शिव शास्त्री इंदौर के जाने- माने वकील, पल भर में सच को झूठ बना सकते हैं...
ये शख्स, पैसों के मामले में बेहद प्रैक्टिकल है।
उसके जीवन का लक्ष्य धन-दौलत कमाना है। वह केवल पैसो के लिए ही काम करता है, और पैसो के लिए ही जीता है।
शिव बोलने में बहुत कुशल, मृदुभाषी, उचा लंबा सा कद, रंग गोरा....
कोई भी लड़की उस को पलट कर देखे बिना रह नही सकती थी।
दूसरों से अपनी बात मनवाना, अपराधी के खिलाफ सबूत होने पर भी उसका निर्दोष साबित करना, यही उसकी कुशलता थी..
कम उम्र में रईस होने के लिये, शिव ने उसके जीवन से मूल्य और सिद्धांत पूरी तरह से ख़त्म कर दिये।
आज शिव को घर से जो फोन आया था वह उसकी छोटी मां का था।
शिव को पता था कि उसकी छोटी माँ ने उसके शादी के लिए एक लड़की और उस के घरवालो को बूलाया है।
इसलिए शिव इससे बचने के लिए रात को ग्यारह बजे घर आता है।
जैसे ही उसकी गाड़ी गेट के पास पहुंची, दूसरी मंजिल की खिड़की में रोशनी आई और पर्दे के पीछे से उम्मीदों भरी आंखें उसकी ओर देखने लगीं।
वहां पर शिव का भी ध्यान जाता है; लेकिन अचानक शिव ने उस नज़र को टाल दिया और दरवाज़े पर आ गया। जब शिव दरवाजे पर पहुंचा, तो उसका बिल्कुल वैसे ही स्वागत किया गया जैसी शिव को उम्मीद थी, उसकी छोटी माँ सोफे पर बैठी थी, उसकी आँखें बता रही थीं कि, वह गुस्से में थी।
वह गुस्से में थी लेकिन इसके साथ ही परिवार के सभी सदस्य उसके आसपास थे...
लेकिन उनके चेहरे बहुत भावहीन थे जैसे कि शिव के व्यवहार से उनके लिए कोई फर्क नहीं पड़ता..
शिव ने अपना कोट उतार दिया और नौकर को आवाज दी, "यह कोट और यह ब्रीफकेस कमरे में ले जाओ, और मेरे लिए खाना गर्म करो..."
जैसे ही शिव अंदर जाने वाला था, तब उसके भाई ने चिड़ते हूये आवाज़ दि... पुकारा, "भाई.. माँ.. माँ को, तुमसे बात करनी है।..
शिवा गुस्से से पीछे मुड़ा, " छोटी मॉं क्या कहना चाहती है, मुझे सब पता है और छोटी माँ को भी मालूम है की मुझे इन सब चीजो मे कोई भी इंटरेस्ट नही और तुम सब यहाँ तमाशा देखने के लिए खड़े हो?
छोटी मॉं मुझसे नाराज़ है ना... तो मै उसे मना लूंगा या फिर उसका गुस्सा सह लूंगा।
उस समय शिव का छोटा भाई उसी धीर -गम्भीर स्वर में शिव से बात करता, "भाई, तुम्हें क्या लगता है, तुम्हारे व्यवहार से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। तुम और छोटी माँ डिसाईड करो की आगे क्या करना है। हर बार तुम्हारे शादी के विषय में घर में बहस होती रहती है विषय। तुम दिन भर घर के बाहर रहते हो लेकिन छोटी माँ हमे परेशान करती है।"
शिव ने आपने आपको शांत रखने के लिए अपनी आँखें मूंद कर,
शिव अपना गुस्सा कंट्रोल करते हुए, "गर्व, मैं छोटी मॉं और तुम सब से हज़ार बार एक ही बात कहता हूँ, "मैं शादी नहीं करना चाहता... मैं किसी से भी शादी नहीं करना चाहता। और अगर छोटी माॅाँ ने जबरदस्ती से मेरी दुसरी शादी करवा दी तो मैं दुसरेे ही दिन अपने पत्नी को जहर देकर मार दूंगा।"
गर्व (शिव का छोटा भाई) अपनी छोटी माँ के सामने आता है, "सुना तुमने, उसकी राय.. (वो गुस्से में हाथ जोड़ता है) मैं अब आपसे विनती करता हू की, हर बार नए मेहमानों को बुला कर.. उन मेहमानों का और हमारे घर का अपमान मत करो... जब वो चाहेगा शादी करनी है तो, वह शादी कर लेगा..."
