Hospital मैं
चाहत को बेहोस हुए 2 घंटे हो चुके थे।अर्जुन अभी भी हॉस्पिटल में ही बने अपने प्राइवेट रूम में बैठ कर चाहत के होस मै आने का इंतज़ार कर रहा था।
Ranawat palace
वंदना की दोस्त सृष्टि की सादी थी और आज शामको उसकी सगाई इसलिए ,वो उसके साथ शॉपिंग पर गई थी, तबी उसका फोन रिंग करता है, फोन की दूसरी तरफ से आरुष की आवाज आती है —" दी आप कहाँ हो हम लंच पर आपका इंतजार कर रहे हैं आपका , आपको पता है कि दादाजी भी पूछ रहे थे, आपके बारे में आप हो कहाँ ",
उदर से वंदना की आवाज आती है —"guys मैं थोड़ा busy हूंँ, वो आज सगाई है ना, वंदना की बात सुन आरुष और सोनू दोनों हैरानी से एक दूसरे को देखते हैं, फोन के इस साइड से आरुष शॉक मैं बोलता है
—"क्या! सगाई मतलब हमारे साथ cheating,
सोनू भी उसका साथ देते हुए कहती है —"दी सचमें आप हमारे बिना सगाई कर रहे हो" और फिर वो दोनों रोने का नाटक करते हैं,आरुष ,वंदना से कहता है—"कहाँ गए आपके वो संस्कार आप राणावत परिवार की बेटी हो दादाजी सुनेंगे तो क्या कहेंगे।
वंदना उन दोनों की बात सुनकर अपना सिर हिला देती है, वो उन दोनों की बकवास बातें सुन बोली —"तुम दोनों ये नौटंकी बंद करो मेरी सगाई नहीं है मेरी दोस्त की सगाई है।"
आरुष नॉर्मल होते हुए उस्से बोला —"तो ठीक है दी, हम तो डर ही गए थे, कि भाई की तरह आपने भी हमें पराया कर दिया, बिना बताए चीजें करने के लिए अर्जुन भाई ही ठीक हैं दी आप उन जैसी मत बनना",
—"तुझमें हिम्मत है तो ये बात अर्जुन भाई के सामने बोलके दिखा तो मानू", सोनु ने आरुष की बात सुनकर आरुष से कहा
उसकी बात पर आरुष मुहॅ बनाते हुए उस्से बोला " —"मुझे क्या पागल कुत्ते ने काटा है जो शेर 🦁 की गुफ़ा में मुँह डालू" उसकी इस बात पर सोनू को हसीं आ गई
सोनू ने कुछ सोचते हुए कहा,—"पता नहीं वो लड़की कौन होगी जिसकी भाई से सादी होगी,क्या पता उसके आने से भाई बदल जायें"
आरुष उसकी बात पर बोला—"मुझे नहीं लगता भाई सादी करेंगे, उनकी पेरसोनालिटी husband टाइप नहीं है", फिर वो अपने अपने माथे पर उंगली रख सोचने लगा
यह सुनकर सोनू उसका धक्का देके बेड से नीचे घिरा देती है, और वहाँ से चली जाती है
अपनी बातों में वो दोनों ये भूल गये थे कि, फोन चालू है, उनकी बातें सुनकर वन्दना बोर हो चुकी थी इसलिए उसने खुद ही फोन कट कर दिया।
Hospital
तुषार जो अर्जुन पर्सनल असिस्टेंट था, वह भी हॉस्पिटल पहुंच गया था, एक नर्स तुषार के पास आके उसे चाहत का सामान देती है, तुषार उस सामान देखने लगता है ,चाहत के पास से उसका बैग मिला था, जिसमें फोन था, और बैग में चाहत का आईडी कार्ड, कार्ड को देखकर तुषार शॉक हो जाता है, उसके मुंह से निकलता है —"क्या! ये तो वही लड़की है जिसकी information सर ने मुझे निकालने को कहा था।"
उसके पास ही खड़ा रवि बोलता है, —"इसका मतलब यह है कि सर इस लड़की को पहले से जानते हैं"।
थोड़ी देर बाद अर्जुन रूम से बाहर आता है। उसके पीछे रवि और तुषार, वे तीनो , इस भक्त डॉक्टर के केबिन में थे, अर्जुन को देखकर एक बार डॉक्टर को भी डर लग रहा था, पर फिर भी वो हिम्मत करके बोलते हैं, —"सर मैम अभी खतरे से बाहर है, पर खून जादा बहने की वजह से बेहोस हैं|"
दरशल जब अर्जुन ,चाहत को उठाके यहाँ लाया था,तो उसने देखा कि चाहत पेट से खून निकल रहा था, और बाद में उसे पता चला कि उसे चाकू लगा था।
तबी उस कमरे में फोन की रिंग बजती है, तुषार देखता है ,कि ये चाहत के फोन की रिंग थी। जब उसने अर्जुन को अपनी तरफ देखते देखा तो वो तुरंत बोला ,—"सर ये उस लड़की का फोन है।" लेकिन तुरंत ही उसे एहसास हुआ कि अर्जुन उसे घूर रहा था।
उसे जैसे ही एहसास हुआ अर्जुन उसे क्यों घूर रहा था , वो तुरंत बात समालते हुए बोला —""I mean सर ये वो मैम का फोन है।" इतने साल अर्जुन के साथ रहकर इतना तो वो उसे जान गया था।
फ़िर वो फोन उठा लेता है, फोन की दूसरी तरफ से पल्लवी बोलती है —" कहाँ है तू, फोन उठाने में इतना time क्यों लगा और क्लास से अचानक कहाँ चली गई थी ,अब कुछ बोलोगी।".
