" तुझे मेरी बेटी चाहिए? तू इस छोटी सी बच्ची का क्या करेगी? ये तो अभी बहुत छोटी है तू इससे धंधा करवाने वाली है"? कमला चौंकते हुए कहती है। बेड पर बैठी हुई नम्रता कमला को देखकर थोड़ा सा मुस्कुराती है और अपने हाथों से कमला का हाथ पकड़ते हुए कहती है " तू भी ना एक नंबर की पागल है। इतनी छोटी बच्ची से भला में धंधा कैसे करवाऊंगी। मैं इसे अपने साथ लेकर जा रही हूं ताकि ये वहां रहकर वहां के तौर तरीके और रहन-सहन को अपना ले। मैं जानती हूं तुझे अपनी बेटी से जरा भी लगाव नहीं है मगर पैसे से तो है"। नम्रता कमला से कहती है। " बात तो तूने बिल्कुल सही कही मुझे अपनी बेटी से बिल्कुल भी लगाव नहीं है ऐसी मनहूस से किसी को लगाओ भी कैसे हो सकता है"।
मुंह टेढ़ा करते हुए कमला ने कहा। " तभी तो मैं कह रही हूं तेरे ही भले की बात है अगर तुझे तेरी बेटी के बदले में पैसा मिल रहा है तो तू मना क्यों कर रही है सीधा-सीधा हां कह दे ताकि मैं भी तेरी बेटी को लेकर यहां से चलती बनू"। नम्रता ने हल्की सी मुस्कुराहट के साथ कहा। नम्रता की मुस्कान से ऐसा लग रहा था जैसे उसके मन में एक अलग की खिचड़ी पक रही है।
" मैं और मना करूंगी, तुझे क्या मैं पागल लगती हूं? तुम मुझे यह बता मेरी बेटी के बदले तो कितना पैसा देने को तैयार है। देख कम से मेरा कुछ नहीं होगा पहले ही बता देता हूं मुझे कम से कम 10 से 15 लख रुपए चाहिए अगर इतना दे सकती है तो ठीक है वरना मुझे और भी खरीदार मिल जाएंगे बाजार में"। कमला ने नम्रता से कहा जिस पर नम्रता ने जवाब दिया " मैं तो सोच रही थी तुझे 25 से 30 लाख के बीच दूंगी अब तुझे अगर 15 लाख तक ही चाहिए तो अच्छा ही है मेरा तो पैसा बच जाएगा"।
नम्रता की बात सुनकर कमला मन ही मन फूली नहीं समाती है। उसने कभी भी नहीं सोचा था कि उसको अपनी बेटी के बदले कभी इतना सारा पैसा भी मिल जाएगा। " अरे मैं तो मजाक कर रही थी अगर तुम मुझे 25 से 30 लाख के बीच दे रही है तुम मुझे कोई परेशानी थोड़ी होगी। ला मुझे पैसे दे और अपनी अमानत ले जा"। कमला हंसते हुए लालच भरी निगाहों से नम्रता की ओर देखती हैं और कहती है ।
फिल्म नम्रता अपने बैग में से 15 लख रुपए निकलती है और कमला को दे देती है। " तुमने तो कहा था कि 30 लाख दोगी ये तो सिर्फ 15 ही है। बाकी का पैसा कौन देगा"? कमला नम्रता से गुस्से में कहती है। " उतना सारा पैसा मैं एक साथ नहीं ला सकती थी इसलिए अभी से 15 लाख दे रही हूं। 15 तुझे एक हफ्ते के बाद दे दूंगी तू चिंता मत कर"। नम्रता कमला को भरोसा दिलाता है कि वह बचे हुए 15 लख रुपए अगले हफ्ते तक दे देगी और कमला भी मान जाती है। " अगर तू कहती है तो मैं मान लेती हूं पर मुझे मेरे बचे हुए पैसे मिल जाने चाहिए"। कमला नम्रता से कहती है।
उसके बाद कमला नम्रता को ज्योति सौंप देती है नम्रता की गोद में जाते ही ज्योति जोर-जोर से रोने लगती है मानो जैसे वो अपनी मां से कह रही हो प्लीज मां मुझे मत बेचो मैं आपके साथ ही रहना चाहती हूं। कमल ज्योति को रोता हुआ देखकर उसे चुप करने के लिए उसके मुंह पर टेप लगा देती है और कहती है " देख नम्रता जब तक तू अपनी जगह पर नहीं पहुंचती इसके मुंह से टेप नहीं निकालना वरना तेरा रो-रो कर बुरा हाल कर देगी और अगर ज्यादा रो तो दो चार खींच के लगा देना"। नम्रता कहती है " चिंता मत कर बहन अब ज्योति मेरी अमानत है। इसे किस तरह चुप करना है और किस तरह चिल्लाने पर मजबूर करना है मुझे सब आता है। तू बस बैठ कर नोट गिनती रह और ऐश कर।