छोटी माँ उठती है और शिव के सामने आती है, "मैं तुम्हारी माँ हूँ। तुम्हारी पत्थर जैसी जिंदगी देखकर मुझे दुख होता है.. (वह अब शिव के सामने हाथ जोड़ती है), प्लीज शिव, एक बार शादी कर लो.. वो लडकी बहुत अच्छी है, वो तुम्हारा जीवन सवार लेगी।
शिव उपेक्षित मुस्कुराते हुए कहते हैं, "माँ, पहली बार का अनुभव, सचमुच बहुत "अच्छा" अनुभव था.. इसलिए अब मैं इस "शादी" जैसे शब्दो से दूर रहता हूँ।
छोटी मॉं- वैसे भी तुम्हारी उमर क्या है, और तूम्हे इस खानदान को वंश भी देना है।
शिव (छोटी माँ के सामने हाथ जोड़ता है) प्लीज़ माँ, गौरव, चिराग और तेजस अपने कुल की वंशावली को बढ़ाने के लिए हैं।
छोटी मॉं- तो जिंदगी मे आगे क्या करना है, इसके बारे में कुछ सोचा है?
शिव- हॉं, मुझे पैसे कमाने है, वह भी ढेर सारे पैसे।
छोटी माँ- क्या पैसा और दौलत ही सबकुछ है?
शिव का छोटा भाई चिराग वहा आकर आपने माँ के कंधे पर हाथ रख कर, "छोटी माँ, भाई को शादी ही नही करनी है, तो आप उसको जबरदस्ती क्यू करते हो,
अगर आपने भाईकी जबरन शादी कर दी, तो ये उस बेचारी लडकी को, सुकून से जीने भी नही देगा।
शिव, नकारात्मक में अपना सिर हिलाते हुए, अपने कमरे में जाने वाला था।
छोटी मां (शुभांगी) - ठीक है, शिव की दुसरी शादी ना करने के फैसले को मैं स्विकार कर लेती हूं, लेकिन इस शिव को भी मेरी एक शर्त माननी पडेगी और वो शर्त है की, वो मैथली से अच्छे से बर्ताव करे, उसे बात करे, मैथली से ढेर सारा प्यार करे।
शिव को राय में चाहे कितनी भी देर हो, बेचारी बच्ची उस के कमरे के पर्दे के पीछे से उसका रस्ता देखती रहती है,
लेकिन यह घमंडी शिव उस की तरफ देखता भी नही.. देखना तो दूर ये तो मैथलीसे बात भी नहीं करता.... अपने बेटी को इस तरह से कौन प्यार करता है?
शिव ने अपनी माँ की ओर देखते हुए कहा, "मैथिली को ढेर सारा प्यार करने के लिये...उसके दो दादा, दो दादी, तीन चाचा, दो आत्या और दो चाचियाँ हैं।
शुभांगी- लेकिन माता-पिता के प्यार...उस का क्या?"
शिव-" बच्चे माता-पिता के प्यार के बिना भी जीवित रह सकता है।"
इस समय गर्व की पत्नी गार्गी...गर्व को आँखों से इशारा कर रही थी।
गर्व, अपनी आँखें बंद करके गार्ग को चुप रहने के लिए ककहताै ...लेकिन वह एक बार फिर अनुरोध करती है..
