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Chapter 2 - पिंजरा

दिनांक - 10 जनवरी 1999 , इसी दिन इस नर्क में अर्जुन ने जन्म लिया था,आज पुरे 20 साल हो चुके हैं । जिस उम्र में उसे अपने साथियों के साथ खेलना चाहिए, उस उम्र में उसने पत्थर थोड़े , हथियार चलाये और घुट घुट कर मरता रहा। 100 फिट लम्बी और मोटी मजबूत दिवार, जिसके अंदर बना oxygen city , जिसे नर्क भी कहे तो कम नहीं था । रावन कंसिक जिसने ये दुनिया बनाई  और इसे 100 फिट मजबूत दिवार के  अंदर कैद कर , कर डाला दूसरी दुनिया से अलग। 

oxygen city ( OC ) में रह रहे लोगो ने इस नर्क वाली दुनिया को ही अपने सपनो का स्वर्ग मान चुके थे, दीवाली हो या ईद , उन्हें सिर्फ काले पत्थर ही तोड़ने पड़ते थे। रावन कंसिक के इस सम्राज्य में हजारो सिपाही तैनात थे,उनके चहरे पे oxygen माक्स लगा रहता था और हाथ में मशीन गन , जिनके हाथ खून से रंगे थे। कहा जाता हैं , की OC में सिर्फ लडको को ही हक़ था पैदा लेने का , अगर लड़कीया पैदा हो गई तो उन्हें उसी वक्त मार दिया जाता था। आज बीस साल हो गये हैं और अर्जुन दूर बना उस दिवार को देखकर बड़ा होता गया, जिसका सिर्फ एक ही संकल्प था इस दिवार के उस पार जाना ।

हजारो एकड़ में फैला  OC  जिसके अंदर हर दिन लोगो को पत्थर तोड़ने पड़ते थे , कही दूर एक बड़े से पत्थर पे खड़ा हमारा  अर्जुन , जिसने अपने कंधे पे एक बड़ा सा हथौड़ा रखा हुआ था और उसका दूसरा हाथ  जिस में पट्टी बंधी थी , जो अब काले पत्थर की वजह से गंदे हो गये । उसने एक पुराना  जींस पहन रखा था , और पैरो में उसके फटे जुटे थे , माथे पे  एक उजली पट्टी बंधी थी और शरीर पे एक कपडा भी नहीं था , पसीने से लटपट उसका वो गोरा बदन , जो अब काले पत्थर के धुल में कही गुम सा हो गया था । काले रंग में छीपा वो उसका 8 पैक abs , जो अब पसीने की वजह से उभर कर दिख रहे थे ।

अर्जुन का  गोरा चहरा इस वक्त बिलकुल शांत , किसी ठहरे पानी की तरह दिख रहा था , आँखों में एक अलग ही जूनून , तीखी नाक और माथे पे बंधा वो उजला पट्टी , जिसे देख ने पर  एक मजदुर कम , योद्धा ज्यादा लग रहा था । वह खुद में गुम खड़ा कुछ सोच ही रहा था की इतने में उसके पीछे से एक बुजुर्ग की आवाज आई," बेटा अर्जुन ! चल जल्दी कर घर भी तो जाना हैं , चल आ जा अभी थोड़े पत्थर तोड़ने बाकी हैं। "

ये बुजुर्ग कोई और नहीं बल्कि अर्जुन के पिता राम प्रताप हैं , जो अब 55  साल के हो चुके हैं , ये दुनिया उम्र का लिहाज कहा करती हैं , यहाँ उन्हें ही जीने का हक़ हैं  , जो रावन कंसिक के लिए काम कर सकते हैं , यानि पत्थर थोड़ सकते हैं । राम इस उम्र में भी पत्थर तोड़ते थे , ताकि वह जिन्दा रह सके । हालात कुछ ऐसे थे की जो लोग काम करने के लायक नहीं रहते थे , उन्हें मार दिया जाता था।

अर्जुन जो खुद के दुनिया में कही गुम था , वह अपने पिता की आवाज सुन कर होस में आया और पलटते हुये बोला," बाबा आप इस नर्क को घर कहते हैं ? अगर ऐसा हैं तो कहा हैं वो शांति जहा इन्सान अपना कुछ पल सुकून से काटता हैं। अर्रे यहाँ तो लोग काटने को दौड़ते हैं , पूरा दिन मेहनत करने के बाद मिलता ही  क्या हैं , मुठ्ठी भर चावल , आप इसे घर कहते हैं , यह सिर्फ एक नर्क हैं और कुछ नहीं। "

