अब तक,
जैसे ही अराना ने अपने कदम घर में रखे की उसके पैरो पर एक बॉल आ लगी! अचानक बॉल लगने से मन्नू संभल नही पाई और नीचे गिर गई..! जिसकी वजह से उसकी चीख निकल गई और वो एकदम से चिल्ला दी, "समययययययय्य"...…...!
अब आगे,
अराना की आवाज सुन, वहा खड़ा लड़का डर से चिल्ला दिया और जल्दी से वहा से भाग गया! जिसे देख अराना उसके पीछे पड़ गई, "समय तुम रुको! आज मैं तुझे ऐसे नही छोड़ने वाली... आज तेरी खेर नही है! रुक जा..."। अराना की बात सुन समय ने जोर से ना में सिर हिला दिया और जल्दी से किचन में घुस गया,,,
"मां,,, दी से बचाओ! वरना आज ये मेरा कचूमर बना देंगी"। ये बोल समय रेखा जी के पल्लू में चुप गया। ताकि अराना कुछ कर ना सके। अराना भुनभुनाती हुई अंदर आ गई और उसे घूरते हुए बोली, "तू बाहर आ चिलगोजे! आज तो मैं तुम्हारा कचूमर बना दूंगी! तुम मुझे हमेशा तंग करने से पीछे नहीं हटते"। अराना ने जल्दी से समय का हाथ पकड़ा, और उसे अपनी तरफ खीच लिया! और उसका कान पकड़ ममओड़ दिया! अराना के ऐसा करते ही समय की चीख निकल गई और वो अपना कान छुड़ाने लगा।
अब समय के आखों से आसू निकलने लगे थे,, क्योंकि अराना के ऐसे पकड़ने से उसका कान लाल हो गया था, जिसे देख रेखा जी चिल्ला दी और बोली, "अराना,,, ये क्या हरकत है! भला अपने छोटे भाई के साथ ऐसा कोन करता है! क्या तुम्हे इतनी भी समझ नही है। जल्दी से समय का कान छोड़ो"।
रेखा जी के बोलने पर अराना ने एक नजर समय के कान को देखा,, जो सच में लाल हो गया था ! और उसे छोड़ मुंह फुला किचन से बाहर निकल गई! अराना की हरकत देख...रोते समय के चेहरे पर एक छोटी सी स्माइल आ गई और वो अपनी मां की तरफ बढ़ गया और उन्हें पीछे से हग कर बोला, "मां आपकी सस्ती छोटी गिलहरी गुस्सा हो गई, अब आपको पापड़ बेलने होंगे,,, वरना सस्ती छोटी गिलहरी गुस्सा हो अपना आशियाना कही और बना लेगी"। ये बोल समय जोर से हस दिया! जिसकी आवाज बाहर बैठी अराना को भी सुनाई दे गई। समय के हसने की आवाज सुन अराना वहा से उठ अपने कमरे की तरफ भाग गई।
शिवानी ने जैसे ही अपने घर में कदम रखा की किसी ने उसके कान पकड़ लिए, जिसे महसूस कर शिवानी चिल्ला दी और अपना कान छोड़ने के लिए बोलने लगी, लेकिन उसका कान नही छोड़ा, जिसे महसूस कर शिवानी बोल पड़ी, "मां.... ऐसे कोन अपने बच्चे का स्वागत करता है! खास कर उस बच्चे का जिसने टॉप किया हो! देखिए आस पड़ोस के लोग जब टॉपर की ऐसी हालत देखेंगे तो उन पर क्या असर होगा,, जरा मेरी इज्जत का ख्याल करिए और जो भी करना है,, उसे घर में करिए ना! वहा मैं कुछ नही बोलूंगी"। शिवानी की नौटंकी देख तारा जी ने उसे गुस्से से घूरा और उसका कान पकड़ ही घर के अंदर लेकर चली गई।
अंदर जाते ही शिवानी फिर से चिल्ला लगी की उसका कान छोड़ दे, लेकिन तारा जी ने ऐसा कुछ नही किया और उसे टीवी के आगे खड़ा कर दिया। टीवी में चल रहे सीन को देख शिवानी की आखें बड़ी हो गई और वो टीवी को घूरने लगी। शिवानी का रिएक्शन देख तारा जी बोल पड़ी, "अब इस बारे में तुम्हारा क्या कहना है! देखो झूठ बोलने की तो बिल्कुल भी कोशिश मत करना,, वरना तुम्हारी खेर नही"।
