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Chapter 2 - अंधेरी रात की वो दरवानी बाते

वो अंधेरा, सुनसान रास्ता। दो दोस्तो की गाड़ी सरपट भाग रही है,उस रास्ते से । ऐसी डरावनी रास्ते से जाना पड़ेगा ऐसा दोनो दोस्तो में से किसी ने नही सोचा था।अचानक रूपेश महेश को बोलता है , भाई हमलोग को लेफ्ट टर्न लेना चाहिए लेकिन वो बोलते है न की विनाश काले विपरीत बुद्धि ।

महेश का जवाब आया _ भाई तू दर क्यों रहा है मैं इस रास्ते से कितनी बार गया हु कोई प्राब्लम नही होगा ।

रूपेश को डर लग रहा था ।।। अचानक धुक धुक और गाड़ी बंद हो गया। रूपेश बोलता है भाई मैने बोला था यह टर्न ठीक नही था। महेश अरे भाई बस गाड़ी खराब हुआ है इसके रास्ते का क्या दोष । और दोनो लगे उसको ठीक करने में ।।।।।। ठीक होते होते रात के १२ बज गए थे । दोनो दोस्तो को टाइम का पता ही नही चला ।

तभी अचानक उस रास्ते में अजीब तरह की आवाजे आनी शुरू हो गई ।।।।।।।।।। रूपेश डरता हुआ गाड़ी में बैठ गया । लेकिन महेश गाड़ी ठीक करता रहा तभी अचानक उसे आगे किसी औरत के जाने का आहट लगा । वो देखने के लिए थोड़ा आगे बढ़ा और बढ़ता चला गया ।उसे पता नही चला की वो जा कहा रहा है लेकिन वो पीछे पीछे चला जा रहा था। इधर रूपेश को वी गाड़ी में बैठे बैठे आंख लग गई।

अचानक से महेश उस लड़की को बोलता है रुको कोन हो तुम लड़की पीछे मुड़ी और बोली मेरा नाम पिंकी है ।

उसका खूबसूरत सा चेहरा देख कर महेश मंत्रभुक्त हो गया

वह उसके लड़की के मानो वाश में चला गया हो वो लड़की इतना बोल के आगे चली जा रही थी और महेश उसके पीछे । तभी अचानक महेश की नजर उस लड़की के पैर पर गई

उसके दोनो पैर उल्टे थे । महेश को सब समझ में आ गया

लेकिन वो करता भी तो क्या करता?

वो भागने के लिए सोच ही रहा था तभी पीछे से आवाज आई भागने का सोचना भी मत। महेश समझ गया की वो बुरी तरह फस गया है ।।।।। उसने महेश को मार डाला ।

एंड वो रूपेश के पास गई लेकिन रूपेश जिस गाड़ी में सोया हुआ था उस में भगवान का एक कवच था जिसके वजह से वो भूतनी उस गाड़ी में नही जा सकी ।।।।।

और रूपेश का जान बच गया ।

जब रूपेश की आंख खुली तब तक सब सही हो चुका था गाड़ी भी और रास्ता भी ।रूपेश ने अपने दोस्त को थोड़ा आगे तक जाके ढूंढा और सब समझ गया था ।।।।

इसके लिए उसके जल्दी से गाड़ी में बैठा और वहा से भाग चला ।।।।।।

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