लाहौर (पाकिस्तान) एक बहुत बड़ा सा घर और उसी घर की एक रूम की खिड़की से आती हुई धूप एक लड़की को परेशान कर रही थी | वह लड़की बेड से उठने की जगह दूसरी तरफ करवट लेकर फिर से सो जाती है!! | उसी वक्त उसके रूम में एक 44 साल की एक औरत हरा कलर का सूट पहने सर पर दुपट्टा रखे हुए उस रूम में आती है! बालों की उन्हें एक चोटी कर रखी थी!! कानों में सोने के छोटे-छोटे से झुमके!! हाथों में कुछ चूड़ियां, गोरा रंग, और चेहरे पर एक अलग सा ही ग्लो था उनके चेहरे पर!! और रूम की हालत देखकर अपना सर पकड़ लेती है!! और उस सोती हुई लड़की को देखकर कहती है
(रुखसार)
नूरी उठो अभी इसी वक्त!! तुम्हारे अब्बा जान हम से 4 बार पूछ चुके हैं तुम्हारे बारे में!! हम उन्हें और झूठ नहीं कह सकते हैं!! कि उनकी शहजादी पढ़ाई करने की जगह सो रही हैं!! वो भी इस वक्त!! नूरी जल्दी से उठ कर खड़ी हो जाओ!! | नूरी अपनी अम्मी की बातें सुनकर और अपना सर चद्दर में छुपा लेती है और अलसाई हुई आवाज में कहती है
(नूरी)
मम्मी अभी सुबह ही तो हुई है प्लीज सोने दीजिए!! | रुखसार जी जाकर नूरी का चद्दर खींच देती हैं और चिल्लाते हुए कहती हैं
(रुखसार)
शहजादी साहिबा सुबह नहीं हो रही है दोपहर के 1:00 बज रहे हैं!! और तुम्हारे अब्बा तुम्हारे बारे में पूछ रहे हैं जल्दी उठ जाओ!! और थोड़ी ही देर में असलम भी आ जाएगा!! | अपनी अम्मी की यह बात सुनकर नूरी एक झटके में बेड पर बैठ जाती है
(नूरी)
सुनहरे लंबे ब्राउन बाल!! जो अभी इस वक्त सोने की वजह से फैले हुए थे, बड़ी बड़ी काली काली आंखें!! और दूध सा सफेद बदन!! और गाल ऐसे जैसे कश्मीरी सेब!! लाल लाल और ठीक होटो कि नीचे एक काला तिल!! जो नूरी की खूबसूरती में चार चांद लगा रहा था!! और नूरी अपनी अम्मी की बात सुनकर कहती है
(नूरी)
क्या भाई जान आने वाले हैं!! और आप हमें यह बात अब बता रही हैं अम्मी!! | यह बोलकर नूरी भागकर वॉशरूम में चली जाती है!! | नूरी को ऐसे भागते हुए देखकर रुखसार अपना सर पकड़ लेती है और कहती है
(रुखसार)
हे मेरे खुदा क्या होगा इस लड़की का कहने को तो 22 साल की हो गई है पर दिमाग रत्ती भर का नहीं है इसके अंदर!! आप ही कुछ रहमत अदा करें इस पागल को!! | यह बोलकर रुखसार जी नूरी के कमरे से बाहर आ जाती है!! और किचन की तरफ जाती है जहां पर चाय बन रही थी | रुखसार जी चाय को देखकर कहती है
(रुखसार)
इस वक्त चाय?? किसके लिए बन रही है | वही काम करती हुई शन्नो हंस कर कहती है
(शन्नो)
वो.... बड़ी बेगम यह बड़े साहब के लिए बन रही है!! | यह सुनकर रुखसार जी चाय की ट्रे को अपनी तरफ कर लेती है और कहती है
(रुखसार)
