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अ यूनिक वेडिंग

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Chapter 1 - इंट्रोडक्शन

यह कहानी है, सुहानी और अनिकेत की। अनिकेत जो की अभी कॉलेज स्टूडेंट था जो बहुत ज्यादा शरारती और मस्तीखोर था उसकी इन्ही शरारतों के कारण उसके दादा जी उसकी शादी किसी नाबालिक लड़की से तय कर देते है। वहीं दूसरी तरफ 17 साल की सुहानी जिसे अनिकेत के लिए चुना गया था। सुहानी अपना बचपना छोड़ के शादी के लिए अपने माँ पापा के कारण मान जाती है। पर क्या अनिकेत हाँ करेगा इस रिश्ते के लिए? क्या होगा जब सुहानी को झेलना पड़ेगा अनिकेत का गुस्सा और नफरत? और कैसी होगी अनिकेत की जिन्दगी जब शादी के बाद वो बनेगा ठाकुर इन्टरप्राइजेज का सीईओ और कैसे अनिकेत बनाएगा सुहानी को दुनिया की सबसे सक्सेजफुल वुमेन्स में से एक...

ये है दो ऐसे लोगों की कहानी जिनकी शादी उनकी मर्जी से नहीं होती पर फिर भी उस शादी को निभाने की कोशिश करता है वो शादीशुदा जोड़ा और उनकी उम्र का फासला ऐसा फासला जिसको आज का समाज स्वीकार नहीं करता पर फिर भी कुछ ऐसी परिस्थितियां होती हैं जिसमें स्वीकार करने पर मजबूर जरूर करता है...और शादी में किसी एक की उम्र भी18 से कम है तो वो कहलाएगा छोटी उम्र का विवाह,

राजस्थान का एक ऐसा घराना ज़हां का नौकर भी अदब में रहता है, कैसे होंगे वहां के लोग चलिए देखते हैं 

सुबह का समय,

मालिक वो सजावट का सामान आ गया है और घर सजाने के लिए लोग भी,,,,,ठीक है अन्दर भेज दो उन्हें

जी मालिक अभी भेजते हैं...

एक व्यक्ति हवेली के अन्दर आते हुए, नमस्ते सर 

हां आइये,,,,, सर आदेश करें तो मैं अपने सर्वेंट्स को बुला लूं,,,,, हां बुला लीजिए और एक बात का विशेष ध्यान रहे कि हमारे ( अखण्ड प्रताप सिंह उम्र 75 साल )  पोते ( अनिकेत प्रताप सिंह उम्र 22)  का ब्याह है तो घर दुल्हन की तरह सजा होना चाहिए,,,,,,सर आप बेफिक्र रहिए हम आपको शिकायत का मौका नहीं देंगे 

संजय प्रताप सिंह उम्र 50 साल,,,,,सीढ़ियों से नीचे आते हुए, प्रणाम पिता जी,,,,, खुश रहिए ये बताइये हमारे साहबजादे कहां है,,,,,,पिता जी वो,,,,, तब तक पीछे से एक आवाज आती है,,,,,,,,जी दादू गुड मॉर्निंग,,,,,,,, गुड मॉर्निंग, और बताइये आज तो उम्मीद है कि आप अपने कॉलेज नहीं जा रहे होंगे,,,,,,,, नहीं दादू आज तो जाना बहुत जरूरी है मेरे इक्जाम होने वाले हैं और मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाहता 

 " ठीक है लेकिन जल्दी आजाइयेगा और आज अपने सारे काम खत्म कर लें अब शादी के बाद ही हम आपको कहीं भी जाने देंगे ", अनिकेत कुछ सोचते हुए,,,,," जी दादू हम ख्याल रखेंगे लेकिन दादू आपको याद है ना कि हम आपकी मर्जी से शादी कर तो रहे हैं पर शादी के बाद अपने और अपनी पत्नी के फैसले हम स्वयं करेंगे, अगर इस उम्र में मेरे लिए आपका शादी का फैसला सही हो सकता है तो फिर हमारा हर फैसला आपको मानना ही पड़ेगा ",,,,,, ठीक है,,, एक दमदार आवाज पूरे हॉल में गूंजती है।