पल्लवी नॉनस्टॉप बोले जा रही थी, तुषार अपने मन में कहता है —" "ये लड़की रुके तो मैं कुछ बोलूं",
तुषार बोलता है —"" हैलो, "
फोन पर किसी लड़के की आवाज सुनके वो हैरानी से फोन को देखती है उसने देखा उसने सही no. लगाया है ये देख वो बोली —"तुम कोन,"
उसकी बात सुन तुषार ने जबाब दीया—" जी में एसआर हॉस्पिटल से बोल रहा हूं ,चाहत जी का एक्सीडेंट हो गया है,"
ये सुन पल्लवी की पकड़ फोन से धीमी हो जाती है, वो घबराते हुए उस्से बोली —" वो ठीक तो है ना, में अभी वहाँ आती हूँ।" इतना बोल वो call कट कर देती है और वो जल्दी से अस्पताल के लिए निकल जाती है, रास्ते में वो चाहत के घर भी inform कर देती है।
तुषार ने चाहत का id अर्जुन को दे दिया था। I'd पर नाम पड़के अर्जुन बोला, "चाहत अर्थ मोहब्बत" इतना बोल वो उस id को अपनी पॉकेट मैं रख लेता है, फ़िर वो वहाँ से निकल जाता है।
अर्जुन डॉक्टर के केबिन से निकल कर सीधा चाहत के वार्ड मैं आजता है। वो धीरे-धीरे कदमों से चलते चाहत के बेड के पास आता है, वो शांत सा चाहत के बेड के पास खड़ा हो जाता हे, चाहत का मुरझाये चेहरे को देख, उसे अपने दिल मैं एक अजीब सा एहसास हो रहा था,चाहत के हाथों में ड्रिप लगी थी,
वो शांत सा सिर्फ चाहत के चेहरे को देख रहा था,चाहत के पास बैठकर उसका हाथ धीरे से अपने हाथों में लेता है, और उसके हाथ को प्यार अपने गालों से से लगाकर अपनी आँखे बंद कर लेता है। थोड़ी देर ऐसे ही रहने के बाद वो चाहत के माथे को प्यार से सहला कर वहाँ से निकल जाता है।
अर्जुन वार्ड से बहार आया अंदर वो जितना शांत था, बहार आके उसके चेहरे पर वही पुराना डेविल एक्सप्रेशन था। वो रवि को देख अपनी गुस्से से भरी आवाज मैं ऑर्डर देता है "पता करो क्या हुआ था।"
उसकी बात सुनके रवि —"जी सर " बोलके सर हिला देता है।
तभी तुषार आंगे आके बोलता है, —"सर आपकी मीटिंग है ,खन्ना इंडस्ट्रीज के सीईओ श्री अभिनव खन्ना के साथ,"
अर्जुन उसे घूरते हुए बोलता है —"सभी मीटिंग कैंसल कर दो।
ये सुन तुषार अपने मन में सोचता है —"क्या सच मैं ये लड़की सर के लिए इतनी important है"
और वो "ठीक है "सर बोलके वहाँ से चला जाता है|
थोड़ी ही देर बाद चाहत की पूरी फैमिली हॉस्पिटल में थी, चाहत का ऐसा हाल देखकर उनका भी बुरा हाल था। डॉक्टर, संतोष जी के पास आते हैं ,और उनसे बोलते हैं , —"देखिए आप लोग टेंशन मत लीजिए वो अब खतरे से बाहर है, थोड़ी देर में उनको होश आएगा।"
स्वर्णिमा जी रोते हुए डॉक्टर से बोलती हैं, —"क्या मैं अपनी बेटी को देख सकती हूंँ "
—"जी हाँ आप मिल सकती हैं।" ये बोल डॉक्टर वहाँ से चले जाते हैं।
चाहत को देखने के बाद अर्जुन घर आ गया था। अर्जुन के घर आते ही उसने देखा कि दादाजी डाइनिंग हॉल में बैठे हैं, अर्जुन अपने घर मै अपने दादाजी जी के अलावा ज्यादा किसी से बात नहीं करता था। वो दादाजी जी के पास जाता है,
