दुनिया एक जाल है जो हमेशा गरीबों को अपना निशाना बनाती है। इस दुनिया में लोग हमेशा ऐसे प्राणी की तलाश में रहते हैं जिसे खाकर वे अपना जीवन जी सकें, चाहे वह जानवर हो, पौधे हों या अन्य इंसान।उनके निशाने पर आने वाला इंसान हमेशा हत्यारे से कमज़ोर होता है। हो सकता है कि यह एक नियम हो, लेकिन यह कभी खत्म नहीं होता।
भारत, एक ऐसी जगह जहाँ हर किसी के अपने विचार और विविधताएँ हैं। गली नंबर 19, हमेशा की तरह लोगों से भरी हुई है, लोगों की बातचीत, वाहनों के साइलेंसर और भारतीय बाज़ार की तरह और भी बहुत कुछ।लेकिन इस जगह पर एक व्यक्ति असामान्य और असहज है क्योंकि वह काम से पूरी तरह थक चुका है, कोई भी कह सकता है कि वह घोड़े की गति से कुत्ते की तरह काम करते-करते थक गया है।वह ट्रक से बक्से उठाता है और उन्हें स्टोर में रखता है और एक बॉक्स रखने के बाद वह बौरा नामक चावल का एक बैग उठाता है और उन्हें दूसरे स्टोर में रखता है, वह यह काम बिना रुके लगातार कर रहा है। अन्त मे जब ट्रक से सारा सामान उत्तर गया तो उसने अपना पसीना अपना शर्ट से साफ कर पहले वाली स्टोर की ओर बढ़ा ही था की तभी उसका नाम किसी ने पीछे से लिया अरुण। जब अरुण ने पीछे मर कर देखा तो वो उसका पुराना दोस्त अकीर था। अरुण उसकी तरफ जाने लगा क्यू की अकीर गली की दूसरी तरफ का दायें और था तो अरुण ने थोड़ीसी जल्दी दिखाई और फुर्ती से कहा और भाई कैसा है और उसी साइड बढ़ने लगा की तभी एक बाइक से वो टकरा गया लेकिन बाइक की रफ्तार पे किसी का जोर नहीं था।
#nr/ लगता है ये चैप्टर अपना खतम कर दिया, जस्ट लाइक अरुण।