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Chapter 4 - मैं और तुम

रीसेप्शन पे रोहित ने आवाज़ लगाई पर वहा कोई नई था।

" अजीब हे हमने तो बुकिंग कर के रखी थी है ना? " कन्फ्यूज होके रोहित मोहित को देखने लगा।

" मुझे क्या देख रहा है आने से पहले तूने ही तो बुकिंग की थी दो दिन पहले तेरे लैपटॉप से , भूल गया क्या? " मोहित ने रोहित को घूरते हुए कहा।

" अरे हा याद आया सॉरी " फिर रोहित ने एक बार और चिल्लाते हुए कहा।

" अरे कोई हे क्या ? गांव वालो ठाकुर बसंती को उठा के ले गया जल्दी आओ "

रोहित मजाकिया अंदाज में बोलने लगा तभी दीपांश ने कहा।

" अरे क्या रात को टाइम पास कर रहा देखना ठीक से कोई हे की नई "

सब लोग आस पास देखने लगे।

" भाड़ में जाए में तो चाबी खुदसे ही ले लेता हु देखना अपना रूम कोन कोनसा है "

रोहित ने मोहित को देखते हुए कहा।

फिर वोह रीसेप्शन की टेबल पे चढ़ गया।

" अरे हमारे रूम की चाबी भी देना प्लीज़ "अवनी ने रोहित को कहा।

" हा सबके रूम की चाबी मिलेगी रुको थोड़ा "

रोहित ने बोलते हुए रूम की चाबी लेने की कोशिश की।

" क्या कर रहा ? बता ना कोनसा रूम हे अपना " मोहित ने पूछा ।

" रुक एक मिनिट देखता हु " तभी अवनी बोली।

" हमारे रूम की दे दो हमारा रूम नंबर 202 203 204 205 हे।

" ठीक हे रुको " बोलके रोहित चाबी लेने आगे जुका पर अचानक उसका बैलेंस बिगड़ गया और वोह सीधे रीसेप्शन के अंदर की तरफ जा गिरा।

" बे तू ठीक तो है ना ? " मोहित ने चिल्लाते हुए पूछा।

" हा में ठीक हु और ये देखो रीसेप्शन वाले भैया यहां घोड़े बेच के सो रहे हैं "

नीचे से रोहित ने बताया।

" साला हम सब कबसे आवाज़ लगा रहे पर ये उठ ही नई रहा रुक तेरी तो में बता ता हु तुझे "

बोल के रोहित रीसेप्शन वाले आदमी के कान के पास गया और जोर से चिल्लाया " चोर "

जैसे ही रोहित चिल्लाया वोह आदमी तुरंत एक जटके के साथ खड़ा हो गया।

अचानक उस आदमी के खड़े होने से रोहित चॉक गया और पीछे की तरफ जा गिरा और हड़बड़ाहट में उसका सिर दीवाल से जा भिड़ा।

रोहित चीखा " बे क्या हे ये ? ओ भाई तुझे यहां सोने के लिए रखा हे या कस्टमर का ध्यान रखने केलिए बताउ क्या तेरे मैनेजर को ? की तू यहां सो रहा था बोल ? "

रोहित गुस्से से चिल्लाते हुए खड़ा हुआ।

रोहित का गुस्सा देख वोह आदमी डर गया।

" प्लीज़ सर मुझे माफ़ कर दीजिए मुझे अचानक से निंद आ गई थी आगे से में ध्यान रखूंगा "

उस आदमी को इतना गिड़गिड़ाता देख रोहित ने कहा।

" हा ठीक है कोई कंप्लेन नई करूंगा आगे से ध्यान रखना "

इतना बोलके रोहित वापिस से रीसेप्शन से जैसे गिरा था वैसे ही कूद के वापिस दूसरी तरफ आ गया।

नैना बोली।

" मुझे मेरे रूम की चाबी चाहिए मेरा रूम नंबर 203 हे " उस रिसेप्शनिस्ट ने नैना को चाबी दी फिर अवनी ने कहा उसे भी चाबी मिल गई बारी बारी से सब ने चाबी ले ली।

ऋषभ बाहर खड़ा होके पूरा तमाशा देख रहा था फिर उसने अन्दर आँके चाबी ली उस रिसेप्शनिस्ट ने सभी को रूम की चाबी दी और सब लोग बारी बारी से लिफ्ट में जाके उपर की तरफ जाने लगे ।

थोड़ी देर में किआ भी रूम के अंदर आ गई उसने दरवाजा बंद किया और आगे जाके लाइट की स्विच ढूंढने लगी तभी फिर से दरवाजा खुला और धीरे से बंध हुआ ।