बड़े साहब को चाय में दे दूंगी!! तुम खाना बनाओ जल्दी कुछ ही देर में असलम घर आ जाएगा!! | रुखसार की बात सुनकर शन्नो हां में अपना सर हिला देती है!! | और रुखसार जी हाथों में चाय की ट्रे लिए!! अपने गार्डन की तरफ बढ़ जाती है!! गार्डन बेहद खबसूरत था जगा जगा फूल लगे हुए थे!! और बहुत खूबसूरत दृश्य आंखों के सामने आ रहा था!! तभी रुखसार जी गार्डन में लगी हुई सोफे के टेबल पर चाय की ट्रे रख देती है!! और सामने पेपर पढ़ते हुए रिटायर्ड कर्नल इमरान मिर्जा को देखने लगती है!! जिनका पूरा ध्यान न्यूज़पेपर में था!! रुखसार वहीं सोफे पर बैठ कर कहती है
(रुखसार)
जब मुझ से निकाह किया था तो कहा था सारा वक्त तुम्हारे लिए ही है!! उसके बाद आपने आर्मी ज्वाइन कर ली!! और मुझे कहा रिटायरमेंट के बाद सारा वक्त हमारा है!! और अब जब रिटायर्ड हो गए हो तो या तो न्यूज़ पढ़ते रहते हो या तो कहीं बाहर चले जाते हो!!! | यह सब बातें रुखसार जी बहुत गुस्से में कह रही थी | रुखसार जी की बातें सुनकर इमरान जी अपना न्यूज़पेपर टेबल पर रख देते हैं और हंसते हुए रुखसार जी को देखकर कहते हैं!!
(इमरान)
बेगम साहिबा इतना गुस्सा अच्छा नहीं है इस उम्र में!! | इमरान जी की यह बात आग में घी डालने का काम कर रही थी!! रुखसार जी इमरान जी को घूर कर देखती हैं और कहती हैं!!
(रुखसार)
उम्र से आपका क्या मतलब है??? | इमरान जी हंसते हुए कहते हैं
(इमरान)
हमारा मतलब है!! हमारी उम्र हो गई है ना इसलिए हम चीजे भूल जाते हैं!! और रही बात वक्त ही तो!! हमारा वक्त क्या हम खुद आपके हैं!! इसी बात पर एक शेर हो जाए
हमसे हमारी उम्र ना पूछना ए दोस्त
हम तो इश्क हैं हमेशा ही जवां रहते हैं!! | शेर के पूरा होते ही पीछे से नूरी वाह वाह वाह करते हुए आती है और वही सोफे पर बैठ कर कहती है
(नूरी)
क्या बात है अब्बा क्या तो शेर था!! | इमरान जी नूरी के सर पर हाथ फेरते हुए कहते हैं
(इमरान)
आज हमारी शहजादी काफी वक्त तक पढ़ रही थी!! सुबह से अपने अब्बा से मिलने की जरूरत भी नहीं समझी?? | इमरान जी की यह बात सुनकर नूरी पीछे जाकर उनको हक कर लेती है और कहती है
(नूरी)
हमारे लिए हमारी अब्बा से बढ़कर कुछ भी नहीं है इस दुनिया में खुद हम भी नहीं!!! | तभी पीछे से आवाज आती है
(असलम)
हां हां लगाओ लगाओ अब्बा को मक्खन लगाओ बस और अपने सारे काम करवा लो!! | यह बात सुनकर ही सोफे पर बैठे तीनों लोग पीछे घूम कर देखते हैं जहां दरवाजे पर असलम खड़ा हुआ था हाथों में बड़ी-बड़ी अटेची!! और फौजी की वर्दी में खड़ा हुआ था!! | नूरी भाग कर जाती है असलम के पास | असलम को लगता है नूरी उसे गले मिलने के लिए आ रही है इसलिए वह अपनी दोनों बाहें खोल देता है!! पर यह क्या नूरी तो वहीं बैठकर अटैची खोलने लग जाती है!! यह देखकर असलम अपना सर पकड़ लेता है!! और नूरी को घूर कर देखता है और कहता है
(असलम)
तेरा सामान लाया हूं!! कुछ पल रुक नहीं सकती क्या?? | नूरी अटैची में यहां वहां देखते हुए कहती है
(नूरी)
बिल्कुल भी नहीं भाई जान मुझे मेरा सामान अभी ही चाहिए!! इतने में नूरी को उसका वह सामान मिल जाता है!! और वह खड़े होकर फटाक से असलम के गले से लग जाती है और कहती है!!
