एक गांव मे एक लड़का नवल अपने पीता सत्यनारायण जी के साथ रहता था वह कोई भी काम न करके व्यर्थ मे अपना समय व्यतीत कर देता था एक दिन नवल के मित्र उसके घर पर आये नवल ने उनको तली हुई चीजे बना कर खिलाई और कुछ अपने पीता क़ो भी खिलाई उसे खाकर उसके पीता ने उसको सलाह दि बेटा तुम खाना बनाकर बेचने का धंधा शुरू क्यों नहीं करते? उसने अपने पीता की सलाह क़ो मानते हुये एक ठेला खरीदा और उसका नाम रखा `नवल फ़ास्ट फूड´ और उसपे उसनेे बर्गर, चाउमीन, बिर्यानी आदि बनाकर बेचने लगा उसके हाथो की सामग्रीया लोगो क़ो इतनी पसंद अति थी की वो घर का खाना भी नहीं खाते थे इसकी चर्चा शहरो तक होने लगी जिससे उसके पास फाइव स्टार होटल वालों ने उसे नौकरी देना चाही पर उस समय उसका धंधा बहुत चलता था पर घर का खाना न खाने और तली चीजे खाने से कुछ लोग बीमार होने लगे और कुछ लोगो का उस खाने से मन भर गया जिससे नवल का धंधा बिलकुल बंद हो गया दो से तीन दिन तक उसने लोगो का इंतजार भी किया पर कोई भी नहीं आया उसकी कमाई न होने पर उसके चेहरे का रंग उड़ गया फिर उसे याद आया की उसे तो फाइव स्टार होटल मे नौकरी मिल सकती है ये सोच कर वो शहर की तरफ रवाना हो गया नवल के इंकार करने पर होटल वालों ने अस्थाई बावर्ची रख लिया था पर नवल के आने पर उन्होंने उसे हटा कर नवल क़ो रख लिया और उसकी तनख्वा ₹12000/माह रखी नवल के आने पर 2 महीने मे हीं होटल की कमाई 20% बधाई गयी इससे खुश कर होटल वालों ने नवल की कमाई बुई 20%यानि ₹2400 बड़ा दि एक दिन एक लड़की होटल मे आयी नवल क़ो देखकर उसकी तनख्वा का पता लगाने के बाद लड़की क़ो नवल से प्रेम हो गया लड़की के इजहार करने पर नवल मना नहीं कर पाया और बाद मे उनकी शादी हुई शफी मे दहेज न मांग कर नवल ने पैसे मांगे लड़की वालों ने वो दे दिए उन पेसो से नवल ने एक प्लाट खरीदा और उसपर होटल बनवाया ज़ब तक होटल का काम पूरा हुआ तब तक नवल के एक बेटा हो गया था जो 3 महीने का था उसका नाम उन्होंने `पार्थ ´ रखा होटल का नाम भी अपने बैठे के नाम से से हीं रखा `पार्थ एंड कम्पनी ´ उनका होटल जिसमे नवल काम करता था उसके मुकाबले दो गुना ज्यादा चला इस प्रकार एक बेरोजगार व्यक्ति ने अपने जीवन क़ो सफल बनाया