सुबह के 10 बजे 

मालिक नाश्ता लग गया है,,,, चलिए हम आते हैं और हां सबसे कह दीजिए कि हमें सबसे कुछ जरूरी बात करनी है तो सभी लोग खाने की टेबल पर मौजूद रहें

जी मालिक,

डाइनिंग टेबल पर,

पिता जी,,,, श्यामू काका बता रहे थे, "आपको कोई जरूरी बात करनी है?"

"हां,,,, आप लोगों से हमको एक बहुत ही जरूरी बात करनी है, जैसा कि आप सब जानते हैं कि मैं अब जिम्मेदारियां सम्हालते सम्हालते थक गया हूं तो मैने एक फैसला लिया है कि अब ठाकुर इन्टरप्राइजेज की जिम्मेदारी मैं अब अपने कन्धों से हटाना चाहता हूं..."

अब चूंकि संजय के तीन बेटे ( पहला अनिकेत जिसके बारे में हम आपको बता चुके हैं और जो बचा है वो आप धीरे धीरे जान जाएंगे,दूसरा बेटा समीर उम्र 20 साल  तीसरा बेटा शिवम् उम्र 16 साल ) हैं और सूरज प्रताप सिंह,,अखण्ड प्रताप सिंह का छोटे बेटे की दो बेटियां,, बड़ी बेटी मानसी उम्र 20 साल, दूसरी बेटी मिली उम्र 15 साल हैं तो,

"इसीलिए मैं चाहता हूं कि जब तक बच्चे बड़े नहीं हो जाते तब तक मैं ये सारी जिम्मेदारी संजय और सूरज को देता हूं,,,,,, बातों को बहुत ध्यान से अनिकेत सुन रहा था उसे ऐसा लग रहा था कि कहीं उसे उसके दादा जी कोई जिम्मेदारी ना दे दे लेकिन जैसे दादा जी की बात खत्म हूई अनिकेत नें चैन की सांस ली ही थी।"

कि दादा जी ने फिर बोलना शुरू किया, "लेकिन मैंने एक और फैसला लिया है जैसा कि आज से पूरे तीन दिन बाद अनिकेत की शादी है और उसे भी कुछ जिम्मेदारी संभालनी चाहिए तो मैंने सोचा है कि अनिकेत जैसे अगले तीन महीने बाद 23 साल का होगा वैसे ही हम ठाकुर इन्टरप्राइजेज का सीईओ अनिकेत को बना देंगे।"

दादू की ये बात सुनकर सभी चौंक गए क्योंकि अभी अनिकेत का ग्रेजुएशन पूरी तरह कमपलीट नहीं हुआ था तो इतनी बड़ी जिम्मेदारी अनिकेत कैसे सम्हाल सकता था?

अपनी बात को पूरी कर जैसे ही अखण्ड प्रताप उठने को हुए वैसे ही उनके कानों में एक आवाज पड़ी, और वो आवाज़ अनिकेत की थी, " पर दादू ऐसा कैसे कर सकते हैं आप मेरे साथ मेरे अभी इक्जाम नहीं हुए हैं और तो और मैं अभी इस सब के लिए तैयार भी नहीं हूं और वैसे भी आप मेरी शादी तो अपनी मर्जी से करवा ही रहे हैं अब क्या मैं सभी फैसले आपके मानूंगा ?"

