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Chapter 11 - वो दिन....पार्ट 10

सिया , रमिया और शेखर से बात कर के के अपने कमरे में आती है और बेड पर बैठ जाती है। सोचते हुए पुरानी यादों में खो जाती है

वह उस वक्त को याद करती है जब वह अपने मां बाप और अपनी बड़ी बहन के के साथ अपने परिवार के साथ कितना खुश होके रहा करती थी जैसे एक नॉर्मल फैमिली रहती है वह भी बहुत खुश थे

अपनी फैमिली के लेकिन अचानक से किसी कारण उसे उस दिन कुछ काम से घर से बाहर जाना पड़ा उसी दिन उसके घर पर कोई कुछ अज्ञात लोग आकर उसके मां-बाप और उसकी बहन को मौत के घाट उतार देते हैं

जब बह घर वापस आती है और यह देख वह सदमे में चली जाती हो और कुछ ना सोच समझने की स्थिति में रहते हुए वह खुद को मारने का सोच कर घर से निकलती है सोचती है उसकी फैमिली नही रही तो वो जी के क्या करेगी है बही दूर खड़ी कार में कुछ लोग थे

उनमें से एक फोन पे बात कर रहा था और कह रहा था की उस डॉक्टर के पूरे परिवार को मैने मौत के घाट उतार दिया है

बस उसकी छोटी बेटी का इंतजार कर रहे है एक वो ही आखरी बची हुई है अच्छा है

वो था है नही तो वो भी नही बचती इस डॉक्टर की वजह से मैने अपनी बीबी को को दिया और

आज मेरी बेटी भी ल्यूकेमिया जैसी बीमारी से ग्रस्त है और वो डॉक्टर कैंसर स्पेशलिस्ट है फिर भी उसकी वजह से मैने मेरी बीबी को खो दिया है और मैं अपनी बीबी को नही खोना चाहता था

उसने मेरी बेटी का इलाज भी करने से भी

मना कर दिया उसकी इतनी हिम्मत मैने भी उसे बही दर्द दिया है जो उसने मुझे दिया है ये सब सुन के सिया तो अपने होश ही खो बैठी थी इससे पहले की वो वहा से भाग पाती उसके आदमियों ने सिया को पकड़ लिया और अपने बॉस के पास ले गए सिया ने ज्यादा कुछ नहीं देख पाई बस एक 4 साल की लड़की को देखा था उस कार में एक आदमी के पास केवल जो उसे बॉस बॉस के रहे थे