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Chapter 2 - २. नए घर की तलाश

स्टेशन से बाहर निकल वो दोनों सड़क पर चलने लगे। जाते वक्त उन्हें एक कचोड़ी की दुकान दिखाई दी। वहां से उन दोनों ने दो दो कचौड़ियां खाई, फिर उस कचोड़ी वाले को पैसे देकर वो वहां से चले आए। रास्ते पर चलते चलते वो दोनों बात कर रहे थे। मीरा बोली, " अभिषेक, अभी क्या खयाल है, कहां पर रहेंगे ? "

" वही सोच रहा हूं। " अभिषेक बोला।

" देखो, हॉटल में तो बिलकुल भी नहीं रह सकते। बहुत पैसा चला जायेगा और हमारे पास भी ज्यादा पैसे नहीं है। " 

" तो क्या करें ? "

" अगर कम दाम में अच्छा खासा भाड़े का फ्लैट मिल जाए... " मीरा इतना बोली ही थी की उसकी नज़र एक अपार्टमेंट के सामने रुकी। अपार्टमेंट अच्छा खासा बड़ा था, ठीक ठाक दिख रहा था बाहर से। वो अभिषेक को दिखाते हुए बोली, " वहां देखो " 

अभिषेक भी उस ओर देखने लगा। वो मीरा से बोला, " चलो पूछते हैं वहां। " इतना कहकर वो सड़क के उस पार मीरा को लेकर चला गया। उनके पास कुछ सामान भी थे, पर अभिषेक मीरा को एक भी पकड़ने नहीं दे रहा था। सड़क पार कर वो दोनों उसी अपार्टमेंट के सामने रुके। वहां पर खड़े सिक्योरिटी गार्ड से अभिषेक बोला, " अंकल यहां पर कोई फ्लैट खाली है क्या रहने केलिए ? "

वो सिक्योरिटी गार्ड जो थोड़ा बूढ़ा मालूम पड़ रहा था, वो बोला, " हां बेटा, मिलेगा। लगभग १० फ्लैट खाली हैं, और उनके ६ मालिक हैं। तुम उनसे बात कर लो। बोर्ड पर उनके नंबर हैं। " इतना कहकर उसने पास में लगे बोर्ड की ओर इशारा कर दिया। अभिषेक ने बारी बारी सबके नंबर पर कॉल किया, उन सब से फ्लैट का किराए पूछा तो उसका दिमाग खराब हो गया। महीने का खाली २५ से ४० हजार रुपए तक वो सारे फ्लैट्स थे और ऊपर से बिजली और पानी का बिल अलग। उन्होंने अभिषेक को फ्लैट देखने केलिए भी कहा, लेकिन उसने यह कहकर मना कर दिया की, " हमारे बजेट से बाहर है। " फिर वो मीरा से बोला, " यार, यहां तो पच्चीस हजार से कम के दाम पर फ्लैट है ही नहीं, ऊपर से बिजली और पानी का बिल, वो अलग दो। "

मीरा कुछ सोचते हुए उस सिक्योरिटी गार्ड से बोली, " अंकल, आपको कोई और अपार्टमेंट के बारे में मालूम है जहां पर कम दाम में फ्लैट्स अवेलेबल हो ? "

वो बूढ़ा थोड़ा सोचते हुए बोला, " हां, एक अपार्टमेंट तो है, पर उस अपार्टमेंट का जो मालिक है, वो कुछ ठीक नहीं है। वो वैश्या लड़कियों का व्यापार करता है। "

मीरा बोली, " तात्पर्य, मतलब ठीक से समझ में नहीं आया। "

" वो अपने अपार्टमेंट में जरूरतमंद और गरीब लड़कियों को पैसे का लालच देकर उनको अपने फ्लैट में फ्री में रहने देता है, फिर धीरे धीरे करके उन्हे बहला फुसलाकर वैश्या बनाता है, फिर नए नए लड़कों को वहां भेजता है उन लड़कियों के पास, फिर उन लड़कों से पैसे लेकर कुछ पैसे उन लड़कियों को देता है, और बाकी का अपने पास रखता है। "