"तो मत मानिए और छोड़ दीजिए इस ऐश और आराम भरी जिंदगी और मान जाइये वो बात जिसको मानने से आपके लिए ,लिए गए तमाम फैसले बदल जायेंगे,"

"पर दादू ये ग़लत है आप मुझे बार बार इमोशनली फोर्स नहीं कर सकते आपके हर फैसले को मानने के लिए,"

"अच्छा तो आप ना कर दीजिए हम आपको फोर्स नहीं करेंगे,"

अनिकेत अब चुप हो गया था शायद उसकी कोई तो मजबूरी थी जो उसे चुप रहने पर मजबूर कर रही थी आखिर ऐसी क्या मजबूरी थी जो उसे अपने दादू की सारी बातें माननी पड़ रही थी,

जैसे ही दादू वहां से उठकर चले गए वैसे ही अनिकेत के फोन पर एक फोन आया,,,, अनिकेत फोन रिसीव करते हुए, "हां यार विराज आ रहा हूं,"

इतना कहते ही अनिकेत गाड़ी की चाभी लेकर बाहर निकल जाता है,,,,,सावित्री जी अविरल की मां ने कहा, "ऐसी भी क्या बात है जो अनिकेत आजकल पापा की कोई भी बात नहीं टालता? पता नहीं मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा।"

तभी अनिकेत की चाची कामना कुछ सोचते हुए, "अगर पापा ने कोई फैसला लिया है तो जरूर ही कुछ सोच समझकर लिया होगा,"

अनिकेत का कॉलेज

"देख यार अनिकेत अगर तेरे दादा जी चाह रहे हैं तो बन जा ना सीईओ कौन कोई तुझे खा जाएगा बल्कि तेरी शान तो और बढ़ जाएगी अभी जब लोग तुझसे आंखें मिलाकर बात नहीं करते तो सोच जब तू सीईओ बन जाएगा तब तो तेरी ऐश ही ऐश है।"

अनिकेत गुस्से में बोला, "तेरा दिमाग तो ठीक है मैं सीईओ बन जाऊं कोई खेल नहीं है सारी जिम्मेदारी संभालनी होगी मुझे और वैसे भी एक जिम्मेदारी तो आज से तीसरे दिन मेरे साथ बंधने ही वाली है तू क्या चाहता है इतनी कम उम्र में मैं इन जिम्मेदारियों के तले ही दबकर सांस भी ना ले पाऊं,"

अनिकेत कुछ सोचते हुए बोला, "पर मैं भी अपने द ग्रेट दादू का पोता हूं।" हल्का सा मुस्कुराते हुए

आखिर क्या चल रहा है अनिकेत के दिमाग में जानते हैं नेक्स्ट पार्ट में...

अनिकेत कुछ सोचते हुए पर मैं भी अपने द ग्रेट दादू का पोता हूं ( हल्का सा मुस्कुराते हुए)

आखिर क्या चल रहा है अनिकेत के दिमाग में कोई नहीं जान सकता ,,,,,,, अनिकेत का क्लासमेट उसकी तरफ आता हुआ 

हाय व्हाट्स एप ब्रो,,,,चल कैंटीन चलते हैं,,, हां यार चल वैसे मैं ठीक से कुछ खाकर नहीं आया,,,,, दादू की बातों ने ही इतना डिस्टर्ब कर दिया आज भूख ही नहीं है,,,,यार मुझे डर लगने लगा अभी तो शादी नहीं हुई तब मेरा खाना पीना सब बन्द हो गया है पता नहीं शादी के बाद क्या होगा 

दूसरी तरफ

एक लड़की ( काव्या चौहान, उम्र 21साल ) जिसे अपनी खूबसूरती की फ़िक्र दुनिया में सबसे ज्यादा है ,,,,,,, 

  मां ,,,,,, मैंने कल का पार्लर अपॉइंटमेंट ले लिया है ,,,,,, अच्छा,,, ठीक है बेटा, एक काम कर  मैं सोच रही हूं छोटी ( सुहानी चौहान, उम्र 17 साल ) को भी साथ ले जा आखिर उसकी बड़ी बहन की शादी है, ऐसे तो वो कुछ करवाती नहीं है तो तू अपने आथ ले जाएगी कुछ तेरी भी हेल्प हो जाएगी ,,,,,,,,,,काव्या कुछ सोचते हुए,,,,,,,,पर मां उसे कुछ आता जाता तो है नहीं मेरी इंसल्ट और करवा देगी ,,, पता नहीं आप लोगों ने क्यों उसे घर से बाहर नहीं जाने दिया कभी तो कुछ सीखती ही ,,,,,,,,,तू नहीं समझेगी काव्या, तू बस उतना कर जितना मैं कह रही हूं,,,,,,,, ठीक है मां मैं ले जाऊंगी

