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Krishna Deewani Meera

Shruti_Sharma_3910
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Chapter 1 - मीरा का जन्म

ये कहानी हैं इसी कलियुग में लोग कहते हैं कि भगवान आते नहीं, वही ऐसे भी लोग हैं जिनहोने भगवान श्री कृष्ण को ही अपना सब कुछ मान लिया और बन गई उनकी दीवानी। जी ये कहानी मीरा जी की है।
उसी मारवाड़ के शासक राव दूदा जी महाराज के चौथे पुत्र रत्न सिंह जी और उनकी पत्नी वीर कुवारी जी के यहां मीरा का जन्म विक्रम संवत 1561 में रास पूर्णिमा के दिन हुआ।
राव दूदा जी महाराज जितने वीर थे उतने ही भक्त थे।
मीरा अपने बाबोसा के साथ उन संतो की अच्छी से सेवा करती और अपने प्यारे दादा सा के कहने पर ठाकुर जी के पद सुनती और खूब आशीर्वाद प्राप्त करती। समय अपनी गति से चलता रहा।
मीरा अब पूरे 5 वर्षा की हो चुकी थी।
उन्‍हें संत को प्रणाम किया तो उन्‍हें आशीर्वाद दिया।
संता : आप कौन हो?
मीरा: में राव दूदा जी महाराज की पोती मीरा हूं। और आपके पास ये कौन हैं?
संत: जी ये हमारे ठाकुर जी हैं।
मीरा -"इनका नाम क्या हैं?
सन्त-"इनके कई नाम हैं। जैसे गिरिधर, माधव आदि।"
मीरा-"तो आज से यह मीरा के गिरिधर गोपाल हैं। आप मुझे इन्हे दे दिजीये।"
यह सुनते ही तो सन्त जी को धक्का सा लगा। वे बोले-"अपने आराधना के अराध्य किसी को नही देते।
मीरा बहुत उदास हो गयी उनकी आंखो से अश्रुओ की धारा प्रावहित ho गयी. Meera ki tabiyat kharab ho gayi unko bahut tej jwar ho gya. Wo bas ek hi baat badbadei jaa rahi thi ki " Girdhar Gopal mere pass aajao. Mujhe chodkar mat jao. Tumhare bina nahi reh sakungi mein. Aab tum hi naa aana chaho to mein kya kar sakti hu? Par ab tumhare bina mein ek pal bhi jiwit nhi rahungi."
Meera ji ki bimari ki wajah kisi ko nhi samaj mein aarahi thi.
Kyuki yeh koi qisa waisa Rog nhi Prem Rog tha.
Meera ji kehti hain " जोगिया री प्रीतड़ी है दुखड़ा री मूल। हिलमिल बात बणावट मीठी पाछे जावत भूल॥ तोड़त जेज करत नहिं सजनी जैसे चमेली के मूल। मीरा कहे प्रभु तुमरे दरस बिन लगत हिवड़ा में सूल॥ "
"हे री मैं तो प्रेम दिवानी, मेरा दरद न जाने कोय। सूली ऊपर सेज हमारी, किस बिध सोना होय। गगन मंडल पर सेज पिया की, किस बिध मिलना होय॥ घायल की गति घायल जानै, कि जिन लागी होय। जौहरी की गति जौहरी जाने, कि जिन लागी होय॥ दरद की मारी बन बन डोलूँ वैद मिल्यो नहीं कोय। मीरां की प्रभु पीर मिटै जब वैद सांवलया होय॥"
Ab kya hoga? Kya Meera thik ho paengi? Kya unhe unke Girdhar Gopal mil payenge? Kya karenge Sant Ji? Janne ke liye padhte rahe Krishna Deewani Meera sirf Pratilipi par.
Radhe Radhe