शक्ति सिंह अर्जुन को देखकर कहते हैं, —"आज तुमने खन्ना इंडस्ट्रीज की मीटिंग कैंसिल करदी, वजह पूछ सकता हूंँ",
अर्जुन ने उनकी तरफ़ देख कहा —"आपको सब पता है दादाजी,"
—"पता तो हमें है, हम बस तुम्हारे मुंह से सुनना हैं, क्या वो लड़की तुम्हें पसंद है।"दादाजी ने पूछा,
दादाजी की बात सुन अर्जुन बिना जवाब दिए अपने कमरे में चला गया, शक्ति सिंह ने मन मैं कहा —"तुम हमारे पोते हो अर्जुन और हम अच्छे से जानते हैं, तुम्हारा जवाब क्या है," और उनके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई।
अर्जुन अपने कमरे में जा कर अपने रूम से अटैच अपने स्टडी रूम में चला गया, और रवि को कॉल करने लगा। जब रवि ने कॉल उठाया तो अर्जुन ने उससे पूछा—"जो काम दिया था, वो हुआ की नहीं?"
ये सुन रवि ने कहा —"लगभग हो गया है सर ,रात तक आपके पास होगा।"
Hospital
चाहत को अब तक होस आ गया था। चाहत के पास उसकी माँ बेठी थी, वो अपने हाथों से उसे soup🍲 पिला रही थी। तबी अरविंद जी कमरे आते हैं वो चाहत को देखते हुए उस्से बोले —"अब कैसा लग रहा है बेटा,"
चाहत उनसे पूछती है —"पापा हमको हॉस्पिटल कौन लाया था,"
पल्लवी अंदर आते हुए बोलती है, —"अर्जुन सिंह राणावत" ये सुन एक बार को तो सब धंग रह जाते हैं,
पल्लवी सबका ऐसा चेहरा देख, अपनी बात repeat करते हुए बोलती है, —"अर्जुन सिंह राणावत का असिस्टेंट तुषार लाया था तुम्हें यहाँ ,मुझे भी उसने ही बताया।"
अर्जुन का नाम सुनकर अरविंद जी के चेहरे पर अजीब भाव आ गए, अर्जुन सिंह राणावत का गुस्सा तो पूरे राजस्थान में सब जानते थे, इस शहर में लोगों को डराने के लिए उनका नाम ही काफी है।
अर्जुन अपने study room में एक फाइल पड़ रहा था ,तब उस कमरे का door knock होता है। वो बिना देखे अंदर आने को कहता है, तुषार अंदर आके बोलता है —"सर ये फाइल अपने मांगी थी"। फिर फाइल टेबल पर रख देता है। तुषार की बात सुनकर अर्जुन उसे जाने का इशारा करता है।
अर्जुन ने उस फाइल को उठाया है ,तो सबसे पहले चाहत की फोटो आती है, इसमें चाहत की इंफोर्मेशन थी, जिसे अर्जुन ने ही मंगवाया था। अर्जुन की नजर चाहत के फोटो पर टिक जाती है ,वो हल्के हाथ से उसे छूता है। फिर उस फोटो को साइड रख कर आंगे पड़ने लगता है। चाहत एक सिंपल और मिडिल क्लास फैमिली से बिलॉन्ग करती थी। उसके पापा मम्मी भी काफी सिंपल थे।अर्जुन बड़े गौर से एक-एक चीज पड़ रहा था।
कभी-कभी पहली नज़र कुछ ऐसे रिश्ते बना लेती...जो आखिरी साँस तक छुड़ाने से नहीं छूटते।
क्या पता चल पायेगा चाहत को कि कौन लाया था उसे अस्पताल , और क्या चल रहा था शक्ति सिंह जी के मन में?