" वो अपना काम कर रहा है, उससे हमें क्या ? हम अपनी जिंदगी बिताएंगे और वो अपनी जिंदगी। आप बस उस अपार्टमेंट का एड्रेस हमें दे दीजिए। " मीरा बोली।

मीरा ने वहां रहने का फैसला तो ले लिया था, पर उसे यह एहसास नहीं था, की आज का उसका यह एक फैसला, उसकी पूरी जिंदगी को तबाह करने वाली थी। अभिषेक भी थोड़ा हिचकिचा रहा था वहां रहने के बात से। उसने मीरा से कहा, " मीरा, एक बार सोच तो लो अच्छे से, घर बहुत मिल जायेंगे, और.... "

वो कुछ और बोल पाता की मीरा उसके बात को काटते हुए बोली, " तुम चुप रहो, में बात कर रही हूं ना। मैंने फैसला ले लिया है, हम वहीं रहेंगे। " इतना बोल वो सिक्योरिटी गार्ड की ओर मुड़ी तो उसने मीरा के हाथ में एक पर्ची थमा दी। फिर मीरा ने उसे शुक्रिया कहा और उसके जवाब को सुने बगैर ही अभिषेक को खींचते हुए वहां से ले गई। लोगों से पूछते पूछते वो और एक अपार्टमेंट के सामने रुके। ये कुछ ज्यादा ही महंगा लग रहा था। मीरा वहां पर खड़े सिक्योरिटी गार्ड से बोली, " अंकल, यहां पर कोई फ्लैट खाली है क्या ? "

वो सिक्योरिटी गार्ड मुंह से पान को बाहर थूक वापस और एक पान मुंह में डाले बोला, " मैडम जी, बेहतर होगा की आप यहांके माल... लीजिए, मालिक भी आ गए। " इतना कहकर वो सामने से आते हुए एक लंबे चौड़े आदमी से बोला, " सर, ये दो सर और मैडम आए हैं फ्लैट के तलाश में। "

वो आदमी अभिषेक की ओर देख कर बोला, " Hii, I am Akshat Chaudhary, कहिए मैं आप केलिए क्या कर सकता हूं ? "

" हमें एक घर चाहिए पर थोड़ा सस्ते में। आपके यहां अगर कोई फ्लैट मिल जाए तो बहुत मेहरबानी होगी। "

" जरूर मिलेगा। बताइए, आपकी रेंज कितनी है ? "

" आ... उम....आ.. ६००० हजार रुपए के बीच। " अभिषेक हिचकिचाते हुए बोला। 

" अरे वाह ! ६००० में आपको में ३ फ्लैट दिखा सकता हूं। आइए मेरे साथ। " इतना बोल कर वो आगे आगे चलने लगा। पीछे उसके अभिषेक और मीरा चल रहे थे। उसने बारी बारी तीन फ्लैट दिखाई तो अभिषेक को सारे पसंद आए। वो फ्लैट दिखने में ४०,००० से कम दाम के नहीं लग रहे थे, लेकिन उसे यह समझ नहीं आ रहा था की इतने अच्छे फ्लैट्स को वो इतने कम दामों में क्यों बेच रहा था। वो मीरा की ओर मुड़ा, तो मीरा उसे खींचते हुए पहले वाले फ्लैट की ओर ले गई और बोली, " यही घर पसंद है मुझे। " 

मीरा का इतना कहना ही था की अक्षत तुरंत बोला, " आपकी पसंद बहुत अच्छी है। इस फ्लैट केलिए आपको महीने का ५००० रुपए भरना पड़ेगा। " 

मीरा अभिषेक की ओर देखते हुए बोली, " तुम्हारा क्या खयाल है इस घर पर रहने के विषय में ? "

लेकिन अभिषेक तो कुछ बोल ही नहीं रहा था। वो बस अक्षत को एक टक देखे जा रहा था। क्योंकि वो तबसे देख रहा था की अक्षत मीरा को अजीब तरीके से घूर रहा था। अभिषेक बोल तो कुछ नहीं रहा था, लेकिन उसे अक्षत की ये हरकत पसंद नहीं आ रही थी। तभी मीरा बोली, " बोलो ना अभी, ये फ्लैट पसंद है न तुम्हे ? "

