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Chapter 2 - सपने बदल सकते हैं, हकीकत नहीं।

कुछ सपने इतने खौफनाक होते हैं कि सो कर उठने के बाद भी उनके डर का एहसास दिल में रहता है। आंख खुलने के बाद भी हमें उस डर का एहसास रहता है जैसे कि वह हादसा अभी हमारे सामने था और हम उस हादसे से बचने की और लड़ने की कोशिश में लगे हुए थे जैसे मानोगे वह हकीकत में हो रहा है।मगर आंख खुलते ही वह सब खत्म हो जाता है।और सांस में सांस आती है। यह सोच कर कि यह तो सिर्फ एक सपना था हकीकत नहीं।और हमारे दिल को इस बात का इत्मीनान होता है कि यह सपना था। इसका असल जिंदगी से कुछ लेना देना नहीं है।फिर चाहे हमने सपने में किसी अपने को मरते देखा हो या खुद को बर्बाद होते देखा हो नींद खुलते ही उस सपने में बीते हुए हादसे का दर्द थोड़ी देर में खत्म हो जाता है और कुछ दिनों में या कुछ ही घंटों बाद हम उस सपने को भी भूल जाते हैं।

मगर क्या हो अगर जो हमने सपने में देखा था वह असल जिंदगी में हो और उससे भी ज्यादा खौफनाक जिसको हम कभी बदल भी नहीं सकते और उसे लड़के हम जीत भी नहीं सकते इस हकीकत को हमें सारी जिंदगी झेलना पड़ता है और उसकी तकलीफ को सारी जिंदगी बर्दाश्त करना पड़ता है और वह तकलीफ हमें हर वक्त हर लम्हा दर्द देती रहती है। देती रहती है, देती रहती है।

कुछ ऐसा ही हादसा मेरे साथ गुजरा जिसको मैं सपने में भी देखने की ताकत नहीं रखता था। मगर अब मुझे इस तकलीफ को असल जिंदगी में कबूल करना पड़ा और उसके दर्द के साथ अपनी जिंदगी को जीना पड़ रहा है। क्योंकि हमें जिस इंसान से उम्मीद नहीं होती और उसकी तरफ से कोई धोखा मिलता है तो इस धोखे की तकलीफ आम तकलीफों से ज्यादा बढ़ जाती है।

कहते हैं ना तकलीफ बांटने से कम होती है मगर कुछ तकलीफ, ऐसी होती हैं जिनको सिर्फ सोचने से भी उस तकलीफ का अहसास बढ़ जाता है। दिल की धड़कन तेज हो जाती हैं। पसीने आने लगते हैं और हम फिर उसी हादसे की याद में खो जाते हैं। जिस वक्त वहां से गुजरा था, ऐसा लगता है कि वह हादसा फिर से हमारे ऊपर बीता दिल पर छुरियां चलती हैं। दिल जख्मी हो जाता है। हम हर किसी को इस तकलीफ के बारे में बताना क्या उसका जिक्र भी सोचने से घबराते हैं और फिर हमें सारी जिंदगी कुछ तकलीफ के साथ ही गुजारनी पड़ती है क्योंकि यह सपना नहीं हकीकत है जिसको हम बदल नहीं सकते। यहां खोलने के बाद उस तकलीफ से बच नहीं सकते। यह तकलीफ हमारे साथ सारी जिंदगी के नहीं जुड़ जाती है। हां, यह जरूर होता है कि हमारे दिल में उसका एहसास कम हो जाता है। मगर हर तकलीफ को भूल जाना इंसान के बस की बात नहीं। किसी भी बहाने से वह लम्हा याद आ जाता है। तकलीफ का अहसास बढ़ जाता है।मैं हमेशा यह तमन्ना करता हूं। काश के ये कोई सपना होता कि आंख खुलते ही खत्म हो जाता और इसकी तकलीफ का एहसास ना होता। मगर अफसोस की ये एक हकीकत है जो कभी नहीं बदल सकती और सारी जिंदगी इस हादसे को अपने साथ लेकर चलना है।