"रुपाली "आज तुझे क्या हुआ तु घर नहीं गयी अब तो रात हो गयी तेरी माँ तो घर में अकेली होंगी ना तुझे उनके साथ रहना चाहिए। रुपाली: "अरे नहीं में तो बिल्कुल भूल ही गयी जा रही हु चल ठीक है आज तो माँ मुझे बहुत सुनायेगी शीत!!यार मुझे जल्द से जल्द घर पहुँचना होगा' (घर पहुँचते ही) रुपाली: माँ, माँ क्या हुआ आपको किसने किया ये कोई प्लिज़ मेरी माँ की मदद करो माँ शायद ऑटो आ रहा है रुपाली ऑटोवाले भैया से: प्लिज़ भैया मेरी मदद करो मेरी माँ अंदर बेहोश है। ऑटोवाला: क्या!! क्या आपकी माँ को कहा है अभी वह उस घर में?रुपाली: नहीं उसके बगल ये वाला घर। ऑटोवाला: क्या!! (ऑटोवाला चौका हुआ बोला) क्या बोल रहे हो आप इस घर मे ये कोई घर नहीं हैं महल है महल आप लोग इस में रहते हो?... माफ़ करना दीदी में नहीं ले जा सकता। रुपाली: ये महल लेकिन.... अरे लेकिन सुनिये तो....प्लिज़ मेरी माँ... ऐसी क्या चीज है इस महल में जो सब लोग यह आने में डरते है।
( आखिर क्या रुपाली अपनी माँ को बचा पायेगी और इस महल का रहस्य ढुंढ पाईगी पढ़ते रहिये "रहस्यमयी महल' आगे पढ़िये पार्ट 2 में।