उसे छोटी बच्ची के आंख में आंसू देख कर भी कमल का दिल नहीं पिघला। आज कमल पहली बार इतने सालों में खुश दिखाई दे रही थी क्योंकि आज उसके सर पर से एक बहुत बड़ा बोझ हट गया था। आज उसकी बेटी उसे हमेशा के लिए दूर हो गई थी। सिर्फ दूर ही नहीं हुई बल्कि अपने बदले पैसे देकर गई।
दूसरी और नम्रता ज्योति को लेकर अपने इलाके में पहुंच गई थी। नम्रता अपनी कोठी में पहुंचकर ज्योति की तरफ गंदी नजरों से देखते हुए कहती है " आज से यही तेरा घर है और यही तेरा काम है। आज से तुझे एक नई पहचान मिलेगी। बस तू थोड़ी और बड़ी हो जाए उसके बाद मैं तुझे अपनी ही तरह इस धंधे में उतार दूंगी और तेरी मां को लगता है कि मैं उसे पूरे 30 लख रुपए तेरे बदले में दूंगी उसे पता भी नहीं कि मैं उसको 15 लाख के ऊपर एक फूटी कौड़ी भी नहीं देने वाली। बेचारी"! ऐसा बोलते हुए नम्रता हंसने लगती है और उसके बाद कोठी के अंदर चली जाती है।
कोटी के अंदर पहुंचकर नम्रता सभी लड़कियों के इकट्ठा करती है और उनसे भारी आवाज में कहती है मानो जैसे कोई नेता भाषण दे रहा हो " आज हम सबके बीच में एक नई जान ने कदम रखा है। इसका नाम है ज्योति और आज से ज्योति हम लोगों के साथ ही रहेगी मैंने इसे अपनी दोस्त से पूरे 15 लख रुपए देकर खरीदा है जैसे ही ज्योति 18 साल की हो जाएगी उसके बाद उसे भी हम इसी धंधे में उतार देंगे। इसलिए आज से सभी लड़कियां ज्योति का खास ध्यान रखेंगी "। सभी लड़कियां नम्रता की पाठ मान लेती है और सभी लड़कियां एक साथ नम्रता से कहती हैं " चिंता मत करिए नम्रता मौसी आज से हम सभी लड़कियां ज्योति का ध्यान रखेंगे"। ज्योति बहुत ही छोटी है इसलिए उसे पता भी नहीं कि उसके साथ आज क्या हुआ है। उसकी जिंदगी पहले से ही नरक थी पर कम से कम वो अपनी मां के साथ थी पर आज के बाद कब उसके साथ क्या हो जाए कोई नहीं जानता था। आज उसकी जिंदगी नर्क से भी ज्यादा बत्तर हो गई थी।
नम्रता के कहने पर सभी लड़कियां ज्योति का खास ख्याल रखने लगी। अब कोई ना कोई लड़की ज्योति के पास हमेशा मौजूद रहती ताकि जब कभी भी ज्योति को भूख या सुसु पॉटी लगे तो एक लड़की होनी चाहिए जो उसका ध्यान रख सके। देखा जाए तो इतना ख्याल ज्योति का उसकी सगी मां ने भी कभी नहीं रखा था जितना की वहां की लड़कियां रख रही थी। ज्योति की जिंदगी में फिलहाल के लिए सब कुछ ठीक चल रहा था पर फिर एक दिन ऐसा आया जिस दिन उसकी जिंदगी वापस से बदल गई। एक दिन नम्रता के कोठे पर छापा पड़ गया। छाप पढ़ने की वजह से सारी लड़कियां नम्रता के साथ जेल में चली गई और नन्ही ज्योति को पुलिस स्टेशन की कांस्टेबल पुष्पा ने अपने पास रख लिया।