अर्जुन कहते हुये राम के सामने आकर खड़ा हो गया , और फिर दूर बने 100 फिट ऊँचे दिवार की तरफ ऊँगली दिखाते हुये बोला ," बाबा ! हमारा घर , वहा दूर उस दिवार के उस पार हैं। "

अर्जुन का इशारा समझते ही राम गुस्सा होकर बोले," बकवास बंद कर  ये अपनी ,, जब से होस संभाला हैं तब से उस पार जाऊंगा , उस पार जाऊंगा , इसकी रत लगा रखा हैं अर्रे क्या हैं उस पार , जो यहाँ नहीं हैं। "

राम झुंझला उठे थे और उनका चहरा गुसे से लाल हो गया था,"उस पार स्वर्ग हैं बाबा ! आप जिस नर्क में रह रहे हैं , उस नर्क से निकल कर बेहतर जिन्दगी जीने का रास्ता।"

चारो तरफ हथौड़ी और छेनी के चलने की आवाजे आ रही थी , पत्थर टूट कर बीखड़ रहे थे और इधर सामने अर्जुन राम के दिल को तोड़ कर बिखेरने में लगा था। जब जब जिसने भी उस दिवार के उस पार जाने की बात की हैं तब तब उसे ख़त्म कर दिया गया हैं। रावन कंसिक को ऐसे लोग,बिद्रोह खड़ा करने वाले लगते थे, गर एक भी मजदुर ने आवाज उठाया , तो हो सकता हैं की सब उसका साथ देने लगे , और इसी वजह से उन्हें मार दिया जाता था । राम का दिल बैठा जा रहा था , क्योंकि उनका बेटा अर्जुन भी उसी राह पे चल रहा था ।

" पागल मत बन , तुझे पता भी हैं , वो लोग तुझे मार डालेंगे "

"तो मर जाऊंगा " अर्जुन ने कहा ही था की राम एक जोर का थप्पड़ दे मारते हैं और गुस्से में बोले। 

" तूने आज बहुत काम कर लिया हैं , घर जा " लेकिन अर्जुन हिला तक नहीं और ना ही उसको उनके थप्पड़ का बुरा लगा था , वह बोला। 

"कब तक सच्चाई से भागेंगे ,बा। आज नहीं तो कल आपको इसका सामना करना ही पड़ेगा। " और इतना बोल वह गुस्से में वहा से जाने लगा , उसे जाते हुये देख राम थोडा मायूस होकर बोले। 

" मैं सच जानता हूँ , लेकिन तुम्हे खोने से डरता हूँ बेटा , अब मुझ बूढ़े में अपने जवान बेटे की लाश को कन्धा देने की हिम्मत बिलकुल भी नहीं बची हैं। "राम ये कहते हुये , अर्जुन को जाता देखते रहे , और तभी दूर से उनके एक दोस्त ने आवाज लगाई

" अर्रे राम यार क्या कर रहा हैं ? जल्दी आ काम खत्म करने हैं। "राम ये सुनते ही होस में आये और अपने दोस्त की तरफ चल पड़े। इधर अर्जुन गुस्से में चला जा रहा और जहा भी रास्ते में उसे पत्थर मिलते उसे गुस्से में हथौड़े से थोड़ डालता , वह मन ही मन कहने लगा,"बाबा आप हमेसा मुझे मारते रहते हैं ? लेकिन देखना एक दिन मैं इस दिवार के उस पार जाकर ही दिखाऊंगा। "

आस पास के पत्थर  को तोड़ते ही जा रहा था की इतने में एक पत्थर का टुकड़ा , बगल में खड़े एक सिपाही को जा लगती हैं और पत्थर के लगते जी वह सिपाही गुस्से में अर्जुन को देखने लगा। 

" क्यों बे ज्यादा चर्बी चढ़ी हैं तुजमें , एक गोली और तेरा सारा भुत उतर जाएगा  " सिपाही  ने गन तान दी और अर्जुन को धमकाते हुये बोला , सिपाही के आँखों में खून उतर आया था और अर्जुन उसके सामने सीना ताने खड़ा था ।

Thanks