इस कहानी की शुरुआत करते हैं
शिमला में
यह कहानी की शुरुआत होती है खंडहर से जहां इस वक्त एक लड़की बेहद जख्मी हालत में वहां जंजीरों में बंधी हुई थी उसे जमीन पर लेटी उसकी आंखें अधखुली एक तक सामने देख रही थी उसकी आंखों में किसी भी प्रकार के कोई इमोशन नहीं थे वह बिना भाव की आंखें बता रही थी कि उसने कितने दर्द सही है उसकी हालत देखकर कोई भी अंदाजा लगा सकता था कि उसकी किस कदर उसके साथ ना इंसाफी हुई है वह बहुत ज्यादा जख्मी हालत में थी उसके कपड़े जगह-जगह से फटे हुए थे । उसकी होंठ कटे हुए थे जहां से खून रश रहा था उसकी हालत बता रही थी कि उसके साथ कितनी दरिंदगी की गई है और कितनी घटिया तरीके से से पेश आया गया है। उसके बाल जगह-जगह से कटे थे ऐसे लग रह जैसे किसी ने उसके बालों को कतर दिया हो।
वही उसके आसपास खड़े चार-पांच लोग उसे लड़की को देखकर हंस रहे थे उनकी हंसी इतनी गंदी थी कि उसे खाली खंडहर में उनकी हंसी की गूंज उसे लड़की के कानों में किसी सुई की तरह चुभ रही थी।
तभी उनमें से एक आदमी आगे आता है जिसकी उम्र तकरीबन 30 से 35 साल की थी वह दिखने में मोटा था वह उसे लड़की के करीब आता है उसकी आंखों में हवस साफ देखी जा सकती थी वह लड़की के करीब आता है और और उसके जबड़े को इतनी कस के पकड़ता है कि उसे लड़की की आंखें दर्द से बंद हो जाती है और उसकी आंखों से एक कतरा आंसू बहकर निकल जाता है।
वह लड़की अपनी आंखें खोल कर उसे आदमी को देखते हैं जो उसे काफी गंदी नजरों से देख रहा था। वही जो चार आदमी खड़े थे वह उसे आदमी को देखकर हंसते हुए कहते हैं, "
"शंभू तू ही पहले कर ले इस लड़की के साथ जो करना चाहता है हमारा नंबर तो बाद में आखिर तु हमारा लीडर जो है। "
ऐसा कहकर वह चारों आदमी उसे जगह से निकल जाते हैं हंसते हुए वहीं वह आदमी भी हंसते हुए उसे लड़की के करीब बढ़ाते हुए बेहद गंदी हंसी और गंदी आवाज में कहता है, "
"बहुत शौक है ना तुझे जासूसी करने का तो सीबीआई ऑफिसर है ना तू तेरा यह शौक अपने जिस्म के तले ना रौंध दिया तुम मेरा नाम भी शंभू नहीं"
ऐसा ऐसा कहकर शंभू उसे लड़की की तरफ बढ़ने लगता है वह करीब उसके जा पाता उससे पहले ही एक जोरदार लात उसके प्राइवेट पार्ट पर पड़ती है और वह दर्द से छटपटाता हुआ दूर है जाता है।
वह लड़की जो अब तक जमीन में बेसुध हालत में पड़ी थी बहुत हिम्मत करके उठाती है और शंभू को देखकर कहती है, "
मैं मर जाऊंगी साले लेकिन तुझे कभी खुद को हाथ लगाने नहीं दूंगी।
वही शंभू फिर से उठकर उसे लड़की के पास आता है और उसके बालों को पकड़ कर उसके सर को ऊंचा करता है और उसके चेहरे के करीब जाते हुए कहता है, "
बहुत अकड़ है ना तुझ में तेरी यह सारी अकड़ मैं निकलूंगा तू बस ठहर जा तेरे अंदर यह जो घमंड और गुरूर है ना इस घमंड और गुरुर को मैं अभी चकनाचूर करूंगा। अब मैं अकेला नहीं सबको बुलाऊंगा।
