तब वह एक छोटी बच्ची थी ।
जो बहुत हँसती खिलखिलाती रहती सबकी आँखों का तारा थी।
वह हर रोज शाम को अपने पड़ोस में खाली पड़ी जगह पर साईकल चलाना सीखती थी।
अपने मोहल्ले में वही एक छोटी लगभग 9 साल की बच्ची थी।
उसके आस पास का माहौल ऐसा था जिसमें लोगों को उससे कोई मतलब नही और जिनको था, वह उसका परिवार ही था।
उसकी बातें बहुत प्यारी थी उसकी तरह उसे हमेशा से एक डॉक्टर बनना था।
सब उसको प्रोत्साहित करते थे उसके सपने के लिए।
अब वह बड़ी हो रही थी।
उसके जीवन शैली भी बदल रही थी। उसने लड़कियों वाले कॉलेज में दाखिला ले लिया।