Chapter 3 - डायरी

जब राहुल वह डायरी उठा कर देखता है तो पता है कि उसके कवर पर उसके डैड का नाम लिखा हुआ है। वह समझता है कि वह उसके डैड की डायरी है।वह डायरी का पहला पेज देखता है जिस पर पुराने समय की भाषा में कुछ लिखा हुआ है। राहुल को यह भाषा उसके डैड ने उसे सिखाई थी, इसलिए उसे पढ़ने मे राहुल को कोई परेशानी नहीं होती है। पर जैसे - जैसे राहुल उसे पढ़ता है वह भ्रमित हो जाता है, वह पता है जो भाषा उसमे लिखी है, उससे नई भाषा का निर्माण हो रहा है। वह पढ़ने की कोशिश कर ही रहा था कि उसे दरवाजे पर दस्तक सुनाई देती है। वह देखता है वहां पर हीरालाल खड़ा था।

" मालिक, मुझे लगता है कि अब आपको बड़े मालिक की जगह ले लेनी चाहिए।" हीरालाल, राहुल से कहता है।

" नहीं अंकल, उसके लिए अभी समय है।" राहुल कहता है।

" ठीक है मालिक, पर तब तक अकादमी को कौन संभालेगा। अकादमी कॉन्टेस्ट भी शुरू होने वाला है ' बेस्ट मैजीसियन स्टूडेंट ऑफ द ईयर' का। उसका नेतृत्व कौन करेगा। " हीरालाल, राहुल से कहता है।

" मैं करूंगा" राहुल कहता है।

" फिर आप कॉन्टेस्ट मे भाग नहीं ले सकते हैं।" हीरालाल, राहुल को समझाने की कोशिश करता है।

राहुल कहता है " उससे कोई फर्क़ नहीं पड़ता, जिस तारीक को कॉन्टेस्ट होने वाला था, उसी तारीक को होगा। मैं जज बनूँगा, ऐलान कर दीजिए।"

हीरालाल चुपचाप चला जाता है।

कॉन्टेस्ट की तारीक आ जाती है।

राहुल अपने कमरे मे तैयार हो रहा था और उसे सीसे मे से तेज रोशनी उसके आँखों मे आती हुई दिखी और उसकी पलकें तुरंत बंद हो गई। थोड़ी देर बाद उसने आँख खोलने की कोशिश की लेकिन अभी भी सीसे मे से रोशनी आ रही थी। वह अपने मन की शक्ति का ईस्तेमाल करते हुए यह पता लगाता है कि सीसे से जो रोशनी आ रही है वह सीसे से नहीं बल्कि अलमारी के दरवाजे के बीच के खाली जगह से आ रही और सीसे से परिवर्तित होकर उसकी आँखों पर पड़ रही है। राहुल अलमारी खोल कर देखता है कि रोशनी डायरी में से आ रही है। वह डायरी देखने वाला ही होता है कि तभी उसे दरवाजे पर दस्तक सुनाई देती है।

" मालिक, कॉन्टेस्ट बस 10 मिनट में शुरू होने वाला है।" दरवाजे पर और कोई ब्लकि हीरालाल होता है। वह राहुल से कहता है।

राहुल जवाब देता है " आप चलिए मैं आता हूँ।"

राहुल डायरी वहीं छोड़कर, अलमारी बंद करके जल्दी से कॉन्टेस्ट मे जाता है और जज की कुर्सी पर बैठ जाता है। राहुल माइक पर कहता है " कॉन्टेस्ट शुरू किया जाए।"

राहुल के कहते ही हीरालाल, दो प्रतिद्वंदी छात्रों को बुलाता है। जिसमें एक का नाम अनिकेत और दूसरे का नाम अंश होता है। वह दोनों, मैदान के बीच मे बने रिंग मे आकर आमने - सामने खड़े हो जाते हैं।

यह लड़ाई हाथ - पैर से नहीं बल्कि शक्तियों से जीतनी होती है। इस लड़ाई में दोनों प्रतिद्वंदियों को अपनी शक्तियों का प्रयोग करके सामने वाले को रिंग के बाहर की जमीन पर उसका पैर छुआना होता है जो ऐसा कर लेता है वह अगले राउन्ड के लिए चुना जाता है। और हारने वाला कॉन्टेस्ट से बाहर हो जाता है।

राहुल के इशारा करते ही घंटा बजाया जाता है, और खेल शुरु होता है। अंश अपनी शक्तियों का प्रयोग करता है और हवा में उड़ने लगता है, अनिकेत भी अपनी शक्तियों का प्रयोग करता है और उसके हाथों से आग निकलने लगती है।

अनिकेत अपनी आग की लपटों को तेज करते हुए अंश की तरफ बढ़ाता है और अंश अपने हाथों से हवा निकालता है और आग के रास्ते को हवा से रोक देता है। अंश अपनी हवा को तेज करता है, अनिकेत अपने आग की लपटों को तेज करता है।