(नूरी)
थैंक यू सो मच भाई जान!! आपको नहीं पता मैं इस तोहफे का कितना इंतजार कर रही थी!! यह बोलकर नूरी असलम से अलग होती है और भागकर अपने कमरे में चली जाती है!! और असलम आकर अपने अम्मी अब्बू को सलाम करता है!! रुखसार जी असलम को देखकर कहती हैं!!
(रुखसार)
कितना पतला हो गया है मेरा बेटा वहां आर्मी में खाना नहीं मिलता है क्या?? | असलम हंसते हुए कहता है
(असलम)
मिलता है और बहुत खाना मिलता है अम्मी!! | इमरान जी रुखसार जी से कहते हैं
(इमरान)
अरे अभी ही तो घर आया है वह इतनी दूर से!! और आप अभी अभी शुरू हो गई!! उसे अपने कमरे में जाकर आराम करने दीजिए!! | रुखसार जी इमरान जी की बात सुनकर असलम को कहते हैं
(रुखसार)
हां हां तुम्हारे अब्बा सही कह रहे हैं तुम कमरे में जाकर आराम करो थोड़ी देर मैं खाना निकालने को कहती हूं!! | असलम जी अम्मी बोल कर अपने कमरे की तरफ बढ़ जाता है!!
और यहां दूसरी तरफ इंडिया में
लद्दाख का एक छोटा सा गांव टर्टुक!! जहां से इंडिया और पाकिस्तान का बॉर्डर था!! वही एक ऊंचाई पर खड़ा हुआ एक लड़का!! इंडियन आर्मी की वर्दी में खड़ा था!! सीने पर कई सारे मेडल!! और आंखों में शांति जैसे कोई गहरा समुंदर!! एक तरफ मेडल से भरा हुआ सीना!! और दूसरी तरफ एक नाम लिखा हुआ बेच था!! कैप्टन आदित्य वीर प्रताप सिंह!! | तभी इतनी ऊंचाई पर एक आदमी लंबी लंबी सांसे लेकर चढ़ते हुए आता है और आदित्य को देखकर कहता है
(विजय)
कैप्टन आदित्य आपको सर नीचे बुला रहे हैं!! यह बोलकर विजय लंबी लंबी सांसे लेने लगता!! और आदित्य पीछे घूम कर विजय को देखकर करता है!!
(आदित्य)
इतने में थक गए!! फिर दुश्मन का सामना कैसे करोगे?? | विजय अभी भी लंबी लंबी सांसे ले रहा था और कहता है
(विजय)
कैप्टन मैं अपने देश के लिए कुछ भी कर सकता हूं!! वह तो कुछ दिनों से प्रैक्टिस नहीं है ना इसीलिए आज थोड़ा थक गया!! | आदित्य विजय की बात सुनकर एक हल्की सी स्माइल करके कहता है
(आदित्य)
कल से 4:30 बजे ग्राउंड पर तुम मेरे सामने होंगे!! | यह सुनकर विजय वही बैठ जाता है!! और आदित्य को घूरते हुए कहता है
(विजय)
आई नो यार तू हमारा सीनियर है!! पर तू हमारा दोस्त भी तो है यार!! हमारे साथ तो इतना जुलुम मत कर!! | आदित्य वहां से जाते हुए कहते हैं!!
