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वास्तविकता

Puja_Bharti_9250
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Synopsis
शहर में सीरियल किलिंग हो रही है , कोई चुन चुनकर बेगुनाह लोगों को मार रहा है। वहीं दूसरी और अमित और शशांक के बीच भी कुछ चल रहा है , दोनों इस बात से अनभिज्ञ हैं की उनकी ये राह उन्हें कहां ले जायेगी। क्या होती हैं उनकी दास्तान और क्या ये शहर कभी इस सीरियल किलर से आजाद हो पाएगा? जानने के लिए पढ़िए वास्तविकता, जो कई सवालों को झकझोरेगा , जिसके उत्तर शायद आपको भी सोच में डाल दें ।
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Chapter 1 - प्रेषक न्यूज़

छच्छआ क....छछाक....

मर्तक शहर की चकाचौंध से दूर , एक अंधेरी गली के खाली पड़े झोपड़े में से लगातार ये आवाजें , किसी व्यक्ति के चिल्लाने के साथ - साथ आ रहीं थीं ।

प्लीज़ मुझे जाने दो...मैने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है ....आ आ आ ...

और इस चीख के साथ , फिर से उस गली में पहले की तरह हीं सन्नाटा छा गया, फिर से यह इलाका एक अलग हीं शांति की चादर ओढ़ कर सो गया।

9 अप्रैल 2010..

मर्तक पुलिस स्टेशन

" सर.. मेरे पापा कल रात को बाहर गए थे , अभी तक घर नहीं आए हैं, और उनका फोन भी नहीं लग रहा है। आज से फल उन्होंने ऐसा कभी नहीं किया। मुझे लगता है, उनके साथ कुछ गलत हुआ है..." लगभग चीखते हुऐ अमित ने कहा।

" तुम्हें क्या लगता है, हमारे पास और कोई काम - वाम नहीं है , कहीं पीने चले गए होंगे , आस पड़ोस में ढूंढो मिल जायेंगे। यहां आकर हमारा टाइम खोटा करने की कोई जरूरत नही है। " इंस्पेक्टर विनय चिढ़ते हुए बोले।

" सर आप बिना जाने किसी के बारे में कैसे कह सकते हैं , उन्होंने अपने पूरे जीवन में शराब पीना तो छोड़िए कभी शराब छुआ तक नहीं ।" अमित ने कहा ।

" ज्यादा यहां होशियारी मत दिखाओ, लगता हैं हम पुलिस वालों को और कोई काम तो है हीं नहीं, पता है पूरे शहर में 4 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं , पूरा शहर आतंक में है , और ये सब छोड़ कर हम अब तुम्हारा काम करें । " इंस्पेक्टर विनय अपने कुर्सी से उठते उठते बोले।

" आपको नहीं लगता , इसे वक्त में यह मामला कितना गंभीर हो सकता है " अमित ने गंभीर स्वर में कहा।

" हां - हां, चलो जाओ हमें हमारा काम मत सिखाओ, ओय! पंडित रिपोर्ट लिखो इसकी। और तुम शांति से रिपोर्ट लिखवा अपनी और घर जाओ , हम देख लेंगे बाद बांकी " इंस्पेक्टर विनय ने चिढ़ते हुए कहा।

" ए आओ इधर! पता नही कहां - कहां से आ जाते हैं" पंडित ने कहा।

" नाम -चक्रधर उपमन्यु

उम्र -50 साल

हाइट -5'6

रंग -गेहूंआ "

ठीक है तुम जा सकते हो , अगर हमे कोई खबर मिली तो हम तुम्हें बता देंगे।

9 अप्रैल रात 8 बजे..

प्रेषक न्यूज़..

आज के ब्रेकिंग न्यूज़ में देखिए पुलिस की लापरवाही , एक ऐसे समय में जब शहर रोज़ -रोज़ मासूम लोगों के खून से लांछित हो रहा है। आज हमारे रिपोर्टर इसी चीज की जांच के लिए मर्ताक पुलिस गई , तो उन्होंने पुलिस द्वारा पीड़ितों के परिवार से की जा रही बदसलूकी का पता चला। क्या अब इस सहर में , इस स्तिथि में परिवार के लोग अपने परिजनों की गुमनामी का रिपोर्ट लिखवाने के लिए भी दर - दर भटकें? हमारे रिपोर्टर अमित शर्मा द्वारा बनाए गए इस वीडियो में साफ दिख रहा है, की हमारी न्याय प्रणाली , कितनी हद तक गिरी हुई है। यह सरकार से भी यह सवाल उठाता है की , आप इस माहौल में कैसे हमारी सुरक्षा सुनिश्चित कर पाएंगे, यदि आपके पुलिस ही इस हालत में हैं?

आज की ताजा खबरें सुष्मिता के साथ , देखते रहें प्रेषक न्यूज़, रोज़ रात 8 बजे से!