उसकी ऐसी बातें सुनकर एक पल के लिए वह लड़की सहन सी जाती है उसकी आंखों में डर नजर आने लगता है जो देखकर शंभू जोर-जोर से हंसने लगता है और तुरंत आवाज देकर सबको बुलाने लगता है।
आओ सब के सब
शंभू की ऐसी आवाज सुनकर सब अंदर दौड़े चले आते हैं अंदर जाकर देखते हैं तो वह लड़की बैठी हुई थी और शंभू ने उसके बालों को पकड़ा हुआ था। सभी आदमी अंदर आ जाते हैं और सभी की नजरों में हवस देखकर शंभू हंसने लगता है और फिर सबको देखकर फिर एक नजर उसे लड़की को देखकर सबसे कहता है, "
बड़ी होशियार बन रही थी मुझे मारा उसने इसे दिखाऊंगा की शंभू को करने का नतीजा क्या होता है।
ऐसा कहकर शंभू उसे लड़की के करीब बनने लगता है लेकिन न जाने कहां से उस लड़की के अंदर इतनी हिम्मत आ जाती है कि वह जोर लगाकर शंभू को धक्का देती है शंभू दूर जाकर गिरता है और उसके मुंह से एक दर्द भरी चीख निकलती है।
शंभू को दर्द में देखकर जो बाकी चार आदमी थे वह दोनों उसे लड़की को गुस्से से देखने लगते हैं और अपने कदम उसे लड़की की तरफ बढ़ा देते हैं वही वह लड़की जख्मी हालत में होते हुए भी खुद को खड़ा करती है और आसपास उसे एक लकड़ी दिखती है वह लकड़ी उठा लेती है और उन आदमियों को देखते हुए कहती है, "।
एक औरत कभी कमजोर नहीं होती वह हर मुश्किल का सामना करने की ताकत रखती है और मैं भी आज तुम लोगों का सामना करूंगी। और वैसे भी मैं एक सीबीआई ऑफिसर हूं मुझे हर हालत से लड़ना आता है।
उसे लड़की की आंखें जो अब तक खाली थी बिना भाव की थी उनमें एक जुनून नजर आता है उन सभी को करने का वह लकड़ी उठाते हुए लंगड़ाते हुए उन आदमियों की तरफ बढ़ती है एक-एक करके उन सभी को बहुत अच्छी तरीके से पीटने के बाद एक जगह ठहर जाती है और वही वह पांच आदमी बेजान हालत में इधर-उधर पड़े थे क्योंकि उस लड़की ने उन लोगों की हालत उम्मीद से ज्यादा खराब कर दी थी।
उनकी ऐसी हालत देखकर वह लड़की एक पल को मुस्कुराती है और फिर उन सभी को देखते हुए कहती है, "
कहा था ना हर मुश्किल से सामना करने की ताकत है हर दुश्मन से लड़ने की ताकत है मुझ में ना ही कभी यह ताकत मैं हारूंगी।
ऐसा कहते हुए वह लड़की एक नजर उन सभी आदमियों को देखते हैं और फिर जब उसे लगता है कि सारे आदमी बेहाल पड़े हैं वह उठकर उसका सामना नहीं कर सकते तो वह अपने लड़खरते कदमों से उसे खंड है से बाहर निकलने लगती है। वह जा रही थी कि पीछे से शंभू अपनी आंखें खोलकर उसे लड़की को देखता है और फिर वही पड़ी गण उठाकर उसे लड़की पर चला देता है। गन की आवाज सुनकर वह लड़की पीछे पलट कर देखती है तो शंभू ने उसे पर गोली चलाई थी लेकिन इत्तेफाक से वह गोली कहीं और जा लगती है और वह लड़की बच जाती है।
यह खंड है एक जंगल में था वही जंगल में एक सीबीआई की टीम जो इधर-उधर फैली थी और अपने साथी को ढूंढने की कोशिश कर रही थी उनमें से एक नौजवान लड़का जिसकी उम्र तकरीबन 26 से 27 साल थी वह आगे आगे बड़ी बेचैनी के साथ किसी को पुकार रहा था वह लोग अभी आगे चल ही रहे थे कि उन्हें गोली चलने की आवाज सुनाई देती है।