(आदित्य)
मेरे लिए सबसे पहले मेरा देश है उसके बाद और कोई!! और मेरे देश को एक मजबूत सिपाही की जरूरत है!! तूझ जैसे आलसी कि नहीं!! यह कहकर आदित्य उस ऊंचाई से नीचे जाने लगता है!! और विजय वहीं से आदित्य को देखकर कहता है
(विजय)
इसे तो कैप्टन नहीं!! हिटलर होना चाहिए था!! इतना भी कोई सीरियस रहता है अपनी लाइफ में!! ना खुद खुश रहता है ना हमें खुश रहने देता है! ना जाने कौन से वक्त में इससे दोस्ती करी थी मैंने!! और आदित्य नीचे कैंप में जनरल बृज मोहन राठौर के सामने खड़ा था!! जनरल आदित्य को देखकर कहते हैं
(जनरल)
कैप्टन आदित्य हम बहुत खुश हैं आपके लिए!! आपका वह सर्जिकल स्ट्राइक का आईडिया!! बहुत यूज़फुल रहा इंडियन आर्मी के लिए!! आपने दुश्मन देश के 3 सिपाही मार गिराए!! सच में यह बहुत गर्व की बात है!! | जहां जनरल की बातें सुनकर कैंप में सब खुश हो रहे थे आदित्य के लिए!! वहीं खड़े मेजर रूद्र सिंह शेखावत!! आदित्य को घूर कर देख रहे थे और मन में कह रहे थे!!
(मेजर)
एक छोटा सा मिशन सक्सेसफुल क्या हो गया!! इसकी तो तारीफों के पुल बांधे जा रहे हैं यहां पर!! एक तो पहले ही इतनी सी उम्र में कैप्टन बना दिया है!! और अब कहीं मेरा पता ना काट दे !! | आदित्य जनरल की बात सुनकर कहता है
(आदित्य)
सर मैंने कुछ नया नहीं किया है!! मेरी जगह और कोई भी होता वह भी यही करता अपने देश के लिए!! जो मैंने किया है!! | जनरल आदित्य के कंधे पर हाथ रखकर कहते हैं
(जनरल)
हां हां क्यों नहीं!! यह देश है ही इतना अच्छा इस पर तो सो जाने भी कुर्बान है!! तो फिर तुम और मैं क्या चीज है!! | यह बोलकर जनरल हंसने लगते हैं | और आदित्य को देखकर कहते हैं
(जनरल)
आदित्य आज रात का डिनर तुम मेरे घर पर करोगे!! | आदित्य कुछ कहता इससे पहले जनरल कहते हैं
(जनरल)
मुझे ना सुनने की आदत नहीं है!! | जनरल की इस बात पर आदित्य सिर्फ हंस देता है | और वही यह सब बातें सुनकर मेजर का मुंह बन जाता है!! मेजर रुद्र सिंह शेखावत मन में सोचते हैं
(मेजर)
मुझे तो कितना वक्त हो गया मेजर बने हुए आज तक मुझे जनरल ने कभी चाय के लिए भी नहीं पूछा!! कैप्टन आदित्य को सीधी खाने पर बुला रहे हैं!! यह भी सही है!! वक्त आने पर इन दोनों को इनकी जगह दिखा दूंगा!! | आदित्य जनरल को शाम को डिनर पर आने का बोल कर वहां से चला जाता है!! आदित्य अपनी ब्लैक कलर की थार से सीधे अपने घर आ जाता है!! जो आर्मी कैंप के पास में ही है!! आदित्य का घर ज्यादा बड़ा नहीं था छोटा सा ही था!! एक हॉल था, 1 बैडरूम था और बेडरूम से अटैच वॉशरूम था!! और एक छोटा सा किचन!! और घर के सामने एक बड़ा सा बरामदा!! जहां पर कुछ पेड़ पौधे भी लगे हुए थे!! आदित्य ने जैसे ही अपने घर का दरवाजा खोला तो उसकी आंखें छोटी हो गई!! क्योंकि इस वक्त उसके बरामदे में अच्छी खासी महफिल जमी हुई थी!! यह और कोई नहीं आदित्य के दोस्त थे!! एक तरफ विजय आग जला रहा था!! तो दूसरी तरफ सूरज विजय को खड़े होकर देख रहा था!! कि चूल्हे में आग कैसे जलती है!!! और वही उदय एक मुर्गी हाथ में लिए खड़ा था!! जो आग जलने का इंतजार कर रहा था!! और वहीं दूसरी तरफ इन सबसे अलग साहिल बैठकर व्हिस्की के मजे ले रहा था!! जैसे इस दुनिया का सारा दुख सिर्फ उसी के कंधे पर हो!! यह सब देख कर आदित्य अपना सर पकड़ लेता है!!