इंस्पेक्टर पांडे ज्योति को लेकर काफी चिंतित होता है और कांस्टेबल पुष्पा से कहता है " कैसे-कैसे लोग होते हैं इस दुनिया में बताओ अपनी ही बेटी को एक धंधे वाली के हाथों बेच दिया। उसे औरत को जरा भी शर्म नहीं आई होगी अपनी संतान को इस तरह बेचने में। अब हम करें भी तो क्या इस बच्ची को अनाथ आश्रम भेज देना चाहिए वहां ये सुरक्षित रहेगी"। कांस्टेबल पुष्पा बच्चों की तरफ देखती है और उसके सर पर हाथ रखते हुए इंस्पेक्टर पांडे से कहती है " वही तो सर देखिए ये बच्ची कितनी मासूम और सुंदर है। इस बेचारी की किस्मत भी कितनी खराब है बचपन में ही इसका सौदा कर दिया गया। भगवान इसकी मां को कुत्ते की मौत मारे"। तभी पुलिस स्टेशन में एक आदमी जोर-जोर से हल्ला मचाते हुए आता है।
उसके कपड़ों को देखकर लग रहा था कि वो कोई आम आदमी नहीं है बल्कि कोई अमीर है। उसके गले में एक मोटी सोने की चेन और हाथ में बहुत सारी सोने की अंगूठियां थी जिसमें बहुत सारे रेयर स्टोन लगे हुए थे।
दरअसल वह आदमी वहां का जमींदार था आज उसके चेहरे पर परेशानी डर और गुस्सा तीनों एक साथ दिखाई पड़ रहे थे। " यह मेरी कंप्लेंट कौन लिखेगा? कौन है जो मेरी मदद करेगा? कोई है जो मेरी बात सुन सकता है"? जमींदार चिल्लाते हुए कहता है। उसकी बात को सुनकर इंस्पेक्टर पांडे अपनी कुर्सी से खड़ा होकर टेबल पर दोनों हाथ रखकर कहता है " मैं हूं जो आपकी कंप्लेंट सुनेगा और आपकी मदद करेगा बताइए सर आपकी क्या परेशानी है"? जमींदार इंस्पेक्टर से कहता है " अच्छा तो तुम हो जो मेरी मदद करेगा। तुम्हें पता है तुम्हारे ही एक आदमी ने आज मेरे साथ कितनी बदतमीजी की? मैं चुपचाप अपनी स्कूटर पर घर की ओर जा रहा था और तुम्हारे हवलदार ने मुझे रोक कर मेरे ऊपर फास्ट ड्राइविंग की वजह से चालान काट दिया जबकि मेरी स्पीड ज्यादा थी भी नहीं और मैं ट्रैफिक सिग्नल के हिसाब से ही चल रहा था"।
जमींदार की बात सुनकर इंस्पेक्टर जमींदार से कहता है " माफ कीजिएगा सर हो सकता है आपकी बात सच हो लेकिन बिना सबूत के हम आपकी बात को सच नहीं मानेंगे इसलिए पहले आप सबूत दिखाइए और उसके बाद हम आगे की कार्रवाई करेंगे"। जमींदार कहता है " वहां पर सीसीटीवी कैमरा था आप लोग चाहे तो सीसीटीवी कैमरा चेक कर सकते हैं आपको मेरी बात पर तब यकीन हो जाएगा"। अपने एक हवलदार को भेज कर उस जगह की सीसीटीवी फुटेज निकलवाता है तो पता चलता है कि जमींदार सच कह रहा था और हवलदार से गलती हुई थी। इंस्पेक्टर पांडे जमींदार को सॉरी बोलकर उनसे माफी मांगता है।
तभी जमींदार की नजर कांस्टेबल पुष्पा पर पड़ती है जिसके हाथ में एक छोटी बच्ची होती है। उसे बच्ची को देखकर जमींदार से रहा नहीं जाता और वह उसे बच्ची के पास जाकर उसके साथ खेलने लगता है। " तुम्हारी बच्ची सच में बहुत सुंदर है।क्या नाम है इसका"? कांस्टेबल पुष्पा कहती है " ये मेरी बच्ची नहीं है दरअसल ये बच्ची अनाथ है इसे हमने एक कोठे में से उठाया है"। उसे बात को सुनकर जमींदार को बहुत दुख होता है और वह कांस्टेबल पुष्पा और इंस्पेक्टर पांडे से एक बात कहता है जिसे सुनकर पुष्पा और इंस्पेक्टर पांडे खुश हो जाते है।
आखिर ऐसी क्या बात कही जमींदार ने जिसे सुनकर कांस्टेबल पुष्पा और इंस्पेक्टर पांडे बहुत खुश हुए। क्या जमींदार का मन ज्योति को देखकर पिघल गया या फिर बात कुछ और ही है। ज्योति के साथ आगे क्या होगा क्या ज्योति अनाथ आश्रम में जाएगी या फिर उसे कोई अपना लेगा। जानने के लिए पढ़ते रहिए ज्योति सिर्फ और सिर्फ पॉकेट नोवल पर।