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My Ruthless lover

Renuka_Saini_0048
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Chapter 1 - chapter - 1

आसमान में चारों तरफ काले बादल छाए हुए थे लगातार वहां पर ठंडी तेज हवाएं चल रही थी जो किसी को भी कांपने पर मजबूर कर दे ।

इसी मौसम में एक बड़ी सी हवेली के सामने गार्डन में बहुत से लोग मौजूद थे वह ठंडी हवाएं भी उन लोगों को अंदर जाने में कामयाब नहीं हो रही थी ।

वहां एक छोटा सा मंडप लगा हुआ था शायद किसी की शादी हो रही थी पर अजीब बात यह थी कि मंडप मे बैठे दूल्हा दुल्हन दोनों ने काले कपड़े पहन रखे थे ।

जहां दूल्हे ने काले कलर की शेरवानी पहनी थी वही दुल्हन ने काले रंग का सूट पहना था यह बात बहुत अजीब थी पर वहां मौजूद लोगों को जैसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ रहा हो ।

किसी के होठों पर भी मुस्कान या आंखों में खुशी दिखाई नहीं दे रही थी मंडप में बैठे दूल्हे के चेहरे पर दुनिया भर की नफरत और गुस्सा साफ देखा जा सकता था ।

वही उसके पास बैठी लड़की जो दूल्हन थी वह तो मानो वहां हो ही नहीं ,, उस लड़की का चेहरा जितना खूबसूरत था उसकी आंखों में उतना ही ज्यादा दर्द दिखाई दे रहा था ,, कहने को तो आज उसकी शादी थी वो भी उसी इंसान से थी जिससे वह सबसे ज्यादा प्यार करती थी पर फिर भी उसके चेहरे पर खुशी दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रही थी ।

" इस शादी के लिए हां बोलकर तुमने अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती कर दी रक्षिता चौहान,, तुम्हारे हर एक पल को अगर मैंने नरक नहीं बना दिया तो मेरा नाम भी आयांश राणा नहीं " आयांश जो वही मंडप पर रक्षिता के पास बैठा था उसने कहा

रक्षिता जो किसी दूसरी ही दुनिया में थी उसने आयांश की तरफ अपनी आंसू भरी आंखों से देखा और फिर मुस्कुराते हुए कहा _ तुम्हारी हर नफरत हर गुस्से को सहने के लिए तैयार हूं मैं आयांश 

रक्षिता की बात सुनकर मानो आयांश को और भी ज्यादा गुस्सा आने लगा उसने अपने हाथों की मुट्ठी कस ली उसकी नफ़रत मानो पल हर पल के साथ रक्षिता के लिए बढ़ती ही जा रही थी ।

मेरी रक्षिता के साथ यह सब क्यों हो रहा है?? मंडप के पास खड़ी एक औरत ने अपनी आंखों से बह रहे आंसू को साफ करते हुए धीरे से अपने पास खड़े आदमी से कहा

"हम कुछ नहीं कर सकते शिवानी रक्षिता ने हमें कसम में बांध रखा है हम अपने वादे से पीछे नहीं है सकते ,, पता नहीं अब रक्षिता का क्या होगा " यह कहते भी उस आदमी की आंखें भी नम थी ।

कहने को तो वह दोनों रक्षिता के मां बाप रे पर आज उनकी बेटी एक कूंए की तरफ जा रही थी।

" हम तो रक्षिता को अपनी बेटी मनना चाहते थे हेमंत पर रक्षिता ने जो किया वह बिल्कुल भी ठीक नहीं था ,, अब उसे आयांश के नफरत से कोई नहीं बचा सकता " हेमंत जी और शिवानी के पास खड़े एक आदमी ने अपने चेहरे पर कठोर एक्सप्रेशंस के साथ कहा

उनकी बात सुनकर हेमंत जी वापस मंडप की तरफ देखने लगे वही शिवानी जी के आंखों से बह रहे आंसुओं की रफ्तार और तेज हो गई ।

