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Chapter 4 - black caption chapter 3

डॉक्टर चंद्रा सुबह उठते हैं तभी वह देखते हैं की हर्ष अभी घर नहीं आया है वह इस बात की खबर पुलिस को देते हैं फिर वह पता लगाते है और लगभग एक महीना बीत जाता है लेकिन डॉ हर्ष का कोई पता नहीं लगता और वो लोग केस बंद कर देते हैं।

18 साल बाद

अब जय बड़ा हो चुका है और वह अपने अंकल डॉक्टर चंद्रा के साथ रहता है । उसकी उम्र 22 साल हो गई है लेकिन जय बहुत शरारती लड़का है उसके अंकल उसकी शरारत से परेशान रहते हैं लेकिन एक चीज और वह मार्शल आर्ट चैंपियन है ।

अब जाए तैयार होकर अपने पिता की तस्वीर के सामने खड़ा होकर उन्हें नमस्कार करता है और घर से कॉलेज के लिए निकलता है।

जय कॉलेज में एंट्री करता है लेकिन जय हमेशा फैशन के मामले में आगे रहता है मैं फैशन से कभी कंप्रोमाइज नहीं करता उसे देख कर कॉलेज के लड़के कहते हैं देखा गया हीरो उसे दूर से कुछ ना कुछ कहते रहते हैं और जय यह बात सुन लेते हैं वह लड़के उसे कह रहे थे कितना एटीट्यूड में रहता है

जय उनके पास जाता है और उनसे कहता है

जय- एटीट्यूड दिखाना भी एक कला है अब तुम्हारे जैसे लोगों के पास नहीं है इसमें मेरी क्या गलती है ।

वह लड़के उसे चले जाते हैं और फिर वह ऐसे लोगों को कॉल करते हैं जो पैसों के लिए किसी को हड्डियां तोड़ते हो।

जय केन्टीन में कोफी पी रहा होता है तभी वो लोग वहा आते है ।

बोल लड़कों से पूछते हैं कि यहां जय कौन है वह उसे इशारा करके बताते हैं फिर बोलो उसके पास जाते हैं और उसकी कॉफी को फेंक देते हैं और उसे लात मार कर नीचे गिरा देते हैं।

जय- क्या हुआ भाई को कोन हो तुम लोग ।

गुंडे- वस ईतना जान ले की हमे तेरे हाथ पैर तोड़ने के पैसे मिल रहे हैं

जय उनके पीछे देखता तभी उससे वो लड़के दिखते हैं जो उन्हें कॉन्ट्रैक्ट देते हैं।

जय- Good तुम अपना काम करो मैं अपना काम करता हूं।

गुंडे - अपना काम मतलब ।

जय- समझाता हूं।

फिर जय में और उन गुंडो मे flight होती है लड़ते लड़ते चाकू से वार करना शुरू कर देते हैं जय अपनी जैकेट से बचाव करता है और इसी बीच एक चाकू उसकी जैकेट को आधा-आधा कर देता है। जय गुस्से में बोलता है।

जय- हा मेरे 500 रुपए का जैकेट फाड़ दीया अब तो तुम गए बेटा।

जय उन्हें मानने लगता है और वह बहुत बुरी तरह से पीटते हैं और वहां से भाग जाते हैं।

जय उन लड़कों के सामने से डांस करते हुए निकलता है।

वह लड़के उसे दुख पहुंचाने के लिए कहते हैं।

वैसे तेर बाप मिला के नहीं या कहीं और घर बसा लिया यह सुनता है जय हो बहुत दुख होता है और ‌ वह कॉलेज से घर वापस आता है। फिर भी उदास उदास रहने लगता उसे छह-सात दिन हो जाते हैं वह ना कॉलेज जाता है और हमेशा अकेला बैठा रहता है।

यह उसके अंकल डॉक्टर चंद्रा देखते हैं की जय उदास उदास रह रहा है फिर वह जय के पास जाते हैं और उससे पूछते हैं क्या बात है तुम कॉलेज नहीं जाता है और इतने उदास क्यों हो।