और यहां दूसरी तरफ लाहौर पाकिस्तान में
नूरी मिर्जा फैमिली डायनिंग टेबल पर बैठकर खाना खा रही थी!! और वही किचन से शन्नो नूरी को इशारे कर रही थी!! और वही नूरी भी शन्नो को आंखों ही आंखों में इशारे कर रही थी!! और यह सब कुछ रुखसार जी से छुपा ना रहा!! रुखसार जी नूरी को देखकर कहती है
(रुखसार)
नूरी शन्नो क्या इशारे हो रहे हैं तुम दोनों के बीच?? | नूरी अपनी आंखें चुराते हुए कहती है
(नूरी)
कुछ भी तो नहीं अम्मी!! | रुखसार जी नूरी को घूरती हैं और शन्नो का आवाज लगाकर वहां बुलाकर कहती है
(रुखसार)
शन्नो तू बता क्या हो रहा था!! | शन्नो एक नजर नूरी को देखती है जो उससे कुछ ना बताने का इशारा कर रही थी!! | यह देखकर रुखसार जी शन्नो को देखकर कहती हैं
(रुखसार)
शन्नो!!!! | रुखसार जी की यह बात सुनकर तो मुर्दे भी बोलने लग जाएं!! फिर यह तो शन्नो थी!! नूरी ने अपनी आंखें बंद कर ली!! और शन्नो कहने लगी
(शन्नो)
बड़ी बेगम!! वह नूरी को अपनी दोस्त शिरीन के निका में जाना है!! जो गिलगित बाल्टिस्तान मैं है!! और नूरी आप सभी से पूछना चाहती थी इस बारे में!! यह सब सुनकर रुखसार जी नूरी को देखकर कहती है!!
(रुखसार)
कोई कहीं नहीं जा रहा है!! और गिलगित बाल्टिस्तान तो बिल्कुल भी नहीं!! वहां हमारी दुश्मन देश के लोग बैठे हुए हैं!! और तुम्हें वहां अपने दोस्त की निकाह के लिए जाना है!! ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा!! और गिलगित बाल्टिस्तान लाहौर से काफी दूर है!! इसीलिए तुम वहां जाने की बात भूल जाओ!! | रुखसार जी की यह सब बातें सुनकर नूरी का पूरा चेहरा उतर जाता है!! और असलम रुखसार जी का साथ देते हुए कहता है
(असलम)
अम्मी बिल्कुल ठीक कह रही है किसी भी निकाह में जाने की कोई जरूरत नहीं है!! | यह सब सुनकर नूरी अब अपने अब्बा को देखती है!! और अब्बा नूरी को देखकर अपने हाथ उठा देते हैं!! जैसे कह रहे हो इस सब में मैं कुछ नहीं कर सकता!! | नूरी भी जिद्दी बहुत थी!! नूरी खड़ी हो जाती है और कहती है
(नूरी)
शिरीन हमारी बेहद अजीज दोस्त है!! और उसका निकाह है और अगर हम अपनी दोस्त के निकाह में भी नहीं जा सकते तो क्या करेंगे इस जिंदगी का??? हमें फर्क नहीं पड़ता हमारा दुश्मन देश वहां बैठा है या पर्वत पर!! और लाहौर से गिलगित बाल्टिस्तान कितना दूर पड़ता है इस बात से भी कोई फर्क नहीं पड़ता!! हमें निकाह में जाना है तो जाना है!! और जब तक आप सब मान नहीं जाते जब तक हम कुछ नहीं खाएंगे!! यह बोलकर नूरी सीधे अपने रूम में भाग जाते हैं!!
क्या नूरी के घर वाले उसे जाने देंगे लाहौर से इतनी दूर?? और आदित्य क्या करेगा अपने दोस्तों के साथ?? और किस्मत कैसे लेकर आएगी 2 देशों की अलग अलग धड़कनों को एक साथ?? आगे जाने के लिए पढ़ते रहे।।