Chapter 4 - बहस

कार्तिक ने नायरा को अपनी बाहो में लेकर कहा, "मैं तुम्हें लेने आया हूँ |"

नायरा सवालिया नजरों से उसे घूरते हुए कहती है, - "कहाँ?" 

कार्तिक ने कहा, हमारे घर, हम अपने घर जाकर अपनी जिंदगी की नइ शुरुआत करेंगे साथ मिलकर | 

यह सुनकर तो नायरा का सर जैसे घुम ही गया ,और वेद आंखे फाडकर कार्तिक की बेशर्मी देख रहा था | 

नायरा  वेद से कहा, "तु बहार इंतजार कर मैं आती हूँ |"

वेद ने कहा, ठीक है ,और व़ो कमरे से बहार निकल गया| 

उसके बहार जाते ही नायरा ने गुस्से में कार्तिक को घूरते हुए कहा, "यह सब क्या बकवास थी?" और कोंट्रेक्ट में भी लिखा है कि मैं यही रहूंगी | 

कोंट्रेक्ट की बात सुनकर कार्तिक को बूरा लगता है लेकिन वो अपने आप को कंट्रोल करके कहता है, मैं हमारे रिश्ते को एक मौका देना चाहता हूँ | 

नायरा को अब कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर हो क्या रहा है? कल तक जो इंसान उसकी शक्ल तक नहीं देखना चाहता था वो इंसान आज मुझे अपनाने के लिए तैयार है | "एक ही रात में एसा क्या हो गया?" 

कार्तिक ने नायरा का हाथ पकडते हुए कहा, "देखो जो हुआ उसे भुल जाओ और, हम अपनी जिंदगी की नइ शुरुआत करते हैं|" 

नायरा को गुस्सा तो बहुत आ रहा था लेकिन फिर भी उसने अपने गुस्से को कंट्रोल करते हुए कहा,- "कार्तिक क्या बात है साफ  साफ बताओ?"

"क्या तुम्हारा रिचा के साथ कोई झगड़ा हुआ है?" 

नायरा की बात सुनकर कार्तिक हडबडाकर कहता है ," न... नही.. एसा नहीं है |"

नायरा को समझ आ गया कि वो जो सोच रही है वही बात सही है | इसलिए उसने गुस्से में कहा, तुम मुझे बार बार गुस्सा क्यों दिला रहे हो? "मैं इंसान हूँ कोई पपी या चीज नही ,जब जिसके मन में आया ले ली और जब मन भर गया तो फेंक दी |"

आज तुम मुझसे इसलिए यह सब कहे रहे हो क्यों की तुम मुझसे रिश्ता दिल से नहीं अपने इगो की वजह से निभाना चाहता हो | तुम रिचा को यह दिखाने के लिए मेरा इस्तेमाल करना चाहते हो कि उसने तुम्हे छोडकर कितनी बडी गलती कर दी | लेकिन मैं इस रिश्ते को कभी नहीं निभा पाउंगी | 3 महीने के बाद डिवोर्स देकर हमेशा के लिए चली जाउंगी | 

कार्तिक चूपचाप नायरा की बातें सुन रहा था  जो कि सच थी | कार्तिक खुद से कहता है, "यह लडकी दिखने में कितनी मासूम और भोली है लेकिन बहुत ही ज्यादा चालाक हैं | "

नायरा ने कहा, यह मन में गाली देना बंद करो | "मैं तुम्हारी तरह बेवकूफ नही हूँ ,जो लोग मुझे लूटते रहे, बेवकूफ बनाते रहे और मैं कुछ ना करूँ |" 

कार्तिक ने अपनी भौंहे सिकुडते हुए कहा  , "मैं तुम्हें बेवकूफ दिख रह हूँ?" 

नायरा कहती है, "पूछ रहे हो या बता रहे हो?" 

कार्तिक ने गुस्से में उसकी कमर पकडकर अपने करीब खीचते हुए कहा, अगर मैं बेवकूफ होता तो इतना बडा बिजनेस कैसे चलाता? 

नायरा ने उसके गले में हाथ डालकर कहा, पतिदेव बिजनेस में आप चाहे कितने भी अच्छे क्यो ना ह़ो लेकिन लोगो को पहचानने में धोखा खाते हैं | आइ एम सोरी लेकिन मैं अपना रिलेशन किसी एसे आदमी के साथ नहीं रखना चाहती जो मुझे सिर्फ अपने मतलब के लिए use करे | रिश्ते बिन किसी स्वार्थ के निभाए जाते हैं | रिश्ते कोई डील नहीं है जो उसे हासिल किया जा सकता है "उन्हें पौधो की तरह प्यार, विश्वास और अपने पन से सिंचना पडता है |"  

कार्तिक ने कहा, "इस दुनिया में एसे रिश्ते कभी नहीं मिलेंगे जो बिना स्वार्थ के जुडे हो |"

नायरा ने कहा, "किसने कहा एसा?"

