक लड़का था साथ मैं सयाद वोह उस लड़के के दादा - दादी लग रहे थे।

उस लड़कें ने एक मास्क अपने चहरे पर लगा रहा था। जोकि देखने में सिल्वर का बना हुआ लग रहा था। उसने एक सफ़ेद कुर्ता पहन रखा था। देखने वोह बहुत ज्यादा आकर्षक और इंटरेस्टिंग पर्सन के जैसा लग रहा था। दादा - दादी ने भी उसी के जैसे ट्रेडिशनल कपड़े पहन रखे थे। वोह देखने में बहुत अच्छे लग रहे थे। उन्हे देख कर कोई यह नहीं कह सकता की उनकी उम्र क्या है।

वोह लड़का बोलता है दादा - दादी चलिए हम मंदिर के दर्शन कर लेते है। फिर आपको आश्रम में महंत जी के पास मिलवाने के लिए ले जाऊंगा ।

उतना बोलकर वोह अपने दादा दादी का हाथ पकड़ कर मंदिर की और चल देता है। वोह थोड़ा धीरे ही चल रहा होता है की उसे मंदिर मैं से एक लड़की की मधुर आवाज आ रही होती है।

वोह एक पल को उसी आवाज मैं खो जाता है। वोह देखने लगता है की आवाज कहा से आ रही है। तो आवाज सुनकर लगता है की आवाज मंदिर के अंदर से ही आ रही होती है तो वोह दादा दादी को लेकर मंदिर मैं प्रवेश करता है।

वोह मंदिर के अंदर पहोंचता है तो वोह अपने दादा दादी को पंडितजी के पास छोड़ ने जाता है। वोह वहा पर पहोंछता है की उसे एक लड़की सफ़ेद सलवार पहन रखा था वोह वहा से नीचे की और जाति हुई नजर आती है।

वोह पंडितजी से पूछता है पंडितजी यहां पर कोई आरती गा रहा था?

तो पंडितजी बोलते है बेटा हैं वोह देखो वोह लड़की रोज यह आती है और मंदिर मैं पूजा कर के आरती कर रोज पीछे बने मंहत जी के मठ में चली जाती है।

वोह लड़का और कुछ नही बोलता है।

उसी समय पर  कोई कियान बेटा । तो वोह लड़का पीछे मुड़ कर देखता है तो उसके दादाजी उसे बुला रहें थे ।

वोह उनकी तरफ चला जाता है। दादा जी उसे नीचे जाकर पूजा का सामान लाने को बोलते है तो वोह एक आज्ञाकारी पोता बनते हुए हां बोलकर मंदिर के नीचे चला जाता है।

नीचे जाकर वोह एक दुकान पर जाता है और वहा से पूजा का सामान लेकर पीछे मुड़ता है तो उसे एक आवाज आती है। वोह वही लड़की की थी जो किसी की हेल्प कर रही थी और उन्हें ध्यान से अपना काम करने को बोल रही थी।

वोह बस उसके हेल्पिंग नेचर से इंप्रेस हो गया। फिर वोह अपने मन मैं बोलता है क्या इतेफक है आज के दिन मैं मुझे यह दूसरी बार दिखाई दी है। अगर यह फिर से दिखाई दे गई तो सायद हमारी तकदीर मैं हमारा साथ लिखा हो। अगर ऐशा हो गया तो में उसे मुझसे दूर नही जाने दूंगा । इतना अपने मन मैं बोलने के बाद वोह मंदिर मैं वापस अपने दादा दादी के पास चला जाता है ।

दादा दादी के पास जाकर दादी मां को पूजा की थाल पकड़ा देता है और उनके साथ पूजा करने चला जाता है। पूजा के दौरान उसकी दादी उसे शिवलिंग पर जल चढ़ाने को बोलती है तो वोह शिवलिंग पर जल और बेल पत्र अर्पित कर देता है फिर उनकी आधी परिक्रमा कर वापस अपनी जगह बैठ कर वोह मंत्रो चार करने लगता है।

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।

उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ||

उसके मंत्रों चार करने से जाने पूरा मंदिर और आस पास का वातावरण बहुत भक्ति मय हो गया था। उसकी आवाज मैं एक ईशा एहसास था की स्वयं महादेव यह मंत्रोचार कर रहें हो।

वोह सच मैं आज कोई महान भक्त और संत नजर आ रहा था। पूरे मंदिर के लोग इसकी आवाज सुन कर वाहनपेर जमा हो गए थे। उन्हे बस दिखाई दे रहा था और एक सफेद कुर्ता पहने बैठे एक लड़का नजर आता है जो शिवलिंग पर बेल पत्र अर्पित करते हुए मंत्रोचार कर रहा था।

वहा पर वोह लड़की जो नीचे ही थी और बाकी सब को मदद कर रही थी उसे भी यह आवाज सुनाई दी पर वोह वहा से निकल कर मंदिर के पीछे बने मठ में चली जाती है।

वहा पर एक गुरुजी बैठे हुए थे जो अपनी आखें बंद किए हुए ध्यान मैं बैठे थे । जब उन्हें उस लड़की के आने का एहसास हुआ तो वोह अपनी आखें बंद किए हुए ही बोलते है।

माहिरा बेटी आ गई आप। तो वोह लड़की बोलती है हां गुजरूजी । आज तो मंदिर मैं कोई आया है जो भगवान शिव के महा मृत्युंजय मंत्र का जप कर पूजा कर रहा था । सब लोग वही जा रहे थे।

उसकी बात सुनकर गुरुजी बोलते है अच्छा बेटा आपको पता है वोह इंसान कोन है?

तो माहिरा बोलती नही तो हमे केसे पता होगा गुरुजी ? आप ही बता दीजिए ?

तो गुरुजी बोलते है वोह आपका साथ निभाने के लिए ही आए है। वोह अब से हमेशा आपके साथ ही रहेंगे। आप की रक्षा करेंगे ।

माहिरा उनकी बात सुन कर सिर्फ मुस्कुरा देती है। फिर वोह अंदर चली जाती है।

वही दूसरी और कियान अपनी पूजा को खतम कर खड़ा होता है । फिर अपने दादा दादी के पास चला आता है।

उसके दादा दादी बोलते है अब हमे मंदिर के पीछे बने मठ में जाना है। वहा पर हमारे परिवार के गुरुजी रहते है। हम आज खास कर उन्हें हो मिलने आए है।

तो कियान भी उनकी बात मन लेता है और उनके साथ ही मंदिर के पीछे मठ की ओर चल देता है।

वोह लोग करीबन 10 से 15 मिनिट चलाने के बाद मठ तक पहुंच जाते है।