लेकिन आप भी उसे समझा दीजिएगा, कि अगर कोई उससे कुछ पूछे तो जवाब दे दे मैं कुछ नहीं बोलने वाली ,,,,,,,,, हां ठीक है बाबा मैं समझा दूंगी, अब तुम एक काम करो गेट बन्द कर लो मैं थोड़ा बाहर जा रही हूं कुछ काम है तब तक तुम कुछ खाना बना कर रखना,,,,,,,, ठीक है मां, मैं बना लूंगी,,,,,,,,,,,,,

काव्या मन में सोचते हुए,,,,,, पता नहीं कब तक मुझे अच्छा बनने के लिए अपनी पॉकेट मनी खाना मंगवाने में खर्च करनी होगी ,,,,,,,,

थोड़ी देर बाद,,,,,,,, काव्या मन में,,,,,,,, मां ने तो सुहानी  को साथ ले जाने को बोल दिया है अब मैं नीरज से कैसे मिलूंगी,,, सोचा था कि कल पार्लर के बहाने ,,,, नीरज से मिलकर आगे का प्लान बनाऊंगी ,,,,,,,पर अब क्या करूं,,,,,,,,,, कुछ सोचते हुए,,,, अगर सुहानी मां के सामने खुद ही मना कर दे तो ,, इतना सोचते हुए वो एक कमरे में जाती है जहां पर सुहानी बैठी कुछ ड्राइंग कर रही थी ,,,,,,,,, सुहानी क्या कर रही है,,,,,, कुछ नहीं दीदी हम तो बस,,,,,, इतना बोल ही पाई थी सुहानी तभी काव्या चीखते हुए,,,,,,,,,,ये क्या तुम मेरी ड्राइंग की नोटबुक पर कैसे कुछ कर सकती हो तुम्हें मेरी ये नोटबुक मिली कहां से ,,,,,,,,,, सुहानी डरते हुए,,,,वो दीदी हमने कुछ नहीं किया,,, नोटबुक तो वहां खराब कॉपी किताबों में रखी थी तो हमने सोचा कि ये अब आप के काम की नहीं है तो हमने इस पर ड्राइंग कर दी,,,,,,,,,उस नोटबुक पर बनी ड्राइंग को ध्यान से देखते हुए काव्या तेज से हंसती है और फिर कहती हैं ,,,,,,,,ये ड्राइंग है अगर इसे ड्राइंग कहते हैं तो फिर ड्राइंग को क्या कहेंगे,,, काव्या कह ही रही होती है तभी काव्या का फोन रिंग करता है जिसकी स्क्रीन पर नीरज नाम फ़्लैश हो रहा था,,,,,,,,,, हैलो,,,एक मिनट ,,,, फिर सुहानी को देखते हुए,,आज के बाद मेरी किसी भी चीज को हाथ लगाया ना तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा,,,,,,,, फिर काव्या कमरे के बाहर जाती हूई कान में वापस फोन लगाकर कहती हैं,,,,,,,, हां नीरज कैसे हो,,,,,,,,,,फोन के उधर से आवाज आती है मैं तो ठीक हूं, तू बता कल मिल रही है ना,,,,,अरे यार कहां मिल पाऊंगी  ,,, मां ने तो इस सुहानी को भी साथ ले जाने को कहा है पार्लर,,,,,,,,,,फोन के उधर से नीरज कुछ सोचते हुए ओह सुहानी तो एक काम कर ना ले आ , इसमें प्राब्लम क्या है ,,,,,,,,,, काव्या थोड़ा तेज आवाज में,,,,,,,,अरे यार इसे लेकर आऊंगी तो फिर मिलूंगी कैसे ,,,,,,,,तू उसकी फ़िक्र मत कर ,,,,,बस जितना कह रहा हूं कर फिर देख मैं कैसे तुम्हारी शादी वाले दिन धमाका करवाता हूं,,,,,,,, काव्या मुस्कुराते हुए अच्छा ऐसा क्या तो ठीक है मैं ले आऊंगी,,, लेकिन मैं इसके साथ आऊंगी ना तो शायद ज्यादा टाइम ना दे पाऊं तुम्हें,,,,,,,,अरे मेरी जान टाइम तुमको नहीं देना है वो तो मैं खुद ले लूंगा बस तुम आ जाना,,,,,ओके बाय,,,,,,फोन के उधर से आवाज आती है,,,बाय जल्दी आना,,,,,ओके 