किआ काफी अंदर थी इस वजह से उसे ठीक से सुनाई नई दिया पर ऋषभ को तुरंत एहसास हुआ की वोह अकेला नई हे उस कमरे में तभी उसने आवाज़ लगाई " कोन हे ? अंदर "

किआ उसकी आवाज़ सुन थोड़ा डर गई और आगे आके उसे मारने जा ही रही थी की ऋषभ ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोला ।

" तुम कोन हो और मेरे कमरे में क्या कर रही हो "

अंधेरे की वजह से ऋषभ को पता नई चला की सामने कोन हे पर हाथ पकड़ ने की वजह से उसे पता चल गया की वोह एक लड़की हे।

जिससे ऋषभ बौखलाया तभी किआ बोली " तुम? मेरा मतलब आप यह क्या कर रहे ? "

आती हुई आवाज़ को पहचानने में ऋषभ को एक सेकंड का भी टाइम नई लगा किआ की आवाज़ सुन के उसे थोड़ा जटका लगा पर खुद को संभालते हुए उसने कहा।

" ये मेरा कमरा हे तुम यहां क्या कर रही हो ?

" ये मेरा कमरा हे आपका नई " किआ ने चिल्लाते हुए कहा।

" अच्छा ऐसी बात हे क्या ? रुको तुम तुम्हे तो वोह रिसेप्शनिस्ट ही बताएगा यूँ जस्ट वेइट ऐंड वॉच " इतना बोल के ऋषभ कमरे से बाहर जाने लगा पर जैसे ही उसने दरवाजा खोलने की कोशिश की वोह चौका उसने स्वाइप कार्ड से फिरसे ट्राई किया पर कुछ नई हुआ उसने हाथ से दरवाजे के हैंडल को गुमाया पर कोई फायदा नई हुआ ।

" शीट जाम हो गया लगता है " ऋषभ बोला।

किआ ने जब ये सुना तुरंत वोह भाग के आई और ऋषभ को साइड में धक्का दे दिया।

" छोड़ो तुम तुमसे कुछ नई होगा " फिर किआ ने खुद ट्राई किया।

पर दरवाजा खुलने का नाम ही नई ले रहा था ये देख किआ थोड़ी घबरा गई।

" क्यों क्या हुआ क्वीन विक्टोरिया दरवाजा नई खुला क्या ? तुमने तो कहा था मुझसे कुछ नई होगा तो तूने क्या उखाड़ लिया मुझे धक्का दे के? " ऋषभ किआ की तरफ देखते हुए स्माइल कर के बोला।

" चुप करो तुम .... मुझे यहां से निकल ना हे मुझे सांस लेने में दिक्कत हो रही "

किआ बोलते बोलते जोर जोर से सांस ले रही थी उसने दरवाजे को पीट ना सुरु कर दिया ये देख ऋषभ थोड़ा चौका।

" प्लीज हेल्प कोई दरवाजा खोलो कोई हे बाहर "

किआ को यूं अजीब बिहैव करता देख ऋषभ सोचने लगा।

" इसे फोबिया हे क्या ? अंधेरे से डर लगता है या यूं अकेले कमरे में किसी के साथ होने से डर लगता है "

तभी किआ ने उसकी तरफ देखा और कहा ।

" प्लीज़ मुझे यहां से निकालो मुझे अस्थमा हे ऐसी सिचुएशन में मुझे सांस लेने में दिक्कत होती हैं "

किआ की बात सुन ऋषभ ने अपना फोन निकाला और दीपांश को कॉल कर के सारी सिचुएशन बता दी।

थोड़ी देर में सब लड़के और लड़कियां वहा आ गए।

" बे ये रूम 206 हे ना? पर ये कमरा तो किसी ने नही लिया " मोहित बोला ।

" अरे ये सुइट रूम हे ऋषभ ने बुक किया था " दीपांश बोला।

तभी ऋषभ रूम के अंदर से बोला।

" रूम लोक हे किसी को जल्दी से बुलाओ हमारी क्वीन विक्टोरिया को अस्थमा का अटैक आया हे " जैसे ही ऋषभ ने बोला रिया ने दरवाजे के पास खड़े मोहित को धक्का मारा।

मोहित सीधे दीपांश के ऊपर जा गिरा पर दीपांश ने उसे गिरने से संभाल लिया दीपांश ने गुस्से से कहा।

" पागल हो क्या दिखाई नई देता दरवाजा खुल नई रहा " तभी रिया बोली।

" तुम चुप रहो " और रिया दरवाजा खोलने की कोशिश करने लगी।

" किआ तुम ठीक तो होना "