" हां, पसंद है मुझे। " अभिषेक मीरा को प्यार से निहारते हुए बोला। 

अक्षत बोला, " तो चलिए नीचे, सारी फॉर्मेलिटी पूरी कर आप इस घर को अपने कब्जे में ले लीजिए। " फिर वो दोनों को लेकर नीचे चला गया। अभिषेक सारे फॉर्मेलिटी पूरी करने लगा। उसके कुछ ही दूरी पर मीरा खड़ी थी। अक्षत की नजर वापस मीरा पर टिक गई। वो मन ही मन सोचने लगा, " इतनी खूबसूरत कोई कैसे हो सकता है इस दुनिया में ? चेहरा ऐसा मानों स्वर्ग की अप्सरा हो, आंखें ऐसी जैसे समंदर की रानी हो, अदाएं ऐसी मानों मोहिनी के भांति सबको अपने अदाओं से मोह लेने की ताकत रखती हो और बदन ऐसा मानों मर्दों के जिस्म में आग लगाने केलिए ही बनी हो। इतनी लड़कियों को वैश्या बनाया, परंतु उन में से कोई इस लड़की को टक्कर नहीं दे सकती। "

अक्षत मीरा को तबसे घूरे जा रहा था। मीरा को उसके नजरों से अपने अंदर दौड़ रहे सिहरन को साफ महसूस कर पा रही थी। अभिषेक सारी फॉर्मेलिटी पूरी कर पेमेंट करने के बाद अपने हाथ में फ्लैट की चाबी लिए जब मीरा की ओर मुड़ा तो ये पाया की मीरा घबराकर इधर उधर देख रही थी। फिर उसकी नजर जब अक्षत की ओर गई तो उसके अंदर का गुस्सा बढ़ने लगा। क्योंकि वो उसके दिए घर में रहने वाला था, इसलिए वो अपने गुस्से पर कंट्रोल कर जानबूझ कर मीरा का हाथ थामे बोला, " ठीक है Mr. Akshat, आपके मदद केलिए शुक्रिया। " इतना कहकर अभिषेक अक्षत की बात सुने बगैर ही मीरा को लेकर वहां से निकल गया। अक्षत मन ही मन बोला, " मुझे इस मीरा को अपने में मिलना ही होगा, अगर ये मेरे साथ जुड़ी, तो मैं तो मालामाल हो जाऊंगा। " इतना बोल वो ठहाके मार कर हसने लगा। इस तरफ अभिषेक मीरा को लिए अपने नए घर के सामने था। उसने दरवाजे को खोला, मीरा जल्दी जल्दी अंदर घुसने लगी तो अभिषेक उसे रोकते हुए बोला, " रुको मीरा, इतनी भी क्या जल्दबाजी है तुम्हे, मैंने कुछ सोचा है हमारे लिए। " इतना बोल उसने अपने साथ लाए सारे सामानों को कमरे के अंदर धकेल दिया और दरवाज़े को वापस बंद करने लगा। मीरा तुरंत बोल पड़ी, " क्या कर रहे, दरवाजे पर ताला क्यों लगा रहे हो ? "

" तुम चुप रहो, बस देखती जाओ आगे क्या क्या होता है। "

फिर मीरा भी कुछ नहीं बोल पाई। ताला लगाकर अभिषेक मीरा को लेकर अपार्टमेंट से बाहर निकल गया। वो एरिया भी काफी अच्छी थी जहां पर छोटे मोटे दुकान से लेकर बड़े बड़े शोरूम्स भी थे। अभिषेक थोड़ी देर चलने के बाद एक बड़े से साड़ी की दुकान में चला गया। मीरा को अभितक कुछ समझ नहीं आ रहा था। अभिषेक दुकान में जाकर वहां पर खड़े एक लड़के से बोला, " साड़ी दिखाना ज़रा। और हां, लाल रंग का, अच्छा कढ़ाई वाला दिखाना। "

