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Chapter 4 - आशी का डर...

आशी और राधिका को घर आते आते काफी देर हो जाती है...  आशी के घर आते ही विभा जी पूछती है...

कहां थी तू और इतनी देर कैसे हुई....आश अपना बैग साइड में रखते हुए....बोलती है मम्मी वो....एक्चुअली मेरा फ्रेंड था ना...

वरुण जो मेरे ऑफिस में जॉब करता था कल रात को अचानक एक्सीडेंट में उसकी डेथ हो गई... ये सुनकर अभय जी भी वहां पर आ जाते हैं....

ओह माय गॉड ये कैसे हुआ...? कितना अच्छा लड़का था वरुण..

अभी कुछ दिन पहले ही तो तुमने उससे मिलवाया था ना हमें अपनी बर्थडे पार्टी में उस से...

हां पापा कुछ समझ नहीं आ रहा है एक छोटी सी टक्कर हुई थी गाड़ी से और ऑनस्पॉट ही उसकी डेथ हो गई....

और आपको पता है पापा उसके साथ ये सब incident कहां पर हुई है...?राजगढ़ के पास

ये सुनकर अभय जी की आंखों में एक खौफ सा छा जाता है.. आशी आगे कुछ बोलते इससे पहले ही वो पूछ बैठे कहीं उस पुल के आसपास तो नहीं हुई है उसकी मौत...?

हां पापा एक्जेक्टली पुल के पास ही हुई है लेकिन आपको कैसे पता...?

अभय जी विभा की तरफ देखते हुए बोलते हैं कुछ नहीं बेटा तुम जाओ फ्रेश हो जाओ.. जी पापा बोलकर आशी वहां से चली जाती है...

उसके जाने के बाद अभय जी और विभा  दोनों की ही आंखों में खौफ साफ दिख रहा होता है

अभय जी सोफे पर बैठेते हुए बोलते हैं पता नहीं वो नदी और कितने लोगों की जान लेगी....

विभा जी बोलती हैं शुभ शुभ बोलिए जी मुझे सोच कर ही बहुत डर लग रहा है हमारी आशी भी तो वही राजगढ़ में ही रहने वाली है अब...

अभय जी बोलते हैं अरे आशि कों कौन सा उस नदी के आसपास रहना है वह तो दिग्विजय की हवेली में रहेगी ना...

और वैसे भी उस नदी से हवेली काफी दूर है और दिग्विजय की हवेली पूरी तरह सुरक्षित है तुम उसकी चिंता मत करो...

आशी आज दिन भर हुए इंसीडेंट से काफी थक चुकी होती है वो खाना खाकर सीधा अपने बेड पर लेट जाती है..

.और लेटते ही उसकी आंख लग जाती है..थोड़ी देर बाद आशी गहरी नींद में ही होती है....तभी उसके कानो में किसी औरत की दर्द भरी सिसकियां सुनाई देती है...

पहले तो वो उसे अपना वहम समझ कर इग्नोर कर देती है लेकिन अचानक वो आवाज बढ़ने लगती है...

आशी की नींद एकदम से खुल जाती है वो उठकर देखती है तो shocked रह जाती है...

क्योंकि वो उस वक्त अपने कमरे में नहीं उसी नदी के किनारे खड़ी थी जहां सुबह वह लोग गए थे वो घबराकर इधर-उधर देखती है... 

तो उसे उसी चट्टान जहां दिन में उसे वो कपड़े का टुकड़ा मिला था एक औरत बैठी हुई दिखाई देती है...

और ये सिसकियों की आवाज उसी औरत की होती है आशी धीरे-धीरे उस औरत की तरफ बढ़ती है....

उस औरत ने एक लंबा घुंघट निकाल रखा था और वो एक दुल्हन के लिबास में थी और उसने जो चुनरी ओढ़ रखी थी वो वही कपडे का था जिसका टुकड़ा आशी को मिला था..

और उस चट्टान पर बैठ कर वो रो रही थी उसकी दर्द भरी सिसकियो से पूरा माहौल गूंज रहा था...

आशी उसके पीछे जाकर पूछती है कौन हो तुम और रो क्यों रही हो..?