वह लड़का उसे दिशा में देखते हुए बड़ी बेचैनी के साथ कहता है, "
"आई होप तुम ठीक हो गया आयशा तुम्हें कुछ नहीं हुआ होगा"
ऐसा कहकर वह लड़का अपनी टीम की तरफ देखा है और उन्हें जल्दी से आर्डर देते हुए कहता है, "
"कम फास्ट हम कोई भी रिस्क नहीं ले सकते जल्दी चलो मेरी आयशा की जान को खतरा है"
वह लोग अपना कम उसे दिशा में बढ़ा देते हैं।
वही उस खंडहर में वह लड़की शंभू की गोली के वार से बच तो गई थी लेकिन कब तक बस्ती शंभू ने जब दोबारा गोली चलाई तो उसे लड़की के के बाएं हाथ पर जाकर लगती है वह गोली जिससे उसे लड़की की एक जोरदार चिख निकल जाती है।
वही जंगल में चल रहे उसे आदमी ने जब लड़की की चीख सुनी तो उसके कदम एक पल के लिए रुक से जाते हैं और वह बड़ी बेचैनी के साथ खुद से कहता है, "
"यह तो आयशा की आवाज है जो जो जो तुम्हें कुछ नहीं हो सकता ऐसा मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दे सकता मैं तुम्हें नहीं को सकता"
वह अपने कदम जल्दी उसे दिशा में बढ़ने लगता है थोड़ी ही देर में वह लोग उसे जगह पर पहुंच भी जाते हैं। लेकिन सामने का नजारा देखकर हैरान हो जाते हैं क्योंकि सामने यानी कि वह लड़की ने शंभू को इतनी बुरी तरीके से पड़ा हुआ था कि शंभू को सांस नहीं आ रही थी और वह छटपटा रह रहा था और उसे लड़की से काफी कोशिश कर रहा था कि वह लड़की उसे छोड़ दे लेकिन वह लड़की उसे नहीं छोड़ती। थोड़ी ही वक्त में शंभू का शरीर ढीला पड़ जाता है और वह लड़की शंभू को वहीं छोड़ देती है कि तभी उसे एक आवाज सुनाई देती है।
"आयशा""
इस आवाज को सुनकर वह लड़की तुरंत पलट कर देखती है तो वहां पर एक 26 27 साल का लड़का खड़ा था जिसने इस वक्त व्हाइट कलर की शर्ट पहनी थी और ब्लैक कलर की पैंट पहनी थी जिसकी बॉडी उसे व्हाइट कलर की शर्ट में उभर कर आ रही थी।
उसे लड़के को देखकर वह लड़की यानी कि आयशा तुरंत उसे दिशा में अपने कदम बढ़ने लगती है और जल्दी से जाकर उसे शख्स के गले लग जाती है।
अभी दोनों एक दूसरे को गले लगाए हुए थे कि वह शख्स जिसने आयशा को गले लगाया हुआ था वह बहुत प्यार से आयशा के बालों को सहलाते हुए कहता है, "
आईटी'एस अलराइट कुछ नहीं हुआ है काम डाउन।
वह शख्स ऐसा इसलिए कह रहा था क्योंकि आयशा उसे शख्स के गले लगा कर बे इंतेहा रो रही थी या यूं कहें कि वह अपने दर्द को बयां कर रही थी हां वह डर गई थी बहुत ज्यादा डर गई थी क्योंकि वह शंभू और उसके साथियों की गंदी नज़रें खुद पर महसूस कर चुकी है और तो और उसने शंभू और उसके साथियों के गंदे हाथ अपने जिस्म पर महसूस किए हैं यह सोचकर ही उसकी रूह कॉप उठती है कि अगर वह सही सलाह वक्त पर खड़ी ना होती और शंभू को उसने कितना किया होता तो आज न जाने वह किस हाल में में होती है यह सोचकर वह जारों जार रोए जा रही थी रही थी।