" जी सर " इतना बोल वो लड़का साड़ियां दिखाने लगा। उनमें से ज्यादा तर नेट की ही साड़ियां थी। अभिषेक साड़ियों में ध्यान न देकर मीरा के ऊपर ध्यान दे रहा था। मीरा गोर से एक एक कर साड़ियों को देख रही थी। तभी उसकी नज़र एक साड़ी पर जा टिकी। वो साड़ी नेट की थी, उसमें चमचमाते हीरे जैसे दिखने वाले पत्थरों की सुंदर कढ़ाई की गई थी। पूरी साड़ी में कोई डिज़आइन नहीं थी, बस कुछ कुछ जगहों पर कढ़ाई की गई थी। अभिषेक भी समझ गया की मीरा को वो साड़ी बहुत पसंद आई थी, इसलिए उसने इस साड़ी को पैक करने केलिए बोल दिया। फिर वो उस लड़के को रोकते हुए बोला, " आपके यहां साड़ी पहन सकते हैं क्या ? "

" जी सर " वो लड़का बोला। " बल्कि हमारे यहां साड़ी पहनाया जाता है वो भी बिल्कुल फ्री में। "

" Ok, तो मीरा को " मीरा की ओर अभिषेक इशारा किए बोला, " इन्हे साड़ी पहना दीजिए और इनका पहना हुआ साड़ी को पैक कर दीजिए। "

" Ok, सर " इतना बोल वो लड़का चला गया और कुछ ही देर में और एक लड़के को अपने साथ लिए वापस आया। फिर वो बोल पड़ा, " सर, ये है लखन, मैडम को ये साड़ी पहनाएगा। "

" ठीक है। " इतना बोल अभिषेक मीरा की ओर देखने लगा। मीरा को उसके नजरों का मतलब बखूबी समझ में आ रहा था। उसने अपने पलकों को झपका कर अभिषेक को शांत रहने का इशारा किया। अब आप लोग सोच रहे होंगे की अभिषेक का नजरों का मतलब क्या था ? तो उसका जवाब यह है की अभिषेक शकी किस्म का इंसान था। मतलब उसका कभी किसी पर ज्यादा भरोसा नहीं रहता था। हर पल उसके मन में दूसरों केलिए शक ही रहता था। मीरा को अभिषेक का ये स्वभाव बिलकुल पसंद नहीं था। पर वो कुछ कहती नहीं थी इसलिए क्योंकि वो अपने और अभिषेक के बीच के संबंध को खराब नहीं करना चाहती थी। 

लखन ने उस लाल साड़ी को लिया और मीरा को पहनाने लगा। पहनाने से पहले उसने मीरा को ट्रायल रूम में जाकर साड़ी और ब्लाउज बगेरा बदलने केलिए कहा। १० मिनट के अंदर अंदर ही मीरा साड़ी और गहनों के साथ बिल्कुल रेडी हो चुकी थी। गहना अभिषेक अपने साथ लाया था कुछ। उसके पास ज्यादा कुछ था नहीं, मीरा के लाए कुछ डायमंड ज्वैलरी जो वो लेके आई थी अपने घर से, वही लेकर अभिषेक आया था। अभिषेक ने पेमेंट किया, साड़ी लेकर दुकान से बाहर आया। मीरा अभिषेक से बोली, " अभी, कैसी लग रही हूं मैं ? "

अभिषेक हड़बड़ाते हुए जल्दबाजी में बोला, " हां, ठीक लग रही हो। "

मीरा को उसका बोलने का लहज़ा कुछ खास पसंद नहीं आया, इसलिए उसने फिर कुछ नहीं कहा और चुपचाप अभिषेक के पीछे पीछे चलने लगी। चलते चलते वो दोनों एक शिव के मंदिर के सामने पहुंचे। मीरा को तो पहले से शक हो रहा था की अभिषेक शादी करने का इरादा लिए तो नहीं आया है, अभिषेक मीरा के हाथ को कस कर पकड़ के मंदिर के अंदर चला गया। वहां जाकर उसने किसी से कुछ बात किया और कुछ ही देर में वहां शादी का माहोल बन गया। मीरा ये सब देख कर अभिषेक से बोली, " ये सब क्या है अभी ? इतनी जल्दी शादी करने की क्या जरूरत है ? "