" वाह अमित ! तुमने तो दिल खुश कर दिया , इस बार तुम्हारा प्रमोशन पक्का!" खुशी से झूमते हुए प्रोड्यूसर ने कहा।

अमित ने धीरे से सर झुकाया और ऑफिस बिल्डिंग से निकलकर बाहर आ गया।

" रुकिए रिपोर्टर साहब! ऐसी क्या जल्दी है, हमसे भी मिलते जाइए , आप तो अब बारे आदमी हो गए हैं" पीछे से सुष्मिता ने आते हुए कहा।

अमित चलते चलते रुक गया और पीछे मुड़ा , पर उसने कुछ कहा नहीं । और सुष्मिता को उसके तरफ आता हुआ देखता रहा।

सुष्मिता, रंग सफेद और दुबली जी पतली सी लड़की थी , एकदम मॉडल जैसी दिखती थी , उसके आने से तो चैनल की टीआरपी भी पहले से ज्यादा बढ़ गई थी । कुछ लोग तो न्यूज़ अब देख हीं उसकी वजह से रहे थे। चाहे कैसा भी न्यूज़ हो , वो उसे इस तरह से बताती की आप चाहो या ना चाहो आपका ध्यान उसपर जाता हीं।

उसने फिर पास आकर हस्ते हुए कहा, " यार! तुम कभी हस्ते क्यों नहीं हो ? 4 साल हो गए हमे साथ में काम करते हुऐ, आज तुम्हारा इतना बड़ा दिन था फिर भी तुम अपने उसी " नो इमोशन" के साथ घूम रहे हो , कम ऑन यार ! " उसने मुंह बनाते हुए कहा।

तभी उधर से नीता भी आ गई वहां और उसने कहा , " अ..सुष्मिता तुम्हें और अमित को सिर ने बुलाया है , ऑफिस पार्टी के लिए "

" ठीक है मैं आ रही हूं" फिर दोनो ने अमित की ओर देखा, दोनों की नजरे पाकर अमित ने उसी शांत लहजे में जवाब दिया " तुमलोग जाओ मुझे कुछ काम है, घर पर तो मैं नहीं आ पाऊंगा" इतना कहकर अमित जाने को मुड़ा तभी अपनी आवाज में और मिठास घोलते हुए सुष्मिता ने कहा , "लेकिन अगर तुम आते तो ..., उसके शब्द पूरा होने से फल हीं अमित ने उसे हल्के से मुड़कर देखा, तो सुष्मिता और नीता दोनो सकपका गईं।फिर अमित वहां से अपनी कार की ओर बढ़ गया।

" यार ये इतना अट्रैक्टिव है, लगभग पूरे ऑफिस की लड़कियां इसे पसंद करती हैं , अगर ये थोड़ा सा मुस्करा लेगा तो इसका क्या जायेगा। क्या फायदा 6 ft लंबा और इतने अट्रैक्टिव फीचर्स का ? मुझे तो कभी -कभी इससे दर भी लगता है " नीता , अमित की तरफ देख कर बोले जा रही थी , वहीं सुष्मिता अपने खयालों में खोई हुई थी।"आज भी याद है ,उसे ऑफिस का फल दिन जब वो यहां आई थी , ऑफिस से उसे अमित को असिस्ट करने का काम मिला था। वह उसे पहली बार देखते हीं मोहित सी हो गई थी, पता नहीं क्यों लेकिन अमित की आंखों के खालीपन ने उसे जो बांधा ,तो वह अभी तक अपने आप को उस पाश से चुरा नही पाई है। एक बार तो उसने हिम्मत जुटा कर प्रपोज भी किया था , लेकिन अमित ठहरा अमित उसने बिना उसके तरफ देखे ही कहा" कल काम पर मिलते हैं" और यह कह कर वहां से चलता बना, चेहरे पर बिना कोई भाव ले हुए । इतने कठोर रिजेक्शन के बाद भी वो अभी तक उसे अपने मन से नहीं निकाल पाती है।

" ओय सुस! अब तुम कहां लखो गई , जल्दी चलो आज हेड बॉस भी आने वाले हैं , ' द शशांक ओबराय ' " , इतना कहना हीं था की सुस्मिता ने कहा " वे यहां पर , क्यों? "

" ये भी कोई सवाल हुआ , आज हमारे चैनल की टीआरपी इतनी हाई गई है, तो उनको तो आना हीं था। " यह कहकर नीता ने इस तरह देखा जैसे इससे ज्यादा बचकाना सवाल उसने आज तक ना सुना हो।

" बस भी करो ऐसे घूरना , और अब चलो नही तो हम लेट हो जाएंगे " इतना कह कर वो दोनो वापस बिल्डिंग की ओर चल दीं।

उन्हें अंदाजा भी नहीं था की पार्किंग लॉट के एक कार से किसी ने उनकी बातें सुनकर एक तिरछी सी मुस्कान दी।