वह अपनी लड़खड़ाती हुई आवाज में कहती है, "।
"विराज अगर तुम सही टाइम पर नहीं आते तो न जाने मेरे साथ यह लोग क्या करते हैं।
फिर कुछ पल रुक कर आगे अपनी बातें बात कहती है, "
"विराज इन्होंने मुझे छूकर गंदा कर दिया है।
विराज ने यानी उसे लड़के ने जब आयशा की ऐसी बातें सुनी तो एक पल के लिए उसका दिल बेतहाशा धड़कने लगा वह आयशा को एक तक देखने लगा वही जब उसे तसल्ली हो गई कि ऐसा कुछ नहीं है तो वह उसे खुद के सीने से चिपक लेता है और ऐसे चिपकता है जैसे वह छोड़ देगा तो आयशा कहीं दूर चले जाएगी और यही हाल आयशा का भी था कि वह अगर विराज को छोड़ देगी तो विराज भी उससे कहीं दूर चला जाएगा। दोनों अभी एक दूसरे को गले लगाए हुए ही थे की विराज आयशा को लेकर दूसरी ओर घूम जाता है।
वह तुरंत उसे दिशा में पलट जाता है और आयशा जब अपने पीछे का नजारा देखते हैं तो उसकी आंखें शौक से बड़ी हो जाती है क्योंकि उसके सामने शंभू का ही एक आदमी खड़ा था उन दोनों के ऊपर गन पॉइंट करके। आयशा यह देखकर एक पल के लिए उसकी सांसे रुक सी गई क्योंकि वह बस गन शूट करने ही वाला था।
विराज पीछे अपनी टीम को कुछ इंस्ट्रक्शन दे रहा था इस दौरान उसकी पकड़ आयशा से छूट गई थी। या यूं कह सकते हैं कि विराज की पकड़ आयशा पर हल्की हो गई थी और यह महसूस करके आयशा एक बार नाम आंखों से विराज को देखते हैं और फिर उसे जोरदार धक्का देकर दूर कर देती है और तुरंत ही गोली चलने की आवाज आती है।
ऐसे अचानक आयशा के धक्के दिए जाने पर विराज काफी हैरान था वह कुछ रिएक्ट कर पाता उससे पहले ही उसे गोली चलने की आवाज सुनाई देती है वह उसे दिशा में देखा है तो आयशा के सीने पर आकर एक गोली लगी थी और वह गिरती उससे पहले ही विराज उसे अपनी बाहों में थाम लेता है।
आयशा को इस हालत में देखकर विराज तुरंत आयशा का नाम जोर से पुकारता है और दौड़ के उसके पास जाकर उसे अपनी बाहों में संभाल लेता है विराज की आंखों में इस वक्त आंसू थे वही आंसू तो इस वक्त आयशा की आंखों में भी थे क्योंकि उसने हजार सपने देखे थे विराज के साथ अपनी आने वाली जिंदगी के लिए लेकिन कहते हैं, " ना कि जिन ख्वाबों को अधूरा रहना होता है वह ख्वाब अधूरे ही रह जाते हैं। यही हो रहा था विराज और आयशा के साथ आयशा और विराज दोनों ही अनाथ थे दोनों का ही अपना कहने वाला कोई नहीं था वह एक आश्रम में पहले बड़े थे साथ रहते रहते दोस्ती हुई दोस्ती इतनी गहरी हो गई की दोस्ती प्यार में बदल गई और वही प्यार अब एक रिश्ते को नाम देने जा रहा था लेकिन एक मिशन के चलते हैं आयशा को यहां आना पड़ता है जहां उसका किडनैप यह शंभू और शंभू के आदमी कर लेते हैं।
आयशा को उसे हालत में देखकर विराज एकदम टूट सा गया था वह आयशा को कभी खोना नहीं चाहता था क्योंकि वह आयशा से बेइंतहा मोहब्बत करता था लेकिन कहते हैं, " ना कि कुछ मोहब्बत अधूरी रहने के लिए ही बनी होती है बिल्कुल वैसे ही विराज और आयशा की मोहब्बत अधूरी होने के लिए ही थी अब उनका मुकम्मल होना बहुत मुश्किल था उनका मुकम्मल होना नामुमकिन सा था ।