रात 11बजे , अनिकेत का कमरा 

 बेेेड पर लेेेटा  सोचते हुए अपने मन में, मैं क्या करूं मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा कैसे दादू को मनाऊं कि वो ये मुझे सीईओ बनाने का मन हटा दें, करता हूं कल बात दादू से.....

अगली सुबह -6बजे 

सावित्री जी मन्दिर में आरती करके बाहर आती हूई,,,,,,,,श्यामू काका ,,,,,,,

जी मालकिन,,,,,,,,,काका आज हल्दी और मेहंदी की रस्म है ,,,,,,,,शयामू काका कुछ सोचते हुए,,,,,,, मालकिन मेंहदी की रस्म,,,,,,,,,हां काका ,,,,,,,,,,, अनिकेत के तो शगुन की मेहंदी लगेगी पर हम औरते सब लोग तो मेहंदी लगाएंगे ना ंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंं

हां मालकिन,,,,,,,हम अभी सब इंतजाम करवाते हैं तो शाम को अच्छे से रस्म हो जाएगी 

दो घंटे बाद

डाइनिंग टेबल पर सभी लोग मौजूद थे तभी अनिकेत अपनी बात कहते हुए ,,,,,,,,, दादू आप मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकते हैं अभी तो मैं अपनी शादी की जिम्मेदारी उठाऊंगा या फिर सीईओ बनने की ,,,,,,,,,,,, अनिकेत शायद आपको हमारी बात समझ नहीं आई कि अगर आपको ऐश और आराम चाहिए तो काम भी तो करना ही होगा ना, हमारे जमाने में हमारी उम्र 18 की होते ही ब्याह और पूरे घर की जिम्मेदारी कंधों पर आ जाती थी और ये नाम भी हमने खुद बनाया है और आपके पास अब जब सब कुछ है तब आपको समस्या हो रही है,,,,,,,,,,,,,और अब से इस बारे में कोई बात नहीं होगी ,,,,,,,,,,,पर दादू ,,,,,,,,,,,,,,,,अखण्ड जी अपना हाथ दिखाते हुए,,,,,,,,,,,,,,बस 

दूसरी तरफ ,,,,,,,,, काव्या अपनी मां से ,,,,,, मां मुझे 12 बजे पार्लर जाना है आपको बताया था ना मैंने , प्लीज़ आप छोटी को रेडी कर देगी 

हां मैं अभी कर देती हूं,,,,,,,,,

थोड़ी देर बाद,,,,,,,,,,,,,एक रेस्टोरेंट में एक लड़की लड़के से बात करते हुए,,,,,,नीरज तुमने मुझे यहां क्यों बुलाया है,,,,,,,मेरी जान तुम बैठो बताता हूं सब और हां तेरी छोटी बहन कहां है,,,,,,,,,वो बैठी है,,,,,,,,पर नीरज तुमने क्या सोचा है छोटी को लाने को क्यों कहा ,,,सब बताता हूं चल वही साथ चलकर बैठते हैं,,,,,,,,,,,,,,,

आखिर क्या चल रहा है नीरज के दिमाग, और कौन सा धमाका करने वाला है नीरज काव्या की शादी में........देखते हैं नेक्स्ट पार्ट में