" तुम नहीं समझ रही हो मीरा, शादी नहीं की तो कई प्रोब्लेम्स खड़े हो जाएंगे। जहां हम रहते थे, सिर्फ वहां के ही लोग जानते हैं कि हम भाग गए हैं, पर यहां कोई नहीं जानता और जानना भी नहीं चाहिए। लिविंग रिलेशनशिप में रहे तो रहना मुश्किल हो जायेगा और न जानने वाले लोग भी जान जायेंगे। बाकी प्रोब्लेम्स के बारे में अगर मैं बोलने लग जाऊं तो बहुत समय लगेगा। तुम समझ गई न में क्या कह रहा हूं ? "

मीरा लंबी सांस लेते हुए बोली, " ठीक है, कर लेते हैं। " 

फिर वो दोनों वहीं मंडुरके प्रांगण में बने मंडप पर बैठ गए। कुछ घंटों के अंदर दोनों की शादी हो गई। आशीर्वाद केलिए उन लोगों ने पंडित जी के चरण स्पर्श किए और महादेव को अपना प्रणाम दे कर वहां से अपने लौट आए। जिस प्रकार से एक नव विवाहित लड़की का अपने नए घर में प्रवेश होती है, उसी प्रकार से मीरा ने अपने नए घर में प्रवेश किया। अपना पहला कदम उस घर पर रखते ही उसके अंदर एक सिहरन सी पैदा हुई। ऐसा लग रहा था मानों कोई उसे उस घर से दूर भेजना चाहता हो। वो दिवारे उसे कुछ बताना चाहते हो, वहां की हवा उसे कुछ महसूस करवाना चाहती हो। मीरा सबको अनदेखा कर अंदर आ गई। घर को देख कर अभिषेक के मन में वापस वही सवाल कौंधा, " इसका इंटीरियर इतना लक्जरियस है, तो ये अक्षत इसे इतने कम दाम में क्यों बेच रहा है ? "

उसके मन में चल रहे सवाल को उसने मीरा से भी पूछा, तो मीरा का जवाब आया, " देखो अभी, वो लड़कियों को वैश्या बनाने का व्यापार करता है, तो उन्हे कनविंस करने केलिए वो इन फ्लैट्स को इतने कम दाम में बेच रहा होगा। अगर बाहर वालों को एक्चुअल प्राइस में वो बेचेगा तो उन लड़कियों को शक नहीं हो जायेगा की अक्षत उन्हें अपने मतलब केलिए यहां रख रहा है ? जो लड़कियां इन सब में इन्वॉल्व हैं, उन्हे तो अक्षत के बारे में मालूम होगा, लेकिन तब वो चाह कर भी कुछ नहीं बोल सकतीं। लेकिन जो नई नई लड़कियां आएंगी, अगर उनके अंदर थोड़ी सी भी अकल हो, तो उनके मन में ये सवाल नहीं आएगा की हम इतने कम रेंट दे कर यहां रह रहे हैं, लेकिन औरों से इतना ज्यादा रेंट क्यों लिया जा रहा है ? वो इन सब में इनवॉल्व्ड नहीं होंगी, तो वो तो यहां से चली जाएंगी और फिर अक्षत का नुकसान हो जायेगा। अब समझे तुम ? "

" क्या बात है मीरा, तुम्हारा दिमाग न बड़ा तेज़ चलता है हर एक मामले में। और... " अभिषेक कुछ और बोल पाता की मीरा उसके होठों पर उंगली रखते हुए बोली, " बस बहुत हुई बात चीत, आज सुहाग रात है हमारा, आज के इस चांदनी रात में मैं मेरे शरीर को तुम्हारे शरीर में मिलना चाहती हूं। आज मिलन होगा दो जिस्म का, दो आत्मा का। " इतना बोल वो अभिषेक से लिपट गई। अभिषेक भी उसे अपने बाहों में भरते हुए कमरे के अंदर ले गया और फिर दोनों बिस्तर पर लेट गए। कुछ ही देर में दोनों एक दूसरे के आगोश में समा गए।