आयशा को वैसी हालत में देखकर विराज की हालत बिगड़ जाती है क्योंकि वह सब कुछ तो हो चुका था अपनी फैमिली उसकी नहीं थी ना ही उसका कोई अपना कहने वाला था अगर कोई अपना था तो वह आयशा थी उसकी उसकी फैमिली उसका प्यार उसकी दोस्त सब कुछ तो आयशा थी लेकिन अब वह भी उसे छोड़कर जा रही थी इस दुनिया में अकेला करके इस ख्याल से ही विराज की धड़कने बेतहाशा शोर करने लगी और वह अपने कापते हाथों से आयशा के चेहरे को बड़े प्यार से छूटा है उसकी आंखों में इस वक्त बहुत ज्यादा आंसू थे वह आयशा को देखते हुए बड़ी नरमी के साथ कहता है, "
"तुम मुझे ऐसे छोड़कर नहीं जा सकती तुमने वादा किया था साथ रहने का उम्र भर साथ निभाना का तुम मुझे ऐसे अकेला छोड़कर नहीं जा सकती मैं कैसे रहूंगा तुम्हारे बिना मुझे तो तुम्हारे बिना जीना ही नहीं आता मेरी फैमिली मेरी मोहब्बत मेरी दोस्त सब कुछ तो तुम हो आयशा तुम चली गई तो मैं कैसे रहूंगा।"
वही आयशा जो विराज के बाहों में बेजान सी हालत में थी उसकी सांसे हल्की-हल्की चल रही थी वह भी अब उसका साथ छोड़ रही थी वह विराज को देख कर बड़ी मुश्किल से कुछ चंद शब्द उसके मुंह से निकलते हैं।
"मुझे माफ करना विराज मेरी भी ख्वाब थे जो अब अधूरे रह गए हैं उन ख्वाबों को मैं तुम्हारे साथ जीना चाहती थी लेकिन शायद यह बात ऊपर वाले को मंजूर नहीं थी इसलिए वह तुम ही और मुझे इस कदर अलग कर कर रहे हैं। मुझसे वादा करो की तुम हर वह ख्वाब पूरा करोगे तो तुम नहीं देखा है खुद के लिए कभी खुद को नुकसान नहीं बचाओगे और मुझे भूलकर अपनी जिंदगी में आगे बढ़ जाओगे। वादा करो विराज।"
आयशा के वह हाथ विराज के चेहरे को छूते हैं विराज आयशा के चेहरे पर अपना हाथ रख लेता है और बड़े प्यार से और काफी रोते हुए कहता है, "
"नहीं नहीं नहीं हम दोनों वह सपने जरूर जाएंगे आयशा तुम अपने विराज को इस तरह नहीं छोड़ कर जा सकती मैं अकेला क्या करूंगा तुम्हारे बिना मैं नहीं जी सकता तुम्हारे बिना तुम यह बात बहुत अच्छी तरीके से जानती जानती हो मैं ऐसा कोई वादा नहीं करूंगा तुमसे।"
आयशा एक बार फिर अपनी टूटी हुई सांसों को संभालते हुए विराज की तरफ देखकर कहती है, "।
"तुम्हें मुझसे वादा करना होगा कि तुम कभी अकेले नहीं रहोगे अपने साथ एक नया जीवन साथी चुनोगे उसके साथ हमेशा खुश रहोगे"
आयशा की ऐसा कहते ही उसकी नजर एक जगह जाकर ठहर जाती है वहां पर एक लड़की खड़ी थी जो कि इस कि हम उम्र की थी और उसने भी व्हाइट शर्ट ब्लैक जींस पहन रखी थी उसका चेहरा नैन नक्श बिल्कुल अच्छे थे वह भी किसी अप्सरा से काम नहीं लग रही थी आयशा उसे लड़की की ओर देखते हैं और इशारे से उसे अपने पास आने को कहती है, "। वह लड़की आयशा का इशारा समझ कर आयशा के पास आती है। तो आयशा उसे लड़की का हाथ और फिर विराज का थाम कर अपनी उखड़ी हुई सांसों के साथ कहती है, "
