आज कलयुग मे दोस्त बोल कर खंजर मार जाते हैं
साथ बैठकर साथ घूम कर मुझको को नीचा दिखाते हैं
कहां से खोजु वह दोस्त जो करण कि तरह जान दे जाते हैं
आज कलयुग में दोस्त बोलकर खंजर मार जाते हैं
जहां पर जाओ वहां पर नीचा दिखाते हैं अपने आनंद के लिए वह किसी का भी स्वाभिमान को ठेस पहुंचा जाते हैं
आज कलयुग में दोस्त बोलकर खंजर मार जाते हैं
समस्या तेरी झगड़ा तेरा यह कह कर मुंह फेर जाते हैं मरने की हालत में भी वह अकेला छोड़ जाते हैं
आज कलयुग में दोस्त बोलकर खंजर मार जाते हैं
दुनिया में कोई भाई बोल कर अपना नहीं हो जाता है समय आने पर वह भी खंजर मार जाता है
आज कलयुग में दोस्त बोल कर खंजर मार जाता है साथ बैठकर साथ घूम कर वह मुझ को नीचा दिखाते है
स्वरचित कविता रम्य व्यास