" कन्या के मांग में सिंदूर भरीए और गले में मंगलसूत्र पहनाइए । " पंडित जी ने कहा पंडित जी की आवाज सुन आयांश ने तुरंत रक्षित की मांग में सिंदूर भरा और फिर रक्षिता के गले में मंगलसूत्र पहनाते हुए कहा _ यह तुम्हारे लिए वो फांसी का फंडा है जिसमें तुम्हारा दम घूटेगा ,, हर पल घूटेगा ,, तुम मरना चाहेगी पर मैं तुम्हें मरने नहीं दुंगा।

पंडित जी ने जैसे ही रक्षिता और आयांश को फेरों के लिए खड़ा किया कि तभी वहां पर बहुत तेज बारिश शुरू हो गई और बादल गरजने लगे ।

लग रहा था कि यह मौसम ,,, बादल यह बारिश की बूंदे भी आयांश की इस नफरत भरी शादी की गवाह बनना चाहती हो ।

उस तेज बारिश में भी आयांश नहीं रुका उसने रक्षित का हाथ पकड़ा और फेरें लेने लगा वहां मौजूद किसी भी इंसान ने वहां से जाने की हिम्मत नहीं की सब लोग अपने चेहरे और अपने दिल में नफरत , दुख , डर , दर्द लिए खड़े थे ।

रक्षिता आयांश के पीछे चलते हुए आयांश को ही देखे जा रही थी कैसे एक दिन में ही उसकी जिंदगी इतनी बदल गई थी ,,, वह आयांश राणा जो कभी उससे तेज आवाज में बात तक नहीं करता था वह आज उसे इस हद तक नफरत करता है कि उसके सपने ,, ख्वाहिशें तक को मार देना चाहता है ।

उन बारिश की बूंद के साथ ही रक्षिता के आंसू भी मिल चुके थे इसीलिए किसी को भी रक्षिता के आंसू दिखाई ही नहीं दे रहे थे ,,, या हम यह भी कह सकते हैं की कोई रक्षिता की आंसू देखना ही नहीं चाहता था ।

" मुझे पता है भैया जो कर रहे है वह गलत है पर इस गलत की शुरुआत तुमने ही की है रक्षिता " वहीं मौजूद एक लगभग 19 साल की लड़की ने कहा जिसका नाम रश्मि राणा था ,यह आयांश की छोटी बहन थी ।

वह लड़की भी इस शादी से खुश नहीं थी पर वह अपनी फैमिली के सामने नही कुछ बोल सकती थी ।

बारिश की वजह से हवन कुंड में जल रही अग्नि जैसे ही बुझने को हुई पंडित जी ने कैसे जैसे उसे जलाए रखा ।

 फेरे पूरे होते ही पंडित जी ने खुशी से कहा _ आपकी शादी संपन्न हुई आज से आप दोनों पति-पत्नी हुए , आपके इस पवित्र रिश्ते को कोई नहीं तोड़ पाएगा , सातो जन्म आप साथ रहेंगे , यह हमारा आशीर्वाद है बेटा ।

" आप यह आशीर्वाद नहीं श्राप दे रहे हैं इसे ,, यह अगर एक जन्म भी मुझे झेल ले तो भी बहुत अच्छा रहेगा , है ना वाईफी " आयांश ने डेविल मुस्कान के साथ रक्षिता की तरफ देख कहा फिर तुरंत वहां से अपनी कार लेकर चला गया ।

पंडित जी जो पहले ही इस अजीब शादी से हैरान थे उनकी हैरानगी और ज्यादा बढ़ गई उन्हें कुछ भी समझ नहीं आ रहा था।

अयांश के साथ ही पूरी राणा फैमिली भी वहां से जा चुकी थी अब वहां पर सिर्फ रक्षिता और उसकी मां-बाप बचे थे ।

शिवानी जी ने रक्षिता के पास आकर उसे अपने गले लगाते हुए कहा _ मैंने मना किया था ऐसा मत करो बेटा ,, आयांश नफरत और गुस्से की आग में पागल हो चुका है पता नहीं वह क्या करेगा , उसकी आंखों में मुझे अब तुम्हारे लिए प्यार दिखाई नहीं देता ।