आशी के पूछने पर वो औरत कोई जवाब नहीं देती तो आशी उसके एकदम करीब जाकर उसके कंधे पर हाथ रख कर पूछती है क्या हुआ तुम्हें क्यों रो रही हो...?

आशी जैसे ही उसके कंधे पर हाथ रखकर ये पूछती वो औरत अचानक पीछे पलट कर अपना घुंघट खोल देती है...

 उसका चेहरा इतना भयानक होता है जिसे देखकर आशि की जोर से चीख निकल पड़ती है

उसकी चीख सुनकर उसके मम्मी पापा और भाई सब उसके रूम में आ जाते हैं उसके पापा रूम की लाइट ऑन करते हैं

आशी अभी भी बेड पर पड़ी हुई जोर जोर से चिल्ला रही होती है...

अभय जी उसे जगाने की कोशिश करते हैं लेकिन आशी होश में नहीं आ रही थी वो बस चिल्लाए जा रही थी तभी विभा जी बगल में रखा पानी का ग्लास उसके ऊपर मार देती है....

जिससे एक झटके से आशी उठ कर बैठ जाती है उसका शरीर पूरी तरह ठंडा पड़ चुका होता है

वो इतनी डरी हुई होती है कि ठीक से बात भी नहीं कर पा रही थी... अभय जी उसे गले लगाकर बोलते है... क्या हुआ आशी तुम ठीक तो हो ना..?

प...पापा.. प.. पापा अ..ओ...औरत वो औरत...कौन औरत आशी  यहां कोई भी नहीं है बेटा.. देखो आंखें खोल कर देखो हम लोग हैं...

थोड़ी देर में आशि खुद को संभालते हुए बोलती है पापा मैंने एक बहुत ही बुरा सपना देखा...

आशि की हालत देखकर कुछ देर अभय जी अक्षत और विभा जी उसके पास ही बैठेते हैं जब आशि थोड़ी नॉर्मल हो जाती है तो..

अभय जी विभा जि से कहते हैं तुम आज रात आशी के साथ यही सो जाओ मैं और अक्षत चलते हैं और अगर कुछ भी हो तो मुझे बुला लेना ये कहकर अभय जी अपने रूम में चले जाते हैं

फिर विभा जी आशी से बहुत बोलती हैं बेटा तू सो जा मैं लाइट्स ऑफ कर देती हूं...

आशी जोर से बोलती है नहीं लाइट्स ऑफ मत करिए प्लीज आशि की हालत देखकर विभा जी को बहुत चिंता होने लगती है

क्योंकि आशी एक निडर और साहसी लड़की थी सिर्फ एक सपने से वो इतना ज्यादा कैसे डर सकती है...

फिर विभा जी बिना लाइट बंद किए आकर आशि के बगल में लेट जाते हैं.. आशि की आंखों से तो जैसे नींद गायब ही हो चुकी थी...

वो रह रहे कि उस औरत का चेहरा याद करती थी और डर से कांपने लगती थी... विभा जी कुछ समझ नहीं पा रही थी कि आशि कों हो क्या रहा है...

जैसे तैसे रात बीत गइ सुबह होते होते हैं आशि कों थोड़ी नींद आई...

तो विभाजी उसे ब्लैंकेट उड़ा कर नीचे हॉल में आ जाते हैं अभय जी पूछते हैं क्या हुआ रात में आशी सो  तो गई थी ना..?

नहीं वो नहीं सोई  रात भर... वो डर से कांप रही थी मुझे समझ नहीं आ रहा है उस के साथ अचानक क्या हो गया..

आज तक तो उसे इतना ज्यादा डरते हुए कभी नहीं देखा था मैंने

अभय जी बोलते हैं उसे आज आराम करने दो शायद काम के प्रेशर और वरुण की मौत से वह थोड़ी टेंशन में आ गई होगी इसलिए कुछ उल्टा सीधा सपना देखा होगा और डर गई होगी थोडा आराम करेगी तो ठीक हो जाएगी...

To be continued....

Dosto chapter padhkar kesa laga please mujhe comments kar k bataiyega...👍🙏🙏🙏