तारा जी की बात सुन शिवानी ने अपने चमकते दांत दिखा दिए और बोली, "अरे मां...,,, आप मुझे गलत समझ रही है! ये मैं नही हु.... बल्कि मेरे रूप में कोई और है! आपको कहा से लगता है की आपकी बेटी ऐसे किसी को मार सकती है! देखिए मैं कितनी नाजुक और मासूम हु,,, भला मैं कैसे किसी को मार सकती हु,, आपको ना कोई गलतफैमी हुई बस"। शिवानी की चिकनी चुपड़ी बाते सुन तारा जी को भी अपने आखों पर डाउट होने लगा,,, की कही उनकी आखें तो खराब नही हो गई। वो टीवी को ध्यान से देखने लगी,, जिसमे शिवानी का चेहरा तो नही... लेकिन उसके कपड़े जरूर मैच कर रहे थे! जैसे ही ये बात शिवानी ने नोटिस की..... वो तुरंत अपने कमरे की तरफ भाग गई! वरना आज तारा जी की मार से उसे कोई नही बचा सकता था।
एक बड़े से रूम में..., चारो तरफ विंडो लगी थी! जिसके सामने बड़ी सी स्क्रीन लगी थी और उसके ठीक दो हाथ की दूरी पर, एक टेबल और बहुत सारी चेयर लगी थी। हर चेयर के पास एक पानी की बॉटल और कुछ टिश्यू पेपर और फाइल्स और एक पेन होल्डर रखा था! सभी चेयर को बराबरी की दूरी पर रखा गया था, जो ना एक इंच आगे था और ना एक इंच पीछे। एकदम परफेक्ट और सलीके से। इतने में वहा बहुत सारे लोग डोर ओपन कर आ गए। सबने जल्दी से अपनी अपनी सीट पकड़ी और अपने हाथ में लाई हुए फाइल टेबल पर रख बैठ गए। उन सबके बैठते ही अदावन अपने असिस्टेंट श्याम के साथ अंदर आ गया! अदावन के अंदर आते ही सभी लोग अपनी जगह से खड़े उसे गुड मॉर्निंग विश करने लगे। जिसे देख अदावन ने अपना सिर हिला दिया और अपनी चेयर पर जाकर बैठ गया! जो वहा के सीईओ की चेयर थी।
अदावन के बैठते ही सब अपने अपने आइडिया शेयर करने लगे और उसे अपने प्रोजेक्ट की पीपीटी दिखाने लगे! ताकी ये प्रोजेक्ट उनकी कंपनी को मिले। सभी ने एक एक कर अपने प्रोजेक्ट की पीपीटी दिखाई! जो सच में बहुत अच्छी थी और काबिले तारीफ भी। अब सब अदावन के बोलने का इंतेजार करने लगे। जिसे देख उसने श्याम को कुछ इशारा किया और टेबल के बीचों बीच एक फाइल रख दी। जिसे देख सब कन्फ्यूज हो गए और उस फाइल के बारे में पता लगाने की कोशिश करने लगे।। सबको शांति भंग करता देख श्याम बोल पड़ा, "आप लोग प्लीज शांत हो जाइए, वरना ये प्रोजेक्ट आप सभी के हाथो से छीन जायेगा" । श्याम की बात सुन सबके चेहरे पर एक घबराहट आ गई और सब बिलकुल शांत हो गए। क्योंकि वहा बैठा कोई भी आदमी "राजपूत कॉर्पोरेशन" से रिश्ता खराब नही करना चाहता था।
श्याम–"जैसा की आप लोग जानते है की इस बार राजपूत कॉर्पोरेशन,,, आप सभी को एक मौका दे रहा है की आप राजपूत कॉर्पोरेशन के साथ जुड़कर अपने कंपनी को ऊंचाई तक ले जाए! और मै श्योर हु की आप सब ये मौका अपने हाथ से जाने नही देना चाहते! उसकी बात पर सबने हा में सिर हिला दिया, जिसे देख श्याम ने आगे बोला! बॉस ने सबकी पीपीटी देखी और सबकी पीपीटी एक से बढ़ कर एक थी,,, लेकिन ये मौका सिर्फ दो कम्पनी को ही दिया जाएगा, इसलिए ये प्रोजेक्ट,,, "सहगल ब्रदर्स ऑफ कॉरपोरेशन और वी ड्रीम ऑफ कॉरपोरेशन" को दिया जाता है।
दोनों कंपनी के नाम अनाउंस होते हुए चारो तरफ तालियों की आवाज गूंज उठी, और सब सहगल ब्रदर्स ऑफ कॉरपोरेशन और वी ड्रीम ऑफ कॉरपोरेशन को बधाई देने लगे। सच में आज वहा बैठे बाकी की कंपनी को इन दो कंपनी से इर्षा हो रही थी। लेकिन उन्होंने ये सब अपनी काबिलियत से पाया था,,, इसलिए बाकी कंपनी को जलाना तो बनता है। अदावन ने भी उन्हे प्रोजेक्ट मिलने की खुशी में बधाई दी और श्याम के साथ वहा से निकल गया।
अराना अपने कमरे को लॉक कर बेड पर जाकर बैठ गई और अपने दाहिने हाथ के अंगूठे को मुंह में ले चूसने लगी! अराना जब भी गुस्सा होती,,, तो वो अपना दाहिने हाथ का अंगूठा चूसने लगती। जो बात सिर्फ शिवानी को पता थी,,बाकी सब इस बात से अंजान थे।
कब मिलेंगे अदावन और अराना!! जानने के लिए पढ़ते रहिए!!