अपनी मां की बात सुनकर रक्षिता ने मुस्कुराने की कोशिश करते हुए कहा _ आप चिंता मत करिए मां आयांश मुझसे बहुत प्यार करते हैं जल्द ही उनकी यह नफरत उनका यह गुस्सा खत्म हो जाएगा और वह मुझे कुछ नहीं करेंगे ।

रक्षिता को अच्छे से पता था जो वह कह रही है वह बिल्कुल भी सच नहीं है पर फिर भी वह नहीं चाहती थी कि उसकी मां उसके लिए परेशान हूं ।

" हम सिर्फ तुम्हारी वादे की वजह से चुप है बेटा जब भी तुम्हें हमारी जरूरत हो तब तुम वापस हमारे पास आ सकती हो , मैं तुम्हारे लिए इस पूरी दुनिया से लड़ जाऊंगा ।" हेमंत जी ने रक्षिता को गले लगाते हुए कहा

उनकी बात सुनकर रक्षिता अपनी आंखें बंद कर उनके गले लग गई उसे बहुत रोना आ रहा था पर वह इस वक्त रो भी नहीं सकती थी ।

रक्षिता ने मुस्कुराने की कोशिश कर अपने मां-बाप की तरफ देखा और फिर कहा _ मुझे अब जाना होगा पर आप प्लीज भैया को कुछ मत बताना , आप दोनों को मेरी कसम 

रक्षिता की बात सुनकर शिवानी और हेमंत जी ने ना चाहते हुए भी अपनी गर्दन हां में हिलाई ,, उसके बाद रक्षिता उस गार्डन से होते हुए धीरे-धीरे कदमों से कार में जाकर बैठ गई ।

वह कार आयांश की ही थी ,, कार की फ्रंट सीट पर ड्राइवर पहले से ही बैठा था जैसे ही रक्षिता कार में बैठी ड्राइवर ने कार स्टार्ट कर दी और कार चौहान हवेली से राणा हवेली के लिए निकल गई ।

रक्षिता विंडो पर अपना चेहरा रख बाहर की तरफ देख रही थी उसके सामने एक-एक कर वह सारे पल आ रहे थे जब वह और आयांश साथ थे ।

कैसे आयांश उसकी हर एक चीज की केयर करता था हमेशा उसे खुद छोड़ने लेने आता पर आज उसकी पूरी दुनिया ही बदल चुकी थी ,, रक्षिता सोच रही थी इस एक हफ्ते में क्या-क्या हो गया कि तभी ड्राइवर ने कार रोकी ।

रक्षिता ने जब बाहर की तरफ देखा तो राणा हवेली नहीं आई थी ड्राइवर ने बीच रास्ते में ही कार रोक दी थी ।

काका आपने कार क्यों रोक दी ?? रक्षिता ने ड्राइवर की तरफ देखकर कहा रक्षिता की बात सुनकर ड्राइवर ने अपनी गर्दन झुकाते हुए कहा _ हमें माफ कीजिएगा बेटा , आयांश सर ने आपको यही तक छोड़ने को कहा है उन्होंने आपको आगे राणा हवेली तक पैदल आने के लिए कहा है ।

ड्राइवर की बात रक्षिता समझ गई उसने मुस्कुराते हुए ड्राइवर से कहा _ कोई बात नहीं आपका धन्यवाद हमें यहां तक छोड़ने के लिए ।

यह कह कर वह कार से बाहर आई और फिर पैदल ही चलने लगी बाहर अभी भी बहुत तेज बारिश हो रही थी पर रक्षिता बिना रुके बस चले जा रही थी ,,, उसे पता था जिस रास्ते पर वह आज जा रही है वह उसके लिए कितना खतरनाक और दर्द भरा होने वाला था ।

रक्षिता को जाते देखकर ड्राइवर ने आयांश को कॉल कर कहा _ सर मैं पैदल ही राणा हवेली आ रही हैं।

ड्राइवर की बात सुन आयांश ने ओके बोल कॉल कट कर दिया और फिर बाहर होती तेज बारिश को देखते हुए अपनी नफरत भरी आंखों से कहा _ अभी तो बस शुरुआत है रक्षिता आगे देखो मैं तुम्हें कितना दर्द देता हूं ,, तुमने अब तक सिर्फ मेरा प्यार देखा था अब मेरी नफरत देखोगी ।