Chereads / Ek Betuki Dosti Hindi / Chapter 20 - पांचवा दिन टूर का

Chapter 20 - पांचवा दिन टूर का

अब सुबह होती है और धीरे धीरे सारे लोगों उठते । और फिर सब एक दुसरे को भी उठते हैं । और दोनों मैम में चाय बनाती है तो दुसरी मैम यानी 

राधिका मैम सालनी को बोलती है : कि कल रात को मैम कुछ देखा की यहां पर बहुत सारे बंदर आ गए थे और हमारा सारा समान इधर उधर फेंकने लगे । 

इतने में रोहाना ने सालनी मैम को आवाज़ लगाया और कहा की इधर आओ फिर

रोहाना में कहा : की सालनी मैम मुझे आपकी लव स्टोरी जाना है । फिर 

सालनी मैम ने कहा : कि तु में पता है कि तुम क्या पूछ रहीं हो । फिर

रोहाना मैम को "sorry" बोलती है । फिर

सालनी मैम कहती है : कि कोई बात नहीं में बताती हुं । में तो मज़ाक कर रही थी । ऐसा है ना कि आज तक मुझ से किसी ने नही पूछा । आओ मेरे पास बैठो मैं बताती हुं । 

सालनी मैम की लव स्टोरी ↓↓

उस टाईम में 10 क्लास में थी और मेरे गांव में लड़कियों को 8 क्लास तक पढ़ने देते थे । तो मुझे आगे की पढ़ाई करने के लिए शहर ना पड़ता था । और फिर मेरा स्कूल 14 km दूर पढ़ने लगा । में स्कूल जाने के लिए बस से जाती थी । और मेरे बस स्टॉप पर ही उसका ढाबा था । मैं जब स्कूल जाती तो ऊबो मुझे देखता था । पर उसमे कभी हिम्मत नहीं हुई मुझे कहने की । तो मैं एक दिन उसके ढाबे पर गई और कहा की मेरी लिए दो पारठे लगा दो और फिर ऑडर मैने किसी और को दिया था पर ऑडर लेकर वही आया था । ऊबो मेरे पास आने से डर रहा था । फिर मेरे आ कर भागने लगा । पर 

मैने कहां : की कहा जा रहें हो ।

फिर ऊबो रुक गया । तो

मैंने कहा : कि मेरे साथ बैठो ।

बैठ भी नही रहा था । बहुत देर बाद मैंने कहा कि अगर नही बैठे तो ना में चली जाऊंगी तब जाकर बैठा । बड़ा ही डर-पोक था । फिर

मैन कहा : कि कुछ बोलोगे भी या ऐसी ही मुंह बनाकर बैठे ही रहोगे ।

कुछ नही कहा । फिर मैंने भी सोचा की ज्यादा बात करना अच्छी बात नहीं वरना उसे लगेगा कि में पागल हो रही हुं उसके लिए । में घर जाने के लिए उठी तो

उसने कहा : कि पराठा कैसा था ।

सुनकर मुझे बहुत तेज़ गुस्सा आई । इतनी देर से में बोल रही हुं तब कुछ नहीं कहा । ढाबे का नाम ना खराब हो जाए तो पूछ रहे पराठा केसा था ।

मैने भी कहें दिया : की इतनी देर से में बोल रही हुं तब तो कुछ कहा नहीं गया । तो सुनो पराठा खराब था वो पड़ा देख लो नमक नहीं है ।

फिर में वहा से चली जाती है । और कहती हुं कि कल फिर आऊंगी । तो

ऊबो बोलता है : ठीक है ।

फिर अगले दिन ऊबो पराठा लाता है । और

बोलता है : आज मेने खुद बनाया है ।

मैने कहा : की तुमे आता है ।

उसने बोले : हां । फिर

मैन कहा : की आज क्या बात है सुरज कहा से निकला है । कल तुम बात नहीं कर रहे थे और आज कर रहे हो । फिर

दीपक बोलता है : की कल मेरे मालिक दूकान पर थे और आज उनके बैठे ने उने बुला लिया । तो आज में बात कर रहा हुं । फिर

