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Chapter 3 - Love Effect 3

सक्षम गुस्से से बाहर आया और थोड़ी देर में सक्षम बड़े से सोफे पर बैठा हुआ था और उसके सामने वो आदमी खड़े हुए थे... जो मानसी को लेकर आये थे । ...

उनमे से एक ने कहा... " बॉस हमे माफ कर दीजिये " ....जब आपने ये कहा की आप उस लड़की को अपने विला में चाहते है... तो हमे ये ही लगा की आज रात आप उस लड़की के साथ सोना चाहते है।

" बस " ... सक्षम ने गुस्से से एक शब्द कहा और वो चुप हो गया। उसका एक शब्द " बस " सुनकर वो आदमी कांप गए।

सक्षम उठा और उसने उनकी तरफ बिना देखे कहा... " अपनी इस गलती की सज़ा लेने को तैयार हो जाओ... " इतना कहकर सक्षम वहाँ से निकल गया।

वो आदमी पीछे से चिल्लाते रहे लेकिन सक्षम ने उनकी एक नहीं सुनी.....। वो सच में एक हैवान था..... एक ऐसा हैवान जिसे किसी के मरने जीने से कोई फर्क नहीं पड़ता था।.....

सक्षम वापस उस कमरे में नहीं गया.... उसने दूसरे कमरे में जाकर शावर लिया और वहीं सो गया।....

मानसी की जब सुबह नींद खुली तो उसने अपने आपको एक बड़े से बेड के उपर पाया ।... मानसी ने अपने आस पास देखा तो वो हैरान रह गयी।.....

वो रूम काफी बड़ा लेकिन बहुत अजीब था क्योंकि उस रूम की हर चीज काले रंग की थी।.... उस कमरे की बेडशीट से लेकर पर्दे, फर्निचर सब कुछ काले रंग का था ।

.... उस रूम को देखकर ऐसा लग रहा था.... जैसे उस रूम के मालिक की जिंदगी में कोई और रंग होगा ही नहीं।....

मानसी का सर काफी भारी हो रहा था... उसको समझ में नहीं आ रहा था की वो किस जगह है।.... जहाँ तक की उसको याद था.... उसको कल कुछ आदमियों ने पकड़ लिया था । ...

मानसी बहुत ज्यादा घबराई हुई थी।... आखिर किसने उसे पकडा होगा..... उसके दिमाग में ये सब ही चल रहा था।.....

.... वो धीरे से बेड से उठी और उसने बहुत सावधानी से रूम का डोर ओपन किया।... उसे आस - पास कोई दिखाई नहीं दिया.... इसलिए वो बाहर आ गयी।

वो शायद घर की दूसरी मंजिल पर थी..... मानसी इस बड़े से घर को देखकर काफी हैरान थी।..... उसने आजतक कभी इतना बड़ा घर नहीं देखा था।...

लेकिन मानसी को इस घर का डिजाईन काफी अजीब लग रहा था । ..... ये घर कम और भूतिया हवेली ज्यादा लग रही थी।

..... क्योंकि इस घर का सब सामान काले रंग का था.... जिसकी वजह से ये काफी डरावना प्रतीत होता था।.....

काफी दूर चलने के बाद भी मानसी को कुछ दिखाई नहीं दिया।.... फिर वो थोड़ा दूर और चली.... उसके बाद उसको आखिर में सीढियाँ मिल ही गयी।.....

जब मानसी को सीढियाँ मिले तो वो काफी खुश हो गयी। जैसे ही वो सीढियाँ उतरने वाली थी..... उसे नीचे से कुछ आवाजे सुनाई दी।

उन आवाज़ों को सुनकर मानसी दीवार के पीछे छुप गयी..... उसने धीरे से अपनी गर्दन निकाल कर नीचे की तरफ देखा ।

नीचे एक काले रंग के सोफे पर एक आदमी बैठा हुआ था।.... मानसी उस आदमी का चेहरा ठीक से नहीं देख पा रही थी क्योंकि उस आदमी की पीठ मानसी की तरफ थी।

उस आदमी के आगे बहुत सारे लोग लाइन लगा कर खड़े हुए थे । .... जैसे वो सब अपने शहनशा के ऑर्डर मिलने का इंतज़ार कर रहे हो।....

..... मानसी चुपके - चुपके सीढियाँ उतरने लगी.... ताकि वो वहाँ से भाग सके।... वहाँ पर दूसरी सीढ़ियां भी थी.... जहाँ से मानसी को वो लोग दिखाई नहीं दे रहे थे।..... इसलिए वो वहाँ से नीचे उतर गयी।....