गर्व शिव के सामने आता है, "तो ठीक है भाई, मैथिली को गार्गी के साथ दो महीने के लिए उसके मायके जाने दो.. वैसे भी यह गार्गी की डिलीवरी का दिन भी है।
शिव ने गार्गी की ओर देखते हुए कहा, "गर्व, मैं जानता हूं कि मैथिली गार्गी एक दूसरे से लगाव है, लेकिन मैथिली यहां से कहीं नहीं जाएगी..
छोटी माँ-" मैथिली कोई खिलोना नही, बल की तुम्हारी बेटी है।
मैथली के दो महीने के समर वेकेशन है,
गार्गी यहा पे नही रहेगी तो मैथिली का यहा दिल नही लगेगा।
गार्गी उसको अपने साथ उसके मायके लेने जाना चाहती है, तो तू मना क्यू कर रहा है?
अगर मैथली को गार्गी के साथ नही भेजना है तो तुम मैथिली को कही घुमाने ले जाओ। ताकी वो ये छूटिया हस्ते खेलते बिताये।
शिव- माँ, मैंने उसकी छुट्टियों की योजना बना ली है, मैं उसे दो महीने के लिए समर कैंप में भेजने जा रहा हूँ.... और अगर आप सभी का," कसौटी जिंदगी की, का एपिसोड खत्म हो गया है,तो मै अंदर जाकर चेंज कर लेता हु।
सुबह से भुक से मरा जा रहा हु। लेकिन आप लोगो को तो उसकी कोई फिकर ही नही। घर के सभी सदस्य अपने कमरे में चले जाते हैं.
तभी वहां शिव के पिता दिनकर शास्त्री आ जाते हैं। शास्त्री ने पत्नी के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, ''शुभांगी, तुम हमेशा उसका एक ही जवाब सुनकर बी.पी. बढाती हो, चलो अब तो आराम से सो जाओ..
शुभांगी- मुझे उसके बारे में सोचकर नींद नहीं आती..
दिनकर- "मैं तुमसे कितनी बार कहता हूँ, उसको बदलने के लिए आपनी जिंदगी खराब मत करो, शिव अब कभी नही सुधरने वाला है, क्योंकि उसने अपने अंदर की मानवता की भावना को हमेशा के लिए ख़त्म कर दिया है।"
शुभांगी- हां, उसने आपने भावनाओं को मार डाला होगा, लेकिन मैं आपनी आखिरी सांस तक उसकी इंसानियत को जिंदा करने की कोशिश करूंगी.., क्यूकी मुझे शिव के साथ मैथली की भी चिंता है।
और वो एक लडकी है, उसे छोटी उम्र में अपने माता-पिता का प्यार नहीं मिला, तो बेचारी लड़की जीवन भर प्यार की तलाश में रहेगी।
इधर शिव अपने कमरे में आता है, वह नाजुक सुंदर डॉल अपने हातो में लेता है और वह अतीत में खो जाता है,
तभी उसके कानों में एक आवाज सुनाई देती है,
शर्मिष्ठा, सुनो... देखो, मैं यह डॉल तुम्हारे आने वाले बच्चे के लिए लाया हूँ।
शर्मिष्ठा- "लेकिन मुझे लड़की नहीं, लड़का चाहिए.
शिव- लड़का और लड़की एक जैसे हैं, वैसे भी लड़किया पापा से बहोत प्यार करती है...
उसके बाद उसके कानों में कड़वे शब्द पड़ते हैं...
शर्मिष्ठा- "बधाई हो शिव! अपनी बेटी की कस्टडी पाने के लिए बधाई!
लेकिन मैं आपको एक कड़वा सच बताना चाहती हूं..., आप जिसकी इतनी परवाह करते हैं, वह वास्तव में आपकी बेटी नहीं है.. अब जिसकी कस्टडी आपके पास है , वो आप की जीत नही तो मेरा धोखे का एक जीवित रूप है और आपकी अंतिम सासो तक वह मेरी बेवफाई का प्रतिक बन कर रहेगी... उसके बाद उसके कानों पर वही शैतानी हंसी पड़ती है.
_________