"स्नेहा मेरे विराज का ख्याल रखना मैं तुम्हें अपना विराज देकर कर जा रही हूं मुझे उम्मीद है तुम मेरी विराज का ख्याल मुझ भी ज्यादा रखोगी।"
विराज आयशा की बात सुनकर उसकी तरफ देखने लगता है उसने कभी उम्मीद नहीं की थी आयशा के अलावा किसी और के साथ अपनी जिंदगी बिताने की लेकिन आज उसकी आयशा उसे हमेशा के लिए छोड़ कर जा रही थी यह सोचकर ही उसकी रूह कांप उठी थी।
अभी इन सब ख्यालों मे खयालों में ही था कि उसे आयशा की गहरी गहरी सांस लेने की आवाज आती है वह जो आयशा की तरफ देखा है तो उसे संभालने लगता है। वही आयशा अपना हाथ विराज के आगे बढ़कर बड़ी उम्मीद से कहती है, "
विराज मुझसे वादा कर लो ताकि मैं चैन से मर जाऊं
आयशा कैसे अल्फाज सुनकर विराज अपने सर को ना में हिलता है और कहता है, " बिल्कुल भी नहीं।
लेकिन अगले ही पल आयशा कुछ सांस लेने में तकलीफ होने लगी थी वह काफी मशक्कत से कुछ अल्फाज कहती है, "
विराज मुझसे वादा कर लो ताकि मैं चैन से मर जाऊं
आखिर में विराज को आयशा के आगे हार मरनी पड़ती है और वह आयशा को देखते हुए कहता है, "
मुझे मंजूर है मैं किसी और के साथ अपनी दुनिया बसा लूंगा लेकिन मैं इसे अपना प्यार नहीं कर पाऊंगा जितना तुमसे करता हूं ।
आयशा स्नेहा की तरफ देखकर उसका हाथ थामती है और विराज के हाथों में देखकर एक मुस्कुराहट के साथ उन दोनों से बस यही कहती है, "
" हमेशा खुश रहना तुम दोनों पर स्नेहा तुम मेरे विराज का ख्याल हमेशा रखना उसे कभी अकेला मत छोड़ना
विराज आयशा को अपने गले लगा लेता है कसके लेकिन तभी विराज को महसूस होता है क्योंकि उसे एहसास होता है कि उसकी मोहब्बत उसकी बाहों में दम तोड़ चुकी थी आयशा की आंखें अब बंद हो चुकी थी हमेशा के लिए और विराज अपनी बाहों में अपनी मोहब्बत को यूं मरता देख कर कुछ पल के लिए स्तब्धता रह जाता है क्योंकि उसने यह चीज कभी एक्सपेक्ट नहीं की थी कि आयशा और वह एक दूसरे के बिना कभी रहेंगे क्योंकि वह हमेशा से बचपन से लेकर अब तक साथ रहते हैं आए हैं उनका सपना था कि वह आगे भी अपनी जिंदगी साथ जियेंगे और इस मिशन के बाद तो वह लोग शादी करने वाले थे उनकी शादी अगले हफ्ते होन होने वाली थी और शादी के एक हफ्ते पहले ही अचानक से उन्हें एक मिशन की खबर मिलती है जहां आयशा का होना जरूरी था आयशा उसे मिशन में जाती है हालांकि विराज का मन नहीं था ऐसा कुछ जान देने का लेकिन आयशा के लिए अपने देश के लिए ड्यूटी सबसे पहले मायने रखती थी इसलिए वह उसे नहीं रोकना और आयशा को मिशन पर जाने देता है लेकिन उसने कभी नहीं सोचा था कि इस मिशन के बाद वह आयशा का चेहरा कभी नहीं देख पाएग पाएगा आयशा उसे छोड़कर हमेशा के लिए चली गई थी एक ऐसी दुनिया में जहां से वह कभी वापस लौटकर नहीं आ सकती थी।