जैसे वो नीचे उतरी उसे बाहर जाने का रास्ता दिखाई दिया..... । मानसी चुपके - चुपके वहाँ से जाने लगी।.....

लेकिन तभी उसे अपने पीछे से एक रोबदार आवाज़ आई... " वहीं रुक जाओ " ....।

आवाज़ को सुनकर मानसी एक जगह ही जम गयी...। ..".. अब तो वो गयी..."... मानसी ने मन ही मन कहा ।....

वो धीरे से पीछे मुड़ी.... लेकिन जैसे ही उसने पीछे मुड़कर अपने सामने खड़े हुए इंसान को देखा तो वो शॉकड हो गयी.....।. मानसी ने जैसे ही अपने पीछे खड़े इंसान को देखा.... उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी।....

उसकी पूरी बॉडी पूरी तरह से कांपने लगी।.....सक्षम की आँखो से आग झलक रही थी।... उसने गुस्से से कहा.... " तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई..... यहाँ से भागने की " ...।

मानसी ने अपने आपको सम्भाला क्योंकि वो इस वक्त सक्षम के सामने अपने आपको वीक नहीं दिखाना चाहती थी।....

मानसी ने भी थोड़ा एटीटीयुड के साथ कहा.... " तुम मुझे यहाँ पकड़ कर क्यों लाये हो " ..... आखिर तुम चाहते क्या हो मुझसे।.... 

मानसी को इतना कंफिडेंट देखकर सक्षम के चेहरे पर एक डेविल स्माईल आ गयी।.... 

वो सीधा जाकर उसके सामने खडा हो गया..... उसने उसकी आँखो में देखते हुए कहा... " तुम यहाँ से नहीं जा सकती " । 

... मानसी बुरी तरह से घबरा गयी लेकिन उसने अपनी घबराहट को चेहरे पर जाहिर नहीं होने दिया।..... उसने गुस्से से कहा... " और मैं यहाँ से क्यों नहीं जा सकती " ....। 

क्योंकि तुमने मुझे उस आदमी को मारते हुए देख लिया है....और मैं बिल्कुल नहीं चाहता की मेरे राज किसी और को पता चले।.... सक्षम ने बिना भाव के साथ  कहा। 

मैं तुम्हारे बारे में किसी से कुछ नहीं कहूंगी..... आई प्रोमिस। तुम बस मुझे यहाँ से जाने दो....मानसी बोली। 

और तुम ये तब कह रही हो.... जब तुमने पहले ही पुलिस को सब बता दिया है।..... पूरे शहर की पुलिस मुझे ही ढूंढ रही है।.... सक्षम ने थोड़ा चिड़ते हुए कहा।.... 

"क्या."... तभी मानसी को याद आया की यश ने अपने पापा को ये मामला हैंडल करने को कहा था।... 

मानसी ने फिर से कुछ सोचते हुए कहा... तो तुमने मुझे पकड़ कर क्यों रखा हुआ है।... मुझे जाने दो।..... मैं इस बारे में किसी से कुछ नहीं कहूंगी।... 

बिल्कुल भी नहीं..... जब तक तुम मर नहीं जाती... तब तक तुम यहीं रहोगी।... सक्षम बोला। 

उसके बाद उसने कुछ लोगों को ऑर्डर देते हुए कहा... " इसको उपर ले जाओ.... " । 

उसके बाद दो आदमी आये और उन्होंने मानसी को उसकी बाजुओं से पकड़ लिया।..... मानसी चिल्लाई लेकिन वहाँ पर उसकी बात सुनने वाला कोई नहीं था।.... 

.... तभी सक्षम को कुछ याद आया और उसने उन आदमियों से कहा.... " रुको ".....। 

वो आदमी अपनी जगह रुक गए। 

सक्षम ने  आगे कहा..... " इसको मेरे कमरे में नहीं बल्कि दूसरे कमरे में लेकर जाना " । 

" ओके बॉस ".... ये कहकर वो दोनों आदमी मानसी को वहाँ से लेकर चले गए।..... 

दूसरी तरफ मानसी के घरवाले मानसी को ढूंढ - ढूंढ कर परेशान हो गए थे।..... ऐसे अचानक से उनकी बेटी का गायब होना... उनके लिए किसी सदमे से कम नहीं था

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