मैं, वेद, जियु, वेदांत हमारा रिश्ता बिना किसी स्वार्थ के सिर्फ प्यार और विश्वास पर टिका है | हम एक दूसरे के लिए जो भी करते हैं दिल से करते हैं | बहुत देर हो चूकी है तुम्हे अब जाना चाहिए | 

कार्तिक ने कहा, ठीक है लेकिन तीन महीने तक तो तुम मेरे साथ रहोगी मेरी बीवी बनकर | उसके बाद देखा जाएगा | 

नायरा ने कहा, नहीं, मैं वहाँ पर नहीं आउंगी  | 

कार्तिक कहता है, "तुम इतनी जिद्दी क्यों हो? "

नायरा ने कहा, तुम्हे याद नहीं कल तुमने मुझसे क्या कहा था- "और अब मैं उस घर में गई तो तुम हर रोज मुझे यह एहसास दिलाओगे का मैं तुम्हारे टुकडो पर पल रही हूँ |" 

कार्तिक ने अपना सिर पीट लिया और खुद से कहा, "माँ को यही नमूनी मिली थी?" लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता जिंदगी भर इसे झेलना तो पडेगा | 

कार्तिक ने कहा, तो ठीक है | मैं यही रहने आ जाउंगा | 

नायरा ने कहा, कोई जरूरत नहीं है | देखो मुझे तुम्हारे साथ नहीं रहना है एंड यह मेरा फाइनल डिसीजन है | अब तुम जा सकते हो | 

कार्तिक ने आखिरी बार कोशिश करते हुए कहा, देखो मैं मानता हूँ कि मुझसे भूल हुइ है लेकिन प्लीज मेरे साथ घर चलो | अगर माँ को पता चला कि हम दोनों अलग अलग रह रहे हैं तो फिर हो गया डिवोर्स | वो खुद यहाँ पर रहने आ जाएगी | फिर तुम कभी मुझसे दूर नहीं जा पाओगी | 

नायरा ने चिढते हुए कहा, "पता नहीं कौन सी मनहूस घडी में मुझसे टकराए थे जो अभी तक चिपक रहे हो गोंद की तरह |"

कार्तिक ने कहा, वो बहुत ही शुभ मुहूर्त था , एसा कहते हैं- "अगर उस मुहूर्त में कोई लडका लडकी की मांग भर दे तो सात जन्म तक उन्हें कोई अलग नहीं कर सकता |" 

नायरा कार्तिक को खा जाने वाली नजरों से देखने लगी | 

कार्तिक ने तुरंत अपनी सफाई देते हुए कहा, "माँ ने कहा था एसा |" 

नायरा ने कहा, "तुम एक घंटे भी मुझसे झेले नहीं जाते, तो सात जन्म क्या खाक झेलूंगी?" 

कार्तिक ने कहा, अब बाकी बहस घर चलकर कर लेंगे | 

नायरा ने थक हारकर कहा, ठीक है लेकिन हम अलग अलग कमरे में रहेंगे और तुम मेरे करीब नहीं आओगे | 

कार्तिक ने फ्लर्ट करते हुए कहा, "अगर तुम रोज इतनी ही प्यारी और खुबसूरत लगोगी तो मैं खुद को कैसे रोक पाऊंगा |" 

नायरा ने कहा, भाड में जाओ , मैं नहीं चल रही हूँ |

कार्तिक ने कहा, अच्छा सोरी ! अब चले | 

नायरा ने कहा, ठीक है मैं वेदु को बता देती हूँ | 

कार्तिक ने चिढते हुए कहा, यह क्या वेदु वेदु लगा रखा है | नाम लेकर बुलाने में क्या तकलीफ है तुम लोगो को? 

नायरा ने आंखे दिखाते हुए कहा, बकवास मत करो | मेरी मर्जी | मुझे जिसे जो बुलाना होगा बुलाउंगी | चिलगोजे कही के | 

कार्तिक ने कहा, तुम मुझे चिलगोजा कहे रही हो? तो तुम बंदरिया | 

नायरा ने कहा, आइ डोंट केयर |  

नायरा कमरे से बहार जाकर वेद को बताती है कि उसने कार्तिक से शादी कर ली है | लेकिन शादी का रीजन और शादी किस तरह से हुई यह नहीं बताया |

कुछ ही देर में कार्तिक और नायरा दोनों ओबरोइ मैंसन जाने के लिए निकल गए ||