विराज काफी कोशिश करता है आयशा को उठाने की वह बार-बार उसके गाल को थपथपाते हुए उठा रहा था लेकिन दुनिया से जा चुकी थी उसका साथ छोड़ चुकी थी तो वह कैसे उठती सच्ची प्यार का यही अंजाम होता है जब आप अपनी मोहब्बत को खो देते हो तो आपको रिएक्ट करने का मौका ही नहीं मिलता ऐसे ही हल विराज के साथ हो रहा था उसकी आंख से आंसू बहे जा रहे थे वह आयशा को उठाने की काफी कोशिश कर रहा था लेकिन ऐसा नहीं उठ रही थी वही बाकी सारे मेंबर विराज को इस हालत में देखकर काफी उदास थे उन्होंने विराज को हमेशा एक अच्छे और एक सख्त ऑफिसर के रूप में देखा है लेकिन आज विराज उसकी उलट था क्योंकि वह अपनी मोहब्बत को खो चुका था वह आयशा को गले लगाए हुए वहीं बैठकर खूब जोर जोर से रोने लगता है। उसके कानों में आयशा के बस आखरी अल्फाज गंज रहे थे जो आयशा ने उससे माफी मांगी थी कि वह उसे माफ कर दे कि वह आगे उसका साथ नहीं निभा पाई विराज यह सोचकर ही पागल हुआ जा रहा था कि उसकी मोहब्बत उसके साथ नहीं है।
विराज आयशा को उठाने की लाख कोशिश करता है लेकिन ऐसा नहीं उठाती वह इस उम्मीद में था कि आयशा अभी उठेगी और उसे तेजी की वह अपनी हालात ऐसे क्यों बने बैठा है लेकिन नहीं आ सकती थी वह वापस वह जा चुकी थी हमेशा हमेशा के लिए इस दुनिया से दूसरी दुनिया में। विराज को इस वक्त तकलीफ में देखकर उसकी सारी टीम की आंखों में आंसू थी उन्होंने कभी विराट को इतना ज्यादा रोते हुए किसी के लिए नहीं देखा हां वह पजेसिव था ऐसा को लेकर बहुत ज्यादा पजेसिव था उन दोनों के चर्चे पूरे ऑफिस में होते थे क्योंकि वह दोनों एक दूसरे से बेइंतहा मोहब्बत जो करते थे लेकिन विराज की मोहब्बत अधूरी रह गई थी।
विराज आयशा को उसे हालत में देखकर अपनी सोने की शुद्ध बुद्ध को चुका था वह आयशा को देखकर बस एक ही बात कह रहा था
"तुम नहीं तो मैं भी नहीं तुम मुझे छोड़ कर जा सकती हो तो मैं भी तुम्हारे पास आ सकता हूं। तुम मुझे इस दुनिया में अकेली छोड़कर नहीं जा सकते मुझे भी उसे दुनिया में तुम्हारे साथ रहना है।"
विराज की अल्फाज सुनकर सारे ऑफिसर्स विराज की तरफ दौड़े आते हैं और वक्त रहते विराज के हाथों से वह गन लेकर दूर फेंक देते हैं और विराज फिर अपनी बाहों में आयशा को लेकर रोने लगता है क्योंकि उसे अकेले नहीं रहना था इस दुनिया में। लेकिन वह इतना कमजोर नहीं बन सकता था। आखिर उसने आशा से वादा किया था वही उसके बगल में बैठी स्नेहा एक तक आयशा को देख रही थी जो अब इस दुनिया को छोड़कर जा चुकी थी हां वह जानती थी कि स्नेहा विराट से एक तरफा मोहब्बत करती है लेकिन स्नेहा को नहीं पता था कि यह बात आयशा को पता है। आयशा यह भी जानती थी कि स्नेहा विराज का बहुत अच्छे से ख्याल रखेगी।
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी कहानी तब तक के लिए मिलते हैं ||
Take care
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Take care bye