मेंने कहा : की कुछ तो अच्छी बात है जो तुमने कुछ कहा वरना में तो सोची की तुम कुछ बोलते ही नही हो ।

उतने में दीपक के दोस्त बोलते हैं कि दीपक तु जा इसे घुमाला । पर फिर

मेंने कहा : की मुझे नही जाना घूमने । मुझे कुछ पूछना है और फिर में घर जा रही हुं ।

दीपक बोलता है : कि क्या पूछना है बोलो । 

मैने कहा : कि तुम मुझे रोज़ क्यू देखते हो ।

दीपक ने कहा : मुझे नहीं पता । फिर

मैंने उसे पागल कहा और घर चली आई । उसको बुरा नही लगा था यह सुन कर । बहुत अच्छा लड़का था दीपक । फिर ऐसा हुआ की अगले दिन फिर में स्कूल जा रही थी तो मुझे दीपक नही दिखा । पर जब में बस मे बैठ चुकी थी तो मुझे ऊबो दिखा था । मुझे लग रहा है कि ऊबो देखना चाहता था कि में उसे धुंदुगी या नहीं । फिर ऐसी ही अगले दिन हुआ और अगले दिन ऊबो मुझे कहता है कि हम कही घूमे चले । और मुझे अपने हाथ के बने पराठे देता है । मैने उस टाईम सरपंच के कुछ आदमी को देखा की ऊबो मुझे देख रहें हैं तो मेने कुछ नही कहा दीपक को उसे इशारा करा की यहां से जाओ । पर ऊबो नही गया । और सरपंच के आदमियों ने उसे पकड़ लिया । तो मैंने उसे कहा कि यह लो अपने पराठे के पैसे । फिर सरपंच के आदमी बोलते है कि तुने इसे पराठे खरीदे है । मैने हां बोल दिया तो फिर इसका बैग चैक करो पराठा है या नहीं । बैग में पराठा मिल जाता है तो ऊबो दीपक को छोड़ देते है । फिर में अगले दिन दीपक के पास जाती हुं तो दीपक मुझे दुर भागता है । कुछ नही कहता। फिर में दीपक के पिछे एक कमरे में चली गई तो फिर

मेने उसे कहा : कि मेरी बात सुन । फिर

दीपक बोलता है : सुन की कल क्या हुआ था कोन था ऊबो । मुझे नहीं पता मेरे पीछे क्यों थे । फिर

मैंने उसे सब कुछ कहे दिया ।

उसने मुझे कहा : कि तो फिर छोड़ दो पढ़ाई वैसे भी तुमे आगे जाकर घर शमालना हैं ।

यह सुनकर में वहा से चली आई । फिर कुछ दिनों से मैने उसे नहीं देखा ना बात करी ना कुछ । फिर एक दिन ऊबो मेरे पास आता है और

दीपक कहता है : कि यह लो पराठा ।

मैने उसे देखा की उस टाईम ऊबो मुझे बारिश में पराठा देने आया था । पर में अभी गुस्सा थी उसे । हां मेने पराठा ले लिया था उसे। फिर मैन एक दिन उसके पास गई और कहा की तुम कही घूमने की बात कर रहे थे ।

दीपक बोलता हैं : हां पर अब नहीं । फिर

मैंने कहा कि : कल गांव के बाहर मिलना ।

दीपक बोलता हैं : ठीक हैं ।

गांव के बाहर सरपंच कुछ नहीं कहें सकता तो फिर में अगले दिन बस पकड़ कर गांव से बाहर निकली और मेरे पीछे ऊबो भी आ रहा था । फिर हम गांव के बाहर किसी बजार में उतरे तो हम दोनों एक पार्क में जा कर बैठे और फिर एक दुसरे की बरी मै जाने और फिर इतनी सी बात थी और फिर दुसरे गांव के सरपंच हमारे पीछे पड़ चुके थे । और फिर हमारे गांव के सरपंच को कॉल कर के बात करते हैं कि । छोरा छोरी दोनो मिल गए बताओ का करना है दोनो का । हमारे गांव के सरपंच ने कहा कि मार डालो वैसे भी हमारे गांव से बाहर है कोई फ़र्क नहीं पड़ता । फिर यह सुन कर दीपक ने मुझे खोला और खा की तुम भागों ।

मैने कहा : कि कैसे तुमें छोड़ कर । मे नही जा रही ।

फिर भी उसने मुझे गाड़ी से दखा दे दिया ता तो में बच गई । फिर मैन देखा की उनकी गाड़ी थोड़ी आगे रूकी और गोली चलने की आवाज़ आई । और फिर गाड़ी पीछे आने लगी । मुझे लगा कि ऊबो मुझे धुनें निकले है। तो में एक पत्थर के पीछे छुप कर रोने लगी दीपक की बरी में सोच कर । फिर में दीपक के ढाबे गई और उसके मालिक और उसके दोस्तो से उसका फ़ोटो लिया मालिक के पास नही थी तो नही मिल पर दोस्तो के पास थी फ़ोटो । फिर मैन पापा को यह सारी बात बताई तो पापा ने गांव की सारी जमीन बेच कर शहर आ गए । और आज भी मेरे घर में दीपक की फ़ोटो लगी है । दीपक ने मुझे एक नई जिंदगी दि है । हम उसकी आत्मा की सांति के लिए पूजा करते है । आज भी याद आता है ।

सालनी मैम बोलती है : खेर छोड़ यह बाते काजू और अपनी बारी में कुछ बताओ ।

रोहाना बोलती है : कि मैम आप मेरी दोस्त हो या मैम ।

सालनी मैम बोलती है : कि दोस्त ही समझती हुं मैं तुमें और तुम भी मुझे दोस्त समझ सकती हो । अब बताओ कि काजू और तुम्हारे बीच क्या क्या हुआ ।

रोहाना बोलती है : कि काजू मेरे को बहुत अच्छा लगता है । और ऊबो मुझे शमझता हैं । मेरा ध्यान रखता है । और काजू मुझसे बहुत प्यार करता है । में जब भी काजू के साथ रहेती हुं तो मुझे खुद का होश नहीं रहता । और मेंरे और काजू के बीच बहुत कुछ हो चूका । आप को तो सब पता है मैम । और एक और बात काजू और हमने जो नया टेंट बनाया है ऊबो पास में ही है । मतलब इतना भी नहीं पर पास में है । इतने में सारे बच्चों की ज़ोर ज़ोर से आवाज़ें आती है तो

सालनी मैम बोलती है : कि चालों रोहाना देखते है कि क्या हुआ है । और हां रोहाना जो भी हमारे बीच अभी हुआ है ऊबो किसी को पता नहीं चलना चाहिए । चालों देखते है।

फिर मैम देखती है कि सारे बच्चों ने मिल कर कल रात के बचे हुए लकड़ से नाऊ बनी है । और कहे रहे की में जाऊंगा पहले नाऊ में, में जाऊंगा पहले नाऊ ने । फिर रोहाना और सालनी मैम सब को बैलेंस में बिठाती है और कहती हैं की कोई कही से उठेगा नही वरना सब गिरोगे । सब को नाऊ में भेजने के बाद सालनी मैम को दुसरी मैम को देख कर उनकी बाते याद आ जाती है । और फिर रोहाना को कहती है कि । 

सालनी मैमे रोहान तुम कुछ कहना है : की जो रधिका मैम बोल रही है कि रात को मैम ने कुछ देखा कि कुछ बंदर आ कर सब का सामान इधर उधर फेंक रहे थे । क्या तुमें पता है यहां बंदर है । 

रोहाना बोलती है : कि मैम हम कल से यही है हमे तो कोई बंदर नहीं दिखा । 

रोहाना बोलती है : की मैम आज रात को देखता है की बंदर है या नहीं.... 

और राधिका मैम से पूछते हैं की कब और कहा देखा उनसे जानते है। ....

क्या सच में बंदर है यहां अगर हां तो रात को देखे गए और अगर बंदर है तो जो बच्चे नाऊ पर गए है उनके साथ क्या होगा। और अगर नही है तो क्या सब यही रहेंगे या फिर यहां से चाले जाएंगे और हां जाने की आगे क्या होता है । इस के लिए पढ़े एक बेतूकी दोस्ती राजेश मालती के साथ....