रचित अनुराग और उनके दोस्त उस चुड़ैल का इतना भयंकर रूप देख कर भयभीत हो जाते हैं।, पर वे अपने डर को काबू करते हैं। वे एक-दूसरे का हाथ पकड़ते हैं और साथ मिलकर उसे चुड़ैल के के सामने खड़े होते हैं।
"हम डरने वाले नहीं हैं," उन्होंने उस चुड़ैल से कहा,
"हम तुम्हारी शक्तियों का सामना करेंगे और तुम्हें परास्त करेंगे!"
वह चुड़ैल उन्हें देखकर हंसती है, और उसकी भयंकर हँसी से किला की दीवारें कांपने लगती हैं।
"तुम लोग जितने भी साहसी हो, पर तुम मेरा सामना नहीं कर सकते। यहां आकर तुमने अपनी मौत को दावत दी है ।मैं तुम सबको खा जाऊंगी। और तुरंत ही एक भयानक आवाज़ के साथ उस चुड़ैल ने सभी लड़कों पर आक्रमण कर दिया। उसके प्रहार से सारे लड़के इधर-उधर जाकर गिरते हैं ।कोई दीवार से टकराकर गिरता है ।तो कोई जमीन पर दूर जाकर पड़ता है। उसका प्रहार काफी खतरनाक था और उन सभी लड़कों को कोई ना कोई चोट आई थी। अनुराग के सर में चोट लगी थी। जबकि रचित की पीठ काफी जख्मी हो गई थी।
उन्हें इस तरह से जमीन पर ज़ख्मी पड़ा हुआ देखकर ।वह चुड़ैल खूब जोर-जोर से अट्ठास करने लगी।
लेकिन वह सब के सब हिम्मत करके उठ खड़े हुए। जब वह सारे के सारे उठ खड़े हुए तो उस चुड़ैल को और भी ज्यादा गुस्सा आ गया। उसने अपनी पूरी शक्ति लगाकर अबकी बार उनके ऊपर आक्रमण किया।
तब रचित ने उन सबसे कहा....
" अब की बार हमें बिना देरी किए हुए वह मंत्र पढ़ना शुरू करना होगा। बिना उसकी तरफ देखे हुए ,क्योंकि हम उसकी तरफ देखेंगे । वह उतना ही हमें डराने की कोशिश करेगी। इसलिए सब के सब एक दूसरे का हाथ पकड़ लो और मंत्र का उच्चारण करना शुरू कर दो।
सभी लड़को ने भी एक दूसरे का हाथ पकड़ के उस छवि के द्वारा दिए गए मंत्र को पढ़ने लगे। मंत्र की आवाज सुन के वह चुड़ैल चिल्लाने लगती हैं, और उसकी शक्तियाँ कमजोर पड़ने लगती हैं। अंत में, चुड़ैल की शक्तियाँ ख़तम हो जाती है
उसकी शक्तियों के खत्म होते के साथ ही अनुराग आगे बढ़ कर उसकी चोटी काट लेता है । और रचित आग जला देता है और फौरन ही वह छोटी उस आग में डाल देते हैं। चोटी के जलते ही उस चुड़ैल की आत्मा को मुक्ति मिल जाती है। लेकिन उस चुड़ैल के खत्म होते के साथ ही किला भी भरभरा कर गिरने लगता है।
उसे किले की दीवारें और छत टूट कर गिर रही थी उन सभी को कोई रास्ता नहीं मिल रहा था। तभी वह छवि चित्र में से निकलकर उन दोस्तों के पास आती है और उनसे कहती है मेरे पीछे-पीछे आओ मैं तुम्हें रास्ता दिखाती हूं और वह उसे छवि के पीछे-पीछे चलते हुए बाहर निकल जाते हैं। उस किले को ढहते देखकर सारे गांव वाले भी वहां इकट्ठे हो जाते हैं और वहां से अनुराग रचित और उनके दोस्तों को निकलते देखकर उनसे पूछते हैं।
कि इस किले को क्या हुआ तब वह सारे दोस्त उन्हें सारी हकीकत बताते हैं। यह सारी बात सुनकर और उस चुड़ैल का अंत सुनकर सारे गांव वाले बहुत खुश होते हैं। और रचित, अनुराग और उनके दोस्तों को कंधों पर बिठाकर का मोहल्ला गांव की तरफ झूमते गाते निकल जाते हैं। आज इस किले से छुटकारा मिल गया था। वह भी रचित और उनके दोस्तों की बदौलत।
यह कहानी यहीं समाप्त हुए मिलते हैं ऐसी ही भूतिया कहानी में....