जय- सिर्फ एक सवाल अंकल मेरे पिताजी कहां है। डॉक्टर चंद्रा यह सुनकर हैरान हो जाते हैं की जय ने पहले कभी अपने पिता के बारे में ही पूछा फिर आज अचानक क्यों लेकिन वह जय को परेशान देखकर बताते हैं ।

उसे पूरी कहानी बताते हैं उस रात की जब वह लैब से वापस आ रहे थे और अचानक उनका फोन बंद हो गया था और बोलते हैं बस मुझे इतना ही पता है और इसके बाद क्या हुआ यह हमने पता लगाने की बहुत कोशिश की लेकिन पता नहीं लगा पाय और इतना कहकर वहा से चले ‌‌ जाते हैं।

फिर जय अपने पिता की तस्वीर के सामने खड़ा होकर बोलता है की मैं आपका पता लगा लूंगा।

फिर जय खोजबीन शुरू करता है और उसे पता लगता है की उन दिनों किसी निंजा गैंग का आतंक था और वह उसके अंग से जुड़े बहुत सी जानकारियां निकालता है।

‌ ‌‌ 20 दिन बाद

जय को उस गैंग के बारे में पता लग गया लेकिन वह उन तक कैसे पहुंचेगा यह नहीं जान पाया ।

एक रात जय अपने घर लौटा और वह देखता है की घर खाली है वह अपने अंकल को आवाज देता है । वह अपने अंकल को ढूंढने लगता है ढूंढते ढूंढते वह बिल्डिंग की छत पर पहुंच जाता है और देखता है कि कुछ निंजा उसके अंकल के सामने खड़े हैं और उनसे कुछ पूंछ रहे हैं लेकिन डॉक्टर चंद्रा उन्हें कुछ नहीं बता पाते और वह उसे बहुत कष्ट देते हैं और यह देखकर जय घबरा जाता है उसका पैर पीछे हटने लगता है जैसे ही वह अपने पैर को पीछे कहता है उसका पैर एक गमले में लड़ जाता है और उसके अंकल उसे वहां खड़ा देखते हैं और वह निंजा भी उसे देख लेते हैं उसके अंकल उसे बोलते हैं जय यहां से भागो जल्दी भागो यहां से लेकिन वह इतना कहते हैं की वह निंजा उसके सीने में तलवार डाल देते हैं और जय के पीछे लग जाते हैं जय वहां से भागता है ।

भागते भागते वह एक जंगल के रास्ते से निकलता है की वहीं पर दो ऐसे लोग जो उन निंजास पर एक इलेक्ट्रिक गन हमला कर रहे हैं जय उन्हें देखता है और वह लोग जय को निंजास के सामने से ले जाते हैं जय उनसे पूछता है कौन हो तुम लोग मुझे कहां लेकर जा रहे हो वह बोलते हैं तुम चुपचाप हमारे साथ चलो।

बाकी के निंजा वहां से भाग जाते हैं ।

वह लोग जय को लेकर उसके अंकल के पास आते हैं और जय अपने अंकल के पास बैठकर रोने लगता है और फिर डॉक्टर चंद्रा उन दोनों से कहते हैं करन रेनू अब तुम्हारे साथ रहेगा और जो सूट इसके डैड ने बनाया था वह उपयोग करने का समय आ गया तुम एक काम करो करन मेरे कमरे में जाओ और वहां पर एक पुराना बक्सा रखा है तुम उस बक्से को खोलो और उसमें से एक स्टोन जो की बहुत चमकदार है उसे लेकर आओ करन वह स्टोन लेकर आता है फिर डॉक्टर चंद्रा उसे बताते हैं की इस स्टोन को उस सूट के हेलमेट पर लगाना सूट को चार्जिंग मिलना शुरू हो जाएगी और फिर इतना कहकर वह रेनू को बुलाते हैं।‌‌

मेरी बच्ची में तुम्हारे लिए कुछ नहीं कर पाया मुझे माफ कर दो और इतना कहकर वह अपनी जान छोड़ देते हैं और करन जय को अपने साथ ले जाता है। बाकी की कहानी चैप्टर 4 में........।