अंदर से आवाज आई।

" हा वोह ठीक हे " ये आवाज़ ऋषभ की थी ऋषभ दरवाजे से चिपक के जमीन पे बैठा था।

" तुम्हे किसने पूछा यूं इडियट " रिया गुस्से से चिल्लाई तभी किआ बोली।

" में ठीक हु फिलहाल , जल्दी से प्लीज़ दरवाजा खुलवाओ मुझे सांस लेने में दिक्कत हो रही "

ऋषभ ने देखा किआ जोर जोर से सांसे ले रही थी उसकी हालत ठीक नई थी पर रिया को और ज्यादा टैंशन ना हो इस वजह से उसने जूठ बोला था।

अचानक ऋषभ उसके पास गया और उसे अपनी तरफ खींचा।

" ये क्या कर रहे हो तुम "

" चुप रहो कब से देख रहा हु नाटक पे नाटक किए जा रही तुम " ऋषभ ने चिल्लाते हुए कहा।

तभी बाहर से मोहित बोला।

" रोहित और अक्षय नीचे गए हे उस रिसेप्शनिस्ट के पास "

तभी इवोल बोला।

" बॉस टैंशन मत लो कुछ ही देर में वोह लोग दूसरी चाबी लेके आजाएंगे "

रिया टैंशन के मारे रोने लगी उसने मोहित दीपांश और इवॉल को देख के कहा ।

" अगर अंकल को पता चल गया की किआ की ये हालत हुई है तो वोह फिर कभी किआ को मेरे साथ नई भेजेंगे प्लीज कुछ करो "

रिया रोने लगी तभी मोहित बोला।

" टैंशन मत ले अंदर ऋषभ हे कुछ नई होगा तेरी फ्रेंड को "

" देखो तुम ये ठीक नई कर रहे " किआ ने ऋषभ को देखते हुए कहा।

" अच्छा क्या ठीक नई कर रहा बताओ मुझे " इतना बोलके ऋषभ ने किआ को अपने और पास खींच लिया और उसकी कमर पे पीछे से हाथ रख दिया।

किआ अब बहुत ही ज्यादा डर गई थी उसे पता नई चल रहा था की वोह अब क्या करे तभी ऋषभ ने उसे अपने और पास खींचा और ज़ोर से पकड़ लिया।

किआ अब ऋषभ के इतने पास थी की उसकी सांसे ऋषभ महसूस कर पा रहा था और किआ को रूम की खामोशी में ऋषभ के दिल की धड़कन साफ सुनाई दे रही थी।

अचानक ऋषभ ने उसकी आंखों में बड़े प्यार से देखा किआ ने उसे इग्नोर करने की बहोत कोशिश की मगर जब उसने ऋषभ की आंखों में मासूमियत और चेहरे पे क्यूट सी स्माइल देखी तो वोह खुद को कंट्रोल नई कर पाई उसके दिल की धड़कने और तेज़ हो गई।

उसके लिए ये एहसास बहोत ही अनोखा था वोह समझ ही नई पा रही थी की वोह करे तो क्या करे वोह खुद को ऋषभ की बाँहों में से छुड़ा ना भी नहीं चाहती थी मगर वोह यूं उसके साथ ज्यादा देर तक रह भी नई सकती थी।

किआ बहोत ही ज्यादा कन्फ्यूज थी।

नीचे अक्षय और रोहित रिसेप्शनिस्ट के पास पहुंचे।

रोहित ने उसका कॉलर पकड़ लिया ।

" बे साले तुझे होटल के बारे में कुछ पता भी ही या नहीं ? "

रोहित का उग्र रूप देख के रिसेप्शनिश डर गया उसे यूँ डरा हुआ देख अक्षय ने रोहित को पीछे हटने केलिए कहा।

रोहित ने उस आदमी का कॉलर छोड़ दिया फिर अक्षय ने उसे पूरी बात बताई तब रिसेप्शनिस्ट ने कहा ।

" सर हमारे यहां न्यू सिक्योरिटी सिस्टम इंस्टॉल किया हुआ है पर सायद से उसमे कोई खराबी आ गई होगी "

" अरे तो ठीक करो उसे " रोहित ने चिल्लाते हुए कहा ।

एक मिनिट सर फिर उसने किसी को कॉल किया और रीसेप्शन पे आने केलिए कहा।

उपर रिया रो..... रही थी पर मोहित दीपांश और इवॉल को कोई फर्क ही नई पड़ रहा था।

दरवाजे के पीछे ऋषभ और किआ एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे तभी ऋषभ ने धीरे से किआ के कान के पास आके कहा ।

" अब क्यों नई चिल्ला रही " ये सुनते ही किआ थोड़ा शरमा गई।

उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया उसे जो महसूस हो रहा था वैसा ऋषभ भी महसूस कर पा रहा था पर ऋषभ ने खुद को पूरी तरह से कंट्रोल किया हुआ था पर किआ मुस्किल से खुद को संभाल रही थी उसे ऐसा लग रहा था मानो अभी वोह ऋषभ की बांहों में गिर जायेगी।

हर एक पल उसे बहोत ही ज्यादा ऋषभ के और पास ला रहा था इन सब में किआ को पता ही नई चला कब उसकी अस्थमा की प्रोब्लम खतम हो गई थी।

किआ ऋषभ को पहले से जानती थी पर रूबरू आज हुई थी ना तो ऋषभ की तस्वीर देखी थी ना फोन पर कभी बात हुई थी ।

बस मैसेज से चैट कर लेते थे दोनो।

" बताओ जब मेने आप को कहा था तब आपने मुझे ना तो फोन किया ना ही कोई तस्वीर भेजी कब से मिलना चाहती थी "

किआ ने ऋषभ को देखते हुए कहा ।

" अच्छा तो ये बात हे " ऋषभ बोला ।

" आप को मेरे बारे में पता था हे ना ? जब हम पहली बार स्टेशन पर मिले थे "

किआ बोली।

" हा पता था " ऋषभ बोला ।

" जब हमारे बीच झगड़ा हुआ तब आप को बताना चाहिए था ना की आप ही ऋषभ हो ? इतना सब हो गया पुलिस स्टेशन के लॉकअप में हम साथ में थे तब भी आप ने कुछ नही कहा उस वक्त बोला होता तो अब तक हम यहां पहुँच गए होते ? आखिर क्यों नहीं कहा ? "

किआ नाराज़ होते हुए बोली।

" देखना चाहता था उतनी ही घमंडी ओर गुस्से वाली हो या फिर खुद को ठीक किया हे तुमने बस यही देखना था इसी वजह से वोह पागल पन किया था पेट दर्द वाला नाटक "

ऋषभ ने कहा ।

" तो आप को क्या दिखा ? " किआ ने पूछा।

" कोई सुधार नही हुआ " ऋषभ बोला।

" ऐशा मत बोलो " किआ मासूमियत से बोली।

" इसे कहते है बाहर निकल ना कुछ याद आया "

ऋषभ ने कहा।

" सॉरी " किआ ने ऋषभ से माफी मांगी ।

जब ऋषभ ने कहा तभी किआ को पुलिस स्टेशन वाली बात याद आ गई जिस वजह से वोह बहोत गिल्टी फील कर रही थी।

किआ बस ऋषभ को खड़े होके देखे जा रही थी बस।

किआ ऋषभ की सांसे और उसकी धड़कन महसूस कर पा रही थी उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया था।

" देखो आप प्लीज मुझे जाने दो " इतना बोल के किआ ने खुद को ऋषभ की बाँहों से छुड़ा ने की कोशिश की पर ऋषभ ने उसे और ज्यादा कस के पकड़ लिया और किआ का बदन ऋषभ के बदन से पूरी तरह जुड़ गया वोह दोनो एक दूसरे के इतने पास आ गये थे की दोनो के होंठों के बीच 2 इंच से कम का फासला रहें गया था।

दोनो को एक साथ खड़े हुए 15 मिनिट से ज्यादा का वक्त हो गया था किआ और ऋषभ को बाहर हो रहे शोर से कोई मतलब ही नई था उन्हें शोर सुनाई ही नई दे रहा था।

अचानक रोहित और अक्षय उस रिसेप्शनिस्ट और एक सिक्योरिटी वाले के साथ लिफ्ट से उपर आए ।

उन दोनो को देख रिया बोली।

" जल्दी करो प्लीज़" फिर उस सिक्योरिटी वाले ने रूम के लोक को देखा और अपना बैग ओपन किया और लैपटॉप बाहर निकाला।

फिर उसने एक इलेक्ट्रिक स्वाइप कार्ड बाहर निकाला और उसे रूम के बाहर जो स्वाइप मशीन थी उसमे लगा दिया और कार्ड के वायर को लैपटॉप से कनेक्ट किया और लैपटॉप में कोडिंग करने लगा एक दो मिनिट मे दरवाजा खुल गया।

रिया ने तुरंत उसे धक्का देकर साइड में किया।

दीपांश ने तुरंत ही उसे गिरने से बचा लिया और इवॉल ने उसका लैपटॉप पकड़ लिया।

" चुड़ेल कही की इसे भी नई छोड़ा " दीपांश गुस्से से बोला।

रिया ने दीपांश की बातो पे ध्यान ही नई दिया जेसे ही रिया ने दरवाजा खोला अंदर का नजारा देख उसका मुंह खुला का खुला रह गया।

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आई होप मेरी दूसरी नॉवेल की तरह ये भी